RE: Antarvasna परदेसी
रणवीर जो इतनी देर से चुप चाप सोनिया की बात सुन रहा था, अब बोला "सोनिया यहाँ बात मेरी खुशी की नही है.. बात यह है कि तुम अपने स्वार्थ में इतनी अंधी हो गयी थी कि तुमने मेरी या उन 4 मासूमों की ज़िंदगी के बारे में कुछ नही सोचा. एक निर्दयी प्राणी बन कर तुमने उन चारों को धरती से मिटाने का फ़ैसला कर लिया... क्यूँ ? सिर्फ़ अपनी खुशी के लिए ना..."
"हां रणवीर.. मैं स्वार्थी हो गयी थी. प्यार में अक्सर आदमी अँधा हो जाता है. और उन चारों की ज़िंदगी हमारी ही मेहनत का फल है. अगर हम नही होते, तो वो चारों भी नही होते. जो ज़िंदगी हम ने दी, हमे उसे लेने का भी पूरा हक़ होना चाहिए..."
"क्या तुम वोही सोनिया हो.. जिसे मैने प्यार किया?? मुझे ऐसा नही लगता... मुझे लगता है जिससे मैं प्यार करता था वो सिर्फ़ एक छलावा था और यही तुम्हारा असली रूप है. तुम मुझसे एक बार कह कर तो देखती सोनिया...."
"कितनी बार रणवीर.. कितनी बार मैने तुम्हें एहसास दिलाने की कोशिश करी, पर तुमने मेरी एक ना सुनी. जुनून बन कर वो चारों तुम्हारे उपर हावी थे. और जिस सोनिया को तुम छलावा कह रहे हो, वोही है वो जिसने तुम्हारे प्यार में दुनिया के एक कोने में ज़िंदगी बिताने की सोची. वोही है जिसने तुम्हारे प्यार के कारण एक बार भी ना सोचा कि वो एक खूनी बनने जा रही है रणवीर... प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़ मुझसे अब मूह ना फेरो रणवीर... मैने ज़िंदगी में बहुत कुछ खोया है... अब जो चीज़ मुझे मिल गयी है, वो मेरे से दूर मत करो रणवीर" सोनिया की आँखों से आँसू झरने की तरह बह रहे थे.
"मुझे कुछ समझ नही आ रहा सोनिया कि मैं क्या करूँ... किस पर भरोसा करूँ मैं अब.." रणवीर ने अपना सर पकड़ लिया जो इतनी ज़्यादा इन्फर्मेशन पाने के बाद दुखने लगा था.
"उन चारों को अपने हाल पर छोड़ दो रणवीर. हम अभी खुश हैं और खुश ही रहेंगे. मेरे पास अभी वो दवाई पड़ी है तो हम आर100685 पर यूज़ करते थे उसकी पवर्स सप्रेस करने को. हम अभी भी उनको वो दवाई दे कर उनको एक नॉर्मल इंसान बना सकते हैं. मेरी बात मान लो रणवीर"
"ऐसा कुछ नही होगा सोनिया. वो लोग जैसे हैं, वैसे ही रहेंगे... रही हमारे बीच की बात तो उसका फ़ैसला भी मैं चन्द दिनों में कर लूँगा" अभी रणवीर बोल ही रहा था कि उसके पास दिया का ईमेल आ गया कि वो लोग बिट्टू के घर जा रहे हैं. तान्या का भी वहाँ जाने की इच्छा रखना उस पर पहले ही ज़ाहिर हो गया था. "लगता है वो चारों बिट्टू के घर की तरफ जा रहे हैं सोनिया.. मैं भी उनसे मिलकर ही अपना फ़ैसला करूँगा. मैं भी इंडिया जा रहा हूँ."
"मुझे भी साथ ले चलो रणवीर" सोनिया ने बोला
"नहीं सोनिया. कुछ समय मुझे अकेले में चाहिए इस बात पे गौर करने को. प्लीज़ मुझे अकेला जाने दो"
"ठीक है रणवीर. पर वादा करो कि तुम वापस ज़रूर आओगे. जो भी तुम्हारा फ़ैसला होगा वो तुम मुझे यहाँ आ कर बताओगे"
"ज़रूर सोनिया. मैं वापस ज़रूर आउन्गा."
"मैं तुम्हारा समान पॅक कर देती हूँ. मैं वो दवाई भी रख रही हूँ जिससे उन सब की पवर्स दब जाएँगी. अगर तुम्हें उचित लगे तो उसका इस्तेमाल करना, नहीं तो रहने देना" रणवीर में अब सोनिया के व्यू अपोज़ करने की हिम्मत नही बची थी. हां में सर हिलाते हुए वो इंडिया जाने का प्लान बनाने लगा.
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"जी बिट्टू यहीं रहता है.."
"बिल्कुल जी, यह बिट्टू का ही घर है.. आप कौन..."
"मैं तान्या हूँ.. बिट्टू की दोस्त..."
"अर्रे वाह.. अंदर आइए... अपना ही घर समझिए..." उसने तान्या को अंदर किया और फिर बोला "देखो आंटी बिट्टू की दोस्त भी आई है...लगता है मेरे सिवा उसने सब को खबर कर दी थी कि वो आज यहाँ आ रहा है... और फिर मुझे अपना दोस्त कहता है" थोड़ी नाराज़गी के साथ वो बोला
"अर्रे हॅपी बेटा क्यूँ अपना दिल छोटा करता है.. मुझे पूरा यकीन है कि बिट्टू ने तुझे इसलिए नही बताया ताकि वो यहाँ आ कर तुझे सर्प्राइज़ दे..." बिट्टू की मम्मी की किचन में से आवाज़ आई..
"खाख सर्प्राइज़... साले को स्टेशन पे ही पकड़ के रगड़ दूँगा देखना आप.. अच्छा वैसे गाड़ी का समय हो गया है.. मैं उसको ले कर आता हूँ.." फिर तान्या की तरफ मूड कर बोला.. "आप चलेंगी उसको लेने ?"
"न..न... नहीं... आप जाओ.. मैं यहीं उसका इंतेज़ार करती हूँ. " तान्या बोली. वो एन्षूर करना चाहती थी कि पीछे से घर में कोई अनहोनी ना हो...
"जैसी आप की मर्ज़ी" हॅपी बोला और गाड़ी की चाबी उठा कर चलता बना
"अर्रे हॅपी बेटा यह सिलिंडर ख़तम हो गया है.. इसको चेंज तो कर दे.... " आंटी ने किचन से बाहर आ कर बोला "अर्रे.. चला गया... यह भी पूरा वक़्त हवा पे सवार ही रहता है.. लगता है मुझे ही करना पड़ेगा..."
"अर्रे आंटी मैं करवा देती हूँ. आप अकेले क्यूँ करती हैं" कहते हुए तान्या उनके साथ हो ली
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“यार हॅपी. मुझे पता है कि तेरे मन में बहुत अरमान होंगे अपनी भाभी को यह शहर दिखाने के.. पर प्ल्ज़ पहले घर चलते हैं और फिर घरवालों से मिल कर सीधा घूमने चलेंगे. प्लीज़ इस बात को मत काटना. आज इतने साल बाद तेरा दोस्त तुझसे कुछ गुज़ारिश कर रहा है. इस बात का मान रखना” जीप में चढ़ने से पहले बिट्टू ने हॅपी से बोला
“अबे तू तो बहुत सेनटी हो रहा है यार. ठीक है ठीक है.. सीधा तेरे घर ही चलते हैं, आराम से यह बात कह देता, इतना सेनटी होने की क्या ज़रूरत थी... तू तो सच में बिल्कुल बदल गया है रे.. चलो जी सब लदो जीप में, चलते हैं सीधा आपके ससुराल” हॅपी का मूड अपने यार को इतना बदला देख थोड़ा ऑफ हो गया था. पूरे रास्ते उस ने कोई बात नही करी और 15 मिनट में ही उनको घर पे ले आया. “तुम लोग चलो. मैं समान ले कर आता हूँ”
“अकेले कैसे उठाएँगे आप.. हम तीनो को स्टेशन पे उठाने में इतनी मेहनत लगी थी. सब थोड़ा थोड़ा ले जाते हैं. आराम से हो जाएगा.” दिया बोली
“अर्रे दिया जी. फॉरमॅलिटी मत ना करो. यह बिट्टू कम है फॉरमॅलिटी के लिए जो आप भी शुरू हो गयी.. आप चलो मैं लाता हूँ”
“अबे बंद कर यह नाटक. दिया तुम यह उठाओ. मैं वो उठाता हूँ और हॅपी तू वो उठा... साले एक झापड़ मारूँगा अब मूड खराब रखा तो. अब घर आ गये हैं. खुश हो जा” बिट्टू ने बोला. वो घर को देख कर बहुत ही खुश था. जो अनहोनी होने का डर उसे सता रहा था, उसका कोई नाम ओ निशान ना था. सब ने सारा समान उठाया और भाग के अंदर हो लिए. वो देख ना पाए कि एक और टॅक्सी वहाँ आ कर रुकी है जिसमें रणवीर बैठा था.
अंदर तान्या अपनी पवर्स से सिलिंडर को उठा कर उसकी जगह पहुँचा रही थी. आंटी से बातचीत के दौरान उसको पता चल गया था कि रणवीर ने उनके बारे में सब कुछ बता दिया है. अब फालतू में सिलिंडर उठा के वो अपनी शक्ति खर्च करना नही चाहती थी. जब हॅपी, दिया और बिट्टू घर में घुसे तो सिलिंडर हवा में था और किचिन की तरफ जा रहा था. “पेन्चो यह क्या हो रहा है” हॅपी ज़ोर से चीखा. तान्या की कॉन्सेंट्रेशन थोड़ी सी टूटी जिसके कारण सिलिंडर धडाम से नीचे गिरा. इससे पहले कि वो ज़मीन पर लगता, दिया ने अपनी पवर्स से उसे रोकना चाहा पर रुकने की बजाए एक बहुत ही ज़ोर का धमाका हुआ. धमाका इतनी ज़ोर का था कि घर के सारे शीशे टूट गये और सब लोग इधर उधर जा कर लगे. घर पूरा जलने लगा. बिट्टू इंपॅक्ट के कारण और दरवाज़े के सबसे पास होने के कारण, सीधा बाहर जा कर गिरा.
रणवीर घर की ओर बढ़ ही रहा था जब धमाका हुआ और अगले ही पल उसने बिट्टू को उड़ते हुए बाहर आ कर देखा. उसने फटाफट से अपने फोन से फाइयर ब्रिगेड को बुलाया और दौड़ के बिट्टू के पास हो गया. उसकी एक नज़र घर की तरफ गयी जो बुरी तरह से जल रहा था. अंदर किसी के भी बचने का कोई आसार नज़र नही आ रहा था. बिट्टू का चेहरा भी पहचान-ने लायक नही था. बहुत ही धीरे धीरे बिट्टू की बॉडी रिस्टोर हो रही थी. उसका सर अपनी गोद में रखकर रणवीर के ज़हन में सिर्फ़ फ्यूचर का ख़याल आ रहा था. अब यह बात पूरी सॉफ हो गयी थी कि उसके बनाए 3 अजूबे घर के अंदर ही मर गये थे. बिट्टू बच सकता था. लेकिन रणवीर का एपेरिमेंट पूरी तरह से बंद हो ही चुका था. आज अगर बिट्टू जी भी जाता तो शायद वो इस हादसे को अपने ज़हेन से कभी ना निकाल पाता.
उसका सारा परिवार आज ख़तम हो चुका था. ऐसे में जब उसको सच पता चलेगा कि यह सब सोनिया के कारण हुआ है तो क्या वो कभी रणवीर और सोनिया को माफ़ कर पाएगा? रणवीर सोनिया से पागलों की हद तक प्यार करता था. वो जानता था कि वो सोनिया के बिना नही रह सकता. और जब तक बिट्टू ज़िंदा था, रणवीर पूरी तरह से कभी सोनिया का नही हो सकता था. सच कह रही थी वो.. यह चारों एक जुनून की तरह सवार थे रणवीर के उपर और यह जुनून ख़तम करने का एकलौता मौका अब रणवीर के हाथ में आ गया था. अपनी पूरी ज़िंदगी की मेहनत पीछे छोड़ कर आज वो एक नयी ज़िंदगी शुरू करने जा रहा था. उसने अपने बॅग से निकाल कर वो दवाई बिट्टू में इंजेक्ट कर दी जिससे बिट्टू का ठीक होना बंद हो गया. उस की हालत इतनी खराब थी कि कुछ ही पलों में उसने भी दम तोड़ दिया. उसकी साँसों के रुकने के साथ ही रणवीर की आँखों से भी आँसू टपक पड़े. यह आँसू अपनी पुरानी ज़िंदगी भुला कर नयी ज़िंदगी शुरू कर रहे रणवीर की कोशिश की निशानी थी. थोड़ी ही देर में फाइयर ब्रिगेड वाले आ गये. जैसा कि रणवीर को पता था, घर में से बिट्टू के ‘3 दोस्तों’ और माँ-बाप की बॉडी निकाली गयी. किसी का चेहरा पहचान में नही आ रहा था. लेकिन रणवीर को पूरा यकीन था कि वो इन सब को पहचान गया है. थोड़ी सी एंक्वाइरी निपटाने के बाद, रणवीर वापस सोनिया के पास जाने के लिए प्लेन की टिकेट बुक करने के लिए चला गया.
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“नर्स वो बेड नंबर 223 वाला पेशेंट कहाँ गया?”
“पता नही अभी तो यहीं था. 15 मिनट पहले चेक किया था मैने..”
“बेड खाली पड़ा है... ढुंढ़ो उसे... आइ वॉंट हिम हियर नाउ !!!”
“क्या हुआ डॉक्टर साहब.. किस टेन्षन में हो... वैसे भी उस मरीज़ का कोई जान पहचान वाला आया नही था... अच्छा ही हुआ चला गया ना... नहीं तो ऐसे ही पड़ा रहता पता नहीं कितने दिन...”
“बात वो नहीं है डॉक्टर. दरअसल कल जब वो आक्सिडेंट साइट से लाया गया और उसका ऑपरेशन हुआ तो मैने उसके स्पाइन में से यह चिप निकाला था जो कि मुझे अभी तक नही पता क्या है. आज जब उसके ब्लड सॅंपल की रिपोर्ट्स आई तो पता नही उसका डीयेने भी काफ़ी अजीब है. मुझे लगा कि कोई ग़लती हो गयी है इसलिए मैं उसका ब्लड लेने वापिस आया तो देखा कि वो नदारद है”
“अर्रे छोड़ो यार. सरकारी हॉस्पिटल है.. जो हुआ सो हुआ.. अपना क्या नुकसान है.. फेंक दो इस चिप को और चलो चल कर कॉफी पीते हैं”
बंधुओ ये कहानी समाप्त हुई आपको कैसी लगी ज़रूर बताना
समाप्त
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