RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शशांक ने मन में ठान लिया था कि आज मोम को सब कुछ सॉफ सॉफ बता देगा ..उसकी नज़रों में उसका अपनी माँ के लिए आकर्षण कोई पाप नहीं था ..यह तो उसका प्यार था ...उसकी माँ से नहीं ..बल्कि एक सुंदर , सुगढ़ और सेक्सी औरत से ..जो उसकी माँ भी थी , पर एक औरत पहले ... माँ के आँचल को वो दाग भी नहीं लगने देगा ... अगर उसकी माँ की औरत ने उसे स्वीकार किया तो ठीक , वरना उसकी किस्मेत ...उस ने आज सर पर कफ़न बाँध लिया था ..चाहे इधर यह उधर ...
शशांक नपे तुले कदमों से मोम के कमरे में प्रवेश करता है...मोम बड़े सहज ढंग से अपनी नाइटी को अछी तरेह समेटे पलंग पर अढ़लेटी थी ..हमेशा की तरेह पीठ टीकाए और पैर सामने की ओर बड़े टरतीब से फैलाए ... उसकी इस सुगढ़ता में भी एक अलग ही आकर्षण था ...
शशांक उसके पैर के पास , चेहरा मोम की ओर किए चूप चाप बैठ जाता है ...
" अरे बेटा वहाँ उतनी दूर क्यूँ बैठा है...आ मेरे पास आ "...और शशांक को अपने बगल बिठा लेती है
" हां बोलिए मोम ..आप कुछ कहना चाहती थी ना..? " शशांक की आवाज़ में एक आत्म विश्वास था ..एक दृढ़ता थी ...शांति उसकी ऐसी आवाज़ से काफ़ी प्रभावीत होती है पर उसे आश्चर्य भी हुआ ..वो तो सोची थी बेचारा डरा सहमा सा होगा ...पर यह तो बिल्कुल निडर और बेधड़क है ....शांति ने सावधानी से काम लेने की सोची.
" अरे कुछ नहीं बेटा ..मैं देख रही हूँ तू आज बड़ा परेशान सा लग रहा था..खाना भी ठीक से नहीं खाया ... तबीयत तो ठीक है ना.? " शांति ने उस से पूछा .
" कुछ नहीं मोम ..मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक है ... खाना मैने बिल्कुल पेट भर के खाया , और खाना तो बहोत टेस्टी था मोम....बल्कि आप बताइए आप की तबीयत ठीक है ना...आप के सर में दर्द था ..."
अब तक शशांक काफ़ी आश्वश्त हो चूका था और बड़ी कॉन्फिडॅंट्ली उस ने मोम को जवाब दिया ..
शांति को कुछ समझ में आ रहा था मामला उतना सीधा नहीं जितना वो समझती थी ..अगर शशांक उसे सिर्फ़ सेक्स की भावना से देखता होता तो उसके बात करने का लहज़ा इतना स्पष्ट और आत्मविश्वास से भरा नहीं होता ..बात कुछ और ही है ....पर फिर किचन में जो हादसा हुआ वो क्या था ? ..शांति सोच में पड़ गयी ..पर बात तो करना था ...शांति ने चूप्पि तोड़ी..
" हां शशांक अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ ... तुम ने कितने प्यार से मेरा सर दबाया .... अच्छा यह बता तू हमेशा मेरी ओर एक टक क्या देखता रहता है बेटा ..मैं क्या कोई अजूबा हूँ ..?? " शांति ने अपने प्रश्न की दिशा को सही रास्ते पर मोड़ने की कोशिश करते हुए पूछा..
" हा हा हा !! मोम आप भी ना ..कैसी बातें करती हो....आप और अजूबा ..??? आप अजूबा नहीं मोम आप नायाब हो ...कम से कम मेरी नज़रों में .." शशांक ने बेधड़क जवाब दिया
" अच्छा नायाब ..? पर किस मामले में "
" हर मामले में.." उस ने फ़ौरन जवाब दिया ...
"फिर भी .... कुछ तो बता ना ...मेरी ईगो ज़रा बूस्ट होगी...." मोम ने उसे उकसाया ..
शशांक फिर हंस पड़ा मोम के ईगो वाली बात से ..." क्या क्या बताऊं मोम...आप की हर बात नायाब है..." शशांक ने मोम की आँखों में देखते हुए कहा ..
" अरे कुछ तो बता ना बेटा ..मैं भी तो सूनू ....प्लीज़ .." शांति ने " प्लीज़ " में काफ़ी ज़ोर देते हुए कहा ...
" ह्म्म्म्मम..ठीक है पहला नंबर तो आप की पर्सनॅलिटी का है ..कितना आकर्षक है ..अभी भी आप की फिगर इतनी अच्छी है...आप ने कितने अच्छे से अपने आप को मेनटेन कर रखा है...दूसरी बात आप की सुंदरता ..तीसरी बात आप हमेशा कितना खुश रहती हो ... आपके चेहरे पे हमेशा मुस्कुराहट रहती है ...चौथी बात आप की नाक ..कितनी शेप्ली है ... आप के चेहरे की सुंदरता को चार चाँद लगा देता है... पाँचवी बात ......"
" बस बस बस .....बाप रे बाप इतनी पैनी नज़र है तुम्हारी ...." शांति ने हंसते हुए शशांक के मुँह पर हाथ रख उसे चूप करती है ...."इतनी बात तो तेरे पापा ने भी नहीं बताई मुझे आज तक...."
" नहीं मोम ..अभी और भी सुनिए मैने यह सब बात आप को एक औरत की तरेह देख कर बताया ...आप . मेरे लिए सुंदरता की देवी हैं ...."
" ह्म्म्म..पर बेटा अगर तुम मुझे एक देवी की तरेह देखते हो तो फिर किचन में तुम ने अपनी देवी का अपमान कर दिया ना ..." शांति ने बड़ी टॅक्टफुली शशांक की ही बात पकड़ते हुए असली मुद्दे पर आ गयी ...
" हां मोम ..मैं समझता हूँ मुझ से बड़ी ग़लती हुई ....पर मैं क्या करूँ ..आप की पूरी पर्सनॅलिटी ऐसी है कि मुझे हर तरेह से प्रभावीत करती है...मेरा दिल , मेरा दिमाग़ ..मेरा एक एक अंग उस से प्रभावीत हो जाता है..आप एक संपूर्ण औरत हैं....और सब से बड़ी बात मैं आप से बेइंतहा प्यार करता हूँ ..बेइंतहा ...."
शशांक मोम की आँखों में झाँकता हुआ कहता है.. उसकी ओर एक तक देखता रहता है..बिना पलक झपकाए और फिर एक दम से चूप हो जाता है ..शांति भी उसके दो टुक जवाब से सन्न रह जाती है ...थोड़ी देर तक रूम में सन्नाटा छा जाता है....दोनों की धड़कनों की आवाज़ भी सॉफ सुनाई देती है....
शांति समझ जाती है कि मामला सही में उतना आसान नहीं था ... शशांक उस पर मर मिटा है ....यही बात अगर उस से किसी और ने कही होती ..तो यह उसके औरत होने की बहोत बड़ी उपलब्धी होती ...उसके औरत होने का कितना बड़ा सम्मान होता ..पर यही बात उसके बेटे के मुँह से ...उफफफ्फ़ ...मैं क्या करूँ ..शांति एक बड़े चक्रव्यूह में फँसी थी ..उसके चेहरे से परेशानी झलक उठती है ... वो उसे डाँट फटकार कर चूप कर सकती थी ..पर वो अब तक शशांक की बातों से जान गयी थी कि डाँटने से बात और भी बीगड़ सकती है ..कहीं शशांक कुछ कर ना बैठे ..उस पर जुनून सवार था अपनी मोम का ....
पर कुछ तो करना ही था ....
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