RE: Biwi ki Chudai किराए का पति
जब सोनिया मुझसे ये कह रही थी तब में आल्बम लगी फोटोस देख रहा था. अचानक मे एक फोटो को देख कर रुक सा गया उस फोटो को देखने लगा. मीनाक्षी मेरे एक दोस्त की पत्नी थी जिसके साथ मे फूटबाल खेला करता था, और हमेशा उसे चोद्ने के सपने देखा करता था.
"इस आल्बम की हर औरत पैसे के लिए चुद्वाने को तय्यार है." मैने पूछा.
सोनिया ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी. मेने उसे आल्बम वापस लौटाया, "ये वाली."
"तो में ये समझ लूँ की हमारा सौदा अब पक्का है."
"हां सोनिया मुझे ये सौदा मंजूर है."
उस दिन के बाद तो मेरी जिंदगी काफ़ी व्यस्त हो गयी. अगले तीन महीने तक हम प्रेम का नाटक करते रहे. फिर उसके बाद हमारी सगाई की तारीख घोषित कर दी गयी. उसके बाद तो जैसे पार्टीस की लाइन लग गयी. कभी कोई दोस्त पार्टी दे रहा है तो कभी कोई बिज़्नेस असोसीयेट.
उसके बाद शादी की तैयारियो के साथ ही हमारे हनिमून की प्लानिंग. एक शाम या रात ऐसी नही थी कि में सोनिया किसी पार्टी या होटेल मे साथ मे ना हो. शादी के वक़्त तक हमारे प्यार की सचाई पर सभी को विश्वास हो चुका था. प्रेस, मीडीया वाले और दोस्त यार सब हमारे प्यार की मिसाल देने लगे.
अभी तक एक शर्त पूरी नही हुई थी, वो थी 50 लाख रुपये की. मेने सोनिया को कई बार याद भी दिलाया और हर बार उसने यही कहा कि तुम चिंता मत करो हो जाएगा. में भी जानता था कि शादी से पहले तो होगा ही वरना में थोड़ी शादी करने वाला था. दो दिन बाद उसने मुझे एक कन्फर्मेशन लेटर थमाया कि मेरे नाम से बॅंक मे रुपया डेपॉज़िट हो चुका है.
अभी तक मेरी मुलाकात सोनिया के प्रेमी अमित केपर से नही हुई थी. शायद शादी तक सोनिया ने उसे अपने आपसे दूर ही रखा हुआ था. शादी वाले दिन में भीढ़ मे उसे ढूँढने लगा. जितना मेने उसके बारे मे सुना था में जानता था कि वो इतना कमीना इंसान है कि आए बगैर मानेगा नही.
मेरा सोचना कितना सही था. जैसे ही में और सोनिया मंडप की ओर बढ़े वो ठीक ऐन सामने आकर बैठ गया. मेरी उससे नज़रें मिली और में मुस्कुरा दिया. में उसे देख कर अपने आप से कहने लगा, "साले गधे के बच्चे तेरी प्रेमिका आज की रात मेरी रंडी बनेगी. तू चाहे जितना खुश हो ले पर जब भी तू इसे चोदेगा ये दौड़ कर मेरे पास ही आएगी कुत्ते के बच्चे."
शादी की सारी विधि बिना हिचक के पूरी हो गयी. पर आखरी रसम के लिए शायद सोनिया ने अपने आपको तय्यार नही किया हुआ था जब पंडितजी ने कहा, "अब आप दुल्हन को मंगलसूत्र पहना दीजिए."
एक बार तो मेने सोचा कि शायद सोनिया इनकार कर देगी या कुछ बहाना बना देगी पर मुझे क्या पता था कि वो इसकी भी तय्यारी करके आई है. पैसों के लिए रिश्तों और रीवाजों की कहाँ अहमियत होती है. और आने वाले पाच साल मुझे यही सब भुगतना और सहन करना है.
शादी का रिसेप्षन कोई ख़ास नही था. हर रिसेप्षन की तरह लोगों ने हमे बधाई दी और तोहफे दिया. और ठीक पहले से तय वक़्त पर हम दोनो ने कपड़े बदले और में सोनिया को लेकर वहाँ से भाग गया.
रिसेप्षन से ठीक दो किलोमेटेर दूर एक गाड़ी मेरा इंतेज़ार कर रही थी.
"राज ये सब क्या हो रहा है प्लीज़ मुझे बताओ," सोनिया ने पूछा.
"तुम्हारे लिए एक सर्प्राइज़ है जान, थोड़ा इंतेज़ार करो." मैने कहा.
क्रमशः…………………………………..
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