RE: Bhai Behen Chudai मैं ,दीदी और दोस्त
जैसे कभी यह खत्म ना हो, फिर भी ये खेल रुक नहीं रहा था मेरी स्पीड कम नहीं हो रही थी, दीदी ने मुझे नहलाया सहलाया और मेरे कानों पर धीरे से कहा भाई हो गया ना अब तो रुक जा, मैं दीदी के मासूम चेहरे को देखता रहा और अपना कमर तेजी से चलाता रहा उनके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ कर मैंने स्पीड और बढ़ा दी ,फिर से दीदी के मुंह से
"आह आह आह आह भाई भाई मेरा प्यारा भाई मेरा सबसे प्यारा भाई आई लव यू भाई भाई आह आह भाई मुझे अपना बना लेना हां हां हां भाई ऐसे ही हां भाई, और जोर से और जोर से हां हां"
फिर एक तूफान चल पड़ा फिर मैं दीदी के अंदर झड़ता गया दीदी ने फिर मुझे दबोच लिया और अपने नाखून मेरे पीठ पर गडा दिए, हमारे प्यार का यह सफर भी खत्म हो गया हम दोनों नहा कर बाहर निकले, दीदी ने तालियों से मुझे साफ किया और वह आईने के सामने अपने बालों को सवारने लगी, मैंने फिर से उन्हें पीछे से पकड़ा और उनकी योनि पर अपने हाथ फिराने लगा, दीदी ने मुड के मुझे देखा भाई तेरा मन नहीं भरा क्या, मैंने हंस कर उन्हें कहां दीदी अभी कैसे भर जाएगा...
मेरे और दीदी का चेहरा आईने में दिख रहा था, मैं दीदी के उन्नत वक्ष को अपने हाथों से सहला रहा था, मेरा लिंग फिर से अकड़ने लगा, मैंने पीछे से ही अपने लिंग को दीदी की योनि में रगड़ना शुरु किया और धीरे से उसे अंदर कर दिया दीदी के मुंह से फिर से आह निकली... क्या भाई फिर से मुझे हंसी आ गई लेकिन मैं अपनी हरकत जारी रखी ,धीरे-धीरे दीदी के भी योनि में गीलापन आ गया और उनके निप्पल खड़े होने लगे, मैंने उन्हें आईने के सामने झुका दिया अब दीदी का चेहरा आईने में दिख रहा था, और मैं उनके पीछे खड़ा हुआ, मेरी कमर अब तेजी से चलने लगी दीदी फिर से सिसकियां लेने लगी, मैंने दीदी के बाल को पकड़ा और जैसे कोई घोड़े की सवारी करता हो, वैसे ही दीदी को घोड़ी बनाकर घुड़सवारी करने लगा दीदी के उन्नति पृष्ठ दीदी के मेरे सामने थे उन्होंने अपने हाथों से दबा रहा था इतना मज़ा इतना नशा जैसे मैं जन्नत में हूं, मैंने कभी सोचा नहीं था कि यह मुझे इतना मजा देगा और कोई नहीं मेरी दीदी देगी, मेरी प्यारी दीदी, इतनी प्यारी ,इतनी प्यारी जिसे मैं अपना पूरा जहान मानता हू, जिनके चेहरे पर एक शिकन भी आए तो मेरा दिल धड़कता है, जिनके चेहरे पर चिंता की एक लकीर भी मुझे बेचैन कर देती है आज मैं उन्हें भोग रहा था, मैं उनके मजे ले रहा हूं ,सिर्फ सिर्फ और सिर्फ क्या मैं अपनी वासना को पूरी कर रहा हूं, नहीं यह प्यार है ,,खाक का प्यार???? यह तो पूरी तरह से वासना थी.. नहीं नहीं यह तो प्यार है, मेरा प्यार मेरी दीदी का प्यार मेरी दीदी गलत नहीं कर सकती और मैं कैस मैं कैसे मैं कैसे गलत कर सकता हूं, नहीं नहीं अचानक मेरी स्पीड धीरे होने लगी मैं किसी सोच में किसी गहरी सोच में डूबने लगा, दीदी ने मुड़कर मुझे देखा मेरे चेहरे की चिंता उनसे छुपी नहीं थी वह जानती थी कि मैं क्या सोच रहा हू उन्होंने मुड़कर मुझे पकड़ लिया, मेरी आंखों में देखा मेरी आंखों में कुछ पानी आ चुका था ,मेरा जेहन दर्द से भर रहा था दीदी ने मुझे अपने हाथों से सहलाया ,
" भाई तु जो सोच रहा है वह तो सही है, लेकिन यह हमारा प्यार है, इसमें कोई सीमा नहीं है, नहीं हो सकती है, अगर तू दुखी है ,अगर तू दुखी है तो मत कर लेकिन याद रख तेरी दीदी को भी इसमें वही मजा मिलता है जो तुझे मिलता है, भाई मेरे प्यारे भाई आकाश प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़ दर्द में मत रहना, जो भी बात है खुलकर कर तेरी दीदी अब तेरी है पगले, तू नहीं जानता तूने मुझे कितना सुख दिया है, मैं तेरी हूं मैं अपने भाई की हु,और मुझे तेरा होने से कोई नहीं रोक सकता तू भी नहीं, अब से हमारे बीच यह आंसू नहीं आएंगे"
उन्होंने हाथ बढ़ाकर मेरे आंसू पोछें उनकी बातों से मेरा दिल हल्का हो गया था लेकिन लिंग में तनाव अभी भी था, मैंने फिर धीरे-धीरे धक्के देना शुरू किया दीदी की एक ही खिलाती हंसी सुनाई थी और दीदी फिर से अपना सर दर्पण के सामने कर दी दीदी के चेहरे का भाव बदल रहा था और मेरी स्पीड भी बढ़ रही थी, अब मेरे मन में कोई ग्लानि नहीं थी मैंने फिर से उनके बालों को पकड़कर अपनी तरफ खींचा दीदी हल्के से दर्द में चिल्लाई
" भाई आह आह आह आह" थप थप थप थप की आवाज से पूरा कमरा गूंज गया हमारी सांसे फिर से तेज होने लगी मैं आईने से दीदी का चेहरा देख रहा था उनके चेहरे पर आई खुशी महसूस कर रहा था जो बढ़ा रही थी,जो मेरा जोश बढ़ा रही थी, मैंने उनकी कमर को अपने हाथों से जोर से पकड़ा और पूरी ताकत से धक्के देने लगा धक्का देने लगा दीदी का कामरस मेरे लिंग को भीगा चुका था, और बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था दीदी के चेहरे पर असीम आनंद के भाव थे, और मेरा चेहरा लाल हुआ जा रहा था पता नहीं क्यों छूटने का मन ही नहीं कर रहा था, ना ही मेरा ना ही मेरे लिंग का.. हम दोनों ही इस लम्हें को और ज्यादा और ज्यादा देर तक रखना चाहते थे, लेकिन कब तक जब तक सांसे बंद हो जाए, मैंने अपनी पूरी ताकत अपने कमरे में लगा दी मेरा लिंग पूरी जड़ तक दीदी के अंदर जा रहा था, दीदी खुशी से आनंद से चमक रही थी उनके मुंह से सिसकारियां छूट जा रही थी उन्होंने अपने होंठों को अपने दांतों में दबा रखा था उनकी आंखे बंद थी उनका नंगा जिस्म पूरी तरह से चमक रहा था, मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी आखिरकार दीदी ने एक फुहार छोड़ी और वह निढल होकर जमीन में गिर गई... मैंने किसी तरह उन्हें अपने हाथों से संभाले रखा दी जैसे बेहोश हो गई थी, मैंने उन्हें उठाकर वैसे ही अपनी गोदी में उठाया और बिस्तर पर औंधे मुंह लिटा दिया, मैं उनके ऊपर चढ़ गया और उसी स्पीड से फिर से अपनी कमर हिलाने लगा दीदी के नितंबों में पढ़ने वाली चोट की आवाज इतनी मादक थी एकलव्य लयबद्ध तरीके से आवाज में आ रही थी, दीदी मानो बेहोश थी और मैं उनकी कमर पर अपनी कमर को तेजी से खिलाया जा रहा था, मेरे धक्के अब बहुत तेज और बहुत ताकत से लगाया जा रहे थे, दीदी बस आह आह कर रही थी वह भी बहुत धीरे आवाज म दीदी ने फिर एक बार फुहार छोड़ी और फिर थककर चूर हो गई, लेकिन मैं, जैसे मेरे अंदर कोई जानवर आ गया हो मैं रुकने का नाम नहीं ले रहा था, मैंने दीदी के कमर को अपने हाथों से उठाया और पूरी ताकत से अपने धक्के बढ़ा दिया, मैंने दीदी के ऊपर लेट गया और उनके चेहरे को अपनी ओर खींचा उनकी आंखे बंद थी मैंने उनके होठों को अपने होठों में दबा लिया और उन्हें चूसने लगा, थोड़ी देर में दीदी ने जब आंख खुली तो मुझे अपनी नशीली आंखों से देखने लगी, मैं अभी उनके होंठों को चूस रहा था मेरे कमर और धीरे धीरे चल रहे थे दीदी की आंख खुलते ही मैंने कमर की स्पीड बढ़ा दी दीदी के चेहरे पर फिर एक स्माइल आ गई, उन्होंने मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ा और अपनी तरफ खींचा मेरे होठों को चूसने लगी जब हमारे होंठ एक दूसरे से अलग हुए पर दीदी ने हल्के से कहा
"भाई भाई सुनना जल्दी करना कॉलेज भी तो जाना है"
मैंने उठ कर फिर से उनके कमर को अपने हाथों में पकड़ा और तेजी से धक्के लगाने लगा दी दी दी दी थोड़ी देर ही मेरा साथ दे पाई और फिर झाड़कर चूर हो गई लेकिन इस बार दीदी ने मुझे रोका और पास से ही एक कपड़ा लेकर अपनी योनि को साफ किया और हंसकर मुझे कहा अब डाल... अब दीदी की योनि थोड़ी सुखी थी जिससे मेरे लिंग को अच्छी रगड़ मिल रही थी, जिससे मेरा मजा और बढ़ गया था मैंने तेजी दिखलाई और फिर से पूरी ताकत जुटा कर अंदर बाहर करने लगा, आखिरकार दीदी का गीलापन गीलापन फिर से बढ़ने लगा और मेरा लिंग फिर से दीदी की गहराइयां नापने लगा, थोड़ी देर के मेहनत के बाद ही मैंने अपना संपूर्ण गाढ़ा वीर्य दीदी के अंदर छोड़ने को तैयार हो गया, मैंने फिर से पूरी ताकत से धक्के लगाए और अपना पूरा वीर्य दीदी के अंदर धकेलता गया..
अब मैं बिल्कुल बेजान सा दीदी के ऊपर गिर पड़ा दीदी ने मुझे संभालते हुए अपने ऊपर लिया और मेरे लिंग को जो कि थोड़ा बेजान हो रहा था अपनी योनि में डाल लिया ताकि थोड़ा भी वीर्य बाहर ना जाने पाय, दीदी के ऐसा करने से मेरे लिंग में थोड़ी अकड़न फिर बढ़ गई और मैं दीदी की योनि में समाया हुआ उन्हें पकड़कर सोने लगा....
लगभग आधे घंटे हम दोनों ऐसे ही सोये रहे, हम एक दूसरे को किस करते, कभी मैं हल्के हल्के कमर चलाता, दीदी मुझे जकड़ लेती मेरे होठों को अपने होठों में भर लेती ,हम आधे घंटे तक ऐसे ही लेटे रहे... दीदी आखिरकार मन मारकर उठी और नहाने चले गई साथ मैं भी चल दिया, हम दोनों साथ नहाए और तैयार होकर बाहर निकल गया.....
मैं और दीदी डॉक्टर के क्लीनिक में बैठे हुए थे दोनों आज बहुत खुश लग रहे थे डॉक्टर हमारे सामने अपनी मेज पर कुछ कर रहे थे,
“क्या बात है आज से तुम दोनों के चेहरे बहुत ही चमक रहे हैं,” हम दोनों के चेहरे में एक शर्म का भाव आ गया,
“कुछ नहीं डॉक्टर हम तो बस आपको धन्यवाद देने आए थे”
“धन्यवाद धन्यवाद किस लिए”
“आपने यह जो सब किया हमारे लिए उसके लिए आपका धन्यवाद”
“अरे तुम दोनों तो मेरे बच्चे हो मैं तुम्हारे लिए नहीं करुंगा तो किसके लिए करुंगा, लेकिन एक बात कहूं आज सच में तुम दोनों बहुत प्यारे लग रहे हो लगता है कोई खास बात है”
मैं आश्चर्य से डॉक्टर को देख रहा था लेकिन दीदी के चेहरे में एक शर्म का भाव दिखाई पड़ रहा था दीदी का चेहरा लाल हो चुका था मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन दीदी सब समझ रही थी कि डॉक्टर क्या कहना चाहते हैं
हम लोग डॉक्टर से यही बात करते रहें थोड़ी देर बाद डॉक्टर से विदा लेकर हम दोनों जाने लगे डॉक्टर ने दीदी को रोक लिया और मुझे बाहर बैठने कहा, मुझे तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन डॉक्टर की बात कैसे डाल सकता था मैं बाहर चला गया…
“तो लगता है तुम दोनों के बीच कुछ हो गया”
“क्या डॉक्टर आप भी” दीदी ने शरमाते हुए कहा
“ हां कुछ तो हो गया तुम्हारे चेहरे की चमक बता रही है कि कुछ तो हो गया तो बताओ आकाश कैसा है, जैसे मैंने बताया था वैसे ही है ना बिलकुल जानवर सा” डॉक्टर के चेहरे में एक इस्माइल आ गई जबकि दीदी पूरी तरह से शर्मा चुकी थी
“ हां डॉक्टर आप सही कह रहे हैं मुझे कभी-कभी आकाश की चिंता होती है, मैं तो देख कर दंग रह गई कितनी ताकत वह कैसे संभाल पाते हैं” डॉक्टर का चेहरा थोड़ा गंभीर हो गया
“ वह सब तो ठीक है लेकिन आकाश के अंदर कोई ग्लानि का भाव तो नहीं है,”
“ हां थोड़ा तो है लेकिन अब वह इसमें मजे लेने लगा है,” दीदी अभी डॉक्टर से नजर नहीं मिला पा रही थी..
“ ठीक है ठीक है कोई बात नहीं ऐसा तो होगा मुझे पहले ही लगा था वह तुमसे बहुत प्यार करते हैं और तुम भी उससे बहुत प्यार करती हो जब दोनों एक दूसरे से इतना प्यार करते हो तो फिर डर किस बात का तो फिर किस बात का दुख है किस बात की ग्लानि, तुम दोनों इस चीज को इंजॉय करो यह तुम दोनों के लिए अच्छा है कोई भी चीज अच्छी या बुरी नहीं होती उसे अच्छा या बुरा बनाया जाता है जब दिल में प्यार है तो हर चीज अच्छी है और जब दिल में प्यार नहीं होता तो हर चीज बेकार है, तुम दोनों तो बने ही एक दूसरे के लिए हो तुम्हारा प्यार ही तुम्हारी पहचान है, बस आकाश को बहुत प्यार देना वह तुम्हारे बिना नहीं रह पाएगा उसे दूर मत होना उसे डूब जाने देना जितना वह डूबना चाहे…” दीदी डॉक्टर की बात बहुत ध्यान से सुन रही थी,
“ डॉक्टर आपसे एक बात कहनी है”
“हां कहो”
“ डॉक्टर आकाश, आयशा को बहुत प्यार करता है, मुझे कभी कभी डर लगता है कि मेरे कारण आयशा और आकाश के रिश्ते में कोई दरार ना आए, क्या काश उसे भी इतना प्यार कर पायेगा जितना वह मुझे करता है,” डॉक्टर बस मुस्कुरा दिये
“ नहीं कभी नहीं आकाश उसे उतना प्यार कभी नहीं कर पाएगा लेकिन हां तुम्हारा और आकाश का प्यार कुछ अलग है और आकाश और आयशा.का प्यार कुछ अलग है, आकाश भले हि तुम्हारे साथ सेक्स करता है लेकिन फिर भी वह तुझे अपनी बहन मानता है, वह तुझे दिल से चाहता है लेकिन तू उसकी बहन है दीदी है यह चीज मत भूलना,” डॉक्टर की बात से दीदी के चेहरे में एक चमक आ गई
“ मैं भी अपने भाई को बहुत प्यार करती हूं डॉक्टर और उसे हमेशा खुश देखना चाहती हूं भले इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े मैं हर चीज़ करने को तैयार लेकिन डॉक्टर एक बात आपसे कहना है,( इसके बाद दीदी और डॉक्टर के बीच हुई बात गुप्त रहेगी जिसे मैं बाद में खोलूंगा )”
“ हां यह तो ठीक है लेकिन देबू को कैसे मनाओगे..” डॉक्टर ने अपनी चिंता जाहिर की
“ वह बहुत अच्छा लड़का है और मुझसे बहुत प्यार करते हैं मुझे लगता है वह मान जाएगा,”
“हूमममममम ओके देखते हैं लेकिन अगर नहीं माना तो” डॉक्टर फिर चिंता से दीदी को देखते हैं
“ नहीं माना तो आप तो है ना आप किस दिन काम आओगे” दीदी के चेहरे में एक मुस्कान थी वही मुस्कान डॉक्टर के चेहरे में भी थी….
दीदी देबू से मिलने के लिए राजी हो गई , मैं और राहुल उनके इस फैसले से बहुत खुश थे आखिरकार दीदी के जीवन में फिर से कोई प्यार आ रहा था, हम देबू को बचपन से जानते थे जानते तो हम मनीष को भी थे लेकिन देबू के आंखों में मैंने प्यार देखा था जो मनीष की आंखों में कभी नहीं देखा…
देबू इस बात से बहुत खुश था की दीदी उससे मिलने को राजी हो गई पहले कुछ दिन के मुलाकातों में ही दीदी और देबू बहुत करीब आ गए दीदी ने मुझे बताया कि कैसे आज हम ने किस किया और कैसे वो आगे बढ़े,... एक महीने तक यही सिलसिला चलता रहा और आखिरकार दोनों एक हो ही गया, मेरी उम्मीद की विपरीत दीदी ने इस बात का जश्न मनाया.. इन 1 महीनों में मैंने भी आयशा को प्रपोज किया और उसने भी इसे स्वीकार कर लिया, कुछ दिनों बाद कुछ अजीब सा हुआ दीदी देबू से शादी करने की जिद करने लगी, और घरवालों को मनाने की जिम्मेदारी मुझे और राहुल को दी गई, शादी का कारण था की दीदी प्रेग्नेंट थी, देवों के दीदी के सामने कुछ नहीं चल पा रही थी उसे डर था कि उसके घर वाले इस बात का विरोध करेंगे जो हुआ अभी लेकिन दीदी ने किसी की एक नहीं सुनी वह अपना बच्चा नहीं गिराना चाहती थी, मै और राहुल भी नहीं चाहते थे कि दीदी इतनी जल्दी बड़ी जिम्मेदारियों के बोझ तल दब कर रह जाए... लेकिन दीदी किसकी सुनती थी वह तो अपनी जिद पर अड़ी थी,
“ दीदी आप जानती हो यह फैसला आपकी जिंदगी बर्बाद कर सकता है” मैंने गुस्से में कहा
“ हां लेकिन मैं अपने प्यार की निशानी को अपने से अलग नहीं करूंगी, यह बात तुम समझ लो…” मेरी बात सुनकर दीदी का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था राहुल और देबू की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह दीदी का सामना करता या उसे कुछ समझाने की कोशिश करता…
“ दीदी आप बात को समझ नहीं रही हो”
“ भाई तू नहीं समझ रहा है बस और मुझे कुछ नहीं सुनना अगर तुम दोनों घरवालों से मेरी बात नहीं करोगे तो मैं घर छोड़कर जा रहे हूँ.. और हां देबू अगर तुम अपने घरवालों से मेरी बात नहीं कर सकते या मुझसे शादी नहीं कर सकते तो कोई बात नहीं यह बच्चे इस दुनिया में आएगा तो आएगा, यह मेरे प्यार की निशानी है और मैं इसे किसी भी हालत में कुछ नहीं होने दूंगा चाहे इसके लिए मुझे अपने प्यार से लड़ना पड़े, घरवालों से लड़ना पड़े या भाई तुमसे लडना पड़े….” दीदी के चेहरे में एक दृढ़ता साफ दिखाई दे रही थी जिसे झुकाना किसी के बस में नहीं था उन्होंने अपना फैसला कर लिया था और अब वह किसी की नहीं सुनने वाली थी…
मजबूरन है हमें घरवालों से बात करनी पड़ी मेरे घर वाले तो मान गए लेकिन देबू के घर वाले इस बात का पूरा विरोध किया आखिरकार देबू को घर छोड़कर आना पड़ा एक मंदिर में एक सादे फंक्शन में शादी का कार्यक्रम हुआ… शादी के आठवें महीने बाद ही दीदी ने एक प्यारे से बच्चे को जन्म दिया…
दीदी उस दिन बिस्तर पर लेटी हुई थी और मै उनके पास बैठा हुआ था.. मैंने बच्चे को बड़े प्यार से देखा मेरा भांजा कितना प्यारा कितना सुंदर मैंने उसके छोटे छोटे हाथों को अपनी उंगलियों से सहलाया उसका वह लाल चेहरा दीदी और मेरे बीच की सभी गहराइयों को भर दिया… दीदी मुझे प्यार से देख रही थी और मैं उस बच्चे को देख रहा था, कमरे में बस हम दोनों ही दीदी मुझसे कहा देख भाई तेरा भांजा, मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट खिल गई मैंने दीदी से प्यार से कहा नहीं दीदी मेरा बेटा…
दीदी ने थोड़े आश्चर्य से मुझे देखा और मैंने कहा
“ उस दिन मैंने डॉक्टर और आपकी सभी बातें सुनी थी”
दीदी थोड़ी देर आश्चर्य से मुझे देखती रही लेकिन फिर उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई
“ तो तूने यह बताया क्यों नहीं”
“ आपने मुझे बताया था क्या, मैं उसे बहुत प्यार दूंगा दीदी अपनी जान से ज्यादा इसे प्यार करूंगा यह मेरे और आपके प्यार की निशानी है…” हम दोनों की आंखों में आंसू थे और हम दोनों इस बच्चे को देख रहे थे…..
( समाप्त)
|