RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
अभी वो लड़का बोलने ही वाला था कि, प्रिन्सिपल हेमंत सर हमारे पास आ गये…. “तो राज तुम स्कूल पहुँच गये हां….जाओ रिसेप्षन से अपने लिए टाइ और बेल्ट ले लो. मेने वहाँ बोल रखा है….और भी किसी चीज़ की ज़रूरत पड़े तो मेरे ऑफीस मे आ जाना.
राज: अच्छा अंकल मैं चलता हूँ…
जय सर: अंकल घर पर हां…स्कूल मे सर….
राज: ओके सर….
और राज ने एक बार मुझे घूर कर देखा और फिर रिसेप्षन की तरफ चला गया…”सर आप इस लड़के को जानते है…” मेने सर की ओर सवालिया नज़रों से देखते हुए कहा.
“हां ये राज है मेरे दोस्त का बेटा है…मेरे साथ मेरे ही घर मे रह रहा है आज कल इसके मम्मी पापा अब्रॉड गये हुए है…पिछले 4 साल से वही जॉब कर रहे थे. पहले अपने दादी के पास रहता था….पर दादी का देहांत हो गया…कल इसकी अपने स्कूल मे अड्मिशन करवाई है….पर तुम क्यों पूछ रही हो….”
मैं: नही वो बस ऐसे ही टाइ और बेल्ट नही लगाई थी…तो उससे पूछ रही थी…
मेने और कोई सवाल नही किया और स्टाफ रूम की तरफ चल पड़ी….”मेरा पहला पीरियड 11थ क्लास मे ही था…जैसे ही मैं क्लास मे दाखिल हुई, तो मेने देखा कि वो लड़का जिसका नाम राज है…वो ललिता के ठीक पीछे वाले बेंच पर बैठा हुआ था….और ललिता का चेहरा ये बता रहा था कि, वो उसकी माजूदगी मे खुद को सहज महसूस नही कर रही थी….मेने क्लास को पढ़ाना शुरू कर दिया…मैं बुक मे देख कर बच्चों को कुछ पढ़ा रही थी कि, तभी मुझे ऐसा लगा कि, कोई फुसफुसा रहा हो…
जब मेने बुक से नज़र हटा कर देखा तो ललिता पीछे की तरफ फेस किए हुए, राज से कुछ कह रही थी…..फिर उसने अपना फेस आगे कर लिया….और उसके चेहरे पर परेशानी के भाव सॉफ नज़र आ रहे थे\
…”राज क्या प्राब्लम है तुम्हे….ढंग से बैठ नही सकते क्या….” मेने उँची आवाज़ मे गुस्से से भरे हुए लहजे मे कहा…
राज: ढंग से ही तो बैठा हूँ…मेने क्या किया…?
मैं: ललिता क्या कर रहा था ये…..
ललिता: एक दम से चोन्कते हुए) जी क क कुछ नही मॅम….
और ललिता सर झुका कर बैठ गयी…अब अगर ललिता कुछ नही बोली तो मैं उसका क्या कर सकती थी…मैं चुप होकर पढ़ाने लगी…..हाफ टाइम चल रहा था….मैं बाहर बने पार्क मे टहल रही थी कि, तभी मेरी नज़र ललिता पर पड़ी….वो एक दम मुरझाई सी , नीचे घास पर बैठी थी….एक दम अकेली….मैं उसके साथ जाकर बैठ गयी…
मैं: क्या हुआ ललिता परेशान दिखाई दे रही हो….?
ललिता: नही कुछ भी नही ऐसे ही…..
मैं: मुझे पता है तुम उस लड़के की वजह से परेशान हो ना…पर ये सब तुम्हारी वजह से है…तुम उसकी ग़लतियों को छुपा कर और नज़रअंदाज़ करके उसको और बढ़ावा दे रही हो. देखना एक दिन तुमको इस स्कूल मे पढ़ना भी मुस्किल कर देगा…
ललिता: छोड़ो ना मॅम वो है ही ऐसा….(ललिता के मूह से एक दम और बेखायाली से निकल गया था…)
मैं: वो ऐसा ही है…मतलब तुम उसको पहले से जानती हो….
मेरी बात सुन कर ललिता के चेहरे का रंग एक दम से उड़ गया….उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर अपनी नज़रें झुका ली….
मैं: ललिता तुम उसे पहले से जानती हो ना….?
ललिता: (सर झुकाए हुए हाँ मे सर हिलाते हुए) जी मॅम….
मैं: तुम्हारा उसके साथ अफेर है…?
ललिता: नही मॅम ऐसे कोई बात नही है…..
मैं: फिर तुम उसे कैसे जानती हो…उसकी तो आज ही अड्मिशन हुई इस स्कूल मे…
ललिता कभी मेरी ओर देखती तो कभी नीचे घास की तरफ उसके हाथ कांप रहे थे.
मैं: ललिता बताओ कि तुम उसे कैसे जानती हो…देखो तुम अगर नही बताओगी तो मैं तुम्हारी हेल्प कैसे कर पाउन्गी…देखो तुम मुझे अपनी फ्रेंड समझो…और तुम्हे जो भी परेशानी है….वो मुझे बताओ….फिर देखना कि मैं उसे कैसे सीधा करती हूँ….
ललिता: नही मॅम आप कुछ नही करेंगी…और ना ही आप उससे कुछ कहेंगी…
मैं: पर क्यों….? तुम इतना डर क्यों रही हो…मुझे बताओ क्या हुआ..उसने तुम्हारे साथ कोई बदतमीज़ी तो नही की….
ललिता मेरी बात सुन कर ऐसी चुप हुई, जैसे उसने कोई साँप देख लिया हो…” ललिता बोल क्यों नही रही….बता ना….”
ललिता: मॅम पहले आप प्रॉमिस करो कि ये बात आप किसी से शेर नही करेंगी…और ना ही उस राज को कुछ कहेंगी…..क्योंकि मैं नही चाहती कि, किसी बात को लेकर हंगामा हो…और मेरी बदनामी हो….आप मेरे पापा को नही जानती….वो मुझे 10थ के बाद पढ़ाना भी नही चाहते थे….और अगर उन्हे ये पता चला तो वो मेरा स्कूल भी बंद करवा देंगे…
मैं: ओके ओके ललिता रिलॅक्स हो जाओ….मैं प्रॉमिस करती हूँ कि तुम्हारी बात किसी से शेर नही करूँगी….
ललिता: ये लास्ट जनवरी की बात है…..मैं अपने मामी की बेटी की शादी मे गयी हुई थी. कसोली वहाँ पर ये भी आया हुआ था….
मैं: ये तुम्हारी मामा के घर कैसे पहुँच गया….
ललिता: ये मामा के बेटे का फ्रेंड है….10थ तक दोनो एक हॉस्टिल मे रह कर पढ़ते थे…
मैं: ओह्ह अच्छा फिर…..
ललिता: जिस दिन दीदी की शादी थी…उससे एक दिन पहले की बात है….राज वहाँ पर बहाने -2 से मुझसे बात करने की कॉसिश कर रहा था…पर मैं इससे दूर चली जाती. शादी गाओं मे थी….इसलिए ज़्यादा इंतज़ाम नही किए हुए थे…मामा जी का घर बहुत बड़ा था. उनके घर के पीछे ही उनके खेत थे….जहाँ पर उनका फलो का बाग था….
|