RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
“इसमे थॅंक्स कुच्छ नही...अगर कोई औरत अपने परिवार को ख़तरे मे देखती है तो वो चंडिका का रूप ले सकती है..” निशा प्यार से अपने देवर के सर पे हाथ फेरते हुए बोली.
करण भाग कर निशा को गले लगाते हुए बोला, “तभी तुम इतना भारी पत्थर उठा पाई....सच मे निशा तुमने आज बहुत हिम्मत का काम किया है...अब मोहिनी का काम तमाम हो गया.”
“अब अगली बारी है तांत्रिक त्रिकाल की....” अर्जुन त्रिशूल पर से लगे खून को सॉफ करता हुआ बोला.
तीनो अर्जुन की स्कॉर्पियो उठाकर त्रिकाल की गुफा के तरफ चल दिए. त्रिशूल उनको सही दिशा बताए जा रहा था.
अमावस्या की रात आ चुकी थी और करण अर्जुन और निशा तीनो जंगल से रास्ता बनाते हुए त्रिकाल के गुफा मे प्रवेश कर रहे थे.
उधर त्रिकाल यह सब से अंजान अमावस्या की शुभ घड़ी का इंतेज़ार कर रह था जो आज थी. भर घुप्प अंधेरा पसरा था. मौत की काली चादर हर तरफ फैली हुई थी. हर तरफ सिर्फ़ सन्नाटा ही सन्नाटा था. पूरा जंगल मानो त्रिकाल के भय से छुप गया था.
करण अर्जुन और निशा गुफा से रास्ता बनाते हुए त्रिकाल के अड्डे तक जा पहुचे. वहाँ वो एक पत्थर के पीछे से त्रिकाल पर नज़र रखने लगे. उन्हे पता था ही कि त्रिकाल पर अभी हमला करना बेवकूफी होगी क्यूकी अभी वो चौकन्ना था और अपने काले जादू से उनको आसानी से परास्त कर सकता था. वो तीनो त्रिकाल के तन्त्र साधना मे डूबने का इंतेज़ार करने लगे क्यूकी एक वोही ऐसा समय था जब त्रिकाल सबसे कमज़ोर होता था.
तंत्र साधना की पूरी तय्यारी कर ली गयी थी. हर तरफ उसके आदमी काले लबादा ओढ़े तन्त्र मन्त्र और जादू टोना कर रहे थे.
“एक सौ आठवी कुवारि लड़की को बुलाया जाए....” त्रिकाल ने चिल्ला कर कहा.
तभी रस्सी मे बँधी काजल को त्रिकाल के आदमी घसीटे हुए लाए. वो उसकी बालो को इतने ज़ोर से घसीट रहे थे कि उसके सर से बाल नोचे जाने से खून निकलने लगा.
ऐसा ही कुछ दो हफ्ते पहले सलमा के साथ हुआ था. अपनी बहन के साथ भी ऐसा होता देख अर्जुन आग बाबूला हो गया. पर करण ने उसे समझाया और सही समय आने का इंतेज़ार करने लगा.
“हा...हा...हा...आज वो शुभ घड़ी आ ही गयी जब शैतान मुझे हमेशा के लिए अमर बना देगा...हा..हा.हा..” त्रिकाल किसी भयानक राक्षस की तरह लग रहा था.
उसने काजल को एक हाथ से पकड़ा और उसके स्तनो को मसलता हुआ हँसने लगा.
“तू ख़ुसनसीब है लड़की जो तू त्रिकाल के हाथो मर रही है....आज शैतान मेरे शरीर मे समाकर तुझे भोगेगा...तुझसे संभोग करेगा...तुझसे अपनी काम वासना और जिस्म की प्यास बुझाएगा...हा..हा..हा”
अब तक काजल उम्मीद खो चुकी थी. उसे अब विश्वास हो गया था कि उसके भाई उसको बचाने नही आएँगे. अब तक त्रिकाल के आदमी रत्ना को भी बंदी बना कर ले आए थे.
इधर चट्टान के पीछे छुपे अर्जुन से बर्दाश्त नही हो रहा था, उसने और करण ने ना जाने कितने सालो बाद अपनी माँ को देखा था. निशा त्रिकाल के इस भयंकर रूप को देख कर थोड़ा सहमी हुई थी लेकिन अपनी सास रत्ना और ननद काजल को देख कर उसका खून भी दुष्ट त्रिकाल पर उबल रहा था.
“आ शैतान....आ मेरे शरीर मे....और स्वीकार कर इस कुवारि लड़की का जिस्म...फिर मैं चढ़ाउंगा इसकी बलि तुझे...और तुझे अपने वादे के मुताबिक...बनाना होगा मुझे अमर....हा..हा..हा..” कहते हुए त्रिकाल शैतान की ख़ौफफनाक मूर्ति के सामने तन्त्र साधना मे लीन हो गया. उसके बाकी आदमी भी तन्त्र मन्त्र कर रहे थे.
“अर्जुन यही सही मोका है....” करण ने अर्जुन से कहा.
निशा का मन बहुत घबरा रहा था उसने आख़िरी बार करण के होंठो को पूरी शिद्दत से अपने होंठो के बीचा रख कर कुछ पलो के लिए चूसा और उसे कहा, “तुम जहा भी रहोगे...मैं तुम्हारा सात जन्मो तक इंतेज़ार करूँगी...” और उसकी आँखे छलक आई.
“मेरा इंतेज़ार करना निशा....मैं ज़रूर आउन्गा...” कहते हुए करण और अर्जुन ने निशा को वही पत्थर के पीछे छुपा कर छोड़ दिया और हल्ला बोलते हुए मैदान मे कूद पड़े.
अर्जुन के हाथो मे त्रिशूल था. इन दोनो के अचानक आ जाने से पूरी गुफा मे खलबली मच गयी. उम्मीद छोड़ चुकी रत्ना और काजल ने अपना सर उठा के देखा तो पाया कि उसके बहादुर भाई हाथ मे त्रिशूल लिए त्रिकाल को ललकार रहे है.
त्रिकाल की तन्त्र साधना भंग हो चुकी थी. त्रिकाल अर्जुन के हाथो मे त्रिशूल देख कर अपने जीवन मे पहली बार घबराया था. लेकिन उसने तुरंत अपने आपको संभाला अपने एक आदमी को इशारा किया.
“त्रिकाल...आज तेरी यह आख़िरी रात है....गौर से देख यह दोनो चेहरे क्यूकी इनमे तुम्हे मौत दिखेगी..” अर्जुन गुर्राते हुए बोला.
करण भी सीना तान कर खड़ा था, उसने भी ज़ोर से दहाड़ते हुए कहा, “दुष्ट पापी...तेरे पापो का घड़ा अब भर चुका है...इस जनम मे किए हुए पापो का तुझे पाइ पाइ का हिसाब देना पड़ेगा...”
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