Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी
08-31-2018, 04:55 PM,
#2
RE: Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी
मे जैसे ही अंकल के हॉल कम किचन मे गयी तो मे अंदर की सजावट को देखती ही रह गयी. बड़े और आलिसन सोफे, माचिल घर, कलातंक और डॅन्स करती हुई मूर्तिया, बड़ा सा टीवी, उपर की दीवाल पे डिज़ाइन, नीचे मार्बल लगे हुए थे. जब अंकल ने उस बच्चे को सुला दिया तो उन्होने मुझे सर से पाव तक देखा. मेने उस समय पे वाइट कलर की फ्रोक पहनी हुई थी. अंकल खड़े हो के दरवाजा बंद करने गये. अंकल ने एक दो कदम बढ़ते ही मुझे पीछे से पकड़ लिया, मे थोड़ा डर सी गयी. अंकल ने मेरा मूह उनकी ओर करते हुए मेरी कमर को अपने कड़क हाथो से घुमाया. मेरी नज़र नीचे थी और सुबह की तरह ही उन्होने उपर कुछ नही पहना था. उन्होने मुझे अपनी ओर काफ़ी ज़ोर से खिच के पकड़ा हुआ था, उससे मेरा पूरा जिस्म उनके जिस्म से पूरी तरह लग गया था, मानो हवा भी हमारे बीच नही थी. सबसे ज़्यादा ज़ोर मेरी छाती पे था क्यूंकी उनकी छाती काफ़ी बड़ी थी और उनका घाटीला बदन, जो मुझे ज़ोर से पकड़ के रखा हुआ था. अंकल के दोनो हाथ मेरी कमर पे थे और मेरे दोनो हाथ नीचे की ओर थे. फिर अंकल ने अपना राइट हॅंड मेरी कमर से हटा के मेरी गर्दन की और बढ़ाया और मेरे चेहरे को उपर किया. लेकिन मेने आँख बंद कर ली थी शरम और डर के मारे. फिर अंकल ने अपना लेफ्ट हॅंड जो मेरी कमर पे था उसे मेरी गर्दन पे रख दिया और तुरंत ही राइट हॅंड से मेरी कमर पकड़ ली और मुझे अपने जिश्म से दबाते हुए मेरे उपर के होठ को अपने दोनो होंठो के बीच मे रखा के हल्के से चूमने लगे. मेरा पूरा ध्यान सिर्फ़ मेरे होंठो पर ही रहा इस नये अनुभव के आनंद मे डूबा हुवा था. करीब 5 मिनट उपर के होठ को चूमने के बाद उन्होने मुझे थोड़ा सा ढीला छोड़ दिया, मेरी आँखे अब भी बंद थी और मे अपने होंठो पे आए पानी को अपने राइट हाथ से पोछने वाली थी कि अंकल ने मेरा राइट हाथ अपने गर्दन पे रख दिया और लेफ्ट हाथ को उनकी कमर के पीछे के साइड पे रख दिया और मुझे अपनी और नज़दीक करते हुए मेरे नीचे के होठ को अपने दोनो होंठो के बिचमे रखते हुए चूमने लगे, मेरे दोनो हाथ उनके जिश्म पे थे और उनका जिस्म उपर से नंगा था और ये पहली बार था का मे किसी इंसान को इस तरह से पकड़ रही थी, मेरे दिल को ये बहुत अच्छा लग रहा था. मेरी ज़िंदगी का ये पहला सरिरिक(फिज़िकल) अनुभव था और वो एक अंजान आदमी के साथ. सो अंकल की और से किए गये इस चुंबन से मे काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी और मेरा दिल भी ज़ोरो से धड़क रहा था. करीब 20 मिनट मेरे होंठो को चूमने के बाद उन्होनो ने मुझे छोड़ दिया. 

फिर मेरी कमर मे हाथ डालके अंकल ने मुझे सोफे पे बिठा दिया और मेरे बाजू मे राइट साइड मे बैठ गये. अंकल का लेफ्ट हाथ मेरे गर्दन पर था और राइट हाथ से उन्होने मेरे राइट हाथ को पकड़ लिया और अपनी हाथो की उंगलिया को मेरी हाथो की उंगलिया को ज़ोर से दबा दिया. मेरी आँखे अभी भी बंद थी ये सब मे अपने जिस्म पे चल रहे उनके हाथो को महसूस कर के सोच रही थी और मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. अंकल मुझे अपनी ओर नज़दीक करते हुए मेरे होंठो को चूमने लगे. इस पोज़िशन मे मेरी गर्दन और मेरा राइट हाथ ही उनसे दबा हुवा था और बाकी का जिस्म आज़ाद था, सो मे काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी. इस बार मेरे होंठो मे आए मेरे रस को अंकल काफ़ी ज़ोर से होंठो को खिच के चूम रहे थे, इस से मेरा गला सुख रहा था. मेने ज़ोर से सास लेते हुए अंकल के होंठो को चूम लिया, और तभी मेरे पूरे जिस्म मे जैसे एक करेंट सा लगा हो वो पूरा काँपने लगा. में उस वक़्त अंकल की सासो को अपने मूह के पास गरम गरम महसूस कर रही थी. मेने भी अंकल के होंठो कई बार सास लेने की और गला सुख जाने की बजह चूम लिया. मुझे नही पता मे क्या कर रही थी लेकिन मेरे दिल को बहुत अच्छा लग रहा था और मेरे गले की प्यास भी भुज रही थी. अंकल मुझे और ज़ोर से अपने करीब लाते हुए मेरी गर्दन और मेरे हाथो पर दबाव बढ़ाने लगे, मेरा पूरा जिस्म अकड़ रहा था. ये देखते ही अंकल ने मुझे सोफे पे पीछे की ओर झुकाते हुए मुझे आराम से चूमने लगे, इसके साथ ही उन्होने मेरा राइट हाथ छोड़ दिया और उसे अपनी कमर के पीछे अपनी पीठ पर रख दिया और मेरे लेफ्ट हाथ को अपने गर्दन पे रख दिया और अपना राइट हाथ मेरी कमर के उपर के भाग से और मेरी छाती की नीचे से मेरी पीठ पे ले के मुझे ज़ोर से दबोच लिया. इसके साथ ही उनकी बड़ी सी छाती से मेरी नाज़ुक सी छाती दब सी गयी. मेने पहली बार अपने छाती को और मेरे छोटे से स्तन दबते हुए महशुस कर रही थी, क्यूंकी इस से पहले मेरा सिर्फ़ चुंबन पर ही ध्यान था. मेरे छाती दबने से मुझे काफ़ी गुदगुदी सी होने लगी और मेरा दिल जोकि जोरो से धड़क रहा था और साँसे तेज चल रही थी उसके बजह से मेरी छाती जोरो से उपर नीचे हो रही थी लेकिन अंकल की छाती से जोरो से दबने से वो और उपर नीचे नही हो सकी और दबने के बाद मेरी छाती उनकी छाती मे जेसे समा गयी हो, ऐसा सोचते ही मुझे काफ़ी शरम सी आ गयी और में अंकल को अपने राइट हाथ से उनकी पीठ पर घुमाने लगी. 

मेरे राइट हाथ को अंकल की पीठ पे घुमाने से उन्होने उनका राइट लेग मेरी दोनो लेग के बिचमे दबाने लगे, मेने उनकी सहायता करते अपने लेफ्ट लेग को थोड़ा सा उपर उठाके उनकी जाँघो पर रख दिया, अब वो और आज़ाद लग रहे थे और वो मेरे पूरे जिस्म पे ज़ोर से दबाव बढ़ाने लगे. मे एक चिड़िया की तरह उनके गिरफ्तमे थी. फिर ऐसे ही करीब 30 मिनट कब बीत गये पता ही नही चला. उन्होने एक मोड़ पर मुझे छोड़ दिया, तब मेने देखा के वो काफ़ी थके हुए लग रहे थे और उनका जिस्म फॅन चालू हो ने के बबजूद पूरा पसीने से भरा था. मेरा राइट हाथ जो कि उनकी पीठ पर था वो भी उनके पीठ पे घुमाने से पूरा भीग गया था, मेरी छाती भी भीग गयी थी, और मेरे चेहरे पे उनके पसीने की बूँद गिर रही थी. मेने अपनी आँख खोलते हुए देखा कि अंकल का पूरा जिस्म पसीने से पानी पानी हो रहा था. उन्होने एक बड़े रुमाल से अपने आपको साफ किया और फिर मेरे चेहरे को साफ कर के मेरे हाथो को साफ कर दिया. उसी दौरान मेरा एक कज़िन भाई जो की 2न्ड मे पढ़ता है वो नीचे मुझे ढूढ़ने आया था क्यूंकी वो लोग जाने वाले थे, उसने मुझे बाहर ढूँढा लेकिन नही मिलने पर उसने अंकल के रूम के पास आके मुझे आवाज़ लगाई “ जया दीदी क्या आप अंदर हो” , और मे उस छोटे बच्चा के साथ उसके साथ अपने घर चली गयी. वाहा जाके मेने उस छोटे बच्चे को उसकी मा को दे दिया और अपनी मम्मी के पास चली गयी. मम्मी ने मुझे बताया कि हम सब उनके रिस्तेदार के घर जा रहे है. जब मे उन लोगो के साथ नीचे उतर रही थी मेने अंकल के घर का डोर बंद पाया और हम चले गये. हम रात को काफ़ी देर से घर आए. मेने देखा के अंकल के घर की लाइट ऑफ थी तो मे समझ गयी की अंकल सो गये होंगे. मे घर मे आते ही अपनी मम्मी को सब बताने वाली थी क्यूंकी मे उन्हे अकेले मे मिल नही पाई थी, लेकिन मम्मी पूरे दिन की थकान से लोट पोट होके सोने चली गयी. मे भी अपने कमरे आके दोपहर को जो हुआ था उसे याद करके मीठे सपनो मे सो गयी. 
क्रमशः........
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