Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी
08-31-2018, 04:57 PM,
#21
RE: Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी
फिर पति जी ने मेरे हाथो को उनकी छाती के उपर रख दिया और अपने हाथो को मेरी कमर के पास ले गये. कमर को अपने कड़क हाथी से उठा ते हुए उन्होने मुझे थोड़ा पीछे करते हुए उनके खड़े लंड पे बिठा दिया. सुरू मे लंड का आगे का भाग ही चूत मे घुसा, पति जी ने कहा “ जया जैसे तुम कुर्सी पे बैठ ती हो वैसे ही मेरे लंड पे बैठ जाओ और देखो कि वो तुझे कितना सुकून देता है. मेने अपनी कमर के बल ज़ोर लगा के पति जी के लंड को अपनी चूत मे और अंदर तक लेने की कोशिश की, लेकिन लंड बड़ा और मोटा था और मेरी हिम्मत नही हो रही थी इसे और अंदर लेने की. ये देख के पति जी ने मेरी कमर को दोनो हाथो से पकड़ के मुझे अपने लंड से उठा के बेड पे पीठ के बल लिटा दिया और खुद मेरे दोनो पैरो के बिच मे आके मेरी चूत मे लंड डाल ने लगे. लंड को पूरी तरह अंदर डाल ने के बाद पति जी मेरी उपर लेट गये और एक करवट ले कर मुझे आपने जिस्म के उपर ले लिया. 

पति जी ने मुझे फिर से अपने लंड के उपर बैठा दिया. इस बार पति जी के लंड ने मेरी चूत मे बहुत अंदर तक जाने के लिए देर नही की और जो बाकी रहा गया लंड था वो पति जी ने मेरी कमर पे अपने कड़क हाथो से ज़ोर देके अपना पूरा लंड मेरी चूत मे डाल दिया. मैं इस वक़्त मेरी चूत मे डाले हुए लंड को महसूस कर रही थी कि वो कितना अंदर तक गया है और मेरे चेहरे के उपर इस बात की पहचान पति जी को साफ नज़र आ रही थी. इस पर पति जी ने कहा “ जया डरो मत मेरा लंड जितना अंदर तक जाएगा तुम्हारी चूत इतनी ही खुल जाएगी और मेरे लंड को अपनी चूत मे जगह देना सीखो, मैं जब भी लंड चूत मे डालु तुम उसे चूत मे कोई तकलीफ़ ना उस का ख़याल रखो ना. मेने अपनी कमर को थोड़ा आगे पीछे किया और लंड को चूत मे कोई दिक्कत ना हो इस का ख़याल रखा. मेने पति जी से कहा “ पति जी ये मेरे लिए सब नया है, ऐसा मेने कभी भी नही देखा और सुना है, इसलिए मे थोड़ा हिच किचा रही थी. 

फिर पति जी ने अपनी कमर को थोड़ा उपर उठा के नीचे किया, इसके साथ उनका लंड भी मेरी चूत मे और थोड़ा अंदर तक जाने लगा. मैं आँखे बंद करके सोच ने लगी कि जैसे मैं ऊट के उपर बैठी हुई हू और वो वीरान रेगिस्तान मे चल रहा हो. थोड़ी देर के बाद पति जी अपनी स्पीड बढ़ा दी और अपने हाथो से मेरे स्तन पकड़ लिए. करीब आधे घंटे के बाद वो उनका पानी छुट ने वाला था और वो रुक गये. उनके लंड ने चूत मे पानी छोड़ दिया, वो पानी मेरी चूत के दो बार छोड़े हुए पानी के साथ, लंड सीधा चूत मे होने की बजाह से बाहर निकलने लगा , उस पानी ने मेरी और पति जी झांतो को भिगो दिया और हम दोनो थक चुके थे, इसलिए मैं पति जी के उपर ढेर हो गयी और उनके जिस्म के उपर सो गयी. 

ये सब होते 03:00 बज गये थे. मैं ने एक घंटे की नींद के बाद जग गयी. मेने देखा के मैं पति जी के जिस्म के उपर सोई हुई हू, मेने हल्के से पति जी के हाथ को हटाया जोकि मेरे सिर के बालो मे फसा था और अपने हाथो को पति जी की छाती के उपर रख के उनकी जियानगो के उपर बैठ गयी. पति जी का लंड मेरी चूत के पास ही था, वो इस वक़्त थोड़ा नरम था और एक छोटे चूहे की जैसा लग रहा था. मेने छोटे लंड को अपने हाथो मे लिया और देखने लगी. वो लंड एक दम रब्बर के जैसा नरम था और उसके उपर एक चॅम्डी का भाग था, जैसे ही मेने लंड की उपर की चॅम्डी के भाग को थोड़ा दबाते ही लंड की आगे भाग मे से एक सफेद चॅम्डी का भाग निकला. उस सफेद भाग को मैं गौर से देख रही थी, तभी पति जी की नींद टूट गयी और उन्होने मुझे और अपने लंड पे मेरे हाथ को देखा. पति जी ने मुझे मेरे हाथो से पकड़ के मुझे अपनी और खिचते हुए अपनी बाजू मे सुला दिया और खुद मेरी जाँघो के बीच मे आके पाने लंड को मेरी चूत मे डाल दिया. उन्होने मुझे बहुत देर तक चोदा और एक बार फिर मेरी चूत मे अपना पानी निकाल दिया और मेरी उपर गिर पड़े. 

पति जी मेरी उपर सो गये थे और मैं अपने हाथो से उनके सिर के बालो को सहला रही थी. मैं सोच रही थी कैसे मैं एक दिन मे ही इतनी बदल गयी. मेरे मन मे कई सवाल आ रहे थे कि 
कैसे मैं एक अंजान आदमी को अपना पति बना दिया? 
ऐसा क्या है उनमे जो मैं उनकी और हर वक़्त खीची चली आती हू? 
वो क्यू मेरी इतनी खातिरदारी करते है? 
हालाँकि मैं उनकी पत्नी हू फिर भी वो मुझे कुछ काम करने नही देते और हर वक़्त बस उनकी जिस्म की प्यास को बुझाते रहते है, ये आख़िर मे जिस्म की प्यास क्या है????????????? 

इतना सोचते मुझे भी नींद आ गयी. करीब 6 बजे पति जी ने उठाया और मैं उनके आशीर्वाद लेके अपने घर चली गयी. 
मैं जब अपने घर मे गयी तब मेने देखा कि मम्मी किचन मे खाना बना रही थी. मेने अपने रूम मे जाके अपने नोटबुक रख दिए और सीधे मम्मी के पास किचन मे चली गयी. मेने मम्मी से कहा “ मम्मी क्या बना रही हो, मुझे भी सीखना है ताकि मे भी शादी करके अपने पति देव को अपने हाथो से बनाया हुवा खाना खिला सकु, जैसे आज राज सर ने मुझे बताया”. मम्मी ने आश्चर्य से कहा “ अच्छा तो तुम्हे भी खाना बनाना सीखना है ! और राज सर ने क्या बताया?”. मेने कहा “ उन्होने कहा कि जब मेरी शादी हुई थी तो मेरी पत्नी को कुछ बनाना नही आता था और वो ही सारा काम कर लेते थे, इसलिए मेने सोचा मैं भी कुछ सीख जाउ तो दोपहर का खाना बनाने मे उनकी मदद कर सकु”. मम्मी ने कहा “ अरे मेरी लाडो रानी अभी तुम्हारी उमर नही है शादी करने की और रही बात राज जी की तो वो तुम्हे चाहते है और तुम्हारे जाने से उनका अकेलापन भी दूर हो गया इसलिए वो तुम्हारी हर तरह से मदद करते है. अच्छा जाओ और अपना होम वर्क पूरा करो”. फिर मेने खाना खाया और होमवर्क करके सो गयी. 
क्रमशः........ 
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RE: Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी - by sexstories - 08-31-2018, 04:57 PM

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