XXX Chudai Kahani चूत के चक्कर में
09-14-2018, 12:29 PM,
#5
RE: XXX Chudai Kahani चूत के चक्कर में
सुबह रामलाल की नींद खुलती है तो दरवाजे के कोई आवाज लगा रहा होता है । बगल में कजरी बेसुध सी नग्न अवस्था में सो रही होती है । रामलाल कजरी को जगाता है और रसोईघर में जाने के लिए कहता है। फिर वो कमर पे धोती लपेट बाहर निकालता है तो लखन सिंह खड़े रहते हैं । रामलाल उन्हें देखके कहता है " राम राम ताऊ आज इतनी सुबह सुबह ?"
लखन सिंह " हाँ बेटा बात ही कुछ ऐसी है एक जरुरी पंचायत करनी है आज और एक पंच के रूप में तुम्हे भी रहना है ।"
रामलाल " क्या ताऊ मैं और पंच ?"
लखन सिंह " देख बेटा तू हमारे गाँव का सबसे पढ़ा लिखा व्यक्ति है और बाहर की दुनिया भी देखी है तूने इसलिए क्या तू मुझे न्याय करने में मदद नहीं करेगा।"
रामलाल अब क्या करता वो लखन सिंह से कहता है " ठीक है ताऊ तुम कहते हो तो चलते है कब है ये पंचायत ?"
लखन सिंह " अभी बड़ी हवेली से दीवान जी भी आ रहे हैं इसलिये तू जल्दी चल ।"
रामलाल " ठीक है ताऊ तुम चलो मैं आता हूं ।"
लखन सिंह " ठीक है बेटा जल्दी आना ।"
रामलाल अंदर जाके कजरी से कहता है कि वो जल्दी से पीछे के रास्ते से निकल जाए और फिर वो अपनी नित्यक्रिया निपटाके गाँव की चौपाल पे पहुचता है। 
चौपाल पे बहुत भीड़ पहले से इकठ्ठा थी गाँव के लगभग सभी लोग वहां थे। पुजारी जी मौलाना साहब और लखन सिंह चौपाल पे खाट पे बैठे थे । रामलाल भी उन्हीं के बगल जाके बैठ गया। कुछ ही देर में दीवानजी भी अपनी घोडा गाडी और दो लठैतों के साथ वहां पहुचे। सबने खड़े होके उनका स्वागत किया । और उनके बैठने के लिए कुर्सी मंगाई गयी।
बैठते ही दीवान जी बोले " लखन सिंह जल्दी करो मुझे रानी माँ के दिल्ली जाने की तैयारी भी करनी है ।"
ये सुनके लखन सिंह तुरंत खड़े हो जाते हैं और गाँव वालों को संबोधित करते हुए कहते है " गाँव वालों आज हम यहाँ करीम और उसकी पत्नी रुकसाना के तलाक का मसला सुनने के लिए यहाँ बैठे हैं । पंचों के तौर पे मैंने दीवान जी पुजारी मौलाना और रामलाल को चुना है। किसी को कोई आपत्ति है पंचों से तो अभी बोल सकते हैं ।"
कोई भी नहीं बोला तो लखन सिंह आगे बोलते हैं " हम सब यहाँ करीम और उसकी पत्नी रुकसाना के तलाक का मामला सुनने के लिए यहाँ इकठ्ठा हुए है। अब करीम आगे आये और अपनी बात रखे ।"
एक 24 साल का लड़का आगे आता है ।
करीम " साहब मैंने अपने होशो हवास में अपनी जोरू जो तलाक दिया है। "
अब मौलवी साहब ने पूछा " कैसे दिया तलाक़?"
करीम " मैंने अपने पूरे होशो हवास मे खुदा को हाजिर नाजिर मानकर अपनी जोरू को तीन बार तलाक तलाक तलाक बोला ।"
मौलाना " किस कारण से दिया तलाक ?"
करीम " मेरे निकाह को 5 साल हो गए पर अभी तक मेरी जोरू को बच्चे नहीं हुए अब मैं दूसरा निकाह करना चाहता हु पर मेरी हैसियत इतनी नहीं है की मैं दो बीवियां रख सकू इसलिए मैंने अपनी जोरू को तलाक दिया ।"
मौलवी साहब " ठीक है तब तलाक मंजूर किया जाता है ।"
तभी एक बुर्के में औरत सामने आती है और चीखते हुए कहती है " हुजूर मेरा कसूर क्या है ?"
मौलवी " देखो बीबी मजहब में यही है और ये तलाक मजहब के हिसाब से सही है।"

लखन सिंह " देखो रुकसाना तुमहारे मजहब के हिसाब से ही तुम्हारे आदमी ने तुम्हे तलाक दिया है इसलिए अब हम इसमें क्या कर सकते हैं ।"
रुकसाना " हुजूर तो अब मैं कहाँ जाऊंगी ?"
लखन सिंह " तुम अपने माँ बाप के पास चली जाओ ।"
रुकसाना " उन्होंने भी मुझे अपने घर में लेने से मना कर दिया है हुजूर अब आप लोग ही मेरी कोई व्यवस्था करो नहीं तो मैं नदी में कूद के जान दे दूंगी।"
अब सब पंच आपस में बहस करने लगते हैं । पहले दीवान जी कहते है " देखो लखन सिंह ये तुम्हारे गाँव का मसला है अब तुम ही इसे देखो मैं चला । "
ये कह कर दीवान जी वहां से चले जाते हैं । अब लखन सिंह मौलवी जी से कहते हैं " मौलवी देखो अब हम सब तो किसी गैर धर्म को अपने यहाँ नहीं रख सकते और ये बेचारी अबला अब कहाँ जायेगी तुम इसे अपने यहाँ ले जाओ।"
मौलवी साहब " भाई मेरी नयी बेगम को ये बात नहीं पसंद आएगी और मैं अपने घर में कोई झगड़ा टंटा नहीं चाहता तुम सरपंच हो तुम रख लो अपने यहाँ ।"
अब पुजारी बोल पड़ता है " क्या बात कर रहे हो मौलवी गैर धर्म को अपने यहाँ रखके अपना धर्म भ्रष्ट करले हम लोग ये नहीं हो सकता । तुम्हारे धर्म की है तुम रखो अपने यहाँ । "
इसी तरह बहुत देर तक कोई नतीजा नहीं निकलता है । लखन सिंह रामलाल से पूछते हैं " अब रामलाल तुम ही बताओ इस मुसीबत से कैसे निकला जाये अगर उसे अपने घर में रखते हैं तो धर्म भ्रष्ट होता है और अगर उसे सहारा नहीं देते तो पंचों का न्याय धर्म भ्रष्ट होता है।"
रामलाल को ये सब पहले ही ठीक नहीं लग रहा था एक तो पहले उस औरत को सिर्फ इस लिए घर से निकाल दिया की वो माँ नहीं बन सकती थी फिर कोई उसे अपने यहाँ रख भी नहीं रहा था । रामलाल लखन सिंह से कहता है " ताऊ जब तक उस औरत के कही रहने की व्यवस्था नहीं होती तब तक वो मेरे घर में रह सकती है ।"
लखन सिंह " पर बेटा वो गैर जात है "
रामलाल " मैं जात पात नहीं मानता ।"
पुजारी जी भी रामलाल को समझाने को कोशिश करते हैं पर रामलाल नहीं मानता अंत में यही फैसला होता है कि रुकसाना रामलाल के यहाँ रहेगी।
लखन सिंह अब गाँव वालों के सामने घोषणा करता है " हम पंचों ने ये फैसला किया है कि करीम का अपनी पत्नी को दिया गया तलाक सही है। साथ ही हमने रुकसाना की मांग पर भी विचार करते हुए ये फैसला किया है कि जबतक रुकसाना के रहने के कोई और प्रबंध नहीं होता वो रामलाल के यहाँ रहेगी।"
फैसला सुनने के बाद सब ग्रामीण वहां से चले जाते हैं । रामलाल भी बाकि पंचों से विदा लेके घर की तरफ चल पड़ता है। रुकसाना भी उसके पीछे अपना सामान उठाये चल पड़ती है। रामलाल को अब बस एक ही बात की चिंता थी की रुकसाना के रहते उसका और कजरी का खेल कैसे चलेगा । पर रामलाल ने सोचा की रमुआ अक्सर रात को नहीं रहता है तो उसकी गैर मौजूदगी में कजरी और उसके झोपड़े में खेल चल सकता है। रामलाल यही सब सोचके जब घर पहुचता है तो देखता है कि कजरी उसका इंतज़ार कर रही होती है उसके साथ एक आदमी और रहता है। रामलाल कजरी से पूछता है " क्या बात है कजरी ?"
कजरी " मालिक हमरी अम्मा की तबीयत बडी खराब है गाँव से अभी ये भैया आये है हैं मैं इनके साथ अपने गाँव जा रही हु हमरे वो आएंगे तो उन्हें भी भेज देना ।"
रामलाल " ठीक है कजरी तुम जाओ मैं उसे भेज दूंगा ।"
कजरी " आपके खाने का क्या होगा मालिक ?"
रामलाल " तुम चिंता मत करो मैं कुछ कर लूंगा तुम अब अपने गाँव जाओ ।"
ये कह के रामलाल ने कजरी को 5 रुपये थमा देता है। पहले तो कजरी मना करती है पर रामलाल के जिद करने पे रख लेती है।
रामलाल फिर अपने घर आता है और रुकसाना से कहता है " तुम्हे जहाँ ठीक लगे अपना सामान रख सकती हो। "
रुकसाना बरामदे के एक कोने में अपना सामान रख देती है। रामलाल घर के अंदर से पुराना गद्दा और चादर लाके उसे दे देता है। वो वही बरामदे में उसे बिछा देती है । रामलाल फिर बरामदे में पड़ी अपनी खाट पे आके लेट जाता है। रामलाल अब कजरी के बारे में सोचने लगता है । उसकी हालत भी अजीब हो गयी थी अभी तक उसने अपनी ठरक को कैसे भी काबू कर रखा था पर कजरी ने अब उसकी भावनाओं को भड़का दिया था । अब कजरी अपनी माँ के यहाँ चली गयी थी रामलाल को अपनी ठरक मिटाने का रास्ता खोजना होगा। तभी रामलाल की नजर सामने रुकसाना पे पड़ती है वो अब अपना बुरका उतार चुकी थी उम्र उसकी 20 साल के लगभग रही होगी रंग रूप भी ठीक ठाक था। रामलाल उसे आवाज देता है " सुनो मुझे तुमसे बात करनी है इधर आओ "
रुकसाना अपना चेहरा घूँघट में ढक लेती है और उसके पास आती है। 
रामलाल " देखो कजरी जो मेरा खाना बनती थी चली गयी है और मुझे ठीक से खाना बनाना नहीं आता तुम्हे ऐतराज न हो तो तुम मेरा और अपना खाना बना दो।"
रुकसाना " पर हुजूर मैं तो गैर जात हु आप मेरे हाथ का बनाया खाएंगे ।"
रामलाल " देखो मैं इन सब बातों को नहीं मानता अगर तुम्हे खाना बनाने में कोई ऐतराज नहीं है तो मुझे खाने में भी नहीं है।"
रुकसाना " ठीक है हुजूर आप जैसा कहें "
रामलाल " ठीक है वो सामने रसोई है वहां बर्तन और बाकी सारा सामान मिल जायेगा तुम खाने की तैयारी करो।"
रुकसाना खाने की तयारी करने लगती है। रामलाल सोचता है की नाक नक्श तो ठीक है बस पटाया कैसे जाए । रामलाल की नजरें रुकसाना का पीछा कर रही थी रुकसाना भी इस बात से अनजान नहीं थी। रुकसाना को ये समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे उसका पति उसे छोड़ चूका था इस आदमी ने उसे सहारा दिया है नहीं तो वो रस्ते पे होती और न जाने वहां उसको नोचने खसोटने वाले पता नहीं कौन कौन होते। अभी तक इस आदमी ने कोई गलत बात नहीं की थी पर उसकी नजरें जैसे रुकसाना के बदन को घूर रहीं हो। रुकसाना धीरे धीरे खाना बनाने लगती है । उधर रामलाल के मन में अजीब द्वन्द चलने लगता है वो सोच रहा होता है की जो वो रुकसाना के बारे में सोच रहा है वो गलत है आखिर उसने इस अबला को आश्रय दिया है अब इसकी मज़बूरी का फायदा उठाना गलत होगा। रामलाल की तन्द्रा तब टूटती है जब रुकसाना उसे खाने के लिए आवाज देती है। रामलाल जाके अपना खाना ले आता है और अपनी खाट पे बैठ के खाने लगता है। रुकसाना वही बरामदे की ज़मीन पर बैठ कर खाने लगती है। रुकसाना के दिल में अब ये विचार चल रहा होता है की अगर रामलाल ने आश्रय के बदले अगर उसके जिस्म की मांग की तो वो क्या करेगी। आखिर एक अकेले अधेड़ का उसे अपने घर में आश्रय देने का और क्या उद्देश्य हो सकता है। पर वो क्या करेगी उसका कोई और ठिकाना भी तो नहीं है। धीरे धीरे उसने फैसला किया की अगर रामलाल उसके साथ सम्बन्ध बनाने की कोशिश करेगा तो वो विरोध नहीं करेगी। उधर रामलाल अपने ह्रदय में उठती काम ज्वाला को शांत करने की भरपूर कोशिश कर रहा था। किसी तरह उसने भोजन समाप्त किया और अपनी खाट लेके बाहर चला गया । रुकसाना ने भी राहत जी साँस ली पर उसे यकीन था की रात को रामलाल कोशिश जरूर करेगा।
Reply


Messages In This Thread
RE: XXX Chudai Kahani चूत के चक्कर में - by sexstories - 09-14-2018, 12:29 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,556,397 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,686 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,256,427 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 949,790 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,685,738 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,107,839 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,997,393 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,210,047 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,087,857 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,295 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)