RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
दोनो सोफे पे बैठ जाते हैं.....
अंकित :- आर्नव कहाँ है..
रितिका :- वो...खेलने गया है पार्क में....वैसी आज तुम उसे पढ़ाने आए थे..
अंकित :- नही नही...में तो बस उसके साथ ऐसे थोड़ी सी मस्ती के लिए आया था......
रितिका :- ह्म्म ओके..अच्छा किया तुम आ गये..वो आता ही होगा...
अंकित :- रितिका ऐसा नही लग रहा है कुछ जल रहा है..
रितिका :- ओह्ह तुमसे बात करने के चक्कर में भूल गयी कि गॅस पे कुछ रखा हुआ है मेने..
में अभी आई...
अंकित रितिका को देख रहा था उसने ढीला सा पाजामा पहना हुआ था जिसमे उसकी गान्ड हिलती हुई इतनी
मस्त लग रही थी कि अंकित का बुरा हाल हो गया उसका लंड अकड़न लेने लगा.....
टीशर्ट तो ऐसी पहनी है कि उसमे कुछ दिख ही नही रहा है आज तो..लेकिन क्या मस्त गान्ड लग रही है
(बोलता हुआ अंकित ने अपने लंड को पकड़ लिया)
और कुछ सोचते हुए किचन की तरफ चल दिया....रितिका किचन में काम कर रही थी....
अंकित धीरे धीरे बढ़ता हुआ..रितिका की साइड में जाके खड़ा हो गया..
एक दम अचानक से ऐसे अंकित का वहाँ आना अनएक्सपेक्टेड था रितिका के लिए..इसीलिए वो घबरा गयी...
रितिका :- ओह्ह्ह्ह डरा दिया तुमने तो..
अंकित बस ज़रा सा मुस्कुरा दिया..
रितिका :- तुम यहाँ गर्मी में क्यूँ खड़े हो बाहर बैठो..आराम से में आती हूँ..
अंकित :- आप भी तो हो गर्मी में...
रितिका :- ह्म्म्म...कुछ काम था..मुझसे..
अंकित :- क्यूँ बिना काम के नही आ सकता क्या यहाँ आपके पास..
रितिका :- हहेः..नही नही बिल्कुल आ सकते हो..पर आज तुम कुछ अलग साउंड कर रहे हो...
अंकित :- अच्छा....
बोलता हुआ रितिका के नज़दीक आने लगता है....उसका लंड अपने पूरे ताव में खड़ा था इस वक़्त
अंकित का दिमाग़ बंद पड़ा था..दिल तो बहुत पहले ही खो चुका था वो अपना....
उसने एक दम से रितिका का हाथ पकड़ा और उसे अपने सामने कर दिया..रितिका कुछ समझ पाती इससे
पहले अंकित ने आगे बढ़ के अपने होंठ रितिका के होंठो से चिपका दिए..और उन्हे चूसने लगा
पागलों की तरह नही...बहुत ही गेंट्ली वे में....रितिका की आँखें पूरी खुल गयी..उसे कुछ समझ नही
आ रहा था कि अचानक क्या हुआ उसके साथ..सपने जैसा लग रह था....अंकित तो अपने होंटो से
रितिका के होंठो को चूसने में लगा था..लेकिन रितिका का कोई रेस्पॉन्स नही था...
फिर रितिका भी सपने से बाहर आई..वो समझ गयी कि ये सपना नही हक़ीकत है...उसने अपना पूरा ज़ोर
लगा के अंकित को अपने हाथो के ज़ोर से पीछे धकेला..जिसे अंकित दूर हो गया..रितिका से..इससे पहले
कोई भी कुछ बोलता ..
रितिका ने एक चाँटा अंकित के गाल पे ज़ोर से दे मारा....चटाअक्कक...वो आवाज़ पूरी किचन
में गूँज उठी.......अंकित अपना गाल पकड़ के खड़ा था...
अंकित ने अपना हाथ अपने गाल पे रखा हुआ था..और वो नीची ज़मीन की तरफ देख रहा था...
रितिका सामने खड़े होके उसे घूर रही थी.....वो इतनी ज़्यादा कन्फ्यूज़ थी कि उसे कुछ समझ नही आ रहा
था कि आख़िर ये हुआ क्या...
फिर अंकित ने रितिका की तरफ देखा...उसकी आँखों में जबरदस्त गुस्सा दिख रहा था....
रितिका को भी अंकित का वो गुस्सा दिख रहा था...
रितिका :- व्हाट यू डिड..यू कनव ट्त्ट...हाउ डेर यू
अंकित ने रितिका को बोलने नही दिया वो इस वक़्त फुल गुस्से में था...
अंकित :- ये इंग्लीश अपने पास रख...तो ज़्यादा अच्छा है...एक तो थप्पड़ मारा और उपर से अकड़ दिखा
रही है...(गुस्से में उसने सारी इज़्ज़त की ऐसी तैसी कर दी )
रितिका :- वॉट डिड यू से? (रितिका ने सवालिया नज़रो से पूछा)
अंकित :- क्या व्हाट...क्या व्हाट...ऐसा क्या ग़लत किया मेने कि तुमने थप्पड़ मार दिया...
रितिका :- तुमने कुछ नही किया...तुम नही जानते क्या किया है तुमने अभी...
अंकित :- एक किस ही तो करी है..उसमे कौन सा बड़ा पाप कर दिया है मेने...पहले तो खुद ही
अपने अंग प्रदर्शन कर के जान बुझ के मेरा बुरा हाल कर दिया और अब जब मेने कुछ किया तो
भोली बन रही है....
क्रमशः........
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