Behen ki Chudai मेरी बहन कविता
08-26-2018, 09:49 PM,
#11
RE: Behen ki Chudai मेरी बहन कविता
वाकई मजा आ गया था. ओह दीदी ओह दीदी करते हुए मैंने भी उनको अपनी बाँहों में भर लिया था. हम दोनों इतनी तगड़ी चुदाई के बाद एक दम थक चुके थे मगर हमारे गांड अभी भी फुदक रहे थे. गांड फुद्काती हुई दीदी अपनी चुत का रस निकल रही थी और मैं गांड फुद्काते हुए लौड़े को बूर की जड़ तक ठेल कर अपना पानी उनकी चुत में झार रहा था. सच में ऐसा मजा मुझे आज के पहले कभी नहीं मिला था. अपनी खूबसूरत बहन को चोदने की दिली तम्मन्ना पूरी होने के कारण पुरे बदन में एक अजीब सी शान्ती महसूस हो रही थी. करीब दस मिनट तक वैसे ही परे रहने के बाद मैं धीरे से दीदी के बदन निचे उतर गया. मेरा लण्ड ढीला हो कर पुच्च से दीदी की चुत से बाहर निकल गया. मैं एकदम थक गया था और वही उनके बगल में लेट गया. दीदी ने अभी भी अपनी आंखे बंद कर रखी थी. मैं भी अपनी आँखे बंद कर के लेट गया और पता नहीं कब नींद आ गई. सुबह अभी नींद में ही था की लगा जैसे मेरी नाक को दीदी की चुत की खुसबू का अहसास हुआ. एक रात में मैं चुत के चटोरे में बदल चूका अपने आप मेरी जुबान बाहर निकली चाटने के लिए…ये क्या…मेरी जुबान पर गीलापन महसूस हुआ. मैं ने जल्दी से आंखे खोली तो देखा दीदी अपने पेटिकोट को कमर तक ऊँचा किये मेरे मुंह के ऊपर बैठी हुई थी और हँस रही थी. दीदी की चुत का रस मेरे होंठो और नाक ऊपर लगा हुआ था. हर रोज सपना देखता था की दीदी मुझे सुबह-सुबह ऐसे जगा रही है. झटके के साथ लण्ड खड़ा हो गया और पूरा मुंह खोल दीदी की चुत को मुंह भरता हुआ जोर से काटते हुए चूसने लगा. उनके मुंह से चीखे और सिसकारियां निकलने लगी. उसी समय सुबह सुबह पहले दीदी को एक पानी चोदा और चोद कर उनको ठंडा करके बिस्तर से निचे उतर बाथरूम चला गया. फ्रेश होकर बाहर निकला तो दीदी उठ कर रसोई में जा चुकी थी. रविवार का दिन था मुझे भी कही जाना नहीं था. कविता दीदी ने उस दिन लाल रंग की टाइट समीज और काले रंग की चुस्त सलवार पहन रखी थी. नाश्ता करते समय पैर फैला कर बैठी तो मैं उसकी टाइट सलवार से उसके मोटे गुदाज जांघो और मस्तानी चुचियों को देखता चौंक गया. दोनों फैली हुई जांघो के बीच मुझे कुछ गोरा सा, उजला सफ़ेद सा चमकता आया नज़र आया. मैंने जब ध्यान पूर्वक देखा तो पाया की दीदी की सलवार उनके जांघो के बीच से फटी हुई. मेरी आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. मैं सोचने लगा की दीदी तो इतनी बेढब नहीं है की फटी सलवार पहने, फिर क्या बात हो गई. तभी दीदी अपनी जांघो पर हाथ रखते अपने फटी सलवार के बीच ऊँगली चलाती बोली “क्यादेखरहाहैबे….साले…..अभीतकशान्तीनहींमिलीक्या….घूरताहीरहेगा….रातमेंऔरसुबहमेंभीपूराखोलकरतोदिखायाथा….” मैं थोरा सा झेंपता हुआ बोला “नहींदीदीवो…वोआपकी…सलवारबीचसे…फटी…” दीदी ने तभी ऊँगली दाल फटी सलवार को फैलाया और मुस्कुराती हुई बोली “तेरेलिएहीफाराहै….दिनभरतरसतारहेगा…सोचाबीच-बीचमेंदिखादूंगीतुझे…” मैं हसने लगा और आगे बढ़ दीदी को गले से लगा कर बोला “हाय…दीदीतुमकितनीअच्छीहो….ओह…तुमसेअच्छाऔरसुन्दरकोईनहींहै….ओहदीदी….मैंसचमेंतुम्हारेप्यारमेंपागलहोजाऊंगा…” कहते हुए दीदी के गाल को चूम उनकी चूची को हलके से दबाया. दीदी ने भी मुझे बाँहों में भर लिया और अपने तपते होंठो के रस का स्वाद मुझे दिया. उस दिन फिर दिन भर हम दोनों भाई बहन दिन भर आपस में खेलते रहे और आनंद उठाते रहे. दीदी ने मुझे दिन में दुबारा चोदने तो नहीं दिया मगर रसोई में खाना बनाते समय अपनी चुत चटवाई और दोपहर में भी मेरे ऊपर लेट कर चुत चटवाया और लण्ड चूसा. टेलिविज़न देखते समय भी हम दोनों एक दुसरे के अंगो से खेलते रहे. कभी मैं उनकी चूची दबा देता कभी वो मेरा लण्ड खींच कर मरोर देती. मुझे कभी माधरचोद कह कर पुकारती कभी बहनचोद कह कर. इसी तरह रात होने पर हमने टेलिविज़न देखते हुए खाना खाया और फिर वो रसोई में बर्तन आदि साफ़ करने चली गई और मैं टीवी देखता रहा थोड़ी देर बाद वो आई और कमरे के अन्दर घुस गई. मैं बाहर ही बैठा रहा. तभी उन्होंने पुकारा “राजूवहांबैठकरक्याकररहाहै…भाईआजा….आजसेतेराबिस्तरयहीलगादेतीहूँ….” मैं तो इसी इन्तेज़ार में पता नहीं कब से बैठा हुआ था. कूद कर दीदी के कमरे में पहुंचा तो देखा दीदी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप कर रही थी और फिर परफ्यूम निकाल कर अपने पुरे बदन पर लगाया और आईने अपने आप को देखने लगी. मैं दीदी के चुत्तरों को देखता सोचता रहा की काश मुझे एक बार इनकी गांड का स्वाद चखने को मिल जाता तो बस मजा आ जाता. मेरा मन अब थोरा ज्यादा बहकने लगा था. ऊँगली पकड़ कर गर्दन तक पहुचना चाहता था. दीदी मेरी तरफ घूम कर मुझे देखती मुस्कुराते हुए बिस्तर पर आ कर बैठ गई. वो बहुत खूबसूरत लग रही थी. बिस्तर पर तकिये के सहारे लेट कर अपनी बाँहों को फैलाते हुए मुझे प्यार से बुलाया. मैं कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और दीदी को बाँहों में भर उनके होंठो का चुम्बन लेने लगा. तभी लाइट चली गई और कमरे में पूरा अँधेरा फ़ैल गया. मैं और दीदी दोनों हसने लगे. फिर उन्होंने ने कहा “हायराजू….येतोएकदमटाइमपरलाइटचलीगई…मैंनेभीदिनमेंनहींचुदवायाथाकी….रातमेंआरामसेमजालुंगी….चलएककामकरअँधेरेमेंबूरचाटसकताहै….देखूतोसही…..तूमेरीचुतकीसुगंघकोपहचानताहैयानहीं….सलवारनहींखोलनाठीकहै….” इतना सुनते ही मैं होंठो को छोर निचे की तरफ लपका उनके दोनों पैरों को फैला कर सूंघते हुए उनकी फटी सलवार के पास उनके चुत के पास पहुँच गया. सलवार के फटे हुए भाग को फैला कर चुत पर मुंह लगा कर लफर-लफर चाटने लगा. थोड़ी देर चाटने पर ही दीदी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चुत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी ” हायराजू….बूरचाटू…..राजा….हायसचमेंतूतोकमालकररहाहै….एकदमएक्सपर्टहोगयाहै….अँधेरेमेंभीसूंघलिया….सीईईईइबहनचोद….सालाबहुतउस्तादहोगया….है…..हैमेरेराजा…..सीईईईइ” मैं पूरी चुत को अपने मुंह में भरने के चक्कर में सलवार की म्यानी को और फार दिया, यहाँ तक तक की दीदी की गांड तक म्यानी फट चुकी थी और मैं चुत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उनकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था. तभी लाइट वापस आ गई. मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और दीदी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे. होंठो पर से चुत का पानी पोछते हुए मैं बोला “हायदीदीदेखोआपकोकितनापसीनाआरहाहै…जल्दीसेकपरेखोलो….” दीदी भी उठ के बैठते हुए बोली “हाँबहुतगर्मीहै….उफ्फ्फ्फ्फ्फ….लाइटआजानेसेठीकरहानहींतोमैंसोचरहीथी…..साली …” कहते हुए अपने समीज को खोलने लगी. समीज खुलते ही दीदी कमर के ऊपर से पूरी नंगी हो गई. उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी ये बात मुझे पहले से पता थी. क्यों की दिन भर उनकी समीज के ऊपर से उनके चुचियों के निप्पल को मैं देखता रहा था.

दोनों चूचियां आजाद हो चुकी थी और कमरे में उनके बदन से निकल रही पसीने और परफ्यूम की मादक गंध फ़ैल गई. मेरे से रुका नहीं गया. मैंने झपट कर दीदी को अपनी बाँहों में भरा और निचे लिटा कर उनके होंठो गालो और माथे को चुमते हुए चाटने लगा. मैं उनके चेहरे पर लगी पसीने की हर बूँद को चाट रहा था और अपने जीभ से चाटते हुए उनके पुरे चेहरे को गीला कर रहा था. दीदी सिसकते हुए मुझ से अपने चेहरे को चटवा रही थी. चेहरे को पूरा गीला करने के बाद मैं गर्दन को चाटने लगा फिर वह से छाती और चुचियों को अपनी जुबान से पूरा गीला कर मैंने दीदी के दोनों हाथो को पकड़ झटके के साथ उनके सर के ऊपर कर दिया. उनकी दोनों कांख मेरे सामने आ गई. कान्खो के बाल अभी भी बहुत छोटे छोटे थे. हाथ के ऊपर होते ही कान्खो से निकलती भीनी-भीनी खुश्बू आने लगी. मैं अपने दिल की इच्छा पूरी करने के चक्कर में सीधा उनके दोनों छाती को चाटता हुआ कान्खो की तरफ मुंह ले गया और उसमे अपने मुंह को गार दिया. कान्खो के मांस को मुंह में भरते हुए चूमने लगा और जीभ निकाल कर चाटने लगा. कांख में जमा पसीने का नमकीन पानी मेरे मुंह के अन्दर जा रहा था मगर मेरा इस तरफ कोई ध्यान नहीं था. मैं तो कांख के पसीने के सुगंध को सूंघते हुए मदहोश हुआ जा रहा था. मुझे एक नशा सा हो गया था मैंने चाटते-चाटते पूरी कांख को अपने थूक और लार से भींगा दिया था. दीदी चिल्लाते हुए गाली दे रही थी “हायहरामी….सीईईइ…येक्याकररहाहै…..चूतखोर…..सीई….बेशरम…..कांखचाटनेकातुझेकहासेसूझा…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ….पूरापसीनेसेभराहुआथा….सालामुझेभीगन्दाकररहाहै….. हायपूराथूकसेभींगादिया….हायमाधरचोद….येक्याकररहाहै….उफ्फ्फ्फ्फ्फ….हायमेरेपुरेबदनकोचाटरहाहै…..हायभाई……तुझेमेरेबदनसेरसटपकताहुआलगताहैक्या…..हाय…… उफ्फ्फ्फ्फ्फ….” मुझे इस बात की चिंता नहीं थी की दीदी क्या बोल रही है. मैं दुसरे कांख को चाटते हुए बोला “हायदीदी…तेराबदननशीलाहै…उम्म्म्म्म्म्म्म…..बहुतमजेदारहै….तूतोरसवंतीहै….रसवंती….तेरेबदनकोचाटनेसेजितनामजामुझेमिलताहैउतनाएकबारबियरपीथीतबभीनहींआयाथा….हाय…..दीदीतुम्हारीकान्खोमेंजोपसीनारहताहैउसकीगंधनेमुझेबहुतबारपागलकियाहै…..हायआजमौकामिलाहैतोनहींछोरुगा….तुम्हारेपुरेबदनकोचाटूंगा…..गांडमेंभीअपनीजुबानडालूँगा…हायदीदीआजमतरोकनामुझे….मैंपागलहोगयाहूँ…..उम्म्म्म्म्म्म्म्म….” दीदी समझ गई की मैं सच में आज उनको नहीं छोड़ने वाला. उनको भी मजा आ रहा था. उन्होंने अपना पूरा बदन ढीला छोर दिया था और मुझे पूरी आजादी दे दी थी. मैं आराम से उनके कान्खो को चाटने के बाद धीरे धीरे निचे की तरफ बढ़ता चला गया और पेट की नाभि को चाटते हुए दांतों से सलवार के नारे को खोल कर खीचने लगा. इस पर दीदी बोली “फारदेना….बहनचोद…पूरीतोपहलेहीफारचूकाहै….औरफारदे….” पर मैंने खींचते हुए पूरी सलवार को निचे उतार दिया और दोनों टांग फैला कर उनके बीच बैठ एक पैर को अपने हाथ से ऊपर उठा कर पैर के अंगूठे को चाटने लगा धीरे धीरे पैर की उँगलियों और टखने को चाटने के बाद पुरे तलवे को जीभ लगा कर चाटा. फिर वहां से आगे बढ़ते हुए उनके पुरे पैर को चाटते हुए घुटने और जांघो को चाटने लगा. जांघो पर दांत गाराते हुए मांस को मुंह में भरते हुए चाट रहा था. दीदी अपने हाथ पैर पटकते हुए छटपटा रही थी. मेरी चटाई ने उनको पूरी तरह से गरम कर दिया था. वो मदहोश हो रही थी. मैं जांघो के जोर को चाटते हुए पैर को हवा में उठा दिया और लप लप करते हुए कुत्ते की तरह कभी बूर कभी उसके चारो तरफ चाटने लगा फिर अचानक से मैंने जांघ पकर कर दोनों पैर हवा में ऊपर उठा दिया इस से दीदी की गांड मेरी आँखों के सामने आ गई और मैं उस पर मुंह लगा कर चाटने लगा. दीदी एक दम गरमा गई और तरपते हुए बोली “क्याकररहाहै…हायगांडकेपीछेहाथधोकरपरगया….है….सीईईईगांडमारेगाक्या….जबदेखोतबचाटनेलगताहै…उससमयभीचाटरहाथा….हायहरामी….कुत्ते….सीईई…चाटमगरयेयादरखमारनेनहींदूंगी……सालाआजतकइसमेंऊँगलीभीनहींगईहै…..औरतूकुत्ता…..जबदेखो…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….हायचाटनाहैतोठीकसेचाट…..मजाआरहाहै….रुकमुझेपलटनेदे……” कहते हुए पलट कर पेट के बल हो गई और गांड के निचे तकिया लगा कर ऊपर उठा दिया और बोली “लेअबचाट….कुत्ते….अपनीकुतियादीदीकीगांड….को…..बहनचोद…..बहनकीगांड….खारहाहै…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़बेशरम……” मेरे लिए अब और आसन हो गया था. दीदी की गांड को उनके दोनों चुत्तरों को मुठ्ठी में कसते हुए मसलते हुए खोल कर उनकी पूरी गांड की खाई में जीभ डाल कर चलाने लगा. गांड का छोटा सा भूरे रंग का छेद पकपका रहा था. होंठो को गांड के छेद के होंठो से मिलाता हुआ चूमने लगा. तभी दीदी अपने दोनों हाथो को गांड के छेद के पास ला कर अपनी गांड की छेद को फैलाती हुई बोली “हायठीकसेचाट…चाटनाहैतो….छेदपूराफैलाकर….चाट…मेराभीमनकरताथाचटवानेको…..तेरीजोवोमस्तरामकीकिताबहैनउसमेलिखाहै….हायराजू…..मुझेसबपताहै…बेटा….तूक्याक्याकरताहै….इसलिएचौंकनामत….बसवैसेहीजैसेकिताबमेंलिखाहैवैसेचाट…..हाय…जीभअन्दरडालकरचाट….हायसीईईईईई…..” मैं समझ गया की अब जब दीदी से कुछ छुपा ही नहीं है तो शर्माना कैसा अपनी जीभ को करा कर के उनकी गांड की भूरी छेद में डाल कर नचाते हुए चाटने लगा. गांड को छेद को अपने अंगूठे से पकर फैलाते हुए मस्ती में चाटने लगा. दीदी अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर मेरे जीभ पर नचा रही थी और मैं गांड को अपनी जीभ डाल कर चोदते हुए पूरी खाई में ऊपर से निचे तक जीभ चला रहा था. दीदी की गांड का स्वाद भी एक दम नशीला लग रहा था. कसी हुई गांड के अन्दर तक जीभ डालने के लिए पूरा जीभ सीधा खड़ा कर के गांड को पूरा फैला कर पेल कर जीभ नचा रहा था. सक सक गांड के अन्दर जीभ आ जा रही थी. थूक से गांड की छेद पूरी गीली हो गई थी और आसानी से मेरी जीभ को अपने अन्दर खींच रही थी. गांड चटवाते हुए दीदी एक दम गर्म हो गई थी और सिसकते हुए बोली“हायराजा…अबगांडचाटनाछोड़ो….हायराजा….मैंबहुतगरमहोचुकीहूँ…..हायमुझेतुने….मस्तकरदियाहै…हायअबअपनीरसवंतीदीदीकारसचूसनाछोड़और…….उसकीचुतमेंअपनामुस्लंडलौड़ाडालकरचोदऔरउसकारसनिकालदे…..हायसनम….मेरेराजा….चोददेअपनीदीदीकोअबमततड़पा….” दीदी की तड़प देख मैंने अपना मुंह उनकी गांड पर से हटाया और बोला ” हायदीदीजबआपनेमस्तरामकीकिताबपढ़ीथीतो…आपनेपढ़ातोहोगाहीकी….कैसेगांड….में…हायमेरामतलबहैकीएकबारदीदी….अपनीगांड….” दीदी इस एक दम से तड़प कर पलटी और मेरे गालो पर चिकोटी काटती हुई बोली “हायहरामी….साला…..तूजितनादीखताहैउतनासीधाहैनहीं….सीईईईइ….माधरचोद….मैंसबसमझतीहूँ….तूसालागांडकेपीछेपड़ाहुआहै…..कुत्तेमेरीगांडमारनेकेचक्करमेंतू….साले…यहाँमेरीचुतमेंआगलगीहुईहैऔरतू….हाय….नहींभाईमेरीगांडएकदमकुंवारीहैऔरआजतकमैंनेइसमेंऊँगलीभीनहींडालीहै…

हायराजूतेरालौड़ाबहुतमोटाहै….गांडछोड़करचुतमारले…मैंनेतुझेगांडचाटनेदिया….गांडकापूरामजालेलियाअबरहनेदे….” मैं दीदी की चिरौरी करने लगा. “हायदीदीप्लीज़….बसएकबार…किताबमेंलिखाहैकितनाभीमोटा…..होचलाजाताहै…हायप्लीज़बसएकबार…बहुतमजा…आताहै…मैंनेसुनाहै….प्लीज़….” मैं दीदी के पैर को चूम रहा था, चुत्तर को चूम रहा था, कभी हाथ को चूम रहा था. दीदी से मैं भीख मांगने के अंदाज में चिरौरी करने लगा. कुछ देर तक सोचने के बाद दीदी बोली ”ठीकहैभाईतूकरले….मगरमेरीएकशर्तहै….पहलेअपनेथूकसेमेरीगांडकोपूराचिकनाकरदे….याफिरथोड़ासामख्खनकाटुकड़ालेआमेरीगांडमेंडालकरएकदमचिकनाकरदेफिर….अपनालण्डडालना…डालनेकेपहले…. लण्डकोभीचिकनाकरलेना….हाँएकऔरबाततेरापानीमैंअपनीचुतमेंहीलुंगीखबरदारजो…. तुनेअपनापानीकहीऔरगिराया….गांडमारनेकेबादचुतकेअन्दरडालकरगिराना….नहींतोफिरकभीतुझेचुतनहींदूंगी… औरयादरखमैंइसकाममेंतेरीकोईमददनहींकरनेवालीमैंकुर्सीपकरकरखड़ीहोजाउंगी…..बस….” मैं राजी हो गया और तुंरत भागता हुआ रसोई से फ्रीज खोल मख्खन के दो तीन टुकड़े ले कर आ गया. दीदी तब तक सोफे वाली चेयर के ऊपर दो तकिया रख कर अपनी आधे धर को उस पर टिका कर गांड को हवा में लहरा रही थी. मैं जल्दी से उनके पीछे पहुँच कर उनके चुत्तरो को फैला कर मख्खन के टुकड़ो को एक-एक कर उनकी गांड में ठेलने लगा. गांड की गर्मी पा कर मख्खन पिघलता जा रहा था और उनकी गांड में घुस कर घुलता जा रहा था. मैंने धीरे धीरे कर के सारे टुकड़े डाल दिए फिर निचे झुक कर गांड को बाहर से चाटने लगा. पूरी गांड को थूक से लथपथ कर देने के बाद मैंने अपने लण्ड पर भी ढेर सारा थूक लगाया और फिर दोनों चुत्तरों को दोनों हाथ से फैला कर लण्ड को गांड की छेद पर लगा कर कमर से हल्का सा जोर लगाया. गांड इतनी चिकनी हो चुकी थी और छेद इतनी टाइट थी की लण्ड फिसल कर चुत्तरों पर लग गया. मैंने दो तीन बार और कोशिश की मगर हर बार ऐसा ही हुआ. दीदी इस पर बोली “देखाभाईमैंकहतीथीनकीएकदमटाइटहै….कुत्ते….मेरीबातनहींमानरहाथा…किताबमेंलिखीहरबात…..सचनहीं….हायतूतो….बेकारमें….उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़कुछहोनेवालानहीं….दर्दभीहोगा…..हाय…..चुतमेंपेलले….ऐसामतकर….” मगर मैं कुछ नहीं बोला और कोशिश करता रहा. थोड़ी देर में दीदी ने खुद से दया करते हुए अपने दोनों हाथो से अपने चुत्तरों को पकड़ कर खींचते हुए गांड के छेद को अंगूठा लगा कर फैला दिया
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