RE: Chudai Story अनोखी चुदाई
सो, उसी बिंदास अंदाज़ में वो बोली – मारने दो ना… तुम्हें क्यूँ दुख हो रहा है… अभी मेरी नहीं, भाभी की गाण्ड के मज़े लो… मेरी तो कभी भी, फ़ुर्सत से नंगी देख लेना…
मैं – आज़ तुम दोनों की गाण्ड बच गई, भीड़ में मरने से… पर मेरे से नहीं बच पाएगी, आज़…
मेरी पत्नी – तुम्हारी है, जब चाहो दिल भर के मार लेना… लेकिन भाभी की कैसे मरोगे… आज तो बड़ा मचल रहा होगा…
वो थोड़ी पीछे हुई और भाभी की गाण्ड देखी.
पूरी गाण्ड, साफ़ नज़र आ रही थी.
उफ्फ!! क्या मस्त लगती है, चलते वक़्त “लगभग” नंगी गाण्ड.
दोस्तो, ज़रूर देखना..
अपनी बीबी को, नंगी चला के..
गाण्ड देखते ही, मेरी बीबी मुस्कुराइ और बोली – यार, मस्त है भाभी की तो… तुम्हारा तो मचल रहा होगा… इसलिए पति परमेश्वर पीछे पीछे चल रहे हैं… लगाओ, कोई जुगाड़ लेने की… मज़ा आ जाएगा…
अब मैंने कहा – मेरे पर छोड़ दो… बस तुम, मेरी मदद करना…
मेरी पत्नी – अरे, जैसा तुम बोलो जान… बस शर्त यही है आज ही पेलना होगा… आज़ बहुत गरम भी हो रही होगी, बारिश के ठंडे पानी में भीग कर… जो बोलो, मैं करूँगी…
तभी भाभी पीछे मूडी और बोली – क्या बातें हो रही हैं, तुम दोनों पति पत्नी में…
मेरी बीबी, आँख मारते हुए बोली – रात का प्रोग्राम बना रहें हैं… और ज़ोर से हंस पड़ी…
या तो भाभी समझ गई या नहीं, पर वो बोली – भाई, मुझे भी प्रोग्राम में शामिल कर लेना…
मेरी पत्नी – ज़रूर क्यों नहीं… तुम्हारे बिना तो प्रोग्राम अधूरा ही रह जाएगा…
फिर, दोनों हंस पड़ी.
बाकी रास्ते भर, दोनों के बीच खुसुर फुसुर और हँसी ठिठोली होती रही.
खैर, फिर हम घर पहुँचे कर कपड़े चेंज करने लगे.
खुले तो हम खैर, पहले से बहुत थे.
नहीं, मेरी बीबी ने भाभी को खोल तो खैर बहुत पहले से ही दिया था.
लेकिन आज ना जाने रास्ते में, उसने ऐसी क्या खिचड़ी पकाई की भाभी, तिरछी और मादक निगाह से मुझे देख रही थीं.
एक बात और, अब या तो मेरा वेहम था पर बीवी और भाभी की खुसुर फुसुर के कुछ देर बाद भाभी की गाण्ड बाकी रास्ते, कुछ ज़्यादा ही मटकने लगी थी.
अगर, कोई मौका था तो बस आज.
सो, मैंने फिर से चान्स मारा.
भले ही, बीबी से अभी बात नहीं हो पाई थी पर शायद हमारा आपस में ताल मेल, इस पूरी दुनिया के किसी भी पति पत्नी से बेहतर था.
तो, मैंने इशारों को समझा और डाल दी नौका, यौवन की नदी में.
आख़िर भाभी को मैंने कहा – ऐसा पहले भी कोई तजुर्बा हो चुका है, क्या…
भाभी बोली – बहुत बार होता है, ऐसे… बॉम्बे में यह नॉर्मल है…
फिर थोड़ा पास आई और दाँत से होंठ काटते हुई बोलीं – कभी बस में तो कभी मार्केट में… उंगली करना… चू… … में…
“चू” बस ये एक शब्द काफ़ी था.
बीबी ने जो भी किया पर अपना काम कर दिया था.
अब बारी, मेरी थी.
बातें और शेखी, हमने आपस में कितनी भी मारी हो पर शादी के बाद ये पहला मौका था, जब हमारे पंचाट हक़ीकत का रूप लेने वाले थे.
भाभी, अभी अकेली थी.
मैंने पूरी हिम्मत को बटोरा और कहा – भाभी, एक बात बताओ… आप नीचे चड्डी नहीं पहनती…
वो बोली – आप ने भी चान्स ले लिया… लगता है…
इसके बाद, भाभी ने जिस तरीके से अपनी जीभ अपने होंठ पर फिराई, मैंने सच बोलना ही सही समझा.
मैंने कहा – अब भाभी, मोटा सांड़ जैसा आदमी बार बार उंगली कर रहा है… मैं तो घर का हूँ और कम से कम, उससे तो अच्छा ही हूँ…
बो बोली – मुझे पता चल गया था…
मेरे हाथ को पकड़ कर, मेरी उंगली पकड़ते हुए वो बोली – तुम्हारी फिंगर पतली है और उस गैंडे की बहुत मोटी थी… देख सके या नहीं, औरत सब पकड़ लेती है… मैं समझ गई थी, आप ने भी आख़िर में .. .. घुसेड ही डाली, अपनी उं ग ली… मेरी “चू” में… वैसे, कैसा लगा था… आप को…
मैं – बहुत गरम… अंदर से चिप चिपाई हुई थी… मेरी उंगली गरम हो गई थी… मैं तो उस आदमी पर गुस्सा हो रहा था… साला, हट ही नहीं रहा था…
भाभी – और अगर हट जाता तो आप क्या कर लेते… ??
अब मैं थोड़ा शर्मा गया और बोला – क्या करता… मैं भी उंगली करता और क्या…
एक बात लिख लो दोस्तो, अगर औरत बेशर्मी पर आ गई तो अच्छे से अच्छे मर्द को चुटकी बजाते नंगा कर देती है.
भाभी – थोड़ी देर और बारिश नहीं रुकती तो भो मोटा आदमी उंगली की जगह… … … अपना… … मो .. टा … “ल” .. .. “न” .. डालने की फिराक में था… क्यों की… उसका “ल” .. .. “न” .. मेरी “गा” .. .. “ड” (ये कहते हुए मतलब ल .. न और ग .. न, जिस तरह भाभी के होंठ घूम रहे थे काश मैं आपको ब्यान कर पता.) की दीवारों के अंदर घुसे जा रहा था…
मैं (धीरे धीरे बिंदास होता जा रहा था) – क्यूँ हाथ में पकड़ा था क्या, उसका – ल न .. … ड…
तो तुरंत आँख मारते हुए, बोली – हाँ, बड़ा… मो .. टा और लम बा लगा था, मुझे…
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