RE: Free Sex Kahani प्यासी आँखों की लोलुपता
जय ने एक धक्का और दिया। फिर थोड़ा और दर्द पर उतना ज्यादा और असह्य नहीं था। मैं चुप रही। जय ने उनका लण्ड थोड़ा पीछे खींचा और एक धक्के में उसे पूरा अंदर घुसेड़ दिया। चिकनाहट के कारण वह घुस तो गया पर दर्द के मारे बड़ी मुश्किल से मैंने अपने आपको चीखने से रोका। मेरे कपोल से पसीने की बुँदे बहने लगीं। यहां तो एक जय ही थे जो मेरा यह हाल था। एक लड़की पर जब कुछ लोग बलात्कार करते होंगे तो उस बेचारी का क्या हाल होता होगा वह सोच कर ही मैं कापने लगी।
दूर सडकों पर चीखती चिल्लाती गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गयी थी। हमारी कॉलोनी में ही कोई गाडी के दरवाजे खुलने और बंद होने की आवाज सुनाई दे रही थी। नजदीक में ही कहीं कोई दरवाजे का स्प्रिंग लॉक “क्लिक” की आवाज से खुला और बंद हुआ। पर मुझे यह सब सुनने की फुर्सत कहाँ थी ? मेरा दिमाग तो जय का कडा लंड उस समय मुझ पर जो केहर ढा रहा था उस पर समूर्ण रूप से केंद्रित था।
जय ने एक बार उसका लण्ड अंदर घुसेड़ने के बाद उसे थोड़ी देर अंदर ही रहने दिया। दर्द थोड़ा कम हुआ। उसने फिर उसे धीरे से पीछे खींचा और बाहर निकाला और फिर अंदर घुसेड़ा। मेरी पूरी गर्भ द्वार वाली नाली जय के लम्बे और मोटे लण्ड से पूरी भरी हुई थी।
मेरी पूरी खींची हुई चमड़ी उसके लण्ड को खिंच के पकड़ी हुई थी। हमारी योनियों मेसे झरि हुई चिकनाहट के कारण हमारी चमड़ी एक दूसरे से कर्कश रूप से रगड़ नहीं रही थी। दर्द सिर्फ चमड़ी की खिंचाई के कारण था।
मैंने अपना कुल्हा ऊपर उठा कर जय को मेरी चुदाई चालु रखने का आग्रह किया। जय ने मेरी प्यासी चूत में हलके हलके अपना लंड पेलना शुरू किया और फिर धीरे धीरे उसकी गति बढ़ाने लगा। उसका कडा छड़ जैसा लंड मेरी गरमा गरम गर्भ नाली में पूरा अंदर घुस जाता और फिर बाहर आ जाता, जिससे मेरी गर्भ नाली में और भी आग पैदा कर रहा था।
मैं भी अपने पेडू को ऊपर उठाकर और नीचे गिराकर उसकी सहायता कर रही थी। कुछ ही देर में उसका लंबा लंड, मेरे गर्भ कोष पर भी टक्कर मारने लगा। इसके इस तरह के अविरत प्रहार से मेरी चूत की फड़कन बढ़ रही थी जिससे मेरी चूत की नाली की दीवारें जय के मोटे लंड को कस के दबा रही थी, या यूँ कहिये की जय का लंड मेरी चूत की नाली की दीवारों को ऐसा फैला रहा था की जिससे मेरी चूत की नाली की दीवारें जय के लंड को कस के दबा रही थी।
बहुत सारी चिकनाहट के कारण हमारी चमड़ियाँ एक दूसरे से रगड़ भी रही थी और फिसल भी रही थी। इस अद्भुत अनुभव का वर्णन करना असंभव था। मैं अत्योन्माद में पागल सी उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रही थी।
जय के हरेक धक्के पर मेरे मुंह से कामुक कराहट निकल ही जाती थी। जय अपना लंड मेरी चूत में और फुर्ती से पेलने लगा। मैं भी उसके हरेक प्रहार के ताल का मेरे पेडू उठाकर बराबर प्रतिहार कर रही थी। मैं उसदिन तक उतनी उत्तेजित कभी नहीं हुई थी। शादी के दिन से उस दिन तक राज ने कभी मुझे इतनी तगड़ी तरह चोदा नहीं था। यह सही है की राज ने मुझे एक लड़की से एक स्त्री बनाया। तो जय ने उस रात को मुझे एक स्त्री से एक दुनियादारी औरत बनाया, जो एक मात्र पति के अलावा किसी और मर्द से चुदवाने का परहेज नहीं करती थी।
जय मुझे चोदते हुए बोलते जारहे थे, “डॉली, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। तुम कितनी अच्छी हो। यह मैं तुम्हें सिर्फ सेक्स करने के लिए नहीं कह रहा हूँ। यह सच है।”
जवाब में मैंने भी जय से कहा, “जय, तुम भी बड़े गज़ब के चोदू हो। मैं भी तुम्हे चाहती हूँ और मैं तुमसे चुदवाती ही रहना चाहती हूँ। प्लीज मुझे खूब चोदो। आज अपना पूरा वीर्य मेरी प्यासी चूत में उंडेल दो। मैं तुम्हारा वीर्य मेरे गर्भ कोष में लेना चाहती हूँ।”
जय अपने चरम पर पहुँच ने वाला था। उसका चेहरा वीर्य छोड़ने के पहले अक्सर मर्दों का चेहरा जैसे होता है ऐसा तनाव पूर्ण लग रहा था। जय ने कहा, “डॉली, मैं अपना छोड़ने वाला हूँ।”
मैं समझ गयी की वह शायद यह सोच रहा था की वह मेरे गर्भ में अपना वीर्य डाले या नहीं। मैंने उसे पट से कहा, “तुम निःसंकोच तुम्हारा सारा वीर्य मेरे अंदर उंडेल दो। मैं तो वैसे ही बाँझ हूँ। मैं गर्भवती नहीं होने वाली। मैं चाहती हूँ की तुम्हारा वीर्य मुझमें समाये। काश मैं तुमसे गर्भवती हो सकती। मैं अपने पति के बच्चे की माँ न बन सकी, तो तुम्हारे बच्चे की ही माँ बन जाती। पर मेरी ऐसी किस्मत कहाँ?”
मैं भी तो अपने उन्माद के शिखर पर पहुँचने वाली थी। जय के मेरे गर्भ में वीर्य छोड़ने के विचार मात्र से ही मेरी चूत में सरहराहट होने लगी थी और मैं भी अपना पानी छोड़ने वाली थी। जय के मुंहसे, “आह्ह… निकल पड़ी, और एक ही झटके में मैंने अनुभव किया की मेरे प्यासे गर्भ द्वार में उसने एक अपने गरम वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया।
मुझे उसके वीर्य का फव्वारा ऐसा लगा की जैसे वह मेरे स्त्री बीज को फलीभूत कर देगा। मैं उत्तेजना से ऐसी बाँवरी बन गयी और एक धरती हीला देने वाला अत्युन्मादक धमाके दार स्खलन होने के कारण मैं भी हिल उठी। ऐसा अद्भुत झड़ना मैंने पहली बार अनुभव किया।
जय ने धीरेसे अपना लंड मेरी भरी हुई चूत में से निकाला। वह अपने ही वीर्य से लथपथ था। अब वह पहले जितना कड़क तो नहीं था, पर फिर भी काफी तना हुआ और लंबा लग रहा था। पर तब तक मैंने यह पक्का कर लिया की जय के वीर्य की एक एक बून्द वह मेरी चूत में खाली कर चुका था।
मुझे जय का वजन मेरे ऊपर बहुत अच्छा लगा रहा था। अपना सब कुछ निकाल देने के बाद जय धीरे से नीच सरका और जय और में हम दोनों एक दूसरे की बाहों में पलंग पर थक कर लुढ़क गए। मैं अपनी गीली चूत और जय का लथपथ लंड की टिश्यू से सफाई करने में लग गयी। उस रात जय तो बिलकुल नहीं सोये थे। कुछ मिनटों में ही वह गहरी नींद सो गए।
मैं एक बार फिर गरम पानी से नहाना चाहती थी। मैं खड़ी हो कर बैडरूम से बाहर आयी। बैडरूम का दरवाजा पूरा खुला हुआ था। मैं बाथरूम की और जाने लगी। मैंने कपडे पहनना जरुरी नहीं समझा। अचानक मेरी नजर ड्राइंग रूम की तरफ गयी। मेरी जान हथेली में आ गयी जब मैंने राज को ड्राइंग रूम में सोफे पर सामने वाली टेबल पर अपना पाँव लम्बा कर गहरी नींद में सोते हुए देखा।
उन चंद लम्हों में मुझे लगा जैसे मेरी दुनिया गिरकर चकनाचूर हो गयी। पता नहीं कब परे पति राज आये और कब सोफे पर आ कर सो गए। फिर अचानक मुझे दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज की याद आयी। उस समय मुझे अपनों मदहोशी में कोई और चीज का ध्यान ही नहीं था। बाप रे! बैडरूम का दरवाजा खुला हुआ था। मतलब राज ने जय को मुझे चोदते हुए देख लिया था।
मेरे पाँव के नीचे से जैसे जमीन फट गयी। मेरी आँखों के सामने अँधेरा छा गया। मुझे समझ में नहीं आया की मैं क्या करूँ। मैंने हड़बड़ाहट में गाउन पहन लिया और भागती हुयी राज के पास पहुंची। मुझे ऐसा लगा की मैं क्यों नहीं उसी क्षण मर गयी? राज के सर पर मैं झुकी तब मेरी आँखों में आंसू बह रहे थे। मैं फफक फफक कर रोने लगी। आँखों में आंसूं रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। आंसूं की कुछ बूँदें राज के सर पर जा गिरी। राज ने आँखें खोली और मुझे उसके ऊपर झुके हुए देखा। राज थके हुए लग रहे थे। उनकी आँखे धुंधली देख रही होंगी।
उनके जागते ही मैं राज को लिपट गयी और ऊँची आवाज में रो कर कहने लगी, “मुझे माफ़ करो डार्लिंग! मैंने बहुत बड़ा पाप किया है। मैंने आपको धोका दिया है और उसके लिए अगर आप मुझे घर से निकाल भी देंगे तो गलत नहीं होगा। मैं उसी सजा के लायक हूँ।
राज ने मुझे अपनी बाँहों में लिया और बोले, “क्या? तुम पागल तो नहीं होगयी हो? तुम्हें किसने कहा की तुमने मुझे धोका दिया है? तुम्हें माफ़ी मांगने की भी कोई जरुरत नहीं है। अरे पगली, यह तो सब मेरा रचाया हुआ खेल था। प्यारी निश्चिंत रहो। याद है मैंने क्या कहाथा? ‘भूत तो चला गया, भविष्य मात्र आश है, तुम्हारा वर्तमान है मौज से जिया करो’ मैं जब आया तो मैंने जय और तुम को अत्यंत नाजुक स्थिति में देखा। आप दोनों को उस हालत में देख कर मुझे बड़ी उत्तेजना तो हुई और तुम दोनों के साथ जुड़ने की इच्छा भी हुई, पर मैंने आप दोनों के बीच में उस समय बाधा डालना ठीक नहीं समझा। मेरी प्यारी नैना, तुम ज़रा भी दुखी न हो।”
राज ने खड़े हो कर मुझे अपनी बाहों में लिया और उबासियाँ लेते हुए कहा, “अभी उठने का वक्त नहीं हुआ है। पूरी रात मुश्लाधार बारिश में सफर करके मैं परेशान हो गया हूँ। गर तुम्हें एतराज न हो तो मैं तुम्हारे और जय के साथ सोना चाहता हूँ। जानूं, आओ, चलो एक बार फिर साथ ही सो जाएँ हम तीनों। जानूं मैं तुम्हें बहोत बहोत चाहता हूँ।”
राज की बात सुनकर मुझे एक बहुत बड़ा आश्चर्य हुआ। तब मैं थोड़ी रिलैक्स भी हुई। राज ने मुझे उठा कर पलंग पर नंगे गहरी नींद में लेटे हुए जय के साथ में सुलाया। राज ने मुझे जय के बाजू में सुलाया और खुद मेरी दुसरी तरफ बैठ गए। फिर मुझे अपनी बाहों में लिया और एक घनिष्ठता पूर्ण चुम्बन दिया और बोले, “जय बिस्तरे में कैसा था? क्या तुम्हे जय से सेक्स करने में मज़ा आया?”
मैंने राज की आँखों से आँखें मिलाकर बेझिझक कहा, “हाँ, वह अच्छा है। पर तुम और भी अच्छे हो। ”
राज ने मुझे ऐसे घुमाया जिससे मेरी पीठ उनकी तरफ हुयी। वह मुझे पीछेसे चोदना चाहते थे। मैं भी राज की बातें सुनकर उन्हीं की तरह गरम हो गयी थी। मैं समर से चुदने के बाद राज से भी चुदवाना चाहती थी।
मैं एक ही रात में दो लण्डों से चुदना चाहती थी। उस सुबह राज ने मुझे खूब चोदा। वह मुझे करीब १५ मिनट तक चोदते रहे और आखिर में अपना सारा माल मेरी चूत में छोड़ा। हमारी कराहट और पलंग के हिलने से जय थोड़ी देर में जग गए। राज को इतने क़रीबसे मुझे चोदते हुए देखने का सदमा जब धीरे धीरे कम हुआ उसके बाद जो हुआ वह एक लंबा इतिहास हैं।
अंत में मैं इतनाही कहना चाहती हूँ की उस रात के बाद राज राज, जय और मेरे बीच ऐसे कई मजेदार किस्से हुए जिसमें जय और राज दोनों ने साथ में मिलकर और अलग अलग से मुझे चोदा। वह एक साल मेरे लिए एक अविश्वसनीय सपने की तरह था।
खैर, ख़ुशी इस बात की थी की हमारी शादी के इतने सालों के बाद मैं गर्भवती हुई। मेरे सास ससुर, मेरे माता पिता, राज और मैं, हम सब इस नवशिशु के आने के समाचार सुनकर बहुत खुश हुए। जय भी बहुत खुश हुए। वह चचा जो बनने वाले थे।
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