RE: Desi Chudai Kahani मेरी बीबी और जिम ट्रेनर
दिव्या समान को रसोई के काउंटर पर रख देती है. उसके जिस्म में कंपकंपी हो रही होती है. वो सीढ़ियाँ चढ़ कर उपर जाती है और दिमाग़ में कल्पना करती है कैसे उसके बेटे का मोटा लंड किसी जवान रंडी चूत ठोक रहा होगा.
जैसे जैसे वो सीढ़ियाँ चढ़ती हैं सिसकियों की आवाज़ उँची होने लगती है. उसके बेटे के शयनकक्ष का दरवाजा पूरा खुला था. दिव्या खुद को अंदर झाँकने से मना करती है, कि अगर उसने अंदर झाँक लिया तो उसके बेटे और उस लड़की की चुदाई का दृश्य उसे फिर कामुकता के शिखर पर पहुँचा देगा यहाँ पर उसको खुद पर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा. मगर दिव्या खुद पर काबू नही रख पाती. वो दरवाजे के सामने खड़ी होकर अंदर झाँकति है.
लड़की वाकई में बेहद जवान थी. वो बॉब्बी के उपर चढ़ि हुई थी जो कि उस समय अपने हाथ सर के पीछे बाँधे हुए उस लड़की की ओर देख कर मुस्करा रहा था. लड़की की छोटी सी गोल गान्ड थी जिसे वो आगे पीछे घूमते हुए अपनी गीली चूत से बॉब्बी का लंड चोद रही थी.
"हाई! बॉब्बी में छूटने वाली हूँ" लड़की कराहती है. वो बॉब्बी के कंधो को कस कर पकड़ लेती है और अपनी चूत पूरे ज़ोर से बॉब्बी के लौडे पर पटकती है. "चोद बॉब्बी, चोद मुझे. हाई तुम्हारा लौडा कितना मोटा है. ज़ोर से मार मेरी चूत, फाड दे आज इसको!"
"अभी इसी वक़्त मेरे घर से निकल जाओ, फॉरन!" दिव्या फुफ्कार्ती है.
"ओह, शिट!" लड़की का घबराया हुआ स्वर सुनाई देता है जब वो दिव्या को वहाँ पर खड़ा देखती है.
लड़की बेड से कूद कर नीचे उतर जाती है. लंड के चूत से एक झटके में बाहर आने के कारण 'फ़च्छ' की एक जोरदार आवाज़ सुनाई पड़ती है. दिव्या उसकी और कहर भारी निगाहों से देखती है. तीस सेकेंड के वर्ल्ड रेकॉर्ड में वो लड़की कपड़े पहन कर घर से बाहर भाग जाती है.
दिव्या अब अपने बेटे के साथ उस घर में फिर से अकेली थी. वो बेड के किनारे खड़ी होकर गहरी साँसे लेते हुए उसके लंड को घुरती है.
"इस सब का क्या मतलब है"
"मेरा लंड कल रात से खड़ा था, और में बहुत ज़यादा उत्तेजित था. मुझसे नियंत्रण नही हुआ" बॉब्बी दाँत निकालते हुए कंधे उचकाता है. "मेने तुम्हे बताया था में किसी लड़की को घर ला सकता हूँ चोदने के लिए. अब जब तुमने चुदवाने से मना कर दिया है तो में किसी ना किसी को तो चोदुन्गा ही"
"तुम बेहद बेशर्म और घटिया हो!" दिव्या फुफ्कार्ती है. "वो इतनी कम उमर की लड़की और तुम उसे इस तरह अपने रूम का दरवाजा खुला छोड़ कर चोद रहे थे. तुममे ज़रा भी शरम नही बची. तुम अपने इस मोटे लंड के सिवाय और कुछ भी नही सोच सकते"
"नही! और असलियत में अभी इसी वक़्त अपने लंड के बारे में ही सोच रहा हूँ. मम्मी तुम मुझे फिर से अपनी कसी चूत क्यों नही मरवाती. उस लड़की की बजाय मुझे तुम्हारी चूत मारने में ज़यादा मज़ा आता है."
"तुम बेहद घटिया हो"
"अर्रे मम्मी अब छोड़ो भी ना."
वो बेड से उठता है और अपनी माँ की ओर बढ़ता है जो मन ही मन में चुदवाने के लिए बेहद उतावली थी. उसका लंड पूरी बेशर्मी से झटके खा रहा होता है. दिव्या बिना हीले डुले चुपचाप वहीं खड़ी रहती है. वो चाहती तो वहाँ से जा सकती थी और या उस पर चिल्ला सकती थी. मगर बॉब्बी के उस तगडे लौडे को उस लड़की की चूत ठोकते हुए देखकर उसकी चूत बुरी तरह से फडफडा रही थी. वो आती उत्तेजना की अवस्था में थी और उसकी चूत से रस निकाल कर उसकी कच्छि को भिगो रहा था. दिव्या को वाकई में एक जबरदस्त चुदाई की आवश्यकता थी.
'अपने हाथ हटाओ" वो धीरे से फुसफुसाती है
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