RE: Adult kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
नीता: मुझे बाहों में भरते हुए) ओह्ह हो नाराज़ क्यों हो रही है. वैसे एक बात कहूँ, लड़के में दम बहुत है. मेरी जैसी औरत की भी तसल्ली करवा देता है. लंड नही मानो लोहे का रोड हो. साले का लंड जब भी चूत में जाता है, तो कसम से चूत पानी की नदी बहा देती है.
नीता की बातें सुन कर मेरे बदन में अजीब से झुरजुरी दौड़ गयी. में उसकी ये बकवास बातें नही सुनना चाहती थी. पर नज़ाने क्यों उसके और अमित के बीच की बातें जानने का दिल कर रहा था. अजीब सा अहसास हो रहा था. मेरा पूरा बदन रोमांच के कारण काँप रहा था. यही सोच कर कि, कैसे एक औरत अपने बेटे की उम्र के लड़के से ऐसे संबंध रख सकती है. एक अजीब सी उतेजना मुझमे भरती जा रही थी.
में: पर तू और वो लड़का कैसे ये कैसे हो सकता है. मतलब.
मेरे अंदर छुपी जिग्यासा नीता से छुपी ना रही. और वो मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर बोली.”सब बता दूँगी. आगे चल कर तेरे काम आएगा” ये कहते हुए उसने शरारती मुस्कान के साथ मेरी कमर पर चुटकी काट दी.
में: आहह पागल है क्या कैसी बात करती है.
तभी नीचे सोनिया की आवाज़ आए. “माँ चाय तैयार है. नीचे आ जाओ” में और नीता नीचे आ गये. नीता सीधा रूम में चली गयी. और में किचन में चली गयी. जब में किचन में पहुची तो , मेने देखा सोनिया और रामा दोनो टीवी पर चल रहे सॉंग की आवाज़ के साथ गुनगुना रही थी. आज सच में मेने उनको पहली बार इस तरह खुश देखा था.
टीवी पर चले रहे सॉंग्स और नीता और अमित की माजूदगी ने मानो जैसे इस घर में थोड़ी से जान डाल दी हो. मेने चाइ को कप्स में डाला, और रूम में चली गयी. दोनो को चाइ दी, फिर वहीं बैठ कर नीता के साथ इधर उधर की बाते करने लगी. चाइ पीने के बाद नीता बोली “चल रेखा छत पर चलते है. ऊपर मौसम बहुत अच्छा है”
में नीता के साथ बाहर आई, मेने देखा रामा और सोनिया दोनो खाना बना रही थी. “रामा तुम खाना बनाओ में तुम्हारी आंटी के साथ ऊपेर जा रही हूँ” में और नीता ऊपेर आ गये. बारिश अब पूरी तरह बंद हो चुकी थी. और अंधेरा छा चुका था. मेने ऊपेर वाले रूम से एक चारपाई निकाली और बाहर बिछा दी. और फिर में और नीता वहाँ पर बैठ गये.
में: नीता में कहती हूँ. तू जो ये कर रही है, ठीक नही कर रही. अगर तेरे पति और घर वालो को पता चला तो क्या होगा ?
नीता: क्या मेरा पति. उसे कभी अपने बिज़्नेस से फ़ुर्सत मिले तब तो उसे पता चले. और यार हम औरतें ही क्यों यूँ अपने अरमानो को मार कर घुट-2 कर जीती रहे. कब तक हां. में तो नही जी सकती.
में: पर एक बार उसकी उम्र का तो ख्याल क्या होता. वो बच्चा है अभी, और अगर ग़लती से उसने किसी को तेरे बारे में बता दिया तो,
नीता: तूने आज कल की जेनरेशन को क्या समझ रखा है. डियर ये आज की जेनरेशन हमसे कही समझदार है. और वैसे भी में कॉन सी इसके प्यार में पागल हूँ. बस मेरी ज़रूरत पूरी हो जाती है, और उसकी भी.
में: तू सच में बहुत कमीनी है. कहाँ से पकड़ लाई तू इसे.
नीता: अर्रे यार कुछ नही. अनाथ है बेचारा. तेरे सहर का ही है. पिछली मर्तबा जब में यहाँ अपनी बहन के यहाँ आई थी तो, मेरी बेहन के घर नौकर था.
में: पर ये सब कैसे शुरू हुआ ?
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