RE: XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
RajSharma stories
बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--3
गतान्क से आगे....................
जीजाजी मॅमी से बाते करने लगे और मैं किचेन में चली गयी. जल्दी जल्दी
खाना बना कर खाने की मेजा पर लगा दिया और हम लोगो ने खाना खाया. रात
खाने के बाद मॅमी मन-पसंद सीरियल देखने लगीं. जीजाजी थोरी देर तो टीवी
देखते रहे फिर यह कह कर उपर चले गये कि ऑफीस के काम से ज़्यादा बाहर
रहने के कारण वे रेग्युलर सीरियल नही देख पाते इस लिए उनका मन सीरियल देखने
में नही लगता. फिर मुझसे बोले, "सुधा! कोई नयी पिक्चर का सीडी है क्या?"
बीच में ही मॅमी बोल पड़ी, "अरे! कल रेणुका (मेरी परोसन) देवदास की सीडी
दे गयी थी जा कर लगा दे. हाँ! जीजाजी को सोने के पहले दूध ज़रूर पीला
देना". मैने कहा, "जीजाजी आप उपर चल कर कपड़ा बदलिए मैं आती हूँ" और
मैं अपना मनपसंद सीरियल देखने लगी.
सीरियल ख़तम होने पर मम्मी अपने कमरे में जाते हुए बोली "तू उपर अपने
कमरे में सो जाना और जीजाजी का ख्याल रखना" मैं सीडी और दूध लेकर पहले
अपने कमरे में गयी और सारे कपरे उतार कर नाइटी पहन लिया और देवदास
को रख कर दूसरी सीडी अपने भाभी के कमरे से निकाल लाई. जानती थी जीजाजी
साली के साथ क्या देखना पसंद करे गे. जब उपर उनके कमरे में गयी तो
देखा जीजाजी सो गये हैं. दूध को साइड टेबल पर रख कर एक बार हिला कर
जगाया जब वे नही जागे तो उनके बगल में जाकर लेट गयी और नाइटी का बटन
खोल दिया नीचे कुच्छ भी नही पहने थी.. अब मेरी चून्चिया आज़ाद थी. फिर
थोरा उठा कर मैने अपनी एक चून्चि की निपल से जीजाजी के होंठ सहलाने लगी
और एक हाथ को चादर के अंदर डाल कर उनके लंड को सहलाने लगी. उनका लॉरा
सजग होने लगा शायद उसे उसकी प्यारी मुनिया की महक लग चुकी थी. अब मेरी
चून्चि की निपल जीजाजी के मुट्ठी में थी और वे उसे चूसने लगे थे.
जीजाजी जाग चुके थे. मैने कहा, "जीजाजी दूध पी लीजिए"
वे छूटते ही बोले, "पी तो रहा हूँ"
"अरे! ये नही काली भैस का दूध, वो रखी है ग्लास में"
"जब गोरी साली का दूध पीने को मिल रहा है तो काली भैस का दूध क्यो पियूं"
जीजाजी चून्चि से मूह अलग कर बोले और फिर उसे मूह में ले लिया. मैने कहा
"पर इसमें दूध कहाँ है" यह कहते हुए उनके मूह मे से अपनी चून्चि
छुड़ा कर उठी और दूध का ग्लास उठा लाई और उनके मूह में लगा दिया.
जीजाजी ने आधा ग्लास पिया और ग्लास लेकर बाकी पीने के लिए मेरे मूह में लगा
दिया. मैने मूह से ग्लास हटाते हुए कहा, "जीजाजी मैं दूध पी कर आई हूँ" इस
बीच दूध छलक कर मेरी चून्चियो पर गिर गया. जीजाजी उसे अपनी जीभ से
चाटने लगे. मैं उनसे ग्लास लेकर अपनी चून्चियो पर धीरे-धीरे दूध
गिराती रही और जीजाजी मज़ा ले-ले कर उसे चाटते गये. चुचियाँ चाटने से मेरी
बुर में सुरसुरी होने लगी, इस बीच थोरा दूध बीच बह कर मेरी चूत तक
चला गया. जीजाजी की जीभ दूध चाटते-चाटते नीचे आ रही थी और मेरे
बदन में सनसनी फैल रही थी. उनके होंठ मेरी बुर के होंठ तक आ गये और
उन्होने उसे चटाना शुरू कर दिया.
मैने जीजाजी के सिर को पकर कर अपनी योनि के आगे किया और अपने पैर फैला कर
अपनी बुर चटवाने लगी. जीजाजी ने मेरी चूतर को दोनो हाथ से पकर लिया और
मेरी बुर की तीट (क्लितोरिक) को जीभ से चाटने लगे और कभी चूत की गहराई
मे जीभ थेल देते. मैं मस्ती की पाराकस्ता तक पहुँच रही थी और उत्तेजना
में बोल रही थी, "ओह! जीजू ये क्या कर रहे हो ... मैं मस्ती से पागल हो रही
हूँ.... ओह राज्ज्जज्जाआ चॅटो .. और.... अंदर जीएभाा डाल कर
चतूऊ...बहुत अच्च्छा लग रहा है ...आज अपनी जीभ से ही इस बुर को चोद
दो... ओह...ओह अहह एसस्सस्स"
जीजाजी को मेरी चूत की मादक ख़ुसबु ने उन्हे मदमस्त बना दिया और वे बरी
तल्लिनता से मेरी बुर के रस (सुधरस) का रास्पान कर रहे थे.
जीजाजी ने मेरी चूत पर से मूह हटाए बिना मुझे खींच कर पलंग पर बैठा दिया
और खुद ज़मीन पर बैठ गये. मेरी जाँघो को फैला कर अपने कंधों पर रख
लिया और मेरे भगोस्थो को अपनी जीभ से चाटने लगे. मैं मस्ती से सिहर
रही थी और चूतर आगे सरका कर अपन्नी चूत को जीजू के मूह से सटा दिया. अब
मेरी चूतर पलंग से बाहर हवा में झूल रही थी और मेरी मखमली जांघों
का दबाव जीजाजी के कंधों पर था. जीजाजी ने अपनी जीभ मेरी बुर में घुसा दिया
और बुर की अन्द्रूनि दीवार को सहलाने लगे. मैं मस्ती के अनजाने पर अद्भुत
आनंद के सागर में गोते लगाने लगी और अपनी चूतर उठा-उठा कर अपनी चूत
जीजाजी के जीभ पर दबाने लगी.
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