RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--27
गतान्क से आगे..........
(राजेश कमरे में दाखिल होता हुआ)
राजेश: इन्स्पेक्टर साहिब यह रहा हमारा मैरिज सर्टिफिकेट…
इन्स्पेक्टर: (सर्टिफिकेट देखते हुए)… हाँ ठीक है (वापिस लौटाते हुए) अगर आपको एतराज न हो तो कृपया आप इसकी कापी दे सकते है… यह केस को फाइल करने में हमारी मदद करेगी… और अगर अपने गवाहों के नाम और पते भी दे दें…
राजेश: बिल्कुल… मै आपके थाने में यह दोनों चीजें कुछ देर में पहुंचा दूंगा…
इन्स्पेक्टर: सर… हम चलते है…(कहते हुए आभा को छोड़ कर सब उठ खड़े हुए) क्यों मैडम चलना नहीं है… चलिए
राजेश: रहने दिजीए… आखिर यह भी मेरी रिश्तेदार ठहरी… आपका बहुत थैंक्स (कहते हुए पुलिस पार्टी को गेट से विदा किया)
(आभा आँखें झुकाए चुपचाप सोफे पर बैठी हुई। लीना और टीना बहुत क्रोधित निगाहों से आभा को घूरती हुई।)
टीना: पापा… इन्हें क्यों रोक लिया…इनको हमारे घर से बाहर निकाल दो इसी वक्त…
राजेश: न बेटा, ऐसे नहीं बोलते। तुम भूल रही हो कि यह तुम्हारी मम्मी की छोटी बहन है… नहीं तुम्हारी बड़ी बहन है… क्या हमने आप को ऐसी शिक्षा दी है…
लीना: परन्तु पापा… कल देखा था इन्हें… फिर भी
राजेश: (आभा के नजदीक बैठ कर) बेटा तुम भूल रही हो कि इन्हीं के कहने पर मंगल ने तुम्हें कल छोड़ा था… अगर यह नहीं कहती तो वह तुम्हें कोई चोट भी लगा सकता था… आभा आज मैं तुम से अपना समझ कर कह रहा हूँ कि अब इस दुश्मनी को खत्म करो… क्या मुझे नीचा दिखाने के चलते तुम अपनों को नुक्सान पहुँचाओगी… लीना और टीना आखिर तुम्हारा अपना खून है…तुम्हारी भतीजी और तुम्हारी अपनी सगी बहनें है…
आभा: (धीरे से सिसकते हुए)… क्या यह मेरी किस्मत है कि पिताजी के लिए मै ही अपने को जलाऊँ…
राजेश: (आभा के सिर पर हाथ फेरते हुए) नहीं हम सब का फर्ज है परन्तु हम सब को सही और गलत का एहसास होना चाहिए… अगर कोई बात पिताजी की गलत है तो वह हमेशा गलत ही रहेगी… और गलत बात का साथ देने वाला भी गलत होता है… मुझे पूरा विश्वास है कि यह तुम्हारा असली रूप नहीं है… किसी कोने में तुम मुझसे आज भी उतना ही प्यार करती हो जितना तुम तनवी के रहते करती थीं… क्या तुम भूल गयी कि बचपन में तनवी को मेरे पास छोड़ने के लिए मेरी उँगली पकड़ कर आइस्क्रीम खाने की जिद्द करती थी और जब मै मना करता था तो तुम मुझसे रूठ जाती थीं। और फिर मै और तनवी तुम्हारे आगे-पीछे भागते थे कि तुम हमारे बारे मे अपने पिताजी से नहीं बताना… क्या उस वक्त भी तुम मुझसे इतनी नफरत र
आभा: (फफक कर रो पड़ती है) मै क्या करूँ… एक तरफ पिताजी और हमारी बर्बादी… दूसरी ओर तुम और फिर तुम्हारी वजह से तनवी दीदी की मौत… और फिर तुम्हारे कारण मुमु दीदी का हमसे मुँह फेरना… क्या करती…
राजेश: कुछ नहीं करती… जब मै तुम्हें लेने आया था तो मेरे साथ आ कर यहाँ रह कर देखती… अगर मै गलत होता तो मुझे सजा देती परन्तु अपने ही खून को उस जालिम मंगल के हवाले करने की सोचती भी नहीं…।
आभा: (राजेश के सीने से लग कर रोते हुए) हाँ तुम्हारे पास सब कुछ था परन्तु मेरे पास कुछ भी नहीं था जब मेरे पिताजी ने मुझे मंगल के हवाले कर दिया था… पहले पिताजी ने मेरा शोषण किया फिर मुझे उस कसाई के हाथ मे दे दिया था… तब तुम कहाँ थे…
(लीना और टीना अचरज से दोनों की बातें चुपचाप सुनती है। आभा की बातें सुन कर दोनों बहनों की आँखे नम हो गयीं।)
राजेश: तुम अब मंगल की चिन्ता छोड़ दो… वह अब कभी भी तुम्हें परेशान करने के योग्य नहीं रहेगा। कल रात को मैनें उसका इंतजाम कर दिया है… मुझे सिर्फ तुम्हारी चिन्ता थी क्योंकि मै तुम्हें कोई भी नुक्सान नहीं पहुँचा सकता था…
राजेश: क्या तुम दुबारा से मेरी सुन्दरी नहीं बन सकती… पीछे का सब भूल जाओ और अब हमारे साथ रहो… सौरी परन्तु पहले मुझे अपनी पत्नी से पूछना पड़ेगा… क्यों लीना
लीना: (भर्रायी हुई आवाज से) पापा… प्लीज इन्हें यहीं रोक लिजीए…
टीना: हाँ पापा… मौसी यहीं रुक जाइए… (कहते हुए आभा से लिपट कर रोने लगी)
आभा: राजेश क्या तुम मुझे आभा के रुप में स्वीकार नहीं सकते…
राजेश: अरे पगली… तुम मेरे लिए पहले भी आभा थीं और जब तुम सुन्दरी थी तब भी तुम मेरे लिए आभा थी… लेकिन पहले नाश्ता कर लें बहुत भूख लग रही है।
(सब डाईनिंग टेबल पर इकट्ठे हो जाते है और हँसी-खुशी नाश्ता करते है। लीना, टीना और आभा, तीनों बातों मे लीन है। दरवाजे की घंटी बजती है, राजेश जाकर दरवाजा खोलता है…)
राजेश: आईए वकील साहिब… सब दुरुस्त हो गया है (कहते हुए दोनों अन्दर आते हैं। सामने आभा को हँसते हुए लीना और टीना से बात करते हुए देख वकील साहिब अचरज भरी निगाहों से राजेश की ओर देखते है।)
वकील: अरे यह क्या देख रहा हूँ…
राजेश: यह एक परिवार है…सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उस को भूला नहीं कहते… आभा, लीना और टीना… नाश्ता हो गया हो तो इधर आ जाओ…वकील साहिब आये है।
(तीनों उठ कर ड्राइंगरूम में आ कर सामने बैठ जाते है। कुछ ही देर में तीनों बहने की तरह हिल-मिल गयी है। बहुत दिनों के बाद आभा के चेहरे पर खुशी के भाव दिखाई दे रहें है।)
वकील: राजेश सबसे पहले तो आभा जी की शिकायत वापिस लेनी होगी… आभाजी आप को कुछ नहीं करना (एक कागज बढ़ा देता है)… इस पर साइन कर दें… बाकि मेरा दफ्तर देख लेगा…
राजेश: वकील साहिब मै चाहता हूँ कि आप ठाकुर साहिब की तरफ से पैरवी करें कि ज्यादा उम्र हो जाने कि वजह से उन्हें फाँसी की सजा उम्र कैद में तब्दील हो जाए… और मै अपनी वसीयत लिखवाना चाहता हूँ…
वकील: अब आपका विवाह हो चुका है…जायज बात है कि आप नयी वसीयत बनाना चाहेंगे… मुझे सिर्फ नाम दे दिजिएगा बाकी मै देख लूँगा… अच्छा चलता हूँ…
(वकील साहिब को छोड़ने राजेश बाहर चला गया और फिर से तीनों बहनें अपनी बातों मे तल्लीन हो गयीं…।)
(शाम का समय। सब ड्राइंगरूम में गपशप में मस्त है। टीना और आभा किसी गहन चर्चा में मशगूल है। लीना राजेश की गोदी में लेटी हुई है और राजेश अपनी उँगलियॉ लीना के बालों में फिराता हुआ सबकी बातें सुन रहा है।)
राजेश: मुझे लीना को कुछ बताना है… बेटा पिछले दिनों इतना कुछ हो गया कि तुम्हें सारी बात नहीं बता सका… पहले तुम अपनी छुट्टियॉ बिताने श्रीनगर गयी हुई थी, वहाँ से वापिस आयीं तो अपनी मम्मी को खो दिया… फिर तुम्हारी झटपट में मेरे साथ शादी हो गयी… कुछ भी बताने का समय नहीं मिल सका…
लीना: (राजेश के गले में बाँहे डाल कर) कोई बात नहीं पापा…
राजेश: न… आज हमें सारी बात साफ कर लेनी चाहिए… क्यों आभा… क्यों टीना…
आभा: राजेश क्यों बेचारी को उम्र से बड़ी बना रहे हो… इसके खेलने-खाने के दिन है…धीरे-धीरे इसे सब समझ में आ जाएगा…
राजेश: नहीं आभा… इसे सब कुछ जानने का हक है… लीना तुम मेरी दूसरी ब्याहता पत्नी हो…मेरी पहली पत्नी का नाम तनवी है (तनवी की याद आते ही राजेश की आँख नम हो गयी) जो अब इस दुनिया में नहीं है… तो कानूनन आज तुम मेरी पहली पत्नी हो…
लीना: तो क्या हुआ पापा…
राजेश: इसी लिए यह जरूरी है कि तुम्हें मेरे बारे में सब कुछ पता हो… अगर सब कुछ जानने के बाद तुम्हें लगता है कि मै तुम्हारा पति बनने के लायक नहीं हूँ…तो मै तुम्हें तलाक दे कर आजाद कर दूँगा… लेकिन तुम्हारे लिए मेरे प्यार पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ेगा…
लीना: पापा मै आपसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ…मै सोच भी नहीं सकती आप से दूर जाने की…
राजेश: बेटा क्या तुम मेरी पत्नी हो कर मुझे कुछ और लोगों के साथ बाँट सकती हो…
लीना: पापा…मुझे पता है कि आप आभा दीदी से बहुत प्यार करते हो… और आपके सम्बंध करीना के साथ भी हैं… इस से क्या फर्क पड़ता है…मुझे कोई तकलीफ नहीं है जब तक आप मुझसे प्यार करते हो…
राजेश: बेटा… यह बात नहीं है…आखिर इन को भी तो मेरे सहारे की जरूरत पड़ेगी… अगर इनमें से कोई सिर्फ मेरी पत्नी बनना चाहे तो बिना तुम्हारी रजामन्दी के मै कुछ भी नहीं करना चाहूँगा… ऐसे वक्त में तुम्हें कुछ तकलीफ हो यह मै नहीं कर सकता…
लीना: पर अगर इन को मालूम है कि मै आपकी पत्नी हूँ और फिर भी अगर यह आपके साथ रहना चाहें तो मुझे क्या आपत्ति होगी…
आभा: (बीच में बात काटती हुई) राजेश… लीना अभी छोटी और नासमझ है। मेरा तो यह विचार है कि इसे समय के साथ अपने विचार रखने की आजादी देनी होगी… पढ़ाई के बाद यह जैसा जीवन जीना चाहें इस को अपनी सारी अभिलाषाऐं पूरी करने की छूट देनी चाहिए। इसको ही क्यों, मेरा ख्याल है कि वह सब जो तुमसे प्यार करते तुम्हें उनको भी पूरी छूट देनी चाहिए…
राजेश: आभा… तुम सही कह रही हो… लीना तुम दुनिया की नजरों में मेरी पत्नी हो परन्तु तुम मेरी प्यारी गुड़िया भी हो जिसको अपनी मम्मी की सारी उम्मीदों को पूरा करना है… टीना यह मै तुम्हारे लिए भी कह रहा हूँ… मुमु चाहती थी उसकी दोनों बेटियाँ अपने जीवन की राह खुद तय करें… तो प्लीज अपनी मम्मी की इच्छा को पूरा करो…। आभा मै तुम से भी यही कहूँगा कि अपने भविष्य को बनाओ… अपनी छूटी हुई पढ़ाई को दुबारा शुरु करो… मै तुम सब के सपने पूरे करने मे अपना बिना हिचक साथ दूँगा…
टीना:…पापा…… सिर्फ आप दीदी के पति नहीं है, मेरे भी है…
लीना: क्या… (अचरज भरे स्वर में)
राजेश: हाँ… यह सच है। टीना शारीरिक सम्बंध और जीवन भर का साथ, दोनों में बहुत अन्तर है। तुम्हें जल्दी करने की जरूरत नहीं है… समय आने पर तुम अपना निर्णय लेना… मैं तुम्हारे निर्णय का आदर करूँगा और तुम्हारा साथ भी दूँगा।
टीना: नहीं पापा…इस मामले में आपकी नहीं चलेगी…आप मुझसे दीदी की तरह ही विवाह करेगें।
राजेश: बेटा इधर आओ… (टीना को अपने पास बिठा कर) जैसे तुम चाहोगी वैसे ही होगा, बस… लेकिन जब तुम अपनी पढ़ाई पूरी कर लोगी तब…
टीना: (जिद्द पकड़ते हुए) नहीं पापा… जैसे ही मै सोलहवें साल मे लगूँगी मुझे आपसे तब शादी करनी है…
राजेश: (हार मान कर) ठीक है…
आभा: तो मेरे बारे में क्या सोचा…
राजेश: अरे आज सब ही मेरे पीछे पड़ गये हो…(तभी दरवाजे की घंटी बजती है)
लीना: मै देखती हूँ… (कहते हुए गेट की ओर जाती है)
टीना: मुझे लगता है कि… (लीना और करीना बातें करती हुई अन्दर आती हैं)
राजेश: आओ करीना…
टीना: करीना…आज पापा को हम सब ने घेर रखा है… अच्छा हुआ तू भी आ गयी क्योंकि तेरे को भी पापा के साथ रहने का निर्णय करना है…
राजेश: हाँ… आभा मुझको लगता है कि मेरा हरम पूरा हो गया है…
आभा: (खिलखिला कर हँसते हुए) हाँ हम सब तुमको छोड़ेंगी नहीं…तुम सोच लो कि तुम्हें हम सब का ख्याल रखना है… कैसे रखोगे…।
राजेश: (हँसते हुए) हाँ मै आज वचन देता हूँ कि मै तुम सब का पूरी तरह ख्याल रखूंगा…
आभा: तनवी और मुमु आज जहाँ भी होंगी… आज तुम्हें देख कर उन्हें बहुत शान्ति मिलेगी।
लीना: आभा दीदी… यह तनवी की क्या कहानी है…
आभा: लीना… तनवी मेरी बड़ी बहन थी (राजेश की ओर देख कर) राजेश मै समझ सकती हूँ कि तुम करीना से क्यूँ इतना लगाव रखते हो… वाकई में चेहरे और शरीर की बनावट में हुबहू करीना बिल्कुल तनवी की कापी है…
राजेश: हाँ आभा…तुम सही कह रही हो। जब करीना को मैने पहली बार देखा था तो मुझे लगा था कि तनवी वापिस आ गयी है… यह तब मेरे ख्याल से आठ वर्ष की होगी… फिर जब भी यह टीना के साथ घर पर आती थी तो मेरी निगाह इस पर जा कर टिक जाती थीं… कई बार मुझे आत्मग्लानि होती थी…पर दिल था कि मानता नहीं…
करीना: अंकल… तनवी कौन थी…
आभा: उसी के बारे में तो बता रही थी…वह मेरी बड़ी बहन थी… लीना की मम्मी से छोटी… तुम्हारे प्रेमी की पहली पत्नी… बहुत सुन्दर और मिलनसार थी। तनवी और राजेश की प्रेम कहानी तब शुरु हुई थी जब राजेश स्कूल पास करके अमेरिका जाने से पहले अपने घर आया था। अमेरीका जाने की पूर्व रात को इन दोनों ने गाँव के मन्दिर में विवाह कर लिया था।
क्रमशः
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