RE: Chudai Kahani लेडी डाक्टर
मैं दबे कदमों से उसके करीब आया और फिर अचानक मुझे अपने पास पा कर वो सटपटा गयी। उसने जल्दी से किताब टीपॉय पर रख दी। वो बोली... “कितनी गंदी किताब!”
मैं बोला... “आप तो डॉक्टर हैं... आपके लिये ये कोई नई चीज़ थोड़े ही है...”
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुरा दी। मैं भी मुस्कुराता हुआ उसके पास बैठ गया। इतनी देर में उसका गिलास खाली हो चुका था। शायद उत्तेजना की वजह से उसने बियर काफी कुछ ज्यादा ही तेज़ पी थी। खैर मैंने फिर उसका गिलास भर के उसे पकड़ाया। मैंने देखा कि उसकी नज़र अब भी किताब पर ही थी। मैंने किताब उठायी और उसके पन्ने पलटने लगा। वो चोर नज़रों से देखने लगी। मैं उसके थोड़ा और करीब खिसक आया ताकि वो ठीक से देख सके।
वो बियर पीते हुए बड़ी दिलचस्पि से चुपचाप देखने लगी| मैंने पन्ना पलटा जिसमें एक आदमी अपना बड़ा सा लंड एक औरत की गाँड की दरार पर घिस रहा था। फिर एक पन्ने पर एक गोरी औरत दो हब्शियों के बहुत बड़े-बड़े काले लंड मुठियों में पकड़े हुए थी और उस तसवीर के नीचे ही दूसरी तस्वीर में वो औरत एक हब्शी का तेरह-चौदह इंच लंबा लंड मुँह में लेकर चूस रही थी और दूसरे का काला मोटा लंड उसकी चूत में घुसा हुआ था। फिर जो पन्ना मैंने पलटा तो डॉकटर ज़ुबैदा की धड़कनें तेज़ हो गयीं। एक तस्वीर में एक औरत घोड़े के मोटे लंड के शीर्ष पर अपने होंठ लगाये चूस रही थी और दूसरी तस्वीर में एक औरत गधे के नीचे एक बेंच पर लेटी हुई उसका विशाल मोटा लंड अपनी चूत में लिये हुए थी।
मैंने अपना एक हाथ डॉक्टर के कंधों पर रखा। उसने कोई आपत्ति नहीं की। फिर धीरे से मैंने अपना हाथ उसके सीने की तरफ बढ़ाया। वो काँपने लगी और पानी की तरह गटागट बियर पीने लगी। धीरे-धीरे मैं उसकी छातियों को सहलाने लगा। उसने आँखें बंद कर लीं। उस वक्त वो सलवार और स्लीवलेस कमीज़ पहने हुई थी। मेरी अंगुलियाँ उसके निप्पल को ढूँढने लगीं। उसके निप्पल तन कर सख्त हो चुके थे। मैंने उसके निप्पलों को सहलाना शुरू किया। वो थरथराने लगी।
अब मेरा हाथ नीचे की तरफ बढ़ने लगा। उसकी कमीज़ ऊपर उठा के जैसे ही मेरा हाथ उसकी नंगी कमर पर पहुँचा तो वो हवा से हिलती किसी लता की तरह काँपने लगी। अब मेरी एक अँगुली उसकी नाभि के छेद को कुरेद रही थी। वो सोफे पर लगभग लेट सी गयी। उसका गिलास खाली हो चुका था तो मैंने गिलास उससे ले कर टेबल पर रख दिया।
मैंने अपने हाथ उसकी टांगों और पैरों की तरफ बढ़ाये तो मेरी आँखें चमक उठीं। उसके गोरे-गोरे मुलायम पैर और उसके काले रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडलों के स्ट्रैप्स में से झाँकते, उसकी पैर की अँगुलियों के लाल नेल-पॉलिश लगे नाखुन बहुत मादक लग रहे थे। उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर मैंने सलवार उसकी टाँगों के नीचे खिसका दी। उसकी गोरी खूबसूरत टांगें और जाँघें जिन पर बालों का नामोनिशान नहीं था, मुझे मदहोश करने लगीं। जैसे सगमरमर से तराशी हुई थीं उसकी टांगें और जाँघें। मैंने अपने काँपते हाथ उसकी जाँघों पर फेरे तो वो करवटें बदलने लगी। मुझे ऐसा लगा जैसे मैं पाउडर लगे कैरम-बोर्ड पर हाथ फ़ेर रहा हूँ। पैंटी को छुआ तो गीलेपन का एहसास हुआ। पिंक कलर की पैंटी थी उसकी जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी। अँगुलियों ने असली जगह को टटोलना शुरू किया। चिपचिपाती चूत अपने गर्म होने का अनुभव करा रही थी। मैंने आहिस्ते से पैंटी को नीचे खिसका दिया।
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