RE: Holi Mai Chudai Kahani
बस….ओह्ह्ह्ह…… झड़ रहीईईईइ हूऊउउऊ……” कस-कस के मैं चूतड़ उचका रही थी और उसकी भी आँखे बंद हुई जा रही थी.
तब तक ननद ने एक बाल्टी पानी हम दोनों के चेहरे पे कस के फेंका और हमारे चेहरों से रंग भी उतरने लगा. अब थोड़ा नशा भी हल्का हो गया था.
मैंने उसे देखा तो…….
“अरे ये………..ये तो मेरा भाई है.” मैंने पहचाना लेकिन तब तक हम दोनो झड़ रहे थे और मैं चाह के भी उसको हटा नहीं पा रही थी. सच पूछिए तो मैं हटाना भी नहीं चाह रही थी. क्योंकि मेरी रात भर की प्यासी और पनियाई चूत में वीर्य की बरसात जो हो रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे कई सालों के बाद सावन इतना झूम के बरसा हो.
ननदोई अभी भी कस के उसकी गाण्ड मार रहे थे. हम लोगों के झड़ने के थोड़ी देर बाद जब वो भी झड़ के हटे, तब मेरा भाई मुझसे अलग हो पाया.
जब मेरा भाई मुझसे अलग हुआ तो मेरे पास ही खड़ा हो गया. ननदोई सा मेरे सामने ही नंगे खड़े थे. मेरी नज़र उनके लौड़े पर थी. ननद ने चोली और घाघरी पहन रखी थी जो पूरी तरह से रंग, कीचड़ और गोबर से सनी हुई थी.
मैंने मेरे भाई की ओर देखा, उसका लंड अब मुरझा चुका था. वो घूर-घूर कर मेरे मम्मे देखे जा रहा था. मुझे शर्म सी आने लगी तो ख्याल आया कि मैं सबके सामने नंगी खड़ी हूँ. जल्दी-जल्दी मैंने अपने नाड़े में खोंसे हुए पेटीकोट को बाहर निकाला और पास ही पड़ी मेरी साड़ी को देह से लपेट लिया. मेरी चोली का कुछ पता नहीं था.? चूंकि साड़ी मेरी छिनाल छोटी ननद की थी, इसलिए थोड़ी छोटी थी. मेरी पूरी देह को ढक नहीं पा रही थी. मेरे कड़े चुचक साड़ी में से साफ़-साफ़ झलक रहे थे. ननदोई सा और मेरा भाई मुझे घूरे जा रहे थे.
तब तक मेरी छोटी ननद भी आ गई थी. रंग से सराबोर थी बेचारी. वो और जेठानी जी मेरे भाई को लेके रसोईघर की तरफ़ चली गई. मैं समझ गई कि फिर से छोटी छिनाल ननद को खुजली हो रही है परन्तु इस बार तो मेरी जेठानी भी साथ में थी. हाँ भई, मेरी चुदाई देख कर तो उनकी चुत भी पनिया गई होगी और फिर अपने ननदोई जी का मोटा लंड भी तो देख लिया था उन्होंने. खैर मेरे मन में ये ख्याल भी आया कि जेठानी जी ने भी तो ननदोई जी का लंड घोंटा ही होगा कई बार. क्योंकि मेरे ससुराल में तो सब के सब चुदक्कड ही थे. अब मुझे भी वहाँ खड़े रहने में शरम आ रही थी तो मैं भी अपने कमरे में की तरफ़ दौड़ी. कमरे में आ कर मैंने अपनी ननद की साड़ी को एक कोने में फ़ेंक दिया ओर अपने लिए अलमारी में कपड़े ढूंढने लगी.
मैंने सोचा कि मेरे भाई को रसोईघर में ले जाकर पहले तो उसकी पेट पूजा करवाएंगे, लेकिन खाने के लिये तो गुझिया और ठंडाई ही तो थे. मैं समझ गई के ये दोनों छिनाल रान्डे पहले तो मेरे भोले-भाले भाई को भांग वाली गुझिया और ठंडाई पिलाएगी और फिर इसके लंड को अपनी-अपनी चूत में घोंट के खायेन्गी.
चलो कोई बात नहीं, वो भी मेरा भाई है. हमारा खानदान भी कोई कम चुदक्कड नहीं है.!
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