RE: Biwi ki Chudai किराए का पति
किराए का पति--3
गतान्क से आगे……………………………..
"मुझे अपनी चूत चूसवाने मे बहोत मज़ा आता है, पर अमित ऐसा करने से मना करता है, पर तुम अगर मेरी चूत चूसो तो उसे कोई ऐतराज़ नही है सिर्फ़ इतना कि पहले वो मेरी चुदाई करेगा फिर तुम मेरी चूत चूसना. कभी कभी तो वो तुम्हे ऐसा करते देखना भी चाहेगा." सोनिया ने कहा.
"जो तुम कह रही है उसके बारे मे तुमने अच्छी तरह सोच लिया है ना?"
"हां राज मेने सोच लिया है, फिर तुम्हे क्या फरक पड़ता है. प्रीति जब दूसरे मर्दों से चुद्वाकर आती थी तब तुमने कई बार उसकी चूत चूसी होगी. पर उस वक़्त कोई ख़ज़ाना तुम्हारा इंतेज़ार नही कर रहा था, पर इस बार 50 लाख रुपये तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे है. सोचो ज़रा थोड़ी से चूत चूस्कर तुम ये हासिल कर सकते हो. में तुमसे वादा करती हूँ कि तुम्हे चूत की कमी नही होने दूँगी, सिर्फ़ वो मेरी नही किसी और की होगी." सोनिया ने कहा.
में मन ही मन सोचने लगा. मेरी उम्र 36 की होने वाली है, और चूत चूसने से अगर 50 लाख रुपये मिलते है तो बुराई क्या है. इतने रुपये से मेरी बाकी की जिंदगी आराम से कट सकती है.
में सोनिया को घूरते रहा फिर कहा, "मेरी तीन शर्तें होगी, एक, लिखित अग्रीमेंट होगा. दूसरा तुम चाहे जिसका इंतेज़ाम करो मुझे चूत मिलती रहेगी और आखरी और अहम शर्त हमारी सुहागरात सिर्फ़ मेरी होगी सिर्फ़ मेरी. बोलो मंजूर है?" मेने कहा.
"ये सुहागरात वाली बात से तुम्हारा क्या मतलब है?"
"दो बातें है. जैसे तुमने कहा कि तुम्हारा प्रेमी मुझे तुम्हारी चूत चूस्ते देखना चाहता है. पर उस रात नही. में नही चाहता की उस रात वो तुम्हारे पास भी फटके. दूसरी बात वो रात मेरी होगी, पूरी तरह से मेरी ऐसा नही हो कि आधे घंटे मे चुदाई ख़त्म करो और फूटो. उस रात मे अच्छी तरह और हर तरह से तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूँ, तुम्हे मेरा लंड भी चूसना होगा और गंद भी मर्वानी होगी." मेने कहा.
"में ऐसा नही कर सकती राज, ये अमित के साथ बेवफ़ाई होगी."
"तुम कर सकती हो सोनिया. तुम पहले ही मान चुकी हो कि सुहागरात को हम चुदाई करेंगे वो समझौता है बेवफ़ाई नही. फिर समझौता थोड़ी देर का हो या पूरी रात का क्या फरक पड़ता है एक ही बात है."
"नही राज में नही कर सकती, ये ग़लत होगा."
"सोच लो सोनिया या तो हां या फिर तुम किसी और को ढूँढ लो."
"इतनी छोटी सी बात के लिए तुम 50 लाख रुपये छोड़ने को तय्यार हो."
"और तुम 50 करोड़ खो दोगि." मेने कहा.
"में किसी और को भी तय्यार कर सकती हूँ, तुम ये बात जानते हो राज."
"हां तुम कर सकती हो." कहकर मेने टेबल पर मेनू कार्ड उठाया और वेटर को आवाज़ दी.
"राज विषय को बदली मत करो."
"में कोई विषय को नही बदल रहा. हम यहाँ कोई बात करने आए थे, मेने अपनी शर्त तुम्हे बता दी और तुमने उसे नकार दिया तो मेने समझा कि हमारी बात पूरी हो गयी. हम यहाँ खाना खाने आए थे सो वेटर को खाने का ऑर्डर दे रहा था जिससे बाद मे में टॅक्सी पकड़ घर जा सकूँ और तुम्हे मुझे छोड़ने की जहमत ना उठानी पड़े." मेने कहा.
"पर तुम इस एक बात पर क्यों आड़े हुए हो? ऐसी क्या ख़ास बात है इसमे." सोनिया ने कहा.
"मेरी मानसिक हालत के लिए बहोत ज़रूरी है, सोनिया."
"ये तो कोई बात नही हुई राज."
"तुम्हारे लिए नही होगी पर मेरे लिए ये बहोत ज़रूरी है."
"क्या तुम मुझे ज़रा खुल कर समझा सकते हो."
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