RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
मेरी नसों मे तनाव आया और मेरे लंड ने उसकी चूत मे पानी छोड़
दिया. मैने अपना लंड उसकी वीर्य से भरी छूट से बाहर निकाल
लिया. सोनाली ने मेरे चेहरे को अपने हाथों मे लिया और मुझे चूमने
लगी.
उस रात हम बिस्तर पर लेटे थे. सोनाली का चेहरा मेरी छाती पर
था और वो मेरी छाती के बालों मे अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी.
मुझे आज लगा कि सोनाली से मुझे आखरी फ़ैसला कर ही लेना चाहिए.
आख़िर हर चीज़ की एक हद होती है.
"डार्लिंग मुझे लगता है कि हमे बात कर लेनी चाहिए." मैने कहा.
"मुझे पता है." सोनाली ने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा.
"ठीक है मेरी बात सुनो. मुझे लग रहा है कि हालात अब हमारे बस
मे नही है. मेरा मतलब है कि जब तक में और तुम फिर बाद मे
तुम्हारा परिवार तब तक तो सब ठीक था. पर अब बाहर के लोग भी
चुदाई मे शामिल हो रहे है…………तुम समझ रही हो ना में क्या कह
रहा हूँ." मैने कहा.
"हां में समझ रही हूँ जो तुम कह रहे हो. में जानती हूँ अमित
हमारी शर्त का हिस्सा नही था. और मेरा विश्वास करो में दिल से भी
नही चाहती थी पर सब कुछ इतना जल्दी हो गया कि में कुछ कर
नही पाई. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो." सोनाली लगभग रोते हुए बोली.
"चलो इस बार तो ठीक है, पर दूसरी बार………तुम्हे पता नही कब कौन
तुम्हारी जिंदगी मे आ जाएगा."
सोनाली थोड़ी परेशान सी मेरी तरफ देखने लगी, "दूसरी बार से
तुम्हारा मतलब क्या है?"
में उसके बालों पर हाथ फिराने लगा. वो मेरी आँखों मे देख समझ
गयी के मेरा कहने का मतलब कुछ ग़लत नही था.
"तुम सही कह रहे हो राज. मुझे पता नही कि पिछले कुछ महीनो से
मुझे क्या हो गया है. इन सब बातों के पहले मैने सपने मे भी
नही सोचा था कि में ऐसा कुछ करूँगी. जब विजय ने मुझे पहली
बार चोदा तो में समझी कि अच्छा हुआ जिससे में अपने परिवार और
करीब आ गयी. में मेरे परिवार का हिस्सा बन गयी और मुझे मज़ा
भी आने लगा." सोनाली ने कहा.
"मुझे पता है, और तुम ये भी अच्छी तरह जानती हो कि में कभी
भी तुम्हारे परिवार या तुम्हारी ख़ुसी की रुकावट नही बनूंगा." मैने
कहा.
"हां मे जानती हूँ." सोनाली मुस्कुराते हुए बोली.
मैने एक गहरी साँस ली. में जानता था कि जो मैं कहने जा रहा
था वो बड़ा मुश्किल था पर एक दिन तो कहना ही था.
"सोनाली मैने तुमसे प्यार करता हूँ और हमेशा करता रहूँगा. पर
मुझे लगता है कि अब ये सब में और नही कर पाउन्गा. मुझे काफ़ी
मज़ा और आनंद आया पर क्योंकि अब में तुम्हे दूसरे मर्दों के साथ
नही बाँट सकता. मुझे एक पक्का और वफ़ा का रिश्ता चाहिए, जैसे
हमारा शुरू मे था."
सोनाली मेरी बात सुनकर खामोश रही.
आख़िर मैने कह ही दिया. उसके परिवार के साथ चुदाई के दौर मुझे
अच्छे लगे थे, मैने अपनी सोच भी काफ़ी चौड़ी कर दी थी. पर
मुझे लगा कि अब मुझे जिंदगी मे आगे बढ़ना चाहिए. अगर सोनाली
के बगैर भी बढ़ना पड़ा तो बढ़ जाना चाहिए.
मैने खामोशी तोड़ी, "सोनाली में नही चाहूँगा कि तुम एक ऐसे
दोराहे पर खड़ी हो जाओ जहाँ तुम्हे तुम्हारे परिवार और मुझ मे से
एक को चुनना पड़े. इससे तो अच्छा है कि हम दोनो एक दूसरे से मिलना
बंद कर दे. फिलहाल कुछ समय के लिए तो नही मिले."
जहाँ तक मुझे याद है, उस रात यही हुआ था. में हादसों को जल्दी
से भूल जाने की कोशिश करता हूँ. मुझे ज़्यादा याद भी नही और ना
ही में याद करना चाहता हूँ.
उस रात के बाद में और सोनाली अपने अपने रास्तों पर आगे बढ़ गये.
हम दोनो एक दूसरे से बात करते रहते है, और काफ़ी बात करते है.
वो खुश है, कोई प्रेमी कोई दोस्त नही. पर हां आज भी उनके घर मे
चुदाई खूब होती है.
सोनाली से अलग होने के एक महीने बाद में गायत्री से मिलने उसके
सहर चला गया. गये एक महीने मैने उससे काफ़ी सारी बात की थी.
पिछली बातों को में अपने दिमाग़ से निकालना चाहता था और जिंदगी
मे कुछ करना चाहता था. में सोनाली की कमी आज भी महसूस करता
हूँ पर मुझे मालूम है मैने सही फ़ैसला किया था.
जब में ये कहानी आप लोगों को लिख रहा हूँ गायत्री मेरे पीछे
खड़ी ये सब पढ़ रही है. मैं उसके बेडरूम मे बैठा हूँ. कहानी
के इस भाग ने उसे गरमा दिया और वो अपनी चूत मे उंगलियाँ कर रही
है. वो मेरे सामने बैठ गयी और जब मैने उसकी आँखों की चमक
को देखा तो समझ गया कि अब मुझे आप लोगों से विदा लेनी होगी.
उम्मीद है आपलोगों को ये कहानी पसंद आई होगी, अपनी राई और
कॉमेंट्स ज़रूर भेजें.
*समाप्त*
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