RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--26
गतान्क से आगे..........
(राजेश अपनी जुबान से ऐंठी हुई घुन्डी के उपर घिसाव आरंभ करता है। लीना इस वार से हतप्रभ रह जाती है। नादान टीना और करीना के मुखों के सुख से कहीं ज्यादा एक खेले खाये मर्द की लपलपाती हुई जुबान का सुख लीना को पागल कर देता है। राजेश अपने होठों से लीना की योनि को अपने कब्जे में ले कर बार-बार अपनी जुबान को योनिच्छेद के भीतर डालने का प्रयास करता है।)
राजेश: बेटा… (उधर राजेश के हिलने से लिंगदेव भँवरें की भाँति बार-बार लीना के चेहरे और होंठों पर चोट मारते है। लीना अपना चेहरा बचाने की कोशिश में राजेश के लंड को अपने हाथ में ले लेती है। नरम हाथ का स्पर्श पा कर लिंगदेव एक जिवित गर्म लोहे की सलाख में तब्दील हो जाते है।)
लीना: …आह....पापा
(राजेश की जुबान योनि की गहराई और लम्बाई नापने की कोशिश मे वार पर वार कर रही थी और लीना के हाथ में कैद लिंगदेव ने भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह उघाड़ दिया है। क्षण भर रुक कर, राजेश दो तरफा वार शुरु करता है। एक तरफ जुबान का वार योनिच्छेद पर, दूसरी ओर लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर करीना के होंठों को खोलने पर आमादा हो रहा है। ऐसे दो तरफा वार लीना के लिए एक नया अनुभव है जिसको लीना बरदाश्त नहीं कर पायी और झटके खाते हुए झरझरा कर बहने लगी। असीम आनंद को महसूस करते हुए लीना के होंठ खुल गये। राजेश इसी क्षण की आस में बैठा था, जैसे ही होंठों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हल्का सा जोर लगाते हुए लिंगदेव के सिर से लीना के मुख को सीलबन्द कर दिया।)
लीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.न्ई…आह.....
(साँस घुटती हुई लगी तो लीना को मुख पूरा खोलना पड़ गया, राजेश ने थोड़ा सा और भीतर सरका दिया। बेबस लीना जितना राजेश को उपर से हटाने की कोशिश करती, राजेश अपने लंड पर दबाव बढ़ा कर उसे और अन्दर खिसका देता। राजेश का लंड सरकते हुए अपनी जगह बनाते हुए लीना के गले में जा कर बैठ गया। राजेश ने पूरा लंड धँसा कर बाहर निकाल लिया क्योंकि अब वह भी ज्यादा देर ज्वालामुखी को फटने से रोक नहीं सकता था।) राजेश ने सीधे हो कर लीना को अपने आगोश में ले कर बेड पर लेट गया।)
राजेश: (धीरे से कन्धा हिलाते हुए) लीना…लीना…
लीना: (शर्माती हुई) हुं…
राजेश: तुम्हें यह कैसा लगा?
लीना: पापा… बहुत बड़ा है (अपना गाल सहलाते हुए और मुँह खोल कर बन्द करते हुए)…
राजेश: बेटा तुम्हें इसकी आदत नहीं है…(बात करते हुए अपने अन्दर उफनते हुए लावा को शान्त करते हुए)…आज के बाद तो तुम्हें इसको रोज ही अपने मुख से नहलाना पड़ेगा…आखिर पत्नी धर्म की लाज तो रखनी है।
लीना: प्लीज, पापा यह नहीं…
राजेश: बेटा अभी तो तुम्हें मेरी पूरी तरह से पत्नी बनना है… (कहते हुए राजेश एक बार फिर से लीना के उपर छा जाता है।)
(राजेश अपने तन्नायें हुए हथियार को मुठ्ठी में लेकर धीरे से एक-दो बार हिलाता है और फिर लीना के योनिमुख पर टिका देता है। लोहे सी गर्म राड का एहसास होते ही लीना के मुख से एक सिसकारी निकल जाती है। राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपने फनफनाते हुए अजगर से रगड़ता है और फिर धीरे-धीरे रगड़ाई की लम्बाई बढ़ाता है)
लीना: …आह... …आह..... …आह..... (आँखें मूदें एक गर्म सलाख को सिर उठाती घुन्डी के सिर पर बढ़ते हुए दबाव और योनिच्छेद से उठती हुई तरंगों को महसूस करती हुई एक सिस्कारी भरती है)
(राजेश अपनी जुबान से करीना के होंठों को खोल कर उसके गले की गहराई नापता है। ऐठीं हुई घुन्डी के उपर लिंगदेव का घिसाव अन्दर तक लीना को विचलित कर देता है। बेबस लीना इस नये वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश तन्नाये हुए लिंगदेव को योनिच्छेद के अन्दर डालने का प्रयास करता है। उधर उत्तेजना में तड़पती लीना के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है। गीली होने की वजह से अकड़ी हुई घुन्डी और भी ज्यादा संवेदनशील हो चुकी थी और राजेश का लंड सतह पर आराम से फिसलने लगता है।)
लीना: आह.....
(राजेश अपने लंड का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों की गिरफ्त में लीना के होंठों को ले लेता है। एक हाथ से कभी उन्नत उरोजों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे निपल को फँसा कर तरेड़ता, कभी एक कलश को अपनी हथेली मे छुपा लेता और कभी दूसरी को जोर से मसक देता। लीना भी एक बार फिर से असीम आनंद में लिप्त होती जा रही हैं।)
राजेश: (लीना के होंठ को चूसते हुए) लीना… अब द्वार खोलने का टाइम आ गया है… रेडी
(राजेश प्यार से अपने तन्नायें हुए लंड को योनिच्छेद के मुख पर लगा कर ठेलता है। संकरी और गीली जगह होने की वजह से फुला हुआ कुकुरमुत्तेनुमा सिर फिसल कर जगह बनाते हुए भीतर घुस जाता है।)
लीना: …उ.उई.माँ..…पा.…पा…उफ.उ.उन्हई…आह.....
(राजेश कुछ देर अपना लंड अटका कर लीना के कमसिन उरोजों के साथ खेलता है ताकि योनिच्छेद इस नये प्राणी की आदि हो जाए। धीरे-धीरे आगे पीछे होते हुए सिर का घिसाव अन्दर तक लीना को विचलित कर देता है। इधर योनिच्छेद मे फँसा हुआ लंड अपने सिर की जगह बन जाने के बाद और अन्दर जाने मे प्रयासरत हो जाता है। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती हुई लीना के होंठों को राजेश अपने होंठों से सीलबंद कर देता है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लंड लीना के प्रेम रस से सरोबर सारे संकरेपन और रुकावट को खोलता हुआ जड़ तक जा कर फँस जाता है। लीना की आँखें खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी।)
लीना: उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररउक.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह.
राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) शश…शशश्…लीना…ली…ना
लीना: पापा…निका…उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररगय…यईई…निक्…उफ..लि…ए…आह..ह..ह.
राजेश: लीना…बस अब सारा दर्द खत्म…।
(लीना की चूत भी राजेश के लंड को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ कर दोहना आरंभ करती। क्षण भर रुक कर, राजेश ने लीना के सुडौल नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है। एक तरफ लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर लीना की बच्चेदानी के मुहाने पर चोट मार कर खोलने पर आमादा है और फिर वापिस आते हुआ कुकुरमुत्ते समान सिर छिली हुई जगह पर रगड़ मारते हुए बाहर की ओर आता हुआ लीना के पूरे शरीर में आग लगा देता है। लंड को गरदन तक निकाल कर एक बार फिर से राजेश अन्दर की ओर धक्का देता है। लीना की योनि भी अब इस प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गयी है।)
राजेश: (गति कम करते हुए) लीना अब दर्द तो नहीं हो रहा है…
लीना: हाँ …बहुत दर्द हो रहा है…
राजेश: (रोक कर)… ठीक है मै फिर निकाल देता हूँ… (और अपने को पीछे खींचता है)
लीना: (अपनी टाँगे राजेश की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेटते हुए) …न…हीं, पापा अभी नही…
(धक्कों की बाढ़ आते ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया और धीरे-धीरे वह अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। ज्वालामुखी फटने से पहले राजेश एक जबरदस्त आखिरी वार करता है और उसका लंड लीना की बच्चेदानी का मुख खोल कर गरदन तक जा कर अन्दर धँस जाता है। इस करारे वार की मीठी सी पीड़ा और रगड़ की जलन आग मे घी का काम करती है। लीना का शरीर धनुषाकार लेते हुए तनता हुआ बेड की सतह से उपर उठता है और एक झटके के साथ लीना की चूत झरझरा कर बहने लगती है। उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगे और एकाएक राजेश के लंड को गरदन से जकड़ कर लीना की चूत झटके लेते हुए दुहना शुरु कर देती है। इस एहसास से सारे बाँध तोड़ते हुए राजेश का लंड भी बिना रुके लावा उगलना शुरु कर देता है। लीना की चूत को प्रेमरस से लबालब भरने के बाद भी राजेश अपने लंड को अन्दर फँसाये रखता है। लीना को अपने नीचे दबाये राजेश एक और नई-नवेली संकरी चूत को खोलने का लुत्फ लेता है। लीना का शरीर रजेश के नीचे शिथिल पड़ा हुआ है।)
राजेश: (उपर से हटते हुए) लीना…लीना…
लीना: (कुछ क्षणों के बाद)….गअँ.न्ई…आह..... (होश मे आकर अपनी आँखें खोलती हुई) पापा…
राजेश: (लीना के सिर को सहारा दे कर उठाते हुए) क्या हुआ लीना… क्या आँखों के आगे अंधेरा छा गया था।
लीना: (पल्कें झपकाती हुई) हाँ कुछ ऐसा ही हुआ था… आपको कैसे पता चला…
राजेश: तुम अपने प्यार की सातवीं सीढ़ी पर पहुँच गयी थी… जब मेरा हथियार तुम्हारी सुरंग को भेद कर पूरी तरह से भर देता है तो वही स्तिथि को फाईनल सीड़ी या प्रेममिलन के सातवें आसमान पर पहुंचना कहते हैं। हर नारी कामक्रीड़ा मे लीन हो कर इस स्तिथि से गुजरना चाहती है पर कुछ ही नारियों अपने जीवन मे इस स्तिथि का बोध कर पाती है। तुमने तो अपनी सुहाग रात पर ही इस स्तिथि का स्वाद चख लिया।
लीना: (राजेश से लिपटते हुए) पापा…कल क्या होगा… आपको पुलिस पकड़ कर ले जायगी क्या…
राजेश: (अपने सीने से लगाते हुए) न बेटा… अगर हम पति-पत्नी है तो कोई ताकत हमें एक दूसरे से अलग नहीं कर सकती है… चलो अब सो जाओ……क्या टाइम हो गया है…ओफ्फो सुबह के चार बज रहे है…
लीना: पापा… मै आपसे बहुत प्यार करती हूँ
(राजेश ने आगे बढ़ कर लीना को अपने आगोश में ले कर बेतहाशा चूमना शुरु कर देता है। लीना भी राजेश का पूरा साथ देती है। कुछ देर एक दूसरे के साथ प्रेमालाप के बाद, राजेश लीना को अपने आगोश में भर कर सो जाता है…।)
(सुबह के ग्यारह बज रहे हैं। टीना अपने कमरे से अलसायी सी नीचे ड्राइंगरूम में आती है। सब कुछ शान्त देख कर राजेश के बेडरूम की ओर बढ़ती है। दरवाजा खुला हुआ पा कर धीरे से कमरे प्रवेश करती है। सामने बेड पर निर्वस्त्र अवस्था में राजेश और लीना एक दूसरे के साथ बेल की तरह लिपटे हुए गहरी नींद में सो रहे है। टीना दबे कदमों से बेड के सिरहाने खड़े हो कर रात के प्रेमालाप का जायजा लेती है।)
टीना: (लीना के कन्धे को हिलाती हुई) दीदी…दीदी… पापा…उठ जाओ… ग्यारह बज रहे है
(आवाज सुन कर राजेश चौंकते हुए उठता है… लीना नींद में कसमसाती हुई करवट लेती है।)
राजेश: (टीना को देख कर झेंपता हुआ) टीना… आज बहुत देर हो गयी
टीना: हाँ पापा… यह देखो दीदी को… दीदी…दीदी
लीना: (उनींदी आँखों से उठती हुई) क्यों परेशान कर रही है… (आँखे खोलती हुई)
टीना: आप दोनों कपड़े पहन लो… क्योंकि अब कोई भी आ सकता है…
(इतना सुनते ही दोनों को अपने निर्वस्त्र होने का एहसास होता है। दोनों झेंप जाते है और उठने का प्रयास करते है। लीना पास ही पड़ी साड़ी को अपने उपर ढक लेती है और राजेश के उपर बची हुई साड़ी डाल देती है)
लीना: टीना की बच्ची अब से हमारे कमरे में खटखटा करके आया कर… आखिर एक पति-पत्नी के कमरे में ऐसे ही नहीं चले आते… क्यों पापा
टीना: अच्छा जी… दीदी तुमसे पहले मैं पापा की आधी घरवाली हूँ…इन पर मेरा भी उतना हक है जितना तुम्हारा… क्यों पापा
राजेश: (बेड से उतर कर बाथरूम की ओर बढ़ता हुआ) हां बिलकुल… मै जा कर तैयार होता हूँ कभी भी वकील साहिब आ सकते है… (कहते हुए बाथरूम में घुस जाता है)
टीना: दीदी…कैसी रही सुहाग रात… अजगर को पूरा निगल गयीं या नहीं…
लीना: एक बार अजगर को जगह दी तो उसने तो मेरा कचूमर निकाल दिया… सच टीना यह रात तो मै जीवन भर नहीं भूल पाऊँगी… शायद मै अब पापा के बिना नहीं रह पाऊँगी…
टीना: मैनें कहा था न… कि एक बार सुहाग रात होने दो फिर तुम हम सबको भूल जाओगी…
लीना: हाँ…चल अब मुझे तैयार होने दे… और तू भी जा कर तैयार हो जा… फिर देखती हूँ कि क्या करना है…
टीना: दीदी…प्लीज रात की कहानी सुनाओ न…
लीना: अभी नहीं… (उठते हुए)
टीना: दीदी तुम बहुत सुन्दर हो… लगता है कि पापा ने तुम्हारे अंग-अंग को अपने प्यार से लाल कर दिया… (लीना के नग्न सीने और गरदन की ओर इशारा करते हुए)
लीना: चल हट… बेशर्म
(बात करते हुए दोनों बहनें अपने-अपने कमरे में चली जाती है। कुछ देर के बाद राजेश तैयार हो कर ड्राइंगरूम में आता है।)
राजेश: लीना… टीना… तैयार हो कर नीचे आ जाओ… मैं नाश्ता की तैयारी करता हूँ (कहते हुए रसोई की ओर बढ़ जाता है)
लीना: पापा… मै तैयार हो कर आपकी मदद करने के लिए आती हूँ…
(लीना तैयार हो कर अपने कमरे से निकल कर टीना को आवाज दे कर नीचे रसोई की तरफ़ जाती है।)
लीना: टीना…जल्दी से तैयार हो कर नीचे आ जाओ…
(राजेश नाश्ते की तैयारी में लगा हुआ है। पीछे कुछ आहट सुन कर मुड़ता है तो रसोई के अन्दर लीना घुसती हुई दिखती है। लीना के चेहरे पर संतुष्टि आभा और नई नवेली दुल्हन की चमक देख कर राजेश खुशी से फूला नहीं समाता है। टाइट वेस्ट और स्कर्ट लीना के जिस्म के उभार और कटावों को निखार कर दिखाते हुए राजेश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। गले में पड़ा मंगलसूत्र लीना के हर कदम पर दोनों पहाड़ियों के बीच झूलता हुआ राजेश को गयी रात का एह्सास दिलाता है।)
लीना: पापा… मै कुछ मदद करूँ
राजेश: (लीना को अपनी बाहों मे भर कर) नहीं बस तुम यह सब मेज पर सजा दो…(कहते हुए लीना के होंठ चूम लेता है)… मेरा तो नाश्ता हो गया।
लीना: (शर्म से लाल होती हुई) पापा…
राजेश: (लीना के उभारों को सहलाते हुए) लीना तुम बहुत सुन्दर हो… (कहते हुए एक बार फिर से लीना के होंठों का रसपान करता है)
टीना: (अन्दर आ कर) पापा… मेरा नम्बर कब आएगा।
राजेश: (लीना को छोड़ कर) आजा…(टीना को अपनी बाँहों मे ले कर)…तेरा नम्बर आ गया (कहते हुए टीना के होंठों को चूम लेता है।)
लीना: पापा… चलिए नाश्ता लग गया है। अगर ऐसे ही नम्बर चलता रहा तो नाश्ता ठंडा हो जाएगा।
(तीनों हँसते हुए डाईनिंग टेबल पर करीने से लगे नाश्ते पर टूट पड़ते है। इधर-उधर की बातें करते हुए नाश्ता करते हैं। दरवाजे की घंटी बजती है। टीना हाथ में ब्रेड ले कर दरवाजा खोलने जाती है। गेट पर आभा को कुछ पुलिस वालों के साथ देख कर ठिठ्क जाती है और राजेश को पुकारती है)
टीना: पापा…पापा…
राजेश: कौन है…
टीना: आप बाहर आइए… (राजेश दरवाजे पर आता है)
राजेश: हाँ बताइए आप लोगों को क्या काम है…
आभा: इन्स्पेक्टर साहिब यही वह कमीना है जिसने मेरी भतीजियों को बंधक बना रखा है…।
राजेश: आभा… क्या बक रही हो…पागल हो गयी हो।
आभा: इन्स्पेक्टर आप इस आदमी को अभी अरेस्ट किजीए…
इन्स्पेक्टर: सर, इन्होंने हमारे पास कम्प्लेंट लिखाई है कि आपने इनकी नाबलिग भतीजियों को बहला फुसला कर अपने पास बंधक बना रखा है…हम इधर तफतीश के लिए आये है…
राजेश: देखिए इन्स्पेक्टर साहिब… आप लोग अन्दर आइए… बैठ कर भी हम बात कर सकते हैं…।
(सब लोग अन्दर आ जाते है और ड्राइंगरूम में बैठ जाते है।)
राजेश: देखिए…(लीना की ओर इशारा करते हुए) यह मेरी पत्नी लीना है और (टीना की ओर इशारा करता हुआ) यह मेरी छोटी साली टीना है… और जिसने शिकायत दर्ज कराई है वह मेरी बड़ी साली स्वर्णाभा है… इसको कई सालों से पागलपन का दौरा पड़ता जिस वजह से यह अपनी याददाश्त खो देती है। पता नहीं अबकी बार इसे क्या हुआ है…
आभा: (गुस्से से बिफरती हुई) यह कमीना झूठ बोल रहा है…
राजेश: तो ठीक है… यह कहती है कि मैनें जबरदस्ती इन दोनों को बंधक बना रखा है…आप इन्हीं से क्यों न पूछ लेते…
इन्स्पेक्टर: (लीना की ओर रुख करके) हाँ बेटा बताओ…
लीना: यह यह मेरे पति है… (गले में लटकते हुए मंगलसूत्र को दिखाते हुए)
टीना: यह मेरे जीजू है…
इन्स्पेक्टर: परन्तु अभी तो तुम इन्हें पापा कह रही थी…
टीना: हाँ… यह मेरे पापा से भी ज्यादा है क्योंकि यह मेरे पिताजी से भी ज्यादा मेरा ख्याल रखतें हैं… और यह जो खुद को मेरी मौसी बता रही है…कल यह एक गुंडे को लेकर आयी थी मेरी बड़ी बहन को अगवा करने के लिए…
इन्स्पेक्टर: बेटा आप लोगों की क्या उम्र है…
लीना: सत्रह साल
टीना: तेरह साल
इन्स्पेक्टर: सर… आप दोनों के विवाह का कोई गवाह या प्रमाण है?
राजेश: हाँ क्यों नहीं… हमारे विवाह की गवाही मिस्टर एलन और उनकी पत्नी मिसेज डौली या फिर आर्य समाज मन्दिर के पंडित शास्त्री दे सकते है… प्रमाण के लिए मै फोटो दिखा सकता हूँ और अगर आप चाहें तो हमारा मैरिज सर्टिफिकेट दिखा सकता हूँ…
आभा: यह बहुत बहुत झूठा आदमी है… यह हरामी मेरी बच्चियों की जिन्दगी बर्बाद कर देगा…
इन्स्पेक्टर: (थोड़ी कठोरता से) चुप… हम तफतीश कर रहें है न… अगर आप औरत न होती तो अब तक पुलिस के पास झूठी रिपोर्ट लिखाने के जुर्म में आपको बन्द कर दिया होता। जनाब क्या आप अपने विवाह के हमें प्रमाण दिखा सकते है?
राजेश: हाँ क्यों नहीं…(कहते हुए मेज पर रखी एलबम इन्स्पेक्टर को देता है)… जब तक आप इसे देखिए मै सर्टिफिकेट ले कर आता हूँ (कहते हुए अपने बेडरूम की ओर रुख करता है)
इन्स्पेक्टर: देखो बेटा आप लोगों को डरने की जरूरत नहीं है… अगर यह आदमी आपको जबरदस्ती अपने यहाँ रखे हुए है तो अब बता दो… यह आदमी तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगा।
लीना: अंकल… क्या कोई लड़की ऐसे ही किसी भी आदमी को अपना पति कह सकती है… यह मेरे पति है… मैं इनसे बहुत प्यार करती हूँ
टीना: अंकल अगर यहाँ कोई गलत है वह यह हमारी मौसी हैं… इन से पूछिए कि यह हमें कब से जानती है… इन को आज मिला कर हम सिर्फ तीन बार मिले है…
आभा: इन्स्पेक्टर साहिब… उस ने इन्हें मेरे खिलाफ बरगला दिया है…
लीना: अच्छा… तो यह बता दो कि अब तक हम तुम्हारे पास कहाँ रहते थे…
क्रमशः
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