उसने सुरेन जी के सीने से सर उठाया & उनकी गर्दन मे मुँह च्छूपा के सोने लगी.दोनो पति-पत्नी 1 दूसरे के सहारे से आश्वस्त तो हो गये थे मगर सुरेन जी ने कुच्छ ग़लत नही कहा था,देविका ने उन्हे भरोसा दिलाने के लिए उन्हे अपनी बातो से समझा लिया था मगर अपने बेटे प्रसून के लिए वो भी उनके जैसे ही चिंतित रहती थी बल्कि शायद उनसे ज़्यादा ही.
और होती भी क्यू ना?प्रसून मंदबुद्धि था.24 साल का हटता-कटता जवान हो गया था मगर उसका दिमाग़ किसी बच्चे से भी कमज़ोर था.उसके मा-बाप को हमेशा यही बात परेशान करती रहती थी की उनके बाद उस बेचारे का क्या होगा.देविका ने इस बाबत 1 बात भी सोची थी मगर अभी तक इस बात के बारे मे पति से बात करने का मौका उसे नही मिला था.पूरी तरह से नींद मे बेसूध होने से पहले उसने मन ही मन तय किया की वो जल्दी ही सुरेन जी से इस बारे मे बात करेगी,फिर उसने आँखे मूंद ली & पति की बाहो मे सो गयी. क्रमशः......................