Maa ki Chudai माँ का चैकअप
08-07-2018, 10:49 PM,
#11
RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप
"तो क्या मैं हक़ीक़त में समझू कि तुमने भी मुझे सहर्ष ही एक सेक्शोलोगीस्त के रूप में स्वीकार कर लिया है ? या अब भी तुम्हारे मश्तिश्क में उट-पटांग कयास चल रहे हैं मा ?" ऋषभ ने ममता पर दबाव बनाते हुवे पुछा, वह उसे ज़्यादा सोचने-विचारने का मौका नही देना चाहता था, उसे अच्छे से मालूम था कि उसकी मा निश्चित ही कुच्छ वक़्त और अपने बचाव में तर्क प्रस्तुत करेगी मगर उस वक़्त की अवधि कितनी दीर्घ या लघु होनी चाहिए यह खुद ऋषभ को तय करना था. वर्तमान जैसी जटिल परिस्थिति से उसका सामना पहले कभी नही हुआ था और सही मायने में यह वक़्त उसके बीते सारे अनुभव को परखने का एक स्वर्णिम अवसर था.
"पानी रेशू! मुझे पानी पीना है" ममता ने मूँह खोला भी तो अपनी प्यास बुझाने की खातिर, भले यह प्यास उसके सूखे गले को तरलता प्रदान करने हेतु जागृत हुई थी. ऋषभ ने फॉरन अपनी बाईं ओर स्थापित फ्रिज से बिसलेरी की बॉटल निकाल कर उसके सुपुर्द कर दी और अपनी मा की अगली गति-विधि पर बेहद बारीकी से गौर फरमाने लगता है, यक़ीनन वह जानता था कि आगे क्या होने वाला है और इसी को दूर-दर्शिता भी कहते हैं जो अमूमन राष्ट्र-भक्त राजनैतीग्यों, उन्नत व्यापारियों, प्रसिद्ध वैज्ञानिको, मचलने योगियों और अनुभवी चिकित्सको में कूट-कूट कर भरी होती है.
ममता ने अपने पुत्र के अनुमान को कतयि ग़लत साबित नही किया और बल-पूर्वक बॉटल के ढक्कन को खोल कर उसका मुखाना अपने अत्यंत काँपते होंठो से सटा लेती है, तत-पश्चात कितना पानी उसके गले तक पहुँच पाया या कितना छलक कर उसके वस्त्रो पर आ गिरा उसे खुद अंदाज़ा नही रहता. गलल-गलल का स्वर मानो पूरे कॅबिन में गूँज रहा था और इस बात से अंजान की ऋषभ के चेहरे पर विजयी मुस्कान व्याप्त हो गयी है अती-शीघ्र ममता पानी की पूरी बॉटल खाली चुकी थी.
"मैने इस फ्रिड्ज को सिर्फ़ पानी की बोतलों के भर रखा है मा! क्यों कि यहाँ आने वाले मरीज़ो को प्यास बहुत लगती है. तुम्हे एक बॉटल और दूं ? मेरा अनुमान है कि तुम अभी भी प्यासी होगी" ऋषभ व्यंग करते हुवे बोला, ऐसा नही था कि वह अपनी मा की भावनाओ का मज़ाक उड़ा रहा हो बल्कि उनके दरमियाँ मजबूती से खड़ी विशाल मर्यादित दीवार में वह छोटा सा एक छेद बनाने का प्रयास कर रहा था ताकि सम्पूर्न दीवार तो ज्यों की त्यों बरकरार रहे परंतु आपसी शरम-संकोच में अवश्य घटाव लाया जा सके.
"यह! यह तू क्या कह रहा है रेशू ? नही नही, मुझे और पानी नही पीना" ममता सकपकाई मगर मन ही मन अपने पुत्र की तारीफ़ किए बगैर नही रह सकी. राजेश-ऋषभ के संबंधो में काफ़ी लंबे अरसे से मन-मुटाव चल रहा था और हर भारतीय पतिव्रता नारी की भाँति ममता ने भी सदैव अपने पति का ही साथ दिया था. ऋषभ अपनी ज़िद पर अड़ा रहा और राजेश अपनी मगर उनके बीच-बचाव में पिस गयी ममता. पहली बार उसे अफ़सोस हुवा कि उसे अपने पुत्र को यूँ अकेला नही छोड़ना चाहिए था, एक तरह से पति की नपुंसकता ही वजह बनी थी जो आज उसे अपनी ग़लती में सुधार करने मौका मिला था.
"मैं सच कह रहा हूँ मा और जानता हूँ कि तुम किस रोग से पीड़ित हो, मैने पहले ही कहा था कि तुम्हारी उमर में अक्सर औरतो को सेक्स संबंधी प्राब्लम'स फेस करनी पड़ती हैं तो क्या बदनामी के डर से उन्हे सिर्फ़ घुटते रहना चाहिए ? मैं तुमसे पुछ्ता हूँ मा! क्या मैं वाकाई एक विश्वास करने लायक यौन चिकित्सक नही जिसके साथ कोई रोगी अपने रोग को साझा कर सके, फिर चाहे वो रोगी स्वयं उस यौन चिकित्सक की सग़ी मा ही क्यों ना हो ? क्या तुम्हे भी इसी बात का डर है कि मैं तुम्हे! अपनी मा को बदनाम कर दूँगा ?" आवेश से थरथराते ऋषभ के वे कठोर शब्द किसी तीक्ष्ण, नुकीले बान की तरह तीव्र वेग से ममता के दिल को भेद गये, उसके उदगार पिघले गरम शीशे की भाँति उसके कानो में जा घुसे. अब तक जिस मायूसी, लज्जा, उत्तेजना आदि अनेक भाव से उसका सामना हुवा था उनमें आकस्मात ही शर्मिंदगी का नया भाव भी जुड़ गया. दुख की असन्ख्य चीटियाँ मन-रूपी घायल भुजंग को चारो ओर से काटने लगी.
"आख़िर मुझे हो क्या गया है ? क्यों कि वह मेरा बेटा है! क्या इसलिए मैं घबरा रही हूँ मगर यह बात तो खुशी की है कि उससे अपने रोग को सांझा करने के बाद यक़ीनन मेरी बदनामी नही होगी" ममता ने सोचा. कुच्छ वक़्त पिछे का घटना-क्रम भी उसकी आँखों के आगे घूमने लगा था, जिसमें एक पति के समक्ष ही निचले धड़ से नंगी उसकी बीवी कॅबिन के बिस्तर पर घोड़ी बन कर बैठी हुवी थी और ऋषभ उस औरत की गान्ड के छत-विक्षत छेद का बारीकी से नीरिक्षण कर रहा था.
"रेशू! मुझे ज़रा भी भूक नही लगती, रात मैं ठीक से सो नही पाती, पूरे शरीर में दर्द बना रहता है" उसने बताया.
ऋषभ: "मा! यह सब तो मुझे भी मालूम है, तुम केवल इतना बताओ कि तुम्हे सबसे ज़्यादा तकलीफ़ शरीर के किस हिस्से में है ?"
ममता असमंजस की स्थिति में फस गयी, कभी ऐसा भी दिन उसके जीवन में आएगा उसने सोचा ना था. उनके बीच पनपा यह अमर्यादित वाद-विवाद इतना आगे बढ़ चुका था कि अब उसका पिछे लौट पाना असंभव था और जानते हुवे कि उसका अगला कदम बहुत भीषण परिणामो को उत्पन्न कर सकता है, वह कप्कपाते स्वर में हौले से फुसफुसाई.
"मेरी! मेरी योनि में"
Reply


Messages In This Thread
RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप - by sexstories - 08-07-2018, 10:49 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,498,167 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,030 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,230,308 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 930,658 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,651,793 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,078,907 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,948,376 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,046,851 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,028,439 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,586 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)