RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
सामने बेचारा अंकित हाथ में बुके लिए अपने फेस को बचाने के लिए उपर किया हुआ था
जब रितिका का बोलना बंद हुआ तो उसने सामने देखा....और एक डरी हुई हल्की सी स्माइल दी...
रितिका उसको आँखें फाडे तके जा रही थी......
बेचारा अंकित उसको लगा शायद उसने कुछ ग़लती कर दी तो वो घबराते हुए बोला.
अंकित :- स.सस्स..सॉरी...
रितिका होश में आते हुए..
रितिका :- नो नो..आइ आम सॉरी...वो मुझे लगा कि वही सेल्स मॅन है बार बार परेशान कर रहा था..
इसलिए मेने वो सब..
इधर रितिका बोल रही थी...उधर अंकित की आँखें रितिका पर जम गयी बिल्कुल पहले की तरह...लेकिन इस बार
रितिका और खूबसूरत लग रही थी....चेहरे पे एक अलग ग्लो एक अलग ही क्यूट्नेस..चरम्म ब्यूटिफ्युल्नेस..
झलक रहा था ... गुस्से की वजह से रितिका की नाक लाल हो गयी थी जो उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी..
आज एक अलग ही ड्रेस में रितिका को अंकित देख रहा था..सुंदर गोरा चेहरा उसके ना के बराबर का
मेकप और लाल नाक...कातिलाना चेहरा लग रहा था बिल्कुल....
एक पंजाबी सूट रेड कलर का...उसकी चुन्नी साइड से लाते हुई कमर पे बँधी हुई...
उफ़फ्फ़..कोई इतना सुंदर कैसे लग सकता है...अंकित अपने मन में बोला...
अंकित....क्या हुआ..? रितिका अपने हाथ को अंकित के चेहरे के सामने हिलाते हुए बोलती है..
अंकित होश में आता हुआ.....नही..न.आ.ही...कुक..ह नही..
रितिका :- प्लीज़ कम इन..(दरवाजा छोड़ते हुए अंकित को अंदर बुलाती है)
अंकित अंदर आ जाता है और अपने हाथ में पकड़ा बुके रितिका की तरफ बढ़ाता है..
रितिका :- इसकी क्या ज़रूरत थी..(हाथ से बुके लेते हुए)
अंकित :- ह्म्म बस...इतने दिनो के बाद आया था तो खाली हाथ तो नही आ सकता था ना इसलिए ले आया..
रितिका :- ह्म्म बैठो पंनी लाती हूँ...(और फिर रितिका मटकते हुए पानी लेने चली जाती है)
लेकिन अंकित ने इस बार रितिका की चाल पर ध्यान नही दिया और वो वहीं सोफे पे बैठ गया.....
थोड़ी देर बाद.....
अंकित और रितिका एक ही सोफे पे कुछ ही डिस्टेन्स पे बैठे थे..बिल्कुल चुप...दोनो में से कोई
कुछ नही बोल रहा था....शायद वक़्त इतना गुज़र गया था कि कुछ कहने के लिए नही था और वैसे
भी आखरी मुलाकात भी कुछ ज़्यादा अच्छी नही थी.....
कुछ देर ऐसे ही आपस में उंगलियाँ घिसने के बाद रितिका ने चुप्पी थोड़ी जो शायद अंकित भी
यही चाहता था...
रितिका :- तुम बिल्कुल भी नही बदले....वैसी ही हो..
अंकित उसकी तरफ मुड़ते हुए देखता है..
अंकित :- लेकिन आप बहुत बदल गयी हैं ... थॅंक यू....
रितिका :- थॅंक यू क्यूँ?
अंकित :- अपने मेरी बात रख ली...
रितिका :- उसके लिए तो मुझे थॅंक यू बोलना चाहिए तुम्हे....
अंकित :- नही..आप क्यूँ थॅंक यू बोलोगे जब कि ग़लती तो मेने की थी
रितिका :- नही..ग़लती हम दोनो की थी..लेकिन मेरी ग़लती का एहसास तुमने दिलाया और तुम्हे अपनी ग़लती का एहसास
खुद हुआ...ना जाने में क्या कर रही थी..अगर कोई और होता..तो वो सच में मेरे साथ सब कुछ
आसानी से कर जाता और ना जाने फ्यूचर में वो और क्या क्या करता...(बोलते हुए उसका गला भारी हो
गया आँखें नम हो गयी नाक बिल्कुल लाल हो गयी)
अंकित को लगा कि महॉल फिर से पहले जैसा हो रहा है और वो नही चाहता था कि पहले जैसा माहौल एक बार
फिर से बन जाए..
अंकित :- आपकी नोज...बिल्कुल ऐसी रेड हो गयी मानो किसी ने लिपस्टिक लगा दी हो....
रितिका अंकित की तरफ देखते हुए उसकी बात सुन के हल्का सा मुस्कुरा देती है...
वो उस चेहरे पे मुस्कुराहट ने अंकित के दिल पे एक गहरा वार कर दिया इतनी प्यारी हँसी इतना प्यारा
एहसास था वो अंकित के लिए...अंकित रितिका को घूर्ने लगा उसके चेहरे को अपनी आँखों से निहारने लगा..
रितिका ने देख लिया..लेकिन उसने कुछ कहा नही..वो भी उसकी आँखों में देखने लगी और फिर बोली..
रितिका :- क्या किया तुमने इतना टाइम?
अंकित होश में आते हुए..
अंकित :- बस कुछ पुरानी यादों को भुला के आगे बढ़ गया था और लाइफ के आने वाले टाइम को
अच्छा बनाने की तैयारी...
रितिका :- इसका मतलब तुम मुझे भी भूल गये थे?
अंकित :- नही....में अपनी यादों को भुला था..और यादें उसकी होती है जिसे इंसान अपनी ज़िंदगी में दफ़न
कर देता है...मेने वो वक़्त दफ़न किया जिसमे मेने आप जैसी इतनी प्यारी इंसान के साथ ग़लत किया...
क्रमशः...........................
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