RE: Adult kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
रात के करीब 1 बजे में पेशाब लगने के कारण उठी, तो में रूम से बाहर निकल कर बाथरूम की तरफ जाने लगी. मेने देखा कि , उनके रूम में अभी भी लाइट जल रही थी. और अंदर से नीता की सिसकारियों की आवाज़ आ रही थी. मुझे तो बस यही डर सता रहा था कि, कही रामा और सोनिया को कुछ पता ना चल जाए. पर किसी तरह रात काट गयी. सुबह हुई तो मेने उनके रूम के डोर पर नोक कर उन्हे उठाया.
रामा और सोनिया पहले ही चाइ नाश्ता तैयार कर चुके थे. अमित और नीता उठ कर फ्रेश हुए, नाश्ता किए और जाने की तैयारी करने लगी. में घर के काम में लगी हुई थी, तब नीता मेरे पास आई. “अच्छा रेखा अब हमे चलना है” पर जाने से पहले मुझे तुझसे कुछ ज़रूरी बात करनी है.”
में: हां बोल ना.
नीता: देख टू तो जानती है कि, अमित का इस दुनिया में कोई नही है, और वो अपने दोस्त के साथ उसके रूम में रह रहा है. अमित अपने लिए रूम ढूँढ रहा है, और तुम्हारे पास तो इतने रूम खाली पड़े है. हो सके तो इसको अपने घर में रूम किराए पर दे दे. तेरा खर्चा पानी भी चलता रहेगा. देख ये तुझे महीने के 5000 रुपये देता रहेगा. बस एक आदमी का खाना ही देना पड़ेगा तुझे.
में नीता की बात सुन कर चुप हो गयी. में जानती थी कि, अमित देखने में चाहे ही बच्चा लगता हो. पर नीता के साथ रह कर वो कुछ ज़्यादा ही मेच्यूर हो गया है. और मेरे घर में दो जवान बेटियाँ भी तो थी. इसीलिए में उससे हां नही कर पा रही थी.
में: नीता मुझे सोचने के लिए कुछ वक़्त चाहिए. तू तो जानती है ना कि, घर में दो दो जवान बेटियाँ है.
नीता: हां में समझ सकती हूँ. वैसे अमित वैसा लड़का नही है. बहुत ही समझदार है. में उसे समझा भी दूँगी. बाकी तू सोच ले.
उसके बाद नीता और अमित दोनो घर से चले गये. नीता ने जो 5000 रुपये मुझे दिए थे. उससे हमें बहुत राहत मिली. दिन रात फिर से उसी तरह काटने लगी. मेने बाहर कई लोगो से भी कह दिया था कि, अगर कोई फॅमिली वाला रूम किराए पर रहने के लिए ढूँढे तो उसे हमारे घर के बारे में बता दें.
में नही चाहती थी कि, में अपने घर पर किसी अकेले लड़के को रखूं. जो मेरे ही लड़कियो की उमेर का हो. में उन्हे समाज की इस गंदगी से बचा कर रखना चाहती थी. मेरा यही सपना था कि, वो अपने दामन पर किसी तरह का दाग लिए बिना अपनी ससुराल चली जाए. पर अभी ना तो मेरे पास इतने पैसे थे. और नी ही अभी उन दोनो की शादी की उम्र थी.
अब वो 5000 हज़ार तो ख़तम होने ही थे. और आख़िर कब तो उन पैसों से गुज़ारा होता. दिन बीत रहे थे. एक बार फिर से हमारी माली हालत खराब होती जा रही थी. कभी-2 मुझे लगता कि, उस दिन मेने अमित को कमरा देने से इनकार कर मेने बहुत बड़ी ग़लती कर दी. पर अब ना तो नीता का कोई पता था और ना ही अमित का. में किसी तरह सिलाई का काम करके अपने घर का खरच चला रही थी.
नवमबर का महीना शुरू हो चुका था. अब सर्दियाँ शुरू हो चुकी थी. एक दिन में अपनी छत पर बैठे हुई, धूप में सिलाई का काम कर रही थी. रामा और सोनिया दोनो अपनी सहेली के भाई की शादी में गयी हुई थी. तभी बाहर से डोर बेल बजी. मेने छत की दीवार के पास आकर नीचे देखा तो, नीचे कोई खड़ा था. में उसका चेहरा नही देख पा रही थी.
में: (छत पर से आवाज़ लगाते हुए) जी किसी मिलना है.
मेरी आवाज़ सुन कर उसने ऊपेर की तरफ देखा तो, मेने देखा कि नीचे जो लड़का खड़ा है, वो कोई और नही अमित है. उसने मुझे नीचे से नमस्ते कहा. में नीचे आ गयी, और गेट खोला.
अमित: नमस्ते आंटी जी.
में: नमस्ते बेटा. तुम इधर कहाँ ?
अमित: वो उस दिन शायद नीता आंटी ने आपको बताया हो कि मुझे रूम की ज़रूरत है.
में: हां बताया था. तुम अंदर आओ.
में और अमित अंदर आ गये. मेने उसे रूम में बैठाया. और उसे पानी के लिए पूछा, तो उसने मना कर दिया. “चाइ तो पी लो.” पर अमित ने मना कर दिया ये कह के, उसे थोड़ा जल्दी है वापिस जाना है काम पर. वो लंच टाइम पर घर आया था. मुझे एक बार फिर से कुछ आमदनी की आस हुई. पर मुझे नज़ाने क्यों सही नही लग रहा था. मेरे अंदर हज़ारो सवाल थी. और आख़िर कार मेने उससे अपनी मन की बात कह दी.
में: देखो बेटा मुझे भी रूम को किराए पर देने की उतनी ही ज़रूरत है. जितनी तुम्हें. पर पहले मेरी बात ध्यान से सुन लो.
अमित: जी आंटी बोलिए.
में: देखो अमित में जानती हूँ कि, तुम्हारे और नीता के बीच में किस तराहा का रिश्ता है…..में यी भी जानती हूँ कि तुम उम्र के किस दौर से गुजर रहे हो. और में नही चाहती कि, मेरी बेटियों पर इन बातों का असर पड़े.
तुम समझ रहे हो ना में क्या कहना चाहती हूँ. मेरी दो जवान बेटियाँ है बेटा. हम बहुत ग़रीब लोग है. और हमारी इज़्ज़त के सिवा हमारे पास कुछ नही है. अगर तुम्हे मेरे घर में रूम चाहिए तो, अपनी हदों में रहना होगा.
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