RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क आगे.....................
अंकिता ने अंकित की रखी हुई चीज़ों को देखा..जो कि एक कार्ड था और एक रोज़ था..
अंकिता ने वो कार्ड उठाया .... उसे खोला ... वो एक सॉरी कार्ड था...और उसमे एक छोटा सा नोट था..
अंकिता उसे पढ़ने लगी...
वैसी तो एक स्टूडेंट को टीचर के लिए ये सब करना शायद ही पसंद आए किसी को..
क्या लिखूं..कुछ समझ नही आ रहा...पर इतना ही कहना कहूँगा कि आइ आम वेरी सॉरी..में कभी किसी
को हर्ट नही करना चाहता और उनको तो बिल्कुल नही जिन्हे में पसंद करता हूँ..अजीब लगता है पढ़ना
ये..लेकिन क्या एक स्टूडेंट और टीचर फ़्रेंड नही बन सकते..क्यूँ नही बन सकते..में आपको एक फ़्रेंड के
नाते ये कार्ड और साथ में रोज़ दिया..जैसे कल आपने मुझे फ़्रेंड के नाते अपना नंबर दिया था
और में बेवकूफ़ उसे फैंक दिया...बहुत बड़ा पगल हूँ में..
इसीलिए अंकिता मॅम प्लीज़ हो सके तो इस कबाड़ी स्टूडेंट को आप माफ़ कर देंगी...सॉरी...
अंकिता के चेहरे पे एक मुस्कुराहट आ गयी ये पढ़ कर..
अंकिता :- पगल कहीं का..एक नंबर का नौटंकी है ये लड़का.....(फिर उस कार्ड को और रोज़ को बॅग में
डाल देती है)
अंकित मूह लटका के कॉलेज से बाहर निकल गया ... अंकिता के चेहरे पे उसके लिए एक अलग ही एक्सप्रेशन
देख के वो थोड़ा दुखी हो गया था....अब उसका मन नही कर रहा था रितिका के घर जाने का..
तभी उसने सोचा कि आज के लिए फोन कर के मना कर देता हूँ रितिका को...और फोन निकाल के
कॉंटॅक्ट्स में से रितिका को कॉल करने ही जा रहा था कि तभी उसके फोन पे कॉल आ गया...
अंकित :- अन नोन नंबर..... किसका होगा....
(सोचते हुए पिक करता है)
अंकित :- हेलो..
दूसरी तरफ से.....हेलो अंकित..थॅंक यू सो मच..
अंकित सोच में पड़ गया थॅंक यू..लेकिन ये आवाज़ जानी पहचानी सी क्यूँ लग रही है...
अरे..इतना मत सोचो...तुम्हारे कार्ड और फ्लवर के लिए थॅंक्स वैसे तो इसकी ज़रूरत नही थी लेकिन तुमने
एक टीचर और स्टूडेंट के बीच में एक फ्रेंड्स का रिलेशन रखा वो पसंद आया मुझे....
ओ तेरी की अंकिता मॅम का फोन.....अंकित अंदर ही अंदर इतना खुश हो गया कि उसे कुछ समझ नही
आ रहा था कि बोले क्या....
अंकिता :- क्या हुआ...यू आर देअर ?
अंकित :- हाँ..आहा...हूँ..हूँ...(हकलाते हुए)
अंकिता :- ऐसे हकला क्यूँ रहे हो?
अंकित :- नही..नही..कुछ नही...वो ..बस ये सोच रहा था मॅम आपको मेरा नंबर कहाँ से मिला...
अंकिता :- ओफो...सब्जेक्ट में स्मार्ट हो लेकिन हो बुधु...ये भूल गये कि तुम कॉलेज में पढ़ते हो
और तुम्हारे सारे कॉंटॅक्ट्स यहाँ हैं मेरे पास...वहीं से मिला...
अंकित अपने सर पे हाथ मारते हुए....ओ तेरी की...कसम से ये बहुत चालू है..मन में बोलता है..
अंकित :- ओह्ह..हाँ ये तो में भूल गया था....
अंकिता :- अच्छा मिस्टर. मूड मत सडाना में तुमसे कोई नाराज़ नही थी...लेकिन मुझे खुशी मिली कि तुमने
मुझसे सच बोला..
अंकित :- सच कैसा सच?
अंकिता :- यही कि तुमने मेरा नंबर फैंक दिया था...
अंकित :- ओह..उसके लिए आइ आम वेरी सॉरी मॅम..वैसे में बिल्कुल ऐसा नही करना कहता था लेकिन जब
मुझे गुस्सा आता है ना..तो बस पता नही इधर उधर का कुछ नही देखता..दिमाग़ खराब हो जाता है
मेरा..
अंकिता :- रिलॅक्स....रेलकष्कशकश.....में समझ सकती हूँ..इस एज में ऐसा होता है...चलो यार क्लास लेनी है
मुझे और तुम्हारी क्लास का भी टाइम हो गया है..बाद में बात करेंगे...
अंकित :- ओके मॅम थॅंक यू सो मच..
अंकिता :- नो नीड ... बाबयए..
अंकित :- बाबयए.....
(फोन कट)
और एक बार फिर हमारा लोन्डा खुशम खुश.....हंसते हसते...खुशी से पागल दिल में बड़े बड़े
लड्डू दिल में फोड़ता हुआ चल पड़ा अपनी मज़िल की ओर यानी कि रितिका के घर...
1 बजने में 5 मिनट थी...और अंकित जी..टाइम से पहले ही इस वक़्त घर के गेट के बाहर खड़े थे..
थोड़े से नर्वस फील कर रहे थे जो की नॉर्मल था ...
फिर अंकित ने बेल बजाई...2 मिनट बाद गेट खुला....
अंकित :- अरे आर्नव हाउ आर यू क्या हाल हैं आपके.. (गेट आर्नव ने खोला )
अरणाव :- में बिल्कुल ठीक...आप कैसे हो..
अंकित :- में भी बढ़िया..अच्छा देखो में आपके लिए क्या लाया हूँ..
(और फिर अंकित ढेर सारी चॉकलेट निकालता है)
अरणाव फट से वो चॉकलेट डालता है..और अंदर भाग जाता है...मामा मामा चिल्लाते हुए...
अंकित वहीं गेट पे खड़ा रहता है.....
तभी एक आध मिनट के बाद रितिका वहाँ आती है....
रितिका :- अरे अंकित वहाँ क्यूँ खड़े हो अंदर आओ.......(अंकित को देखते ही बोलती है..)
अंकित को एक झटका लगा....आज उसे रितिका का तीसरा रूप देखने को मिला..
बाल उपर की तरफ बाँध रखे थे और पता नही अजीब सा स्टाइल बना रखा था...
नीचे एक ढीला ढाला सा कुर्ता..वाइट डिज़ाइन दार था..और उसके नीचे छोटी सी शोर्ट्सस....ब्लू कलर
की....
एक बार तो अंकित का बुरा हाल हो गया रितिका को ऐसे देख कर...बहुत ही ब्यूटिफुल लग रही थी...
लेकिन फिर अंकित ने अपना ध्यान सही जगह लगाया...
वो अंदर एंटर हुआ....रितिका ने गेट बंद कर दिया..
रितिका :- तुम बैठो में पानी लाती हूँ...
अंकित वहीं सोफ्फे पे बैठ जाता है...उसके दिल की धड़कन ज़ोरों से चल रही थी..
रितिका पानी लाती है..
रितिका :- ये लो....बहुत गर्मी है..रूको में ए/सी ऑन करती हूँ..
अंकित :- नही नही..ठीक है..
रितिका :- अरे क्या ठीक है अपनी हालत देखो पसीने से भरे हो..कॉलेज से आ रहे हो क्या..
(ए/सी ऑन करते हुए बोलती है)
अंकित :- जी..कॉलेज से ही आ रहा हूँ..
रितिका :- यार फिर जी...मेने मना किया है ना..तुमने तो मुझे बुढ़िया ही बना दिया है..
(और फिर हंस देती है)
अंकित भी हल्का सा मुस्कुरा देता है...तभी हॉल में आर्नव आ जाता है..
अरणाव :- ममा..ये देखो अंकित भैया ने मुझे कितनी सारी चॉकलेट दी है...
रितिका :- आर्नव .. इतनी चॉकलेट नही खाते बॅड हॅबिट्स..ममा ने बोला है ना...टीथ्स खराब हो जाएँगे
आर्नव को इतनी चॉकलेट्स देने की क्या ज़रूरत थी...
अंकित :- ह्म्म अब पहली बार आया था..और पता नही था क्या दूं..तो में आर्नव के लिए चॉकलेट
ले आया...
रितिका :- उसकी कोई ज़रूरत नही थी...बिना गिफ्ट के भी आ सकते थे..
अंकित :- तो फिर आपने भी तो इतना एक्सपेन्सिव गिफ्ट दिया था..जिसकी ज़रूरत नही थी..
रितिका :- वो तो खुशी से दिया था..
अंकित :- तो ये भी खुशी से दिया है और वैसे भी मेने आर्नव को दिया है..आपको थोड़ी ही क्यूँ आर्नव
आर्नव :- हाँ....
फिर थोड़ी देर ऐसे ही बातें चलने लगती है...2 बज जाते हैं....
रितिका :- भूक लगी है लंच करें....
अंकित अपनी गर्दन हाँ में हिला देता है..
फिर तीनो लंच करने लगते हैं..लंच करते हुए..
रितिका :- कॉलेज कैसा चल रहा है अंकित?
अंकित :- बढ़िया चल रहा है..अभी तक तो..
रितिका :- कोई प्राब्लम आए तो ज़रूर बताना...
अंकित :- बिल्कुल..बताऊगा..आपकी हेल्प की ज़रूरत पड़ेगी...जब प्रॉजेक्ट बनाने का टाइम आएगा...
रितिका :- ह्म्म..वैसे कौन से सब्जेक्ट में इंटरेस्ट है..?
अंकित :- जावा में..
रितिका :- ह्म्म गुड..
अंकित :- रितिका जी एक बात पूछूँ?
रितिका :- नही...नही पूछ सकते...
अंकित अपना सर झुका लेता है और फिर खाने लगता है..
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