RE: XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
चमेली के जाने के बाद साफ-सफाई के लिए हम दोनो बाथरूम में आ गये. मैने
शावर खोल दिया. हम दोनो के नंगे जिस्म पर पानी की फुहार पड़ने लगी. बाथरूम
में लगे बरे शीसे में मैं देख रही थी, शावर के नीचे मेरे उत्तेजक
बदन पर पानी पर रहा था, मेरे तने मुम्मो से टपकता पानी जो पैरों के बीच
मेरी बुर से होता हुआ पैरो पर छ्होटी-छ्होटी धार बनाते हुए नीचे गिर रहा
था. मेरी सुपस्ट चून्चियो से गिरता हुआ पानी आज बहुत अच्च्छा लग रहा था.
जीजा के चौरे सीने से बहता पानी उनके लौरे से धार बनकर बह रहा था
जैसे वे मूत रहे हों. मैने उनका लंड हाथ में ले लिया और सुपरे को
खोलने और बंद करने लगी. लंड हाथ में आते ही सजग हो गया और मेरी
बुर को देख कर अकरने लगा. मैने मदन (जीजाजी) के नंगे सुपस्ट शरीर को
अपनी छाती से चिपका कर उनके होंठ अपने ओठों में ले लिए. मेरी कसी हुई
चून्चिया जीजाजी के सीने में रगर खाने लगी. मैने उनके शिश्न (कॉक) को
पकर कर अपनी बुर से सटा लिया और थोरा पैर फला कर उसे अपने यौवांद्वार
(कंट) पर रगर्ने लगी.
जीजाजी मेरे बूब्स को दबाते और सहलाते हुए मेरे ओठों को चूस रहे थे और
उनका लंड मेरी मुनियाको अपने होंठ से सहला रहा था. बैठकर नहाने के लिए
रखे स्टूल पर मैने अपना एक पैर उठा कर रखा लिया और और उनके लंड को
बुर में आगे बढ़ने का मौका मिल गया. शीशे में दिख रहा था उनका लंड
उन्दर बाहर होते हुए मेरी प्यारी बुर से खिलवाड़ कर रहा था. मेरी मुनिया उसे
पूरा अपने मूह मे लेने की कोशिश कर रही थी. कुछ देर बाद मैं अपने को छुड़ा
कर बाथ-टब को पकड़ कर झुक गयी. मेरे चूतर उठे हुए थे और मेरा
योआवान्द्वार दिखने लगा. जीजाजी ने उसपर अपने तननाए हुए लंड को लगा कर
थक्का दिया. पूरा लंड गॅप से बुर में समा गया. फिर क्या था लंड और चूत का
खेल शुरू हुआ. शीशे मे जैसे ब्लू फिल्म चल रही हो, जिसकी हेरोइन मैं थी
और हीरो थे मेरे मदन जीजा. जीजाजी का लंड मेरी बुर में अंदर बाहर हो रहा
था जिससे बुर बावली हो रही थी पर मुझे शीशे में लंड का घुसना और
निकलना बहुत भला लग रहा था.
शावेर से पानी की फुहार हम दोनो पर पड़ रही थी, हमलोग उसकी परवाह ना कर
तन की तपिस मिटाने मे लगे थे. जीजाजी पीछे मेरी चून्चिया पकड़ कर
बराबर धक्के लगाए जा रहे थे. शीशे में अपनी चुदाई देख कर मैं काफ़ी
गरम हो चुकी थी एसलिए मैं अपने चूतर को आगे पिछे कर गपगाप लौरे को
बुर में लेरही थी और बोलती जा रही थी, "जीजाजी ! बहुत अच्च्छा लग रहा
है... चुदाई में चोद्दो मेरे सनम जिंदगी का पूरा मज़ा ले लो ...हाई !!!!!!
मेरे चोदु बलम.... तुम्हारा लॉरा बरा जानदार है.... मारो राजा धक्का.... और
ज़ोर से.... हाई राजा और ज़ोर से... और ज़ोर से.... हाई! इस जालिम लौरे से फार दो
मेरी बुर्र्र्र्र्र्र्ररर ब्ब्ब्ब्बबबाहुत अच्च्छााआआ लगगगगगगग रहाा हाईईईईई..."
पीछे से चुदाई में मेरे हाथ झुके-झुके दुखने लगे मैने जीजाजी से कहा,
"राजा ज़रा रूको, इस तरह पूरी चुदाई नही हो पा रही है, लेटा कर चुदाइ में
पूरा लॉरा घुसता है तो झरने में बहुत मज़ा आता है" मैने शेवर बंद
किया और वही गीली ज़मीन पर लेट गयी और बोली, "अब उपर आ कर चुदाई करो"
अब जीजाजी मेरे उपर थे और मेरी बुर मे लंड डालकर भरपूर चुदाई करने लगे.
अब मेरी बुर में लॉरा पूरा का पूरा अंदर बाहर हो रहा था और मैं नीचे से
सहयोग करते हुए बर्बरा रही थी, "अब चुदाई का मज्जा मिल रहा है .... मारो
राजा...मारो धक्का... और ज़ोर से.... हाँ! राजा इसी तरह से....भर दो अपने
मदन रस से बुर को.... अहह एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स ओह. जीजाजी कस-कस कर धक्का
मार कर मेरी बुर को चोद रहे थे. थोरी देर बाद उनके लंड से लावा निकला और
मेरी बुर की गहराई में झार गयेऔर मैं भी साथ-साथ खलास हो गयी. मैं
सेफ पीरियड में थी इस लिए परवाह नही किया.
कुछ देर परे रहने के बाद मैं बुर को साफ कर जल्दी बाहर निकल आई. बाहर आ
कर बिस्तर को ठीक किया कमरा ब्यावस्थित किया और भाभी के कमरे से एक ब्लू
सीडी लाकर ड्रेसिंग टेबल के ड्रॉयर में डाल दी. तब तक जीजाजी टवल लपेटे कर
बाथ-रूम से बाहर आ गये. वे फ्रेसस दिख रहे थे शायद उन्होने साबुन लगा कर
ठीक से नहा लिया था. उन्हे देख कर "मैं भी फ्रेसस हो कर आती हूँ" कह कर
बाथ-रूम में घुस गयी.
इसी बीच चमेली चाय लेकर उपर आई और कमरे के बाहर से आवाज़ दी, "जीजाजी
आँखे बंद करिए चाय लेकर आई हूँ" मैं बाथरूम से निकल कर बाहर आने
वाली थी, तभी सोचा, देखें ये लोग क्या करते हैं. मैं दरवाजे के शीशे से
इन दोनो को देखने लगी.
जीजाजी बोले, " आँख क्यों बंद करूँ"
चमेली बरी मासूमियत से बोली, "नंगी हूँ ना" जीजाजी बोले, "अब आ भी जाओ,
सुधा बाथरूम में है, मुझसे क्या शरमाना" चमेली चाय लेकर नंगी ही
अंदर आ गयी. इस बार चाय केटली में थी. चाय टेबल पर रख कर अपनी
चून्चि और चूतर एक अदा से हिलाया मानो कह रही हो 'माँगता है तो राजा ले
ले, नही मैं ये चली' फिर उसने जीजा जी का तौलिया खींच लिया. जीजाजी ने उसे
अपनी बाहों मे भर लिया. वह अपने को छुड़ाते हुए बोली, "फिर चाय ठंडी
करनी है क्या?"
"सुधा को बाथरूम से आ जाने दे साथ-साथ चाय पिएँगे, तब तक तू ड्रॉयर से
सिगरेट निकाल कर ले आ" चमेली ने ड्रॉयर से सिगरेट और माचिस निकाली. एक
सिगरेट अपने मुन्ह मे लगाकर सुलगा दिया और एक लंबी कश लगा कर सिगरेट को
अपंनी बुर के मूह में खोंस कर बोली, "जीजाजी अब मेरी बुर से सिगरेट निकाल कर
पियो मस्ती आ जाएगी" मदन जीजा ने सिगरेट बुर से निकाल कर उसकी चूत को
चूम लिया और फिर आराम से सिगरेट पीने लगे. चमेली बोली, "तब तक मैं अपना
सिगरेट पीती हूँ" और उसने मदन के लौरे को अपने मुँह में लेलिया. मदन ने
सिगरेट ख़तम होने तक लौरा चुसवाने का मज़ा लिया फिर उसे लिटा कर उसके
उपर चढ़ गये और अपना लॉरा उसकी चूत में पेल दिया.
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