RE: XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--2
गतान्क से आगे....................
मैं चुदाई के नशे में जीजाजी को कस कस कर धक्के लगाने एक लिए प्रोत्साहित
कर रही थी, "हाँ राजा !!!!!! चोद लो अपनी साली के बुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर कूऊऊ
और जोर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर सीईए फर्रर्र्र्र्ररर डूऊऊऊ एस सलीईईई
बुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर को ओह राज्ज्जज्ज्जाआअ मैं जन्नत कीईईईईए सैर कर
रही हूऊओ........चोदो राजा चोद्द्द्द्द्दूऊ और ज़ोर सीईईई हाईईईईई कस कस
कर मारो ...ओह बस मैं अनीईई वलीईईइ हुन्न्ञणणन् उई माआअ मैं
गइईईई....." मेरी बुर ने सुधारस छोड़ दिया पर जीजाजी धक्के पर धक्के
लगाए जा रहे थे झरने का नाम ही नही ले रहे थे, मैने कहा, "जीजाजी ज़रा
जल्दी! चमेली चाय ले कर आती होगी"
"मैं तो कब से चाय लेकर खरी हूँ. चाय ठंडी हो गयी और मैं गरम"
यह चमेली की आवाज़ थी.
मैं चुदाई के तूफान में इस कदर खो गयी थी कि चमेली की तरफ ध्यान ही
नही गया, मैं जीजाजी को अपने उपर से हटते हुए बोली, "तू कब आई" "जब आप
चोदु सनम से चुदवा रही थी और चुदक्कर रानी को जीजाजी चोद रहे थे"
"अच्छा! ठीक है! यह सब छोड़ जब तू यहाँ आकर मर ही गयी तो बुर
खुजलाना छ्होर आ जीजाजी को सम्हाल" मैं उठी और चमेली के सारे कपरे उतार
दिए और उसे जीजाजी के पास पलंग पर धकेल दिया. जीजाजी ने उसे दबोच लिया.
उन्होने अपना लंड उसके चूत में लगा कर धक्का दिया. उसके मूह से एक कराह
सी निकली. मोटा लंड जाने से दर्द हो रहा था. मैं धीरे-धीरे उसके उरोजो को
मसलने लगी जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जाए और दर्द कम. धीरे-धीरे
जीजाजी अपना पूरा लंड चमेली की बुर में घुसा दिया. अब उसकी तरफ से पूरा
सहयोग मिल रहा था.
जीजाजी अब अपने लंड को चमेली की चूत में अंदर बाहर करने लगे और
चमेली भी अपने कमर को उठा कर जीजाजी के लंड को अपने चूत में आराम से
ले रही थी, दोनो एक दूसरे से गुथे हुए थे चंपा बर्बरा रही थी, "दीदी!
जीजाजी मस्त चुदाई करते हैं ...जीजाजी चोद दो ... और ज़ोर से .. और ज़ोर से...
मुझे भी आने देना ओह्ह्ह्ह आज बहुत दिनो की प्यसस्स्स्स्सस्स बुझीईईईई
गीईईई अब आ जाओ दीदी के चोदु सनम ....ओह्ह्ह्ह माआअ मैं गइईई.."
जीजाजी के अंदर उबाल पहले से ही उठ रहा था जो बाहर आने को बेचैन था.
थोरी देर मे दोनो साथ-साथ खलास हो गये.
थोरी देर चमेली के शरीर पर परे रहने के बाद जब जीजाजी उठे तो मैं
चमेली से बोली, "गर्मी शांत हो गयी? जा अब चुदक्कर जीजाजी के लिए फिर से
स्पेशल चाय बना कर ला क्यों की जीजाजी ने तेरी स्पेशल चुदाई की है" "दीदी
आप भी...." वह अपने कपरे उठाने लगी तो मैने छीन लिए और बोली, "जा
ऐसे ही जा" "नही दीदी कपरे दे दो, चाय लेकर जीजाजी के सामने नंगे आने मे
शरम लगेगी" मैं बोली, "जा भाग चाय लेकर आ, नंगी होकर चुदवाने में
शरम नही आए, अच्च्छा जा हम लोग भी यहाँ नंगे रहेंगे" शैतान चमेली यह
कहते हुए नंगी ही भाग गयी, "नंगे रह कर चुदाई करते रहेंगे"
चमेली नीचे चाय बनाने चली गयी. जीजाजी मुझे छेड़ते हुए बोले, "मालकिन
की तरह नौकरानी भी जबारजस्ट है" मैं बोली, " जीजाजी उसे ज़्यादा भाव ना
दीजिए गा नही तो वह जॉक की तरह चिपक जाएगी. पर जीजाजी वह है बरी
भली, बस सेक्स के मामले मे ही थोरी कमजोर है" "आने दो देखता हूँ कमजोर
है कि खिलाड़ी है"
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