RE: XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
जीजाजी जाग चुके थे. मैने पुचछा, चाय (टी) ले आउवो बोले नही! अभी नही.सर दर्द कर रहा है थोरी देर बाद फिर मुस्करा कर बोले, साली के रहते हुए चाय की क्या ज़रूरत?
मैने कहा हटिए भी! लाइए आप का सर दबा दूं मैं उनका सर अपनी गोद में लेकर धीरे-धीरे दबाने लगी. फिर उनके गाल को सहलाते हुए बोली, क्या साली चाय होती है कि उसको पी जाएँगे जीजाजी मेरी आँखों मे आँख डाल कर बोले, गरम हो तो पीने में क्या हर्ज है? और उन्होने मुझे थोरा झुका कर कपड़े के उपर से मेरे चूचियों (बूब्स) को चूम लिया. मैं शरमा उनके सीने पर सिर च्छूपा लिया. उस समय मैं शर्त & स्कर्ट पहनी थी और अंदर कुच्छ भी नही. उनके सीने पर सर रखते ही मेरे बूब्स उनके मूह के पास आ गये और उन्होने कोई ग़लती नही की, उन्होने स्कर्ट के बटन खोल कर मेरी करारी चूंचियों के निपल को मूह मे ले लिया. मेरी सहेलियों मैं आप को बता दू मेरी सहेली कामिनी ने कई बार मेरी चूंचियों को मूह में लेकर चूसा है लेकिन जीजाजी से चुसवाने से मेरे शरीर में एक तूफान उठ खरा हुआ.
मैने जीजा जी को चूंची ठीक से चूसने के उद्देश्य से अपना बदन उठाया तो पाया की जीजाजी का लंड लूँगी हटा कर खरा होकर हिल रहा था जैसे वह बुला रहा हो, आओ मुझे प्यार करो. ओह मा! कितना मोटा और कारक. मैने उसे अपने हाथो मे लेलिया. हाथ लगते ही वह मचल गया कि मुझे अपने ओठों मे लेकर प्यार करो मैं क्याकरती उसकी तरफ बढ़ना पड़ा क्योकि मेरी मुनिया (पुसी) भी जीजाजी का प्यार चाह रही थी. जैसे ही मैने लंड तक पहुचने के लिए गोद से जीजाजी का सर हटाया और उपर आई, जीजाजी ने स्कर्ट हटा कर मेरी बुर पर हाथ लगा दिया. फिर चूम कर उसे जीब से सहलाने लगे. ओह जीजाजी का लॉरा कितना प्यारा लग रहा था उसके छ्होटे से होंठ पर चमक रही बूँद (पीकुं) कितना अच्छा लग रहा था की मैं बता नही सकती, लॉरा इतना गरम था की जैसे वह लावा फेकने वाला हो. उसे ठंडा करने के लिए मैने उसे अपने मुँह में ले लिया. लॉरा लंबा और मोटा था इस लिए हाथ में लेकर पूरे सुपरे को चूसने लगी. जीजाजी बुर की चुसाइ बड़े मन से कर रहे थे और मैं जीजाजी के लौरे को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मूह में लेने की कोशिश कर रही थी पर वह मेरे मूह मे समा नही रहा था.
मैने जीजाजी के लौरे को मूह से निकाल कर कहा, हे जीजाजी! यह तो बहुत ही लंबा और मोटा हैï¿1/2
तुम्हे उससे क्या करना है? जीजाजी चूत से जीभ हटा कर बोले.
अब मैं अपने आपे में ना रह सकी, उठी और बोली अभी बताती हूँ चोदु लाल मुझे क्या करना हैï¿1/2
मैं अब तक चुदवाने के लिए पगला चुकी थी. मैने उनको पूरी तरह नगा कर दिया और अपने सारे कपरे उतार कर उनके उपर आ गयी, बुर को उनके लौरे के सीध मे कर अपने यौवन द्वार पर लगा कर नीचे धक्का लगा बैठी लेकिन चीख मेरे मूह से निकली, ओह मा! मैं मरी जीजाजी ने झट मेरे चूतरको दोनो हाथो से दबोच लिया जिससे उनका आधा लंड मेरी बुर में धसा रह गया और वे मेरी चून्चि को मूह में डालकर चूसने लगे. चूंची चूसे जाने से मुझे कुछ राहत मिली और मेरी चूत चुदाई के लिए फिर तैय्यार होने लगी और चूतर हरकत करने लगे. ताव-ताव में इतना सब कुछ कर गयी लेकिन लेकिन अब आगे बढ़ने की हिम्मत नही पड़ रही थी लेकिन मुनिया (बुर) चुदवाने के लिए मचल रही थी.
मैं जीजाजी के होंठ चूम कर बोली, जीजाजी उपर आ जाओï¿1/2
क्या चोदोगी नहीï¿
नही चुदवाउन्गि अपने चुदक्कर राजा से
बिना बुर से लॉरा निकाले वे बरी सफाई से पलते और मैं नीचे और वे उपर और लंड मेरी बुर मे जो अब थोरी नरम हो गयी थी. उन्होने मेरे होंठ अपने होंठ में ले लिया और बुर से लॉरा निकाल कर एक जबारजस्ट शॉट लगा दिया. उनका पूरा लॉरा सरसराते हुए मेरी बुर में घुस गया. दर्द से मैं बहाल हो गयी. मेरी आवाज़ मेरे मूह में ही घुट कर रह गयी क्योकि मेरे होंठ तो जीजा जी के होंठो मे थे. होंठ चूसने के साथ वे मेरी चूंचियो को प्यार से सहला रहे थे फिर चूंचियों को एक-एक कर चूसने लगे जिससे मेरी बुर का दर्द कम होने लगा.
प्यार से उनके गाल को चूमते हुए मैं बोली, तुमने अपनी साली के बुर का कबाड़ा कर दिया नाï¿1/2
क्या करता साली अपनी बुर के झांट को साफ कर चुदवाने के लिए तैयार थीï¿1/2
जीजाजी आप को ग़लतफहमी हो गयी मेरे बुर पर बाल है ही नहीï¿1/2
यह कैसे हो सकता है तुम्हारी दीदी के तो बहुत बाल है, मुझे ही उनको साफ करना परता हैï¿1/2
हाँ! ऐसा ही है लेकिन वह सब बाद में पहले जो कर रहे हो उसे करोï¿1/2
मेरे बुर का दर्द गायब हो चुका था और मैं चूतर हिला कर जीजाजी के मोटे लंड को एडजुस्ट करने लगी थी जो धीरे-धीरे अंदर बाहर हो रहा था.
जीजाजी ने रफ़्तार बढ़ाते हुए पूछा, क्या करूँ?
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