RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--13
गतान्क से आगे…………………………….
और फिर रात भी आ गयी ....वो रात जिस का हम दोनों को इतनी बेसब्री ..इतनी तड़प ..इतनी ललक ..इतनी बेताबी थी ...तीन सालों से ....तीन सालों से मिलने की तड़प और हमेशा से एक दूसरे में समान जाने की बेचैनी ..... मैं इस कल्पना मात्र से सीहर जाता ....मेरा लॉडा अभी से तन तना रहा था .... उछल रहा था ....
मैं अपने कमरे में पाजामे के अंदर हाथ डाले अपने लंड को धीमे धीमे सहलाता हुआ दीदी का इंतेज़ार कर रहा था ...
दीदी अपने बच्चों को सूला कर धीमे से दरवाज़ा खोलते हुए मेरे कमरे में अंदर आईं ..
उन्होने दरवाज़ा बंद कर दिया ...मेरी तरफ अपने नपे तुले कदमों से आगे बढ़ती गयीं ..मैने अपना हाथ अपने लंड से हटा लिया ..पाजामे के अंदर बिल्कुल तन्नाया हुआ कड़क खड़ा था ..
दीदी ने एक नज़र उस पर डाली .....मैं पीठ के बल लेटा था ...लंड कड़क इतना था के हिल रहा था..मानों दीदी को सलामी दे रहा हो ..
दीदी ने उसे अपनी मुट्ठी में लेते हुए जोरों से दबाया और मेरे उपर आ गयीं ..अपने जांघों के बीच मेरे लौडे को रखते हुए उसे अपनी चूत के उपर से ही दबाया ....और मुझे अपनी बाहों से जाकड़ लिया ..मैने भी उन्हें जाकड़ लिया ....दोनों एक दूसरे से बूरी तारेह लिपटे थे ..जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार पर टूट पड़ता है.....एक दूसरे को चूम रहे थे....चाट रहे थे ..नोच रहे थे..काट रहे थे ....उफफफफफफ्फ़ ..मुझे समझ नही आ रहा था मैं क्या करूँ....दीदी भी मुझे अपने सीने से जोरों से लगा रखा था ..मानों मुझे अपने सीने के अंदर समा लेंगी....कोई कुछ बोल नहीं रहा था .....साँसें और धड़कानों की आवाज़ आ रही थी ...बीच बीच कपड़ों के फटने की भी आवाज़ आती...
एक दूसरे के कपड़े फाड़ फाड़ हम नीचे फेंके जा रहे थे ....उफफफफफफफ्फ़..क्या माहौल था .....इतनी तड़प थी हम दोनों को .....आख़िर हमने एक दूसरे को बिल्कुल नंगा कर दिया ..कपड़े तार तार हो नीचे पड़े थे ..और हम दोनों नंगे चीपके हुए एक दूसरे को महसूस करते हुए ...चूमते हुए ..काट ते हुए ..चाट ते हुए ..एक दूसरे के उपर..कभी मैं उपर तो कभी दीदी उपर ....हम दोनों पलंग पर लुढ़क रहे थे ......पागलों की तारेह ...मेरा लॉडा उनकी जांघों के बीच ..कभी उनकी चूत की दीवारों के बीच टकराता जा रहा था ..फॅन फ़ना रहा था ....
ओओओओओह..उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ......डिडियीयियी...किशुउऊउ .....बस इतने ही शब्द निकलते हमारे मुँह से ....कभी मैं उन्हें चूमता रहता ..उन्हके होंठ चूस्ता ..उनकी जीभ चूस्ता ..उनकी थूक अंदर लेता ......
उनकी चूत और मेरे लंड से लगातार पानी रिस रहा था .....मेरा लॉडा तो बस दीदी के हाथ में झड़ने को तैय्यार था ..मुझ से रहा नहीं जा रहा था ..
"डीडीिईई..प्ल्ज़ दो ना ...दो ना अपनी चूत ......."
दीदी भी समझती थी मेरी बेचैनी ..मेरे बगल लेट गयीं ..अपनी टाँगें फैला दीं ..चूत भी ...
उफफफफ्फ़ अभी भी उनकी चूत की फाँक टाइट थी .....
उन्होने मुझे इशारा किया ..मैं उनकी टाँगों के बीच आ गया ..मेरे लौडे को अपने हाथ में ले अपनी चूत पर रख दिया ..और एक बार उसे अपनी चूत पर जोरो से घीस दिया ..मैं तड़प उठा ....."आआआआआआआआआआआआआआह ......"
फिर चूत की होल पर रखा और कहा "किशू ..ले मेरी चूत ...मार धक्का .. फाड़ देना हां ....आज मीटा ले अपनी भूक ..मैं जानती हूँ किशू तू कितना इंतेज़ार किया मेरे लिए .. अब रुक मत ..ले चोद ....."
और अपनी टाँगों से मेरी पीठ जाकड़ ली ..
मैने लंड को अंदर पुश किया ...उफफफफफफ्फ़ .. अब तक इतनी गीली हो गयी थी ...फिसलता हुआ अंदर चला गया ......आआआआआः ...इतना मुलायम ..इतना गर्म ....इतनी टाइट .....मैने कभी सोचा ना था .कभी कल्पना में भी ऐसा अनुभव नहीं हुआ .....मैं अंदर डाले उनकी चूत को महसूस करता रहा ..अपने लौडे से उन्हें अपने अंदर समाने की कोशिश करता रहा .... दीदी भी मेरी एक एक बात समझ जाती ..उन्होने अपनी चूतको मेरे लौडे पर घूमाना शूरू कर दिया ..जैसे मेरे लौडे को अपनी चूत के एक एक कोने का मज़ा दे रही हों ..मैने उन्हें जाकड़ लिया ..अपने से चीपका लिया और अंदर ही अंदर लॉडा उनकी चूत में घूमता रहा....
" किशू ....मेरे राजा ..मेला बड़ा बच्चा ...ले ना अब धक्के लगा ना .....अंदर का मज़ा ले लिया ना ....अब मुझे अपने लंड की ताक़त का भी मज़ा दे रे.....कितना सख़्त है ...उफफफफफफफफ्फ़ ...रूकना मत .."
और फिर मैने उनकी चूतड़ अपने हाथों से जकड़ते हुए जोरदार धक्के लगाना शूरू कर दिया
फतच ..फतच और ..पॅच पॅच की आवाज़ से कमरा भर उठा ...
हर धक्के में उनकी चूतड़ उछल जाती , वो " हाइईईई...आआआआआहह ......उईईईईईईईई ...." किए जा रही थीं ..मैं उन्हें तबाद तोड़ चोदे जा रहा था ..अपने कुंवारे लंड की प्यास बूझाता जा रहा था .....उफफफफफफफफफफफ्फ़ ..क्या चोद्ना यही है ..क्या चरम सूख यही है ....उफफफफफफ्फ़ ..मैने इतना इंतेज़ार किया ....सही में इंतेज़ार का फल कितना मीठा और रस से भरपूर था ....
"डीडीिईईईईईईईई ....आआआः दीदी ..बहोत अच्छा लग रहा है ...उफ्फ दीदी .. आप को दर्द तो नहीं हो रहा ना ..?"
" नहीं रे ....मुझे इतना मज़ा आज तक नहीं आया रे ..तू रूकना मत ..बस चोद्ते रहो....."
और मैं पागलों की तरह उन्हें चोदे जा रहा था ...मैं इतना उत्तेजित था ...मेरा लंड उनकी चूत में कड़क और कड़क होता जाता ....".उफफफफफफफफ्फ़ ..हे भगवान यह क्या है ......."
और फिर मैं दीदी को और जोरों से अपनी बाहों में जाकड़ लिया ..दीदी भी अपनी टाँगें और भी टाइट कर लीं मेरी पीठ पर ..मेरा धक्का लगाना बिल्कुल पिस्टन की तारेह ज़ोर पकड़ लिया ..ज़ोर और ज़ोर और ज़ोर ..
"डीडीिईईईईईईईईईईईईई ................"
"हाां मेला बच्चा ...छ्चोड़ दे ..छ्चोड़ अपना रस ...बिल्कुल खाली हो जा ...."
मैं उन्हें जकड़ा था ..मेरी चूतड़ उछल रही थी ..लंड से रस की धार फूट पड़ी थी ....दीदी के चूतड़ उछल रहे थे ...दीदी की चूत भरती जा रही थी .....मेरे वीर्य से ....
मेरा पूरा लंड खाली हो गया पर मेरा मन अभी भी भरा नहीं .....
जब मैने अपना लंड बाहर किया ..पूरी तरह गीला था ..पर दीदी की आँखें फटी की फटी रह गयी
झड़ने के बाद भी मेरा लंड अभी भी तननाया था ..इतनी उत्तेजना थी मुझ में ...
मैने फ़ौरन फिर से उनकी गीली और लाबा लब रस से भरी चूत में अपना लंड पेल दिया
"आआआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......." दीदी कराह उठीं ..पर मैं धक्के लगाना जारी रखा ..उन्हें चोद्ता रहा ,,चोद्ता रहा ...चोद्ता रहा ....
दीदी हाँफ रही थी ..मैं हाँफ रहा था ..पर मेरा चोद्ना जारी था ....
मुझ में एक अजीब नशा , जोश , जुनून था आज ...
कितनी बार झाड़ा और फिर उसी जोश में चोद्ना जारी था ....मेरा लंड ढीला होने का नाम ही नहीं लेता ......यह तीसरी बार था मेरे लगातार चोद्ने की
दीदी की टाँगें ढीली हो गयीं थी..उनकी चूत से रस बाहर टपक रहा था ..मेरा लंड बूरी तरह गीला था...रस से सराबोर ....सुपाडे से रस टपकता हुआ ......
" दीदी ..मैं क्या करूँ ..दीदी देखिए ना आपके लिए कितना तैय्यार है मेरा लंड ...आप के लिए ..आप की चूत के लिए .....दीदी ......मैं क्या करूँ...??"
" हां किशू ..देख ना यह तो इतने गुस्से में है शांत ही नहीं होता ...."
और फिर उन्होने मेरे गीले लंड को अपने हाथों से बड़े प्यार से सहलाना शूरू कर दिया ..उसे चूमने लगीं ..जीभ से चाटने लगीं और फ़ौरन अपने मुँह में ले इतनी जोरों से चूसा ..जैसे मेरे लंड का पूरा पानी अपने अंदर ले लेंगी ...खूब जोरों से चूस रही थी ..जीभ फिरा रही थी .....हाथों से भी सहला रही थी ....
":हााआअँ ऊवू ,,हां दीदी "
और इस बार मैं इतनी जोरों से उनके मुँह में झाड़ा ..जैसे मेरा पूरा बदन खाली हो गया हो..मेरी पूरी जान उनके अंदर समा गयी हो......
मैं झड्ता जा रहा था ..दीदी पूरा रस पीती जा रही थी ....
अब मैं शांत था ..मेरा लॉडा शांत था... ..दीदी के हाथों में ....
दीदी टाँगें फैलाए ..हाथ पसारे आँखें बंद किए लेटी थीं ....अभी भी उनकी साँसें थमी नहीं थीं ...मेरी चूडैई इतनी ताबड तोड़ थी ...मैं भी उनकी बाहों में अपना सर रखे हाँफ रहा था...
" उफफफफफफफ्फ़ ..क्या चुदाई की रे किशू तू ने ......मेरा रोम रोम चोद दिया तुम ने ....सिर्फ़ चूत ही नहीं ...सारा बदन ..मेरा अंग अंग तुम ने आज चोद लिया ....वाह रे तेरा लंड ....." दीदी ने मुझे चूमते हुए कहा .
" हां दीदी ....मैं इतना तडपा हूँ..एक एक दिन मैं और मेरा लंड आप के लिए कितना तरसा है .....तीन साल से जमा सारा रस आज निकल गया ...मुझे कितना अच्छा लग रहा है दीदी ..आप ने मुझे इतना सूख दिया ......आप कितनी अच्छे हो दीदी ..मेरे लिए आप ने कितना सहा आज ....दीदी ..दीदी आइ लव यू सो मच ..." और मैं फिर से उन से चीपकता हुआ उनकी चूचियाँ चूसने लगा ..
"हां रे मैं समझती हूँ ....तू इतना प्यार करता है ना मुझ से ..??? देख ना एक एक धक्का तेरी इस बात की गवाह है ..... हर बार तुम ने मुझे निहाल कर दिया ....इतनी प्यास ..इतनी तड़प ...अफ किशू तुम ने मुझे प्यार से सराबोर कर दिया रे ...मुझे नहला दिया अपने प्यार से ...."
और फिर हम दोनों एक दूसरे को नोच रहे थे ..चूम रहे थे ..चाट रहे थे ....काट रहे थे ..और अगली चुदाई की तैयारी में थे .....
और यह खेल अब तो मेरे और दीदी का नॉर्मल रुटीन बन गया है ...
जब भी मौका मिलता है हम अपना खेल जारी रखते हैं ....
गौरव जीजा जी एक हफ्ते बाद दीदी को ले गये ....
पर दीदी हमेशा आती हैं ....मेरे लिए ..मेरे प्यार के लिए ....जो हमेशा जवान था ..है और रहेगा ......
तो दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
दा एंड.....
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