हर शाम को दफ़्तर से सहाय जी का सेक्रेटरी वो फाइल भेजता था & रजनी हर सुबह उसे चाइ के साथ उन्हे देती थी.इसी बात ने रजनी के दिमाग़ मे इंदर को एस्टेट मॅनेजर की जगह दिलवाने की 1 तरकीब लाई थी.
इस वक़्त रजनी के हाथ मे वही फाइल थी.उसने उसे खोला & सारी अर्ज़िया पढ़ने लगी.6 अर्ज़िया थी जिसमे से 2 उसे ऐसी लगी जोकि सहाय जी को पसंद आ सकती थी.उसने उन दोनो अर्ज़ियो को निकाला & इंदर की अर्ज़ी & उसका बियो-डाटा लगा दिया.कल उसके घर से निकलने के बाद उसे ध्यान आया की उसने इंदर से ये चीज़े तो ली ही नही.उसने उसे फोन करके सारे काग़ज़ात मंगाए & फिर वापस एस्टेट आ गयी.
वो दोनो अर्ज़िया हटाते हुए रजनी का दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था,उसे लग रहा था कि वो कोई ग़लत काम कर रही है.....मगर क्या वो दोनो लोग जिनकी अर्ज़िया उसने अभी फाड़ के कूड़ेदान मे डाली थी इंदर से ज़्यादा अच्छे थे..नही बिल्कुल नही!इंदर उनसे काबिलियत मे किसी भी तरह कम नही था...फिर इसमे ग़लत क्या था?इंदर के प्यार मे पागल रजनी ने अपना सर झटक के ट्रॉली पे चाइ का समान & वो फाइल रखी जिसमे सबसे उपर इंदर की अर्ज़ी थी & किचन से बाहर निकल गयी.
"उम्म्म.....!",अपने कमरे की खिड़की पे खड़ी देविका नीचे लॉन मे चाइ पीते अपने पति को देख रही थी.पीछे से शिवा उसकी चूचिया उसके गाउन के उपर से दबाता हुआ उसके गले पे चूम रहा था.सहाय जी ठीक सवेरे 7 बजे लॉन मे चाइ पीने के लिए बैठते थे & 1 घंटे तक चाइ के साथ अख़बार पढ़ते थे & कुच्छ काम जैसे की अर्ज़िया देखना वग़ैरह करते थे.
देविका 8 बजे उठती थी & प्रसून भी लगभग उसी वक़्त जागता था.घर के बाकी नौकर 8.30 तक काम करने आते थे.सवेरे 6.30 से 8.30 तक केवल रजनी होती थी.इस वजह से दोनो प्रेमियो को सवेरे मिलने का अच्छा मौका मिल जाता था.
शिवा ने देविका को घुमाया & उसे बाहो मे भर लिया,वो आज भी केवल शॉर्ट्स मे था.उसके बालो भरे चौड़े सीने से जैसे ही देविका की चूचिया दबी देविका की चूत मस्त हो गयी.उसने उसके सीने पे बेचैनी से हाथ फिराते हुए चूमना शुरू कर दिया.शिवा उसके गाउन को उपर खींच रहा था & थोड़ी ही देर मे पॅंटी मे ढँकी देविका की गंद की मस्त फांके उसके बड़े-2 हाथो मे मसली जा रही थी.
शिवा के निपल को अपनी जीभ से छेड़ते हुए देविका ने अपनी गर्दन हल्के से दाई ओर घुमा के खिड़की से बाहर देखा,अख़बार मे मगन सुरेन जी की पीठ उसकी ओर थी.1 अजीब सा रोमांच भर गया देविका के दिल मे....उसका पति बस कुच्छ ही फ़ासले पे था & अगर गर्दन घुमा के उपर गौर से देखता तो बहुत मुमकिन था की अपनी प्यारी बीवी की बेवफ़ाई उसे नज़र आ जाती.
इस ख़याल ने देविका के बदन की आग को और भड़का दिया & उसने शिवा के निपल को हल्के से काट लिया,"आअहह..",शिवा करहा & अपने दाए हाथ को उसकी गंद से खींच उसके बाल पकड़ के उसका सर पीछे झुका दिया.देविका ऐसे देखा रही थी मानो कह रही हो की चाहे कुच्छ भी कर लो मैं ये गुस्ताख हरकत ज़रूर दोहरौंगी!
शिवा उसके बाल थामे हुए उसके रसीले होंठ चूमने लगा & बाए हाथ की उंगलियो को उसकी पॅंटी मे नीचे से घुसा के उसकी गीली हो रही चूत को कुरेदने लगा,"..उउंम्म...".होंठ शिवा के होंठो से सिले होने की वजह से देविका बस इतना ही कराह पाई.उसने भी अपना दाया हाथ नीचे ले जाके शॉर्ट्स मे तड़प रहे उसके तने लंड को दबोच लिया.
शिवा की उंगलिया उसकी चूत मे अंदर-बाहर हो उसकी आग को और भड़का रही थी & वो भी उसके तगड़े लंड को हिलाकर उसके जोश मे इज़ाफ़ा कर रही थी.बहुत दिन हो गये थे उसे अपने प्रेमी के शानदार लंड का स्वाद चखे हुए.ये ख़याल आते ही डेविका शिवा को चूमना छ्चोड़ उसके गथिले बदन को चूमते हुए नीचे होने लगी.शिवा उसका इरादा समझ गया & जैसे ही वो उसके सीने पे पहुँची उसने अपने हाथो से उसके ढीले-ढले गाउन के स्ट्रॅप्स को उसके कंधो से नीचे खींच दिया.
देविका ने भी बदन को हिलाते हुए गाउन को नीचे फर्श पे गिर जाने दिया & वो जल्दी से नीचे अपने पंजो पे बैठ गयी & शिवा के लंड को मुँह मे भर लिया,"..आअहह....!",अपनी प्रेमिका की कामुक हरकत से बहाल हो शिवा ने उसके सर को थाम कर अपनी आँखे बंद कर अपना सर मज़े मे पीछे झुका लिया.
देविका ने लंड को उठा के उपर की तरफ शिवा के निचले पेट पे दबाया & उसकी जड़ को जहा पे लंड & आंडो की चमड़ी मिलती थी,जीभ से छेड़ने लगी.शिवा मज़े से पागल हो गया.देविका ने जीभ की नोक को नीचे की ओर दोनो आंडो के बीच चलाया & फिर 1 अंडे को मुँह मे भर के इतनी ज़ोर से चूसा की शिवा को लगा की वो अभी ही झाड़ जाएगा.
बड़ी मुश्किल से उसने अपने उपर काबू रखा & झुक के नीचे देखा तो पाया की देविका की चाहत & मस्ती से भरी आँखे भी उसे ही देख रही हैं.देविका ने उस से नज़र मिलाए हुए ही पहले उसके दूसरे अंडे को चूसा & फिर लंड को नीचे कर अपने मुँह मे भर लिया.