RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
“कुत्ते...कमीने...त्रिकाल...तू एक माँ से ऐसी हरकतें कैसे करवा सकता है...तेरे लिए तो नरक मे भी जगह नही होगी...” करण अपनी माँ रत्ना द्वारा लौडे चूसे जाने पर बोला.
वो अपने आप पर बहुत काबू कर रहा था फिर भी लगातार चुसाई से उसका लॉडा खड़ा हो गया और किसी मूसल की तरह मोटा लगने लगा. अर्जुन भी यह दृश्य देख रहा था. तभी उसके लोड्े पर भी एक होन्ट आ गये. जब अर्जुन ने देखा तो वो काजल थी. उसकी छोटी बहन जिसे उसने अपनी गुड़िया की तरह पाला पोसा था आज वो उसका लॉडा चूस रही है.
अर्जुन का लॉडा ना चाहते हुए भी खड़ा होने लगा. त्रिकाल और उसकी आदमियो के लिए यह कोई मनोरंजन से कम नही था. फिर त्रिकाल ने काला जादू किया और रत्ना सम्मोहन के प्रभाव मे करण की गोद मे चढ़ कर बैठ गयी और उसके खड़े लौडे को अपनी चूत मे भर लिया. करण अपनी आँखें बंद किए रोता रहा जबकि रत्ना उसके लौडे को सटा सट अपने भोस्डे मे ले रही थी.
वही काजल भी अपने अर्जुन भैया की गोद मे चढ़ कर बैठ गयी और उसके लंड को अपनी गान्ड के छेद मे लेकर उपर नीचे कूदने लगी. त्रिकाल ने उसकी चूत को बलि के लिए बचा कर रखा था. काजल की खुली हुई गान्ड मे उसके थूक से गीला अर्जुन का लॉडा आसानी अंदर बाहर हो रहा था. अर्जुन के लौडे पर काजल की गांद की पीली टट्टी भी लग चुकी थी.
ऐसी घिनोनी हरकत शायद कोई शैतान ही कर सकता है. निशा को यह सब देख कर उल्टी आ रही थी. उसने सोचा कि करण और अर्जुन की वो आख़िरी उम्मीद है. उसने देखा कि सबके नज़र से दूर वो त्रिशूल फेका हुआ है. तभी उसके पाओ तले कुछ रेंगने लगा. जब उसने नीचे देखा तो वहाँ खूब सारे फुफ्कार्ते हुए नाग थे. निशा को लगा वो डर से चिल्ला देगी लेकिन उसने आप पर किसी तरह काबू पाया. उसने ध्यान दिया कि यह सारे नाग वही शिव मंदिर के है. उसे अब विश्वास हो गया कि भगवान शिव भी उनके साथ है.
निशा ने अपनी पूरी हिम्मत और इच्छा शक्ति बटोरते हुए करण के लाए हुए बॅग से चाकू निकाल ली और चुपके चुपके पत्थरो के पीछे से होकर वो करण और अर्जुन की तरफ बढ़ने लगी. त्रिकाल और उसके आदमी सामने का मनोरंजन मे इतना व्यस्त थे कि उन्हे निशा के होना का पता ही नही चला.
त्रिकाल ने काले जादू वाली पुतले बदले. इधर रत्ना ने अपनी चूत से करण का लॉडा निकाला और उधर काजल ने अपनी गान्ड से अर्जुन का लॉडा निकाला. अब रत्ना अर्जुन के लौडे पर अपनी फटी हुई चूत रख कर बैठ गयी और उधर काजल करण के लौडे पर फटी हुई गान्ड रख कर उसके लौडे की सवारी करने लगी.
त्रिकाल हंसते जा रहा था. उसके आदमी लोग भी खूब हंस रहे थे. उन्हे यह पता ही नही चला कि गुफा के ज़मीन पर ढेर सारे ज़हरीले नाग घूम रहे है.
उधर निशा को अपनी ओर चुपके आते हुए करण और अर्जुन ने देख लिया. निशा धीरे धीरे कदमो से उनके पास आई और त्रिशूल को करण के हाथो मे थमा दिया और उसे रस्सी काटकर आज़ाद कर दिया. जब तक त्रिकाल कुछ समझ पाता करण रस्सी से आज़ाद हो गया था. उसने काजल को अपने उपर से हटाया और त्रिकाल पर टूट पड़ा.
तब तक अर्जुन भी आज़ाद हो गया और दोनो खूनी शेरो को अपने उपर हमला करते देख त्रिकाल घबरा गया. उसने अपने आदमियो को करण और अर्जुन को पकड़ने का आदेश दिया पर नागो ने उन्हे वही डस लिया जिससे वो सब के सब मारे गये.
रत्ना ने करण और अर्जुन को त्रिकाल के नार्मूंड की तरफ इशारा किया जिसे वो तुरंत समझ गये कि त्रिकाल की काली शक्तिया उसके नार्मूंड के माला मे है. करण ने निशाना लगाकर त्रिशूल को नार्मूंड की तरफ फेंका जिससे नार्मूंड की माला ध्वस्त हो गयी और त्रिकाल कमज़ोर पड़ गया..
पर त्रिकाल शारीरिक रूप से अभी भी बहुत ताक़तवर था उसने एक कस के घूसा कारण के पेट मे मारा, तो करण के मुँह से खून निकलने लगा. निशा की तो मानो जान ही निकल गयी. त्रिकाल अपना दूसरा वार करने जा रह था पर तभी अर्जुन ने उसके सर पर पास मे पड़ा एक पत्थर दे मारा.
आस्चर्य की बात यह थी कि त्रिकाल को कुछ नही हुआ. उसने वो पत्थर उठाया और वापस अर्जुन पर फेका. अर्जुन कालाबाज़िया ख़ाता हुआ पत्थरो से बच गया.
इतनी देर मे पीछे से करण उठा और अपने पूरी ताक़त से त्रिकाल के घुटनो पर एक जोरदार लात मारी जिससे त्रिकाल गिरा तो नही पर लड़खड़ा गया. इसी मौके का फायेदा उठा कर मार्षल आर्ट्स सीखे करण ने हवा मे लात चलाई जो सीधे त्रिकाल के चेहरे पर पड़ी. लात इतनी जोरदार थी त्रिकाल की नाक से खून बहने लगा.
अर्जुन भी पीछे हटने वालो मे से नही था. त्रिकाल को कमज़ोर होता देख उसने उसकी फटी हुई नाक पर लात घूसो की बरसात कर दी जिससे त्रिकाल का पूरा चेहरा लहू लुहान हो गया.
“करण भैया...अर्जुन भैया...मारो इसे...और मारो...इस शैतान ने आपकी छोटी बहन का बलात्कार किया है...” पीछे से चिल्लाती हुई काजल बोली.
दोनो भाइयो ने एक दूसरे का हाथ थाम लिया और दौड़े हुए त्रिकाल के पास गये.
“यह ले उन 107 लड़कियो के नाम जिन्हे तूने अपने काले जादू के नाम पर उनका बलात्कार कर के उनको मौत के घर उतार दिया...” गुर्राते हुए कारण अर्जुन ने एक साथ जोरदार लात त्रिकाल की छाती पर मारी जिससे उसके मूह से भी खून निकलने लगा.
“यह ले मेरी माँ के नाम...जिन्हे तूने बारह साल से इस गुफा मे बंद रखा...और हम से माँ का साया छीन लिया..” करण अर्जुन ने बोलते हुए एक कस के लात त्रिकाल के पेट पर मारी. जिससे उसके मूह से निकलता खून तेज़ हो गया.
“यह ले सलमा के नाम...जिसे तूने मुझसे छीन लिया...” बोलते हुए अर्जुन पागलो की तरह त्रिकाल के चेहरे पर घूसे मारने लगा.
“यह ले....हमारी फूल सी बहन के नाम जिसे...तूने हम से अगवा कर लिया और उसपे ना जाने कितने सितम ढाए.” बोलते हुए करण ने हवा मे उच्छल कर त्रिकाल के हाथ पर वार किया जिससे उसकी हाथ की हड्डिया चटक गयी. त्रिकाल दर्द से बिलबिला उठा.
“यह ले मेरे आचार्य और उनके परिवार के नाम जिनके साथ तूने घिनोनी हरकत की और उन्हे जान से मार डाला...” कहते हुए अर्जुन ने त्रिकाल के दूसरे हाथ पर वार किया और उसे भी तोड़ दिया. त्रिकाल की दर्द भरी चीख पुर गुफा मे गूँज गयी.
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