RE: Behen Sex Kahani दो भाई दो बहन
........ में चुप चाप वहाँ खड़ा तुम्हे निहारता रहा, तुम दीख ही
इतनी सुंदर रही थी. उस लाल बिकनी मे जकड़ी तुम्हारी अमरूद सी
चुचियों को देख मेरे मुँह मे पानी आ गया. तुम्हारे तने निपल
मुझे दिखाई दे रहे थे और मेरा लंड तनता जा रहा था. बिना
कुछ सोचे में अपने लंड को पॅंट के उपर से मसल्ने लगा........
..........तुम्हारा सपाट पेट मुझे बहोत ही अच्छा लग रहा था. उस
बिकनी मे सिमटी तुम्हारी चूत का तो जवाब ही नही था. में तुम्हारी
चुचियों को घूर रहा था. शायद तुमने मुझे देख लिया था क्योंकि
तभी तुम्हारी निगाह खिड़की की ओर पड़ी थी. धूप तेज थी इसलिए तुम
अपनी आँखों पर हाथ रख मुझे देखती हो. में तुम्हे देखते हुए
अपना लंड मसल रहा था. ........
....... तुमने हाथ मे एक तेल की बॉटल पकड़ रखी थी और मुझे
मदद के लिए हाथ के इशारे से बुलाती हो. में तुम्हारी तरफ आने
के लिए दौड़ पड़ता हूँ. मुझे आता देख तुम तुम पेट के बल लेट जाती
हो और अपनी बिकनी के बटन खोल देती हो. में तुम्हारे बगल मे
बैठ जाता हूँ और तेल को अपने पंजों मे लेता हूँ. मेरे हाथ
तुम्हारे शरीर पर तेल मलने लगते हैं. पहले में तुम्हारे कंधों
पर तेल लगता हूँ फिर नीचे होते हुए तुम्हाई बिकिनी के किनारे तक
पहुँचता हूँ........
इतना सब पढ़ कर रोमा के दिल की धड़कने तेज हो गयी थी, वो कीताब
को नीचे रख देती है. उन शब्दों ने एक मीठा मीठा प्यार सा
भर दिया था उसके शरीर मे, उत्तेजना मे शरीर काँपने लगा था.
उसने अपने ब्लाउस को जीन्स से बाहर निकाल उसके बटन ढीले कर
दिए. फिर एक हाथ से अपनी ब्रा को अपनी चुचियों पर से अलग कर वो
अपनी चुचि को हौले हौले मसल्ने लगती है. उसके निपल तुरंत ही
तन कर खड़े हो जाते हैं.
वो अपनी आँखे बंद कर उन शब्दों को हक़ीकत मे बदलते देखने
लगती है. उत्तेजना और गरमाहट से उसका बदन भर रहा था. उसका
मन तो कर रहा था कि वो अपना हाथ अपनी चूत पर रख उसे रगडे
और मसले पर वो कीताब को और आगे पढ़ना चाहती थी. अपने दिल के
जज्बातों को रोक उसने अपना हाथ ब्लाउस से बाहर निकाला और कीताब को
एक बार फिर उठा लिया.
........में तुम्हे घूमा कर पीठ के बल लीटा देता हूँ, तुम अपने
बिकिनी को अपनी चुचियों के और उपर कर लेती हो. फिर में तुम्हारे
नाज़ुक पावं पर मालिश करने लगता हूँ. ओह्ह्ह मुझे तुम्हारे ये छोटे
और नाज़ुक पंजे कितने आचे लगते है. फिर मेरे हाथ तुम्हारे
घूटने से होते हुए तुम्हारी जाँघो पर पहुँचते है. जैसे ही मेरी
उंगलियाँ तुम्हारी चूत के नज़दीक पहुँचती है तुम्हारा पूरा शरीर
काँपने लगता है. जब तुम्हे लग रहा होगा कि अब में तुम्हे वहाँ
चूऊँगा तभी में फिर तुम्हारे पैरों और पंजो की मालिश करने
लगता हूँ..........
........ में देखता हूँ कि तुम्हारी जांघों के बीच बिकिनी के उपर
से एक धब्बा सा दिखाई दे रहा है और वो बढ़ता ही जा रहा है.
में तुम्हारे पंजों मे गुदगुदी करता हूँ तो तुम खिलखिला उठती हो
और अपने पावं थोड़ा फैला देती हो. फिर में तुम्हारी जांघों के
अन्द्रुनि हिस्से पर तेल लगाने लगता हूँ. जब मेरी उंगली तुम्हारी चूत
पर पहुँचती है तो तुम्हारा शरीर मे एक अकड़न सी पैदा होती है
और में अपनी एक उंगली तुम्हारी चूत मे घुसा देता हूँ..........
......... तुम मुझसे गिड़गिडती हो की में तुम्हारी बिकिनी उतार दूं
लेकिन में तुम्हारी जांघों पर बैठ जाता हूँ और बहोत सारा तेल
तुम्हारी चुचियों पर उंड़ेल देता हूँ. फिर मेरे हाथ तुम्हारी
चुचियों और निपल को मलने लगते है.........
रोमा को अपने दरवाज़े पर थोड़ी आहट सुनाई देती है और देखती है
कि दरवाज़ा धीरे धीरे खुल रहा है, वो चोंक उठती है और
अपने कपड़े दुरुस्त करने की सोचती ही है कि उसे राज का चेहरा नज़र
आता है. वो राहत की साँस लेने लगती है.
वो देखती है की राज कमर पर सिर्फ़ एक सफेद टवल लपेटे मुस्कुराते
हुए कमरे मे दाखिल हो रहा है. उसकी इस तरह से कमरे मे दाखिल
होने पर वो हैरान थी
"ये क्या कर रहे हो? कहीं तुम पागल तो नही हो गये हो?" वो धीरे
से फुसफुसाते हुए कहती है. उसे डर था कि कहीं उनकी मम्मी को
उनके इस रिश्ते के बारे मे पता ना चल जाए.
"इतना घबरा क्यों रही हो? क्या तुम्हे डर लग रहा है?" उसने उसे
चिढ़ाते हुए कहा और लापरवाही से अपना टवल खोल ज़मीन पर फैंक
दिया.
"क्या तुम्हे डर नही लगता?" रोमा ने पलट कर पूछा.
रोमा से रहा नही गया, वो उसके सुन्दर लंड को देखने लगी, जो इस
समय छोटा और मुरझाया हुआ था, लेकिन उसे पता था कि जब वो
टंकार खड़ा और मोटा होगा तो किसी घोड़े के लंड से कम नही लगेगा.
उसके लंड की गोलियाँ एक घने जंगल की तरह झांतों से घिरी हुई
थी. उसकी टाँगे पतली थी लेकिन किसी खिलाड़ी की टाँगों की तरह
मजबूत थी.
वो घूम कर पीठ के बल लेट जाती है, जिससे उसके खुले बटन से
ब्लाउस खुल जाता है और उसकी सफेद ब्रा दिखाई देने लगती है. ब्रा
से चलकती एक चुचि और तना हुआ निपल राज को और आकर्षित करता
है. फिर उसकी नज़र अपनी कीताब पर पड़ती है जो उसने उसी के लिए
छोड़ी थी.
"तो तुमने कहानी पढ़ ही ली....."
"हां में इसे ही पढ़ रही थी...." रोमा ने जवाब दिया.
"तुम्हारे आधे कपड़े खुले हुए है," उसके बदन को निहारते हुए राज
उसके करीब आकर उसके बगल मे लेट जाता है, "क्या तुम अपने आप से
खेल रही थी?"
राज की बात सुन कर उसे शरम आ जाती है लेकिन अब अपने भाई के
साथ गंदी गंदी बातें करने मे उसे भी मज़ा आता था.
"हां खेल तो रही थी... लेकिन में पहले इसे पढ़ना चाहती थी....
मुझे विश्वास नही हो रहा है कि तुमने ये सब मेरे लिए लिखा
है... अपनी इस बेहन के लिए जो तन मन से तुम्हे प्यार करती है...
तुम्हारी पूजा करती है."
राज उसके गोरे चिकने बदन को निहारने लगता है.." मुझे हमेशा से
यही डर लगा रहता था कि अगर तुम्हे ये पता चलेगा कि में तुम्हे
कितना प्यार करता हूँ तो तुम क्या सोचोगी. अगर में तुम्हे खो देता
तो शायद में मर ही जाता."
"और ये बात हमेशा याद रखना राज...." रोमा उसकी छाती पर हाथ
फैर्ते हुए बोली.
"तुम कहना क्या चाहती हो?" राज ने पूछा.
रोमा के मन मे तुरंत गीता का ख़याल आया जो उसके भाई के पीछे
पड़ी थी, फिर वहाँ रिया भी तो थी. रोमा जानती थी कि उसे अपने
भाई पर विश्वास करना होगा, फिर उनके बढ़ते प्यार और रिश्ते ने
उसके मन से डर को निकाल फैंका.
"कुछ नही ये लड़कियों की बातें है जो तुम नही समझोगे." रोमा ने
कहा.
राज की नज़र एक बार फिर कीताब पर पड़ी, "कहाँ तक पढ़ चुकी हो
अब तक?"
"बहुत ज़्यादा और अछी तरह जान गयी हूँ कि में तुम्हे बहोत प्यार
करती हूँ," कहकर वो उसके आँखों मे झाँकने लगी.
राज झुककर उसकी खुली चुचियों को चूमने लगा. पहले उसने चुचि
को नीचे से चूमते हुए अपनी जीब चुचि की पूरी गोलाईयों पर
घूमाते हुए उसके निपल को मुँह मे ले चूसने लगा.
क्रमशः..................
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