RE: XXX Chudai Kahani चूत के चक्कर में
रामलाल घर के बाहर खाट बिछा के लेट जाता है पर नींद उसकी आँखों से कोसो दूर रहती है | उसे रह रह कर कजरी की चूत की याद आती है पर वो कर भी क्या सकता था कजरी अपनी माँ के यहाँ जा चुकी थी | रामलाल अपना ध्यान कजरी से हटाने की कोशिश करता है तो उसे ख्याल आता है की उसकी घर में अभी एक और चूत है | पर वो ये भी सोचने लगता है की अगर उसने रुकसाना के साथ कोई जबरदस्ती की तो हो सकता है की वो गाँव वालो को बता दे और उसकी इज्जत मिटटी में मिल जाए |
इधर घर के अन्दर रुकसाना को भी नींद नहीं आ रही थी वो सोच रही थी की रामलाल ने अब तक उसके साथ सम्बन्ध बनाने की कोशिश क्यों नहीं की कही ऐसा तो नहीं वो रामलाल के बारे में जैसा सोच रही हो वो वैसा ना हो | पर सुबह रामलाल की नजरों ने जैसे उसके शरीर को देखा था उससे तो ऐसा नहीं लग रहा था | क्या रामलाल को वो पसंद नहीं आई क्या खराबी थी उसमे अभी वो जवान थी | रुकसाना को याद आने लगा की उसके शौहर ने भी कई महीनो से उससे सम्बन्ध नहीं बनाये थे और उसके अन्दर की प्यास जागने लगी | बरबस ही उसका एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर होता हुआ उसकी चूत तक जा पंहुचा | रुकसाना के शारीर में एक अजीब सी तपन उठने लगी उसकी चूत अब लंड मांग रही थी रुकसाना ने अपनी एक ऊँगली अपनी चूत पे घुमाई तो उसके मुह से सिसकारी निकल गयी | अब रुकसाना से रहा नहीं गया उसने अपना दूसरा हाथ भी सलवार के अन्दर घुसा लिया और अपनी चूत को एक हाथ से फैला कर वो दुसरे हाथ से अपनी चूत के दाने को कुरेदने लगी | रुकसाना का शारीर अब काम अग्नि में जलने लगा उसके होठ सुख गए और उसके माथे पे पसीना आ गया |
रुकसाना ने अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में गुसा दी और धीरे धीरे उसे अन्दर बाहर करने लगी | धीरे उसके शारीर में मस्ती चढ़ने लगी उसके मुह से सिसकियाँ निकलने लगी | उसने मन में रामलाल के लंड के बारे में सोच कर एक और ऊँगली अपनी चूत में घुसा ली | अब उसकी चूत भी हलकी हलकी पनिया गयी थी रुकसाना के मन में अब रामलाल का लंड उसकी चूत में घुस चुका था और उसकी अन्दर बाहर होती उंगलियों की जगह अब रामलाल का लंड उसकी चुदाई कर रहा था | रुकसाना किसी और ही दुनिया में खो चुकी थी और अपनी उंगलियों को और जोर से अपनी चूत में अंदर बाहर कर रही थी | धीरे धीरे रुकसाना के शारीर में तरंगे उठने लगी और थोड़ी ही देर में रुकसाना झड गयी | आज बहुत दिन बाद रुकसाना की चूत ने पानी छोड़ा था पर अब उसने ठान लिया था की वो अब उंगलियों की जगह रामलाल का लंड अपनी चूत में लेगी |
उधर घर के बाहर रामलाल की रात खाट पे उलथते पलथते बिट रही थी | गर्मी और उमस से उसका बुरा हाल हो चुका था | रामलाल ने अपनी धोती उतार दी और लंगोट में ही बिस्तर पे पसर गया | थोड़ी ही देर में उसे नींद आ गयी |
सुबह रुकसाना की नींद खुली तो अभी सूरज नहीं उगा था बस हल्का हल्का उजाला होना शुरू हुआ था | रुकसाना ने सोचा की बाहर जा के रामलाल को उठा दे की वो घर के अन्दर आ जाए | रुकसाना बाहर निकल कर रामलाल की खाट के पास पहुची तो रामलाल को देखते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी | रामलाल की धोती निकली हुयी थी और उसकी लंगोट भी खुल चुकी थी और उसका लंड एकदम कड़क हो सलामी दे रहा था | रुकसाना कुछ देर वही खड़ी रामलाल के लंड को निहारती रही | न जाने कितने दिनों के बाद उसने लंड देखा था रामलाल का लंड उसके पति से काफी मोटा और लम्बा था और किसी काले भुजंग जैसा दिखता था | रुकसाना कुछ देर बाद रामलाल को बिना जगाये वापस घर में आ गयी पर अब उसने दृढ निश्चय किया था की वो रामलाल का लंड अपनी चूत में लेके रहेगी |
सुबह रामलाल की नींद खुलती है तो सूरज उग चूका होता है । रामलाल बिस्तर से उठता है तो उसे आभास होता है की उसकी लंगोट खुली हुई है और उसका लंड विकराल रूप लिए खड़ा है। रामलाल जल्दी से इधर उधर देखते हुए अपनी लंगोट बंधता है और धोती लपेट के घर की तरफ बढ़ता है । घर के दरवाजे पे पहुँच के उसके पाँव ठिठक जाते हैं उसे घर के अंदर से पानी गिरने की आवाज आती है। रामलाल हल्का सा दरवाजे को धकेलता है तो दरवाजा थोडा सा खुल जाता है । रामलाल अंदर झाँक के देखता है तो अंदर का नाज़ारा देख के उसका लंड फट पड़ने को होने लगता है। अंदर रुकसाना आँगन में एकदम नग्न अवस्था में नहा रही होती है। रुकसाना का शारीर रामलाल के नजरो के सामने था और वो बस उसे देखे ही जा रहा था। उसका गेहुआँ रंग , उसकी उभरी हुई चूचियां , उसके चूत के ऊपर के काले बाल सब रामलाल को पागल बना रहे थे । तभी उसने सामने पड़ी बाल्टी से एक लोटा पानी लिया और अपने सर के ऊपर से डाल लिया। रामलाल की नजरें अब रुकसाना के शारीर के ऊपर से गुजरती हुई पानी की धार का पीछा करने लगी। वो धार पहले उसके चेहरे से होते हुए उसके सुर्ख लबों को चूमते हुए उसके सीने पे पड़ती है जहाँ पे वो दो शाखाओं में बंट जाती है और रुकसाना के वक्षो के उभारों पे चढ़ती हुई उसके तने हुई चूचियों के निपल से उसके पेट पे गिरती है जहाँ पे वे दोनों वापस मिलकर रुकसाना की चूत की झाड़ियों में गुम हो जाती है ।
रामलाल ये सब देख के अत्यंत ही उत्तेजित हो जाता है और वो अपना लंड धोती के ऊपर से ही मसलने लगता है। अंदर रुकसाना ने अपने शरीर पर साबुन मलना शुरू कर दिया होता है वो साबुन की टिकिया को अपने वक्षो पे जोर जोर से घिसती है जिससे वो लाल हो जाते हैं फिर वो अपने पेट पे साबुन लगाती हुई अपनी टांगो को फैलाते हुए अपनी चूत पे घिसने लगती है। रामलाल से रहा नहीं जाता है वो अपने लंड को धोती से बाहर निकाल के हिलाने लगता है । अंदर रुकसाना के हाथ से साबुन फिसलके नीचे गिर जाता है और वो झुक के साबुन उठाने लगती है जिससे उसकी गांड एकदम से रामलाल के सामने आ जाती है जिसके बीच से रुकसाना की चूत झांकते हुये उसे निमंत्रण दे रही होती है। रामलाल के मष्तिष्क पे हवस सवार हो जाती है और वो समाज की परवाह किये बगैर घर के अंदर घुस जाता है और रुकसाना को जाके पीछे से पकड़ लेता है।
रुकसाना एकबार के लिए चौंक जाती है और ऊपर उठने की कोशिश करती है पर रामलाल एक हाथ से उसकी पीठ पे दबाव डालके उसे और झुका देता है। रुकसाना फिर उसकी पकड़ से छुटने की कोशिश करती है पर रामलाल उसे वैसे ही दबाये रखता है और अपना लंड उसकी चूत पे सेट करके एक धक्का देता है । रुकसाना की चूत पे लगे साबुन के कारण रामलाल का लंड फिसलता हुआ आधा उसकी चूत में घुस जाता है। रुकसाना की चूत ने बहुत दिन बाद लंड का स्वाद चखा था और उसकी भूख भी बढ़ने लगती है। रामलाल हलके हलके अपना लंड रुकसाना की चूत में अंदर बाहर करने लगता है। रुकसाना की चूत भी धीरे धीरे पनियाने लगती है रामलाल मौका देख के एक और धक्का मारता है जिससे उसका पूरा लंड रुकसाना की चूत में समां जाता है । रुकसाना के मुँह से हलकी सी चीख निकल जाती है। रामलाल धीरे धीरे रुकसाना की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगता है। रुकसाना को भी अब मजा आने लगता है उसकी चूत अब और जोर से पानी छोड़ने लगती है। रामलाल अब अपने दोनों हाथों से रुकसाना की गांड को पकड़के अपना लंड रुकसाना की चूत में पेलने लगता है।रुकसाना असीम आनंद के सागर में गोते लगाने लगती है । रामलाल को भी अब बहुत मजा आने लगता है और धीरे धीरे वो अपने चरम पे पहुचने लगता है। उधर रुकसाना को भी लगता है की उसका पानी निकलने वाला है तो वो भी जोर जोर से अपनी कमर आगे पीछे करने लगती है। दोनों के धक्कों की थाप से पूरा घर गूंजने लगता है। रामलाल को लगता है जैसे किसी ने उसके अंडकोषों में आग लगा दी हो और उसके वीर्य का उबाल उसके लंड से निकालता हुआ रुकसाना की चूत को भरने लगता है। रुकसाना को महसूस होता है की खौलता हुआ वीर्य उसकी चूत में भर रहा है तो वो और उत्तेजित हो के झड़ जाती है उसके पैर जवाब दे देते है और वो जमीन पे ही पसर जाती है। रामलाल अब होश में आ चुका होता है और सामने रुकसाना का
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