RE: XXX Hindi Kahani जवानी की मिठास
विजय ने तुरंत अपना कच्छा उतार कर अपने मोटे लंड को अपनी मा के हाथो मे दे दिया अपने बेटे का मोटा लंड अपने
हाथ मे आते ही रुक्मणी की चूत फड़कने लगी और वह अपने बेटे के उपर अपने शरीर का भार देकर उसके मोटे लंड और
उसकी बड़ी-बड़ी गोटियो को अपने दोनो हाथो मे भर-भर कर दबाने लगी तब विजय ने अपनी मा को गॅस स्टॅंड पर चढ़ा
कर बैठा दिया और उसकी दोनो मोटी जाँघो को खूब फैला कर जब अपनी मा की मस्त फूली हुई चूत को देखा तो पागलो की तरह वह अपनी मा की चूत को चाटने लगा, रुक्मणी मस्ती से भरी हुई आह आह करती हुई अपने बेटे के सामने अपनी जाँघो को और फैला कर अपनी चूत उठा-उठा कर अपने बेटे के मूह से रगड़ने लगी, विजय ने अपने दोनो हाथो से अपनी मा की चूत की फांको को फैला कर उसके गुलाबी छेद को खूब चूसने लगा और एक हाथ से अपनी मा के मोटे-मोटे दूध को भी मसल्ने लगा,
लगभग 15 मिनिट तक विजय अपनी मा की चूत को चाटता रहा उसके बाद विजय ने अपनी मा को नीचे उतार कर उसे ज़मीन पर घोड़ी की तरह झुका दिया और उसकी मोटी गंद को उभार कर अपने मूह को सीधे अपनी मा की मोटी-मोटी गोरी गंद मे लगा कर अपनी मा की गुदा से लेकर चूत तक अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगा, विजय ने अपनी मा की गंद और चूत को चाट-चाट कर
लाल कर दिया, तभी अचानक रुक्मणी को ना जाने क्या हुआ और उसने पलट कर एक दम से अपने बेटे के मोटे लंड को अपने मूह मे भर कर पागलो की तरह चूसने लगी, रुक्मणी खूब कस-कस के अपने बेटे का लंड चूस रही थी और विजय अपने हाथो से अपनी मा की चूत को खुरेद रहा था, विजय ने अपनी मा की चूत मे दो तीन उंगलिया डाल कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और रुक्मणी अपने बेटे के लंड को दोनो हाथो से खूब दबोच-दबोच कर चाट रही थी,
कुछ देर बाद
रुक्मणी-हान्फ्ते हुए बेटे कितना मस्त लंड है तेरा मैं कब से तेरे इस मोटे डंडे को चूसने के लिए तड़प रही थी आज मैं
इसे रात भर चुसुन्गि
विजय- अपनी मा के रसीले होंठो को चूस कर मा मैं भी तो तेरी इस रसीली चूत का रस पीने के लिए कब से तड़प रहा हू आज तू अपने बेटे का लंड चूस मैं अपनी मा की फूली हुई चूत का रस चूस्ता हू और फिर विजय ने लेट कर अपनी मा को उल्टा अपने उपर चढ़ा लिया और अपनी मा की मोटी गदराई गंद को अपने मूह की ओर खींच कर उसके गुलाबी रस से भरी चूत को अपने मूह से पीने लगा उधर रुक्मणी अपने बेटे के उपर चढ़ि-चढ़ि उसका मोटा लंड पीने लगी दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के चूत और लंड को चूसने लगे दोनो ने एक दूसरे के चूत और लंड को चूस -चूस कर लाल कर दिया,
रुक्मणी एक दम से उठ कर अपने बेटे के लंड को अपने हाथो से पकड़ कर उस पर अपनी फटी चूत रख कर बैठ गई और
अपने बेटे के मोटे लंड पर कूदने लगी विजय आराम से लेटा अपनी मा के मोटे-मोटे दूध को चूसने लगा, करीब 10 मिनिट
बाद रुक्मणी एक तरफ लुढ़क कर हाफने लगती है तब विजय अपनी मा की दोनो जाँघो को उपर तक उठा कर मोड़ देता है और फिर उसकी उठी हुई चूत मे अपने लंड का एक ज़ोर दार झटका मरता है कि रुक्मणी के मूह से आह की सिसकारी निकल जाती है,
विजय अब तबाद तोड़ तरीके से अपनी मा की चूत कूटने लगता है, वह हर धक्का इतना ज़ोर से मारता है कि उसका लंड उसकी मा की बच्चेदानी से टकराने लगता है, रुक्मणी हे-हे करती हुई अपने भारी चूतादो को खूब उठाने लगती है और विजय अपनी मा की चूत मे सतसट अपने लंड को पेलने लगता है, बीच-बीच मे विजय जब अपनी मा की फूली हुई चूत देखता है तो अपने लंड को बाहर निकाल कर अपनी मा की चूत बुरी तरह चाटने लगता है,
करीब आधे घंटे तक विजय अपनी मा की चूत को कभी अपनी जीभ से चाटता है कभी अपने लंड से चोदता है, रुक्मणी
अपने बेटे की इस तरह की चुदाई से पानी-पानी होकर अपनी चूत से ढेर सारा पानी छ्चोड़ देती है,
विजय अपनी मा की चूत से अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे अपनी मा के मूह मे दे देता है और रुक्मणी अपने बेटे का लंड फिर से पीने लगती है,
विजय पास मे रखा तेल उठा कर अपनी मा की गुदा मे उंगली डाल-डाल कर तेल लगाने लगता है और अपने होंठो से अपनी मा की चूत भी चूसने लगता है, विजय की पहले एक फिर दो उंगलिया तेल मे भीगी होने से सॅट से उसकी मा की मोटी गंद के छेद मे घुसने लगती है, अब विजय अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा कर अपने लंड को धीरे से अपनी मा की गुदा से लगा कर धीरे-धीरे अपनी मा की गंद मे पेलने लगता है,
रुक्मणी आह आह करती हुई अपनी गंद नाचने लगती है, विजय धीरे-धीरे
अपना आधा लंड अपनी मा की मोटी गंद मे फँसा देता है
आह बेटे ये क्या कर रहा है बहुत खुज़ला रही है मेरी गंद आह आह विजय थोड़ा लंड बाहर खीच कर उस पर और तेल लगा कर एक ज़ोर दार धक्का जब अपनी मा की मोटी गंद मे मारता है तो उसका पूरा लंड अपनी मा की गदराई गंद मे पूरा का पूरा घुस जाता है और रुक्मणी आह मर गई रे आह करते हुए सीसीयाने लगती है, विजय का लंड अपनी मा की गंद मे फसा हुआ और भी सख़्त होकर फूलने लगता है, विजय अपनी मा की गंद को चीर-चीर कर अपने मोटे लंड को सतसट अंदर पेलने लगता है और रुक्मणी ओह ओह करते हुए सीसियती रहती है, विजय धीरे-धीरे अपनी मा की गंद जितना हो सकता था अपने हाथो से फैला-फैला कर चोद रहा था,
उसे बहुत मज़ा आ रहा था और रुक्मणी भी मस्ती मे अपने बेटे के मोटे
लंड को अपनी मोटी गंद मे भरे हुए खूब कस-कस कर मरवा रही थी, कुछ देर बाद विजय ने अपनी मा की गंद पर
चढ़-चढ़ कर उसे चोदना शुरू कर दिया और इतना ज़ोर-ज़ोर से अपनी मा की गुदा को ठोंकने लगा कि पूरे कमरे मे उसके
द्वारा उसकी मा की गंद की ठुकाई की आवाज़ गूंजने लगी, रुक्मणी ने अपनी सारी जिंदगी मे इतनी तगड़ी मार अपनी गंद और चूत पर कभी नही खाई थी जितना तबीयत से आज उसका बेटा उसकी गंद को चोद रहा था,
तभी विजय के लंड का पानी रुक्मणी की गंद मे गहराई तक भर गया और रुक्मणी निढाल होकर पेट के बल लेट गई और विजय भी अपनी मा की गंद मे अपना लंड फसाए-फसाए ही उसकी गंद पर लेट गया, करीब 5 मिनिट तक विजय वैसे ही पड़ा रहा फिर विजय उठ कर एक तरफ लेट गया
और रुक्मणी नशे और चुदाई की मस्ती मे हाफ्ती हुई लेटी रही,
कुछ देर बाद विजय का लंड फिर से खड़ा हो गया और वह फिर से अपनी मा के उपर चढ़ा कर उसकी चूत मारने लगा, इस तरह विजय ने उस रात अपनी मा को पूरी रात नंगी करके चोदता रहा और रुक्मणी ने अच्छे से अपने बेटे से अपनी चूत की आग बुझवाई.
उसके बाद विजय ने करीब 6 दिनो तक अपनी मा को अपने पास रख कर उसकी खूब तबीयत से चुदाई की, फिर विजय उसे लेकर अपने गाँव आ गया, अब विजय बारी-बारी से कभी गुड़िया को और कभी अपनी मा को अपने साथ ले जाता था और उनकी वाहा लेजाकर जम कर चुदाई करता था,
दा एंड
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