RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
पूरा लंड घुसाने के बाद अंकित रितिका के उपर आ गया और रितिका के चुचे अंकित की चेस्ट में
घुस गये....अंकित ने रितिका के मूह से हाथ हटाया और अपने होंठ उसके होंठ पे रख दिए और
चूसने लगा...2 मिनट तक वो ऐसी ही लेटा रहा...
फिर उसने अपनी कमर हिलानी शुरू की.....लंड बाहर निकाला और एक धक्का मार के चूत के अंदर
डाल दिया......और अपने होंठ रितिका के होंठ से हटा लिए...
और फिर मिशनरी पोज़िशन में धक्का लगाने लगा...लंड को बाहर खिचता और फिर एक बार में तेज
धक्का मार के अंदर घुसा देता .....
रितिका का चेहरा पूरा लाल हो चुका था..अंकित तो बस रितिका की आँखों में देखते हुए धक्के मारे
जा रहा था....
अंकित :- आज मेरी वेर्जिनिटी टूट गयी.......और मेने दी भी किस को..उस पर्सन को जिसे में बेहद लाइक करता
हूँ....
रितिका उसकी बातें सुनने लगती है....अंकित धक्के पे धक्के लगाए जा रहा था..
अंकित :- आपको क्या लगता है रितिका जी.....में आपके साथ ये सब इसलिए कर रहा हूँ क्यूँ कि में
आर्नव की ज़िंदगी की कीमत चाहता हूँ...यही लग रहा है ना....
अपने लंड को बाहर खिच लेता है आधा..और फिर तेज़ी से अंदर धक्का मार देता है.....
रितिका के मूह से हल्की सी सिसकी निकल जाती है जिसे वो वहीं दबा देती है....
अंकित :- ऐसा बिल्कुल भी नही है रितिका जी.. (नरम आवाज़ में बोलता हुआ) अरे में तो आपको पहले ही
दिन से लयक करने लगा था....मेरा ये मानना तो बड़ा ही मुश्किल हो रहा था..कि आपका कोई बेटा भी
हो सकता है....आपका ये चेहरा...बस इसके अलावा मेने आपके शरीर में कभी कुछ देखा ही नही...
धक्के की स्पीड तेज कर देता है बेड हिलने लगता है....रितिका भी बुरी तारह से हिल रही थी..लेकिन उसके
फेस पे कोई एक्सप्रेशन नही था...बस वो अंकित की आँखों में देखते हुए उसकी बातें सुन रही थी..
उसने अपने हाथ अंकित के उपर भी नही रख रखे थे....
अंकित :- प्यार तो आपसे कर नही सकता था..पर लाइक बहुत करता था...इस चेहरे से..और दिल से यही चाहता
था कि आप खुश रहे....और अब अगर आपकी खुशी इस में ही है..कि मैं ये सब करूँ तो करूँगा..
अगर आपका वो पुराना चेहरा वापिस पहले जैसा हो जाएगा...इन सब से..तो में ये सब करूँगा आपके
उस मासूम से क्यूट से चेहरे को वापिस लाने के लिए.....
अगर आप इन सब से वही पुरानी वाली रितिका बन जाएगी तो में ये सब करने को तैयार हूँ आपके साथ...
क्यूँ कि मुझे पहले वाली रितिका ही पसंद है...में कभी नही चाहूँगा कि मेरी वजह से पहली वाली
रितिका मर जाए...क्यूँ कि मैं ये सब एक लड़के की वासना के चक्कर में आके नही कर रहा हूँ...
बिल्कुल नही....में तो आपको पसन्द करता हूँ इसलिए ये सब कर रहा हूँ..आपकी खुशी वापिस आ जाए
इसलिए कर रहा हूँ...आपका वो हसीन चेहरा पहले जैसा हो जाए इसलिए कर रहा हूँ...
(बोलते हुए अपनी गर्दन रितिका के शोल्डर पे रख देता है और तेज तेज धक्के लगाने लगता है)
रितिका की आँखें बंद हो जाती है..उसकी आँखों से आँसू निकल के चेहरे पे से होके बिस्तर पे जा
गिरता है...और अपने आप ही उसके हाथ अंकित के बालों पे आ जाते हैं.......
जैसे ही अंकित को रितिका के हाथ अपने सर पे महसूस होते हैं....वो फ़ौरन रुक जाता है और
अलग हो जाता है...और बेड से उतर के नीचे खड़ा हो जाता है....
रितिका बिल्कुल शॉक्ड थी कि अचानक ये हुआ क्या........
अंकित :- लेकिन बस...और में कुछ नही कर सकता...मैं आपकी अच्छाई का फ़ायदा नही उठा सकता...
रितिका जी...मेरा यकीन मानिए मेने आपको कभी उस नज़र से देखा ही नही था...में तो आपको पसंद
करता था...ये जानते हुए कि आप मेरी कभी नही हो सकती...और ये सब भी मेने सिर्फ़ इसलिए किया क्यूँ कि
अगर ये सब करने के बाद आप पहले जैसे हंसते हुए उस प्यारे चेहरे के साथ नॉर्मल हो जाएँगी
तो मैं समझूंगा कि मेने अपनी ग़लती को सुधार दिया है....
(हाथ जोड़ के माफी माँगते हुए) में आपको बहुत लाइक करता हूँ और इस वक़्त मैं आपका फ़ायदा
नही उठा सकता....बॅस ये सब समझाने के लिए मुझे आपके साथ ये सब करना पड़ा..सिर्फ़ इसलिए कि
में आपको बता सकूँ..कि ये सब एक वासना नही थी बल्कि आपके लिए एक प्यार का छोटा सा हिस्सा था..
रितिका उसको घूर्ने लगती है..अंकित आगे बढ़ता है..और चादर उठा के रितिका को ऊढा देता है...
और फिर बाथरूम में घुस के खुद कपड़े पहन के बाहर आता है..
रितिका अपने लेग्स मोड़ के चादर ओढ़े बैठी थी..और सामने देख रही थी...
अंकित :- आपने कुछ ग़लत नही किया....एक माँ के लिए उसका बच्चा ही सब कुछ होता है...और आपने सिर्फ़
आर्नव के लिए ये कदम उठाया था.....इसमे आपकी कोई ग़लती नही है..
लेकिन मेने जो भी किया वो अपनी वासना में आके नही..बल्कि आपको प्यार करने के लिए अपनी ग़लती को
सुधारने के लिए आपसे प्यार बाँटा जिससे आप वो सब भूल जाए जो मेने आपसे कहा था...और शायद
में उसमे सफल रहा ........
रितिका आख़िरी की कही हुई बाते सुन के बाद अंकित को देखने लगती है.......अंकित भी रितिका की आँखों में
देखता है और गेट खोल के बाहर चला जाता है....
रितिका उसके जाने के बाद गहरी सोच में डूब जाती है.....और अपनी आँखें बंद कर के....पीछे बेड
पे अपना सर टिका लेती है...
अंकित तो घर से चला गया....लेकिन रितिका को दुविधा में डाल दिया उसके मन में बहुत
कुछ चल रहा था.....
रितिका अपने आप से बोली....तुम्हे जैसा समझा था वैसे नही थे तुम... अंकित....(और आँखें बंद कर
के फिर सोच में डूब जाती है)
क्रमशः...........................
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