RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
मोम को सामने देख दोनों के चेहरे पे हवाइयाँ उड़ने लगीं..दोनों सकते में आ गये ...
मों के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे ..वो बिल्कुल चुप थीं , धीरे धीरे नपे तुले कदमों से आगे बढ़ती गयीं ...
जब वो पास आईं ...दोनों फिर से अवाक़ रह गये ...उनकी आँखें फटी की फटी रह गयीं
मोम की आँखों से आँसुओ की अवीरल धारा फूट रही थी...आँसू बहे जा रहे थे ..आँखों से लगातार निकल निकल कर गालों से होते हुए उनकी नाइटी भींगती जा रही थी .....उनकी तरफ से आँसू रोकने की कोई कोशिश नहीं थी ...आँसू बस बहे जा रहे थे...
शांति उन दोनों के बीच खड़ी हो जाती है ...
शिवानी और शशांक को अपने गले से लगाती है ...और अब फूट पड़ती है ....उसकी हिचकियाँ निकल जाती हैं....
शिवानी और शशांक अभी भी भौंचक्के से मोम को देख रहे थे ..पर उनकी आँखों में आँसू देख उनका डर मिट गया था ....पर आश्चर्यचकित ज़रूर थे मोम के इस रूप को देख ...
तभी मोम कहती हैं.." हां बेटी तू ने बिल्कुल ठीक कहा ..मैं भी वोही करती जो तुम अभी कर रही हो..हां शिवानी ..बिल्कुल वोही करती ..."
थोड़ी देर बाद अपने आप को अलग करती है और आँसू पोंछती है , उन दोनों के बीच एक कुर्सी खींच बैठ जाती है और कहती है ...
" शिवानी बेटा ..तेरा प्यार देख मेरा दिल भर आया ....तू अपना सब कुछ लूटाने को तैय्यार है...अपना सब कुछ ...मैने सब कुछ देखा और सुना ..मैं काफ़ी देर से तुम दोनों की बातें सुन रही थी ...पर शिवानी तुम शशांक को ग़लत मत समझो बेटी ..वो भी हम दोनों को उतना ही प्यार करता है ......मैं जानती हूँ ...अगर तुम किसी और से शादी कर भी लेती ना ..वो हम दोनों के लिए सारा जीवन कुर्बान करने को तैय्यार बैठा है शिवानी ....वो कभी किसी और से शादी नहीं करता ...उसका प्यार समझो...."
शिवानी एक दम से सकते में आ जाती है मोम की बाते सुन कर और भैया को अपनी बड़ी बड़ी आँखों से एक सवालिया नज़र से देखती है ...
शशांक बोलता है.." हां शिवानी मोम ठीक कह रही हैं ..मेरे जीवन में जब तुम दोनों हो मुझे किसी और की ज़रूरत ना आज है ना कभी होगी ..हां शिवानी..."
शिवानी शशांक से लिपट जाती है और अपना चेहरा उपर करते हुए शशांक से बोलती है " भैईय अगर माफ़ कर सको तो मुझे माफ़ कर दो...मैने जाने क्या क्या कह दिया ...उफफफ्फ़ ..मैं अभी भी कितनी ना समझ हूँ ..भैया .."
शशांक उसके चेहरे को अपने हाथ से थामता हुआ कहता है " माफी कैसी शिवानी....वो सब बातें तुम्हारा गुस्सा यह घृणा नहीं थी बहेना .वो भी तुम्हारा प्यार था जो तुम्हें इस हद तक ले आया था ..मैं समझता हूँ .."
"भैया ..मैं कहती थी ना अगर मैं भटक भी जाऊंगी तो आप मुझे संभाल लोगे..?? देखा ना आप ने मुझे संभाला ना.. "
" हां बेटी शशांक जैसे मर्द बिरले ही होते हैं ....हम दोनों खूश नसीब हैं हमें इस जन्म में ही ऐसा प्यार करने वाला नसीब हुआ...वरना लोग तो जान जन्मान्तर तक सच्चे प्यार के लिए भटकते रहते हैं , मैं तो अब इस जन्म में शशांक को पति के रूप में अपना नहीं सकती...पर तू किस्मेत वाली है ...तेरे पास यह विकल्प अभी भी है...."
दोनों फिर से भौंचक्के हो कर मोम की तरफ देखते हैं ....मोम यह क्या बोल रही हैं ..????
थोड़ी देर तक कमरे में सन्नाटे की गूँज भर जाती है...
...उनके लिए प्यार अब इस हद तक पहून्च चूका था जहाँ सेक्स सिर्फ़ शारीरिक भूख मिटाने का एक वजह नहीं रह जाता ... उनके लिए सेक्स अपनी ज़ज़्बातों का एहसास दिलाने का एक ज़रिया बन जाता है .. ..जहाँ बातों का सहारा काफ़ी नहीं था ...उनके लिए प्यार अब अपनी पराकाष्ठा पर था ..जहाँ प्यार अपने आप का संपूर्ण समर्पण था ....और इस हद तक पहूंचने के बाद सेक्स सिर्फ़ भूख नहीं रह जाती ...बल्कि एक मात्रा भाषा रह जाती है एक दूसरे को इस हद तक एहसास दिलाने की.....जहाँ तन , मन और मश्तिश्क सब मिल जाते हैं ...कुछ भी बाकी नहीं रहता ...और एक दूसरे के लिए कुछ ही करने की हिम्मत आ जाती है ....
शांति अपने को इस मनोस्थिति में होने का प्रमाण उन दोनों को देती है ....खुद अगर इस प्यार को खूल कर जीवन पर्यंत भोग नहीं सकती तो अपनी बेटी को क्यूँ इस से वंचित रखें ..
और वो सन्नाटे को तोड़ती हुई बोलती है ..
" देखो तुम दोनों मेरी बातें ध्यान से सुनो , और जैसा मैं बोलूं वैसा ही करो ..मैने तो जितना मेरी किस्मत में था ..शशांक का प्यार अपनी झोली में भर लिया ..पर जब शिवानी के पास इस प्यार को खूल कर भोगने का रास्ता है ...तो वो क्यूँ ना भोगे .?"
" ओह मोम यह कैसे हो सकता है ..?" दोनों एक साथ पूछ बैठ ते हैं..
" हो सकता है बच्चों, हो सकता है..." और फिर शिवानी की तरफ देखती है.." शिवानी तुम ने कहा था शशांक से भगवान ज़रूर कोई रास्ता निकलेंगे.? रास्ता दिखाई देता है मुझे ..."
" वो कौन सा रास्ता है मोम ..??" शशांक पूछता है
" यहाँ तो मुमकिन नहीं ....यहाँ मतलब अपने देश में ..यहाँ कभी ना कभी कोई हमें जान ने वाला मिल सकता है ...तुम दोनों बाहर चले जाओ ...और वहाँ शादी कर लो ... रही शिव की बात ..तो बच्चों समय बड़ा बलवान है ..... .कुछ दिनों के बाद उसे भी यह रिश्ता मंज़ूर हो ही जाएगा ..मैं धीरे धीरे उसे समझाऊंगी ...और तब हम अपना यहाँ का कारोबार समेट कर तुम्हारे साथ आ जाएँगे ...पर यह बाद की बात है ......हां पर एक बात का ख़याल हमेशा , जीवन भर रखना ..मेरे और शशांक के बारे शिव को कभी पता नहीं चलना चाहिए ..वो मुझ से बहोत प्यार करता है ...पता नहीं वो इसे झेल पाएगा या नहीं .."
और शांति चुप चाप बाहर निकल जाती है ....अपना प्यार पीछे छोड़ते हुए ..अपनी बेटी को सौंपते हुए ...
शिवानी और शशांक चुप हैं ..वो समझते हैं मोम पर क्या बीट रही होगी ..पर एक आशा थी ना ...शायद मोम और डॅड भी उनके पास आ जायें..???
उस रात शिवानी फिर से अपना प्यार मोम से बाँट ती है .....शशांक मोम के पास जाता है ...शायद आखरी बार ....यह रात शांति के लिए एक यादगार रात हो जाती है...उसके जीवन भर का सहारा ..पता नहीं उसे फिर कभी शशांक का प्यार नसीब हो या नहीं..???
उस रात शशांक के वीर्य और मोम की चूत के रस से उन दोनों के आँसू भी मिल जाते हैं.....उनका मिलन उस रात संपूर्ण मिलन हो जाता है....शायद कभी ना भूलने वाला...दोनों एक दूसरे का एहसास पूरी तरेह अपने में समेट लेते हैं.......
शशांक अगले दिन से ही अपने आगे की पढ़ाई के लिए यूके की यूनिवर्सिटीस में अप्लाइ करना शूरू कर देता है ...कुछ दिनों के बाद उसे शफ्ल्ड यूनिवर्सिटी से आक्सेप्टेन्स लेटर मिल जाता है ...शशांक जाय्न कर लेता है वहाँ..
शिवानी अपना ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर वो भी उसके पास चली जाती है ..अपने प्यार के पास ....जहाँ उनके बीच संबंधों की कोई रुकावट नहीं.... जहाँ " ना जन्म का हो बंधन " पूरी तरेह सार्थक हो जाता है...
शांति अपना प्यार बाँट लेती है अपनी बेटी से ...
वो जानती है ना ... प्यार बाँटने से कम नहीं होता .....
मित्रो पाठको यहाँ पर ये कहानी ख़तम होती है जल्द ही मिलेंगे एक ओर नई कहानी के साथ
दा एंड !
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