RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शिव-शांति के घर सुबह की पहली सुनेहरी किरणों के साथ एक सुनहरे दिन की शूरूआत होती है...
शिव अकेला बिस्तर पर पड़ा है...शांति के नशीले होंठों और मदमस्त चूत के रस के खुमार अभी भी है ....उसकी आँखें बंद है पर होंठों पर हल्की मुस्कुराहट .... और तभी शांति चाइ का ट्रे लिए उसके बगल बैठ ती है ....उसके होंठों पर अपने ताज़े ब्रश किए टूथ पेस्ट की तरोताज़ा सुगंध लिए होंठ रख देती है ....यह जानी पहचानी सुगंध शिव को आँखें खोलने का संकेत था ... उस ने आँखें खोली ..और शांति को अपनी बाहों मे ले लिया ....शाँति भी थोड़ी देर उसके सीने से लगी रही ... फिर सीने पर प्यार से मुक्के लगाती हुई उठ गयी ...
" उफफफफफफ्फ़..अब बस भी करो ना शिव... चलो उठो चाय पी लो ..मुझे बच्चों को भी चाइ देनी है ... बीचारे मेरा वेट करते होंगे .." और उसने ट्रे में रखी केटली से शिव के कप में चाइ भर दी और उसकी ओर बढ़ाया ...
शिव अभी भी अपने होंठों पर शांति के होंठों का स्वाद अपनी जीभ फिराते हुए ले रहा था
" शांति ... तुम्हारा यह टूथ पेस्ट बड़ा ही टेस्टी है यार ...पहले वाला इतना टेस्टी नहीं था ....बस एक बार और ..प्लीज़ .."
इतना कहते हुए शिव ने अपने एक हाथ से चाइ का प्याला थाम लिया और अपने होंठ शांति के होंठों पर रख उसे हल्के से चूसने लगा ....
" हद हो गयी ... तुम तो एक बच्चे से भी गये गुज़रे हो ... मैं कितने बच्चों को सम्भालूं ?? .." शांति ने झट से अपने आप को अलग किया ट्रे उठाया और कमरे से जाते जाते कह गयी.." यह टूथ पेस्ट मैने ख़ास तुम्हारे लिए ही लिया है.... "
शिव मुस्कुराता हुआ फिर से अपने होंठ पर जीभ फिरा रहा था....और साथ में गरमा गरम चाइ की चुस्कियाँ भी लेता जा रहा था....
शांति शशांक के कमरे के अंदर आ जाती है... और उसके बेड के बगल साइड-टेबल पर चाइ का कप रखते हुए उसे उठाती है ...
" गुड मॉर्निंग बेटा ....चलो उठो चाइ पी लो .. ठंडी हो जाएगी ... उठो शशांक ..."
शशांक आँखें मलते हुए उठता है....और उसकी नज़र अपनी खूबसूरत माँ पर पड़ती है ...चेहरा बिल्कुल फूलों की तरेह तरो-ताज़ा और चहकता हुआ ....उसका मन भी खिल उठता है ....
" गुड मॉर्निंग मोम ... एक बात पूछूँ ममा..???"
"हां बेटा पूछ ..पर जल्दी कर मुझे तेरी फटाके को भी चाइ देनी है ना ....पता नहीं उठ गयी हो और बस फूटने की तैय्यारि में ही होगी..."
फटाके के जिक्र से शशांक जोरों से हंस पड़ता है ..और पूरी तरेह जाग जाता है...
" हा हा हा.! ममा बस यही तो पूछना था ..आप हमेशा इस तरेह खुश रहती हो और खुशियाँ बीखेरती रहती हो... हाउ कॅन यू डू इट मोम ...और एक दो बार नहीं ..आइ ऑल्वेज़ सी यू स्माइलिंग ... आप की स्माइल कितनी मस्त है...सारा घर हंसता रहता है ..."
" अब इतने अच्छे बेटे और एक फाटका बेटी के होते हुए मैं तो हमेशा हँसती ही रहूंगी ना ..."
शांति ने बड़े टॅक्टफुली शशांक को जवाब दे दिया ....
" वाह मोम तुस्सी ग्रेट हो जी..सुबेह सुबेह इतनी तारीफ कर आप ने तो मेरा मुँह ही बंद कर दिया ..ठीक है जाओ और देखो तुम्हारी फटका बेटी क्या फटका छोड़ती है..."
शांति अपने सुबेह के आखरी और सब से मुसीबत वाली पड़ाव की ओर बढ़ती है... शिवानी अब तक सुबेह की गहमा गहमी और शांति की चहलकदमी से जाग गयी थी और आँखें बंद किए अपनी मोम का इंतेज़ार कर रही थी ... थोड़ा डिंमग गर्म भी हो रहा था ..."अब तक क्यूँ नहीं आई..???"
" उठ जा बेटा .... चाइ पी ले .." शांति ने उसकी तरफ चाइ का प्याला बढ़ाया ..
शिवानी ने मुँह फेर लिया ....
"जाओ मैं नहीं पीती छाई .." शिवानी ने गुस्से से कहा ...
" अले अले ..मेरी रानी बेटी सुबेह सुबेह इतनी गरम ..?? पर क्यूँ..??" शांति ने शिवानी के बाल सहलाते हुए उस से पूछा.
" और नहीं तो क्या ....मैं हू ना सब से बेकार ...सब को चाइ पीला दी और मैं कब से यहाँ पड़ी हूँ ....किसी को मेरा ख़याल भी है..?? "
" ओह कम ऑन शिवानी ऐसी बात थोड़ी है बेटी..मैं तो तेरे साथ चाइ पियूँगी .तभी तो तेरे पास सब से लास्ट में आई .." शांति ने मौके की नज़ाकत समझते हुए यह तीर फेंक दिया...
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