RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
पर आज तो उस रूम से संध्या की सिसकियों और कराहट की आवाज़ भी आ रही थी ....जैसे संध्या किसी से चूदवा रही हो ...
मैं बिना कोई समय बर्बाद किए टेबल पर चढ़ गया और अंदर वेंटिलेटर से झाँका ...मेरी आँखें फटी की फटी रह गयीं .... मैं सोच भी नहीं सकता था कि कोई इस तरेह भी अपनी सेक्स की भूख मिटाने की कोशिश कर सकता है ...
अंदर संध्या ज़मीन पर लेटी थी , बिल्कुल नंगी ...दोनों टाँगें उपर और फैली हुई ....दरवाज़े की तरफ ..एक हाथ से उसने अपनी चूत फैलाई थी .. उसकी गुलाबी चूत की फांकों में दूध और मलाई लगे थे.....शिव लिंग के साथ चूत की घीसाई हो चूकि थी ...दूध और मलाई उसकी चूत , उसकी जंघें ,उसके चूतड़ सभी जगेह फैले थे , चूत से लगातार पानी निकल रहा था और अपनी उंगलियों से चूत सहला रही थी ....चूत पूरी तरेह से खूली थी और दरवाज़े के सामने होने से हमें अच्छी तरेह दीखाई दे रही थी ..उसकी चमकती चूत ..मलाई से लिपटी चूत ... दूध से सनी चूत..उसकी उंगलियाँ गीली हो गयीं थी .. वो सिसकारियाँ ले रही थी ..उसके पैर कांप रहे थे ..पर चेहरे पर एक बेताबी थी ..एक तड़प थी ...उसके चूतड़ भी उछल रहे थे ..उसके पैर भी कांप रहे थे ..पर फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे उसे काफ़ी तकलीफ़ हो रही हो ...उसकी उंगलियाँ चूत पर तेज़ और तेज़ होती जा रही थीं ...उसके चेहरे पे झुंझलाहट साफ नज़र आ रही थी ... वो चिल्ला रही थी '"ऊऊऊऊः ..मैं क्या करूँ ....अया मैं क्या करूँ ...... मैं ....क्य्ाआआआआआआअ करूऊऊऊऊऊं ..." उसकी आवाज़ में गुस्सा , झुंझलाहट सेक्स की अतृप्ति साफ झलक रही थी...इतना सब करने के बावज़ूद वो तड़प रही थी ...वो अभी भी भूखी थी अतृप्त थी ...उसकी चूत को लौडे की गर्माहट चाहिए थी ... उसको किसी की बाहों की जाकड़ चाहिए थी .....उसकी चूचियाँ किसी के सीने से चीपकने को उछल रहीं थीं ..उसके होंठ किसी के होंठों से चुसवाने को फडक रहे थे ....
इन सब के बिना वो अतृप्त थी ....उसका ऑर्गॅज़म अभी भी उस से कोसों दूर था ..वहाँ तक पहून्च्ने की तड़प उसकी आँखों में साफ झलक रही थी ...
वो अपने दोनों हाथ फैलाए चिल्ला रही थी ..आआआआआः ..ऊओ भगवान मैं क्या करू .... आआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...
अब मुझ से रहा नहीं गया ..मैने सोचा दरवाज़ा तोड़ डालूं और संध्या को चोद डालूं .. बूरी तरेह ...
मैं टेबल से नीचे उतर गया और दरवाज़े को धक्का दिया ..... ओह माइ गॉड ..मैं सकते में आ गया ..एक झटके से ही दरवाज़े के दोनों पल्ले खूल गये ..अंदर से कूंड़ा नहीं लगा था ....... .दरवाज़ा पहले से ही ख़ूला था ........ बोलने की ज़रूरत नहीं यह सब किसने और क्यूँ किया होगा ...
आज मुझे समझ आ गया था कि संध्या के अंदर कितनी भयानक , और जोरदार आग लगी थी ..वो मुझे चिल्ला चिल्ला कर इस आग को बूझाने को आवाज़ दे रही थी ...पहली बार वेंटिलेटर खोल कर आज सारी हदें पार कर उस ने दरवाज़ा भी ख़ूला छोड़ दिया था ... उसे स्वेता की भी परवाह नहीं थी ... वो जान गयी थी स्वेता तो खुद भी मेरे रंग में रंगी थी ...
अब और देर करना संध्या के उपर ज़्यादती होगी..... उसके अंदर की औरत के साथ ना-इंसाफी ....उस ने लोक-लीहाज़ की सारी सीमायें लाँघते हुए अपनी भावनाओं का इज़हार किया ... अपने हाथ फैला दिए ...मैं इतना बे - गैरत नहीं था ...
मैने स्वेता को बाहर ही रहने को कहा और खुद अंदर चला गया ...दरवाज़ा अंदर से बोल्ट कर दिया ...और एक झटके में अपनी पॅंट और शर्ट उतार दी ... बनियान और अंडरवेर मैने पहनी ही नहीं थी .. मुझे मालूम था कि आज ऐसा ही कुछ होनेवाला है ....मैं पूरा नंगा खड़ा था , संध्या पूरी नंगी लेटी थी ..बाहें फैलाए
"आआआआआआआह भगवान ने मेरी सून ली ....आआओ प्रीत आआओ ना .....इतनी देर क्यूँ की .....क्यूँ की इतनी देर तुम ने ......ऊऊओ मैं कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हूँ ...आओ भर लो मुझे बाहों में .....आआआाआूओ ..." आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरिइईईईईईईईईईई प्यासस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स बुझाआआआआआआआआअ दो नाआआआआआआ
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