RE: XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
मैं समझ गयी जीजाजी कुछ गंदी बात सुनना चाह रहे हैं मैं अपनी गान्ड को उच्छाल कर बोली, हाई रे साली चोद! इतना जालिम लॉरा बुर की जर तक घुसा कर पुंच्छ रहे हो क्या करूँ हाई रे बुर चोद अपने मोटे लौरे से मथ कर मेरी मुतनी का शुधा-रस निकालना है अब समझे चुदक्कर राजा मैने उनके होंठ चूम लिए.
अब तो जीजाजी तूफान मैल की तरह चुदाई करने लगे. बुर से पूरा लंड निकालते और पूरी गहराई तक पेल देते थे. मैं स्वर्ग की हवओ मे उरने लगी..
हाई राज्ज्ज्जा ! और ज़ोर सीईई बरा मज्ज़ज़ज्ज्ज्ज्जा एयाया आ रहा है और जूऊर्ररर सीई ओह माआ! हाईईईईई मेरी बुर्र्र्र्ररर झरने वाली है.मेरी बुर्र्र्र्ररर कीयेयी चितारे यूरा डूऊऊऊऊï¿. हाईईईईई मई गइईईई
रुक्कको मेरी चुदासी राआअनि मैं भीईए आआआआअ रहा हूँ जीजाजी ने दस बारह धक्के लगा कर मेरी बुर को अपने गरम लावा से भर दिया. मेरी बुर उनके वीर्य ईक-एक कतरे को चूस कर खुस हो गयी.
मेरे चूंचियों के बीच सर रख कर मेरे उपर थोरी देर परे रह कर अपने सांसो को शांत करने के बाद मेरे बगल में आकर लेटने के बाद मेरी वीर्य से सनी बुर पर हाथ फेरते हुए बोले हाँ! अब बताओ अपनी बिना बाल वाली बुर का राज
मैं इस राज को जल्दी बताने के मूड में नही थी, मैने बात को टालते हुए कहा, अरे ! पहले सफाई तो करने दो, बुर चिपचिपा रही है. इस साले लौरे ने पूरा भीगा दिया है मैं उठ कर बाथरूम में चली आई
....बाथरूम में मेरे पिछे-पिछे जीजाजी भी आ गये. मैने पहले जीजाजी के
लौरे को धो कर साफ किया फिर अपनी बुर को साफ करने लगी. जीजाजी गौर से
देखा रहे थे, शायद वे बुर पर बाल ना उगाने का राज जानने के पहले यह
यकीन कर लेना चाह रहे थे कि बाल उगे नही हैं कि उन्हे साफ किया गया है.
उन्होने कहा "लाओ मैं ठीक से साफ कर दूं" वे बुर को धोते गुए अपनी तसल्ली
करने के बाद उसे चूमते हुए बोले, "वाकाई तुम्हारे बुर का कोई जवाब नही है"
और वे मेरी बुर को चूसने लगे. मैने अपने पैरो को फैला दिया और उनका सर
पकर कर बुर चुसवाने लगी. "ओह जीजाजी... क्य्ाआअ कार्रर्ररर रहीईई हैं....
ओह ...."
तभी कॉल-बेल बज उठा. मैने जीजा से अपने को च्छूराते हुए बोली, "बर्तन
माँजने वाली चमेली होगी" और उल्टे सीधे कपरे पहन कर नीचे दरवाजा
खोलने के लिए भागी. दरवाजा खोला तो देखा चमेली ही थी. मैने राहत की
सांस ली.
अंदर आने के बाद चमेली मुझे ध्यान से देख कर बोली, "क्या बात है दीदी! कुछ
घ्हबराई कुच्छ सरमाई, या खुदा ये माजरा क्या है" फिर बात बदल कर बोली
"सुबह जीजाजी आए थे, कहाँ हैं" मैं बोली, "उपर सो रहे हैं मैं भी सो गयी
थी"
"जीजाजी के साथ?" हसते हुए वह बोली.
"तू भी सोएगी" मैने पलट वॉर किया लेकिन वह भी मंजी हुई खिलाड़ी थी बोली,
"हे दीदी! हमारा इतना बरा भाग्य मेरा कहाँ?"
उससे पार पाना मुश्किल था, बात बढ़ाने से कोई फ़ायदा भी नही था, क्योकि वह
हमराज़ थी, इस लिए बोली, "जा अपना काम कर, काम ख़तम कर जीजाजी के लिए
चाय बना देना, मैं देखती हूँ कि जीजाजी जागे कि नही"
नीचे का मैन गेट (दरवाजा) बंद कर उपर आ गयी, चमेली से मैं निसचिंत
थी वह बचपन से ही इस घर में आ रही है और सब कुछ जानती और समझती
है.
दीदी के कमरे में लूँगी पहन कर बैठे जीजाजी मेरा इंतजार कर रहे थे,
जैसे ही मैं उनके पास गयी मुझे दबोच लिया. मैं उनसे छूटने की नाकाम
कोशिस करते हुए बोली, "चमेली बर्तन धो रही है अब उसके जाने तक इंतजार
करना परेगा"
जीजाजी बोले, "अरे! उसे समय लगेगा तब तक एक बाजी क्या दो (टू) बाजी हो
सकती है" वे मेरी बूब्स को खोलकर एक बूब के निपल को मूह में लेकर चूसने
लगे और उनका एक हाथ मेरी बुर तक पहुँच गया. बाथ-रूम में जीजाजी बुर
चूस कर पहले ही गरमा चुके थे. अब मैं अपने को ना रोक सकी और लूँगी को
हटा कर लौरे को हाथ मे ले लिया. मैं बोली, "जीजाजी यह तो पहले से भी
मोटा हो गया है"
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