Bhai Behen Chudai मैं ,दीदी और दोस्त
08-22-2018, 10:55 PM,
#11
RE: Bhai Behen Chudai मैं ,दीदी और दोस्त
मैं घने जंगलो में भटक रहा था की मेरे पीछे संपो का झुण्ड पड़ जाता है उसे कुछ समझ नहीं आता की आखिर हो क्या रहा है मैं बस दौड़ता हु अपनी रफ़्तार बदता हु पर वो संपो का झुण्ड उसका पीछा नहीं छोड़ रहा था,मैं दौड़ता हु हफता हु और आखिर एक झील दिखाई देती है जो बेहद गहरी है मेरे के पास आख़िरकार दो ही रस्ते बचते है या तो सापो से लडे या झील में कूद जाये इसी असमंजस में होता हु की मेरा पैर फिसल जाता है और झील की गहरे में गिरता जाता हु, शारीर भर शून्य हो जाता है और अचानक आंखे खुलती है पसीने से भीगा हुआ हाफ रहा होता हु..
'हे भगवान कितना डरावना सपना था,'मैंने अपने को सम्हालते हुए सोचा देखा तो मैं पूरा ही पसीने से भीगा हुआ था,सांसे अब भी तेज चल रही थी धड़कने अनियमित थी,मैं पूरा बदहवास सा इशार उधर देख रहा था,मैंने a.c. की तरफ देखा वो भी अपने में मस्त सा चल रहा था,तो पसीना क्यों वो भी इतना मैंने मन में सोचा,मैंने बाजु देखा तो दीदी सोयी हुई थी,मैंने अपनी सांसो को सम्हाला दीदी शायद मेरे सोने के बाद मेरे रूम में आई थी,मैंने अपने सपनो पर गौर किया पर कुछ समझ नहीं आया,मैंने दीदी को फिर से देखा मैंने पाया की दीदी एक झीनी सी टी शर्ट और निकर पहने है हो की उनके घुटनों के बहुत ऊपर है और मुस्किल से ही उनके कमर को छुपाये हुए है,उनकी जांघे केले के पेड़ के तने जैसे दिखाई दे रहे थे,और उनकी कमर में उभरे हुए उनके नितंभ किसी धनुष के आकर के थे मैं उनकी इस गोलाई को देखता रह गया मैं इस सोच में ही था की दीदी ने करवट ली और उनके उन्नत वक्ष मेरे सामने आ गया मुझे उस दिन की याद आ गयी की दीदी ने कोई अन्तःवस्त्र नहीं पहने है,मैं उनको निहार ही रहा था की ना जाने कब मैं दीदी के प्यार भरे चहरे से उनके कामुक अंगो पे केन्द्रित हो गया,और प्यार ने वासना का रूप लेना सुरु किया,मैं अब भी इसे वासना मानने को तैयार ना था,मैंने बिना हिचक उनके वक्षो को छुआ उनकी रेसम सी मुलायम त्वचा का अहसास मेरे रोंगटे खड़े कर दिया,मैं वासना के गर्त में जा रहा था की मैंने दबाव बड़ा दिया और दीदी की नींद टूट गयी,दीदी ने कसमसाते हुए मुझे देखा जैसे पूछ रही हो की क्या कर रहा है,मैंने दीदी के दाये वक्ष को सहला दिया पर दीदी ने कोई प्रतिक्रिया देने के बजाय एक मुस्कान से मेरा स्वागत किया और झूठा गुस्सा दिखा मेरे सर पर एक चपात मारी,
'तेरा नाटक फिर चालू हो गया,सिर्फ रात को ही बहन के लिए प्यार जगता है क्या ,'दीदी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा,इस अप्रत्यासित उत्तर से मैं स्तब्ध सा उनके चहरे को देखता रहा,
'ऐसे क्या देख रहा है,'दीदी ने उसी मुस्कान के साथ पूछा,
'मुझे लगा आप गुस्सा हो जाओगे,'मैंने भी एक मुस्कान अपने चहरे पे लाई 
'क्यों मेरा भाई मुझे प्यार करे तो मैं गुस्सा क्यों होने लगी,'
'क्योकि ये गलत है ना,आप मेरी बहन हो तो बहन के साथ ये सब नहीं होता ना,'
'अच्छा बेटा प्यार तो प्यार होता है इसमें कुछ भी सही गलत नहीं होता जो चीज मेरे भाई को खुसी दे वही मुझे भी खुसी देगी और जिसमे हम दोनों खुश है वो गलत कैसे हो सकता है,'दीदी ने मुझे खीचकर अपने ऊपर ले लिया और बड़े ही प्यार से मेरे गालो को चूसने लगी कभी कभी वो उन्हें दांतों से काट भी लेती थी बदले में मैंने कमान सम्हाली और मैंने भी उनके गालो को चुसना शुरू कर दिया दीदी का इतने प्यार का असर मेरे ताने लिंग पर पड़ा जो दीदी के निकर में रगड़ खा रहा था,दीदी के मुह से निकली हलकी सिसकिया मुझे सुनाई दे रही थी,और अपने लिंग से मैं उनकी योनी के गीलेपन को भी महसूस कर पा रहा था,वप सुखद अहसास मुझे बेहद विचलित कर रहा था मेरा विचलित होना शायद दीदी भाप गयी क्योकि मैंने बहुत ही जोर से लिंग को उनके टांगो के बीच दबा दिया दीदी की तो आह ही निकल गयी ये तो अच्छा था की दीदी और मैंने कपडे पहने हुए थे ,मुझे विचलित देख दीदी ने कमान सम्हाली,मैं इस वार से थोडा नर्वस हो गया की कही दीदी को दर्द तो नहीं हुआ,दीदी मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगी,आँखों से लेकर मेरे बालो तक को उन्होंने नहीं छोड़ा इतना प्यार देख कर मेरी आँखे भरने लगी और प्यार के झोके ने वासना के तूफान को भी शांत कर दिया,मेरा लिंग मुरझाने लगा पर हमारा प्यार जारी रहा,दीदी आज बड़ी शिद्दत से मुझे प्यार कर रही थी उन्होंने मेरे आंसू तक पी लिए,ये भी ना पूछा की ये आंसू क्यों शायद उन्हें पता था की क्यों...भावनाए आंसू बनकर बड़े शिद्दत से निकल रही थी मेरा दिल भर आया था मुझे महसूस होने लगा था की मेरे अंदर कोई ताकत है जो मुझसे ये सब करा रही है की मैं वासना के गर्त में जा गिरता हु फिर प्यार की उचाईयो में पहुच जाता हु मुझे क्या हो रहा था मुझे नहीं पता पर इतना जरूर पता था की मैं दीदी को छोड़ नहीं सकता उनको अपने अलग नहीं कर सकता मैं अपने ही हाथो मजबूर था मैं मजबूर था अपने भावना के हाथो उन उठती लहरों के हाथो जो तुफानो सी आती थी और मेरे जेहन को झकझोड़ देती थी,,,,
मैंने जो नहीं सोचा था की कभी मैं ऐसा भी करूँगा वो मैं कर रहा था,मैंने अपने आंसुओ को रोकना चाहा पर ये नहीं रुके मैंने अपने भावनाओ को दबाना चाहा पर इस तूफान में मेरी शक्ति ही छीन ली थी मैं खुद को मजबूर पा रहा था की दीदी ने मेरे आँखों को चूमना शुरू किया ,
'आकाश कुछ मत सोचो मत रोको अपने आप को होने दो जो होता है ,अपनी भावनाओ को रोकने से तुम ही दुखी होगे तुम्हे ही तकलीफ होगी बह जाने दे भाई सब को निढल छोड़ दे हो जाने दे जो हो रहा है ,अपने को छोड़ रिलेक्स हो जा मेरे भाई,तेरी दीदी तेरे साथ है,'उनकी बातो में मानो कोई जादुई नशा सा था मैं अपने को रिलैक्स करने लगा वो मुझे सम्मोहित कर रही थी (इसे मनोविज्ञान की भाषा में इनफार्मेशन देना कहा जाता है ,जिसका प्रयोग सम्मोहन में और दूसरी थेरपी में किया जाता है,)मैंने खुद को छोड़ने लगा पर मेरे खुद को ढीला छोड़ते ही मैं फिर वासना से भर जाता था मैं अजीब उलझन में पड़ने लगा पर दीदी की बात मानकर मैंने आख़िरकार अपने को उनके हवाले और वक्त के हवाले छोड़ दिया,,दीदी अपना सब कुछ मुझे सौपने को तैयार थी और मैं भी अपना सब कुछ उनपर लुटाने को तैयार था,
दीदी की सिसिकिया बदने लगी मैंने उन्हें अपने निचे लिटाया और बहुत ही शिद्दत से किस करना शुरू किया उनके गालो को उनके बालो को उनके लबो को उनकी चमड़ी के हर उस हिस्से हो जहा तक मेरी पहुच थी,मैंने अपने होठो को उनके होठो पर रखा और एक ही धक्के में मेरी जीभ उनके मुह में चली गयी मैंने किसी को पहली बार इस तरह किस किया था,मैं उनके मुह की गहराई नापने लगा दीदी ने भी मेरा साथ देते हुए अपने जीभ से मेरे जीभ को सहलाया और हम दोनों एक दुसरे के होठो को चूसने लगे ,मैंने इतना आनद कभी महसूस नहीं किया था,मेरे दिल में दीदी के लिए बहुत प्यार था,और मैंने पूरी ताकत इस एक चुम्मन में लगा दि ,मैंने उनके सर को अपने हाथो से पकड़ के थोडा तिरछा किया हुआ था,और मुझे वहा से हटने का मन ही नहीं हो रहा था,दीदी के आँखों से खुसी के आंसू आ रहे थे उन्होंने मेरे सर हो जोर से पकड़ा था और अपनी ओर ऐसे खीच रही थी जैसे वो मुझमे समां जाना चाहती हो,ना जाने कितने समय तक हम ऐसे ही रहे,समय रुक सा गया था,बिना वासना के बिना लिंग में तनाव के भी इतने देर तक किस किया जा सकता है ये ना तो मैंने सोचा होगा ना ही दीदी ने ,,,,जब हमारा ये चुम्मन टुटा तो मैंने देखा की दीदी के होठो पर से खून बह रहा है,मैंने उसपर अपने होठ रखे और उसे पिने लगा दीदी ने दर्द से आह ली,मुझे भी अपने होठो पर दर्द महसूस हुआ लगा की उससे भी खून आ रहा है शायद हम प्यार में इतने डूब गए थे की हमें ये अहसास भी नहीं हुआ की हमने एक दुसरे के होठो को काट लिया है,
'आई लव यु भाई,'दीदी के चहरे पर मुस्कान थी,उनके होठ अभी भी सूजे हुए लग रहे थे,मैंने उसे अपने हाथो से छुआ और मेरी चिंता देख कर दीदी मुस्का दि,
'फिकर मत कर तेरे भी होठ सूजे हुए है,'और दीदी के खिलखिलाने की आवाज पुरे कमरे में फ़ैल गयी...उनका यु खिलखिलाना मुझपे फिर से प्यार का रंग चढ़ा दिया और मैं फिर दीदी के ऊपर टूट पड़ा....
ना जाने कितने देर और कितने बार तक हम एक दूजे के होठो का रसपान किया और अपने होठो को युही मिलाये हम नींद के आगोश में चले गए ....

ना जाने कितने देर और कितने बार तक हम एक दूजे के होठो का रसपान किया और अपने होठो को युही मिलाये हम नींद के आगोश में चले गए ....(अध्याय 12 से )
उसी रात
राहुल अपने कमरे में बैचैन सा घूम रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था की कैसे वो उन विडिओ को देख पायेगा,कही उसके दिल में नेहा दीदी के लिए बुरे विचार ना भर जाए,पर उसे देखना तो था ही,वो लेपी ऑन करता है,और वो फोल्डर खोलता है,उसने जो विडिओ अधूरी छोड़ दि थी वो वही से सुरु करता है,नेहा दीदी रूम से निकलती है और परमिंदर फिर उसे अपने पास खीचने की कोशिश करता है पर वो उसे धक्का से देती है और
'अब आज का कोटा पूरा हो गया है ,कभी और मिलूंगी लेकिन ऐसी हरकत दोबारा की तो सोच लेना,मैं आपको प्यार करती हु आपको मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोई जरुरत नहीं है लेकिन शादी के बाद,'परमिंदर चाह कर भी कुछ नहीं कर पता दीदी कपडे पहनती है और परमिंदर को किस करती है,और वह से निकल जाती है,
राहुल चैन की सांसे लेता है,लेकिन अभी तो शुरुआत थी,अभी तो बहुत कुछ जानना बाकी था,राहुल सोचता है की क्यों ना दुसरे फोल्डर भी चेक किये जाए,वो फोल्डर के नाम पड़ने लगता है ,जिसमे एक फोल्डर आयशा का भी था,उसे खोलने पर उसे कुछ खास नहीं मिलता बस एक दो विडिओ और कुछ फोटोज थी शायद ये परमिंदर के लिए नयी चिड़िया थी,परमिंदर ने उसके साथ कुछ किया भी नहीं था ना ही कोई नूड फोटोज थे बस कुछ सेमी नूड फोटोज थे राहुल समझ गया की अपनी इज्जत बचने के लिए उसने ऐसा किया होगा,लेकिन एक और नाम पर राहुल की नजर रुक गयी वो नाम था प्रीति ,
'इसकी माँ का ,मादरचोद हो क्या रहा है कॉलेज में,सारी स्कूल की लडकियों को यही फसा के रखे है,'राहुल बड़ा ही गंभीर था फिर भी उसके चहरे पर एक स्माइल आ गयी,क्योकि वो प्रीति को जानता था, प्रीति कोई शरीफ लड़की नहीं थी वो तो राहुल जनता था पर वो भी परमिंदर के चुंगुल में होगी ये उसे उम्मीद नहीं थी असल में प्रीति राहुल और आकाश की ही क्लास में थी,और उनके साथ जिम भी जाती थी लडको को अपने अंग दिखाना उसे खासा पसंद था,उसके पीछे तो सारा स्कूल दीवाना था सिर्फ दो लोगो को छोड़ कर एक आकाश और दूसरा राहुल...राहुल था तो लौंडी बाज पर उसे टाइट माल ही पसंद आते थे और वो जानता था की प्रीति फैली हुई है,लेकिन वो उससे बहुत छेड़खानी करता था और वो उसकी बहुत अच्छी दोस्त भी थी,प्रीति राहुल के घर के पास ही रहती थी और उसके घर वाले राहुल पर बहुत भरोसा भी करते थे,दोनों साथ ही बड़े हुए थे..समझ लीजिये की फ्रेंड्स विथ बेनिफिट वाला मामला था बस राहुल जादा बेनिफिट नहीं उठता था,और सबसे बड़ी बात ये थी की प्रीति को एक ही लड़का दिलो जान से पसंद था जो उसे घास भी नहीं डालता था,जी हा सही समझे वो था मैं यानि आकाश,..
राहुल ने जल्दी से वो फोल्डर खोला देखा की यहाँ तो लगता है कोई पोर्न की साईट ही खोल दि हो राहुल देख के दंग रह गया की इतने विडिओ उसने सलेक्ट आल किया तो पता चला साला 135 विडिओ है उसके फोटो एक भी नहीं थे उसने पहला विडिओ ओपन किया लेकिन उम्मीद से बाहर उसे जो दिखा वो देख के दंग रह गया प्रीति पहले ही विडिओ में दो लोगो के साथ हवस का खेल खेल रही थी ,पहला था विक्की जो विडिओ चालू होने पर पहले सोया हुआ दिखाई दिया और प्रीति उसके ऊपर पुरे जोश में उछल रही थी और दूसरा बन्दे का चहरा तो नहीं दिखाई दे रहा था क्योकि वो विडिओ शूटिंग कर रहा था ऐसे राहुल समझ गया की दूसरा नानू ही होगा ,
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RE: Bhai Behen Chudai मैं ,दीदी और दोस्त - by sexstories - 08-22-2018, 10:55 PM

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