RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--23
गतान्क से आगे..........
(होस्पिट्ल के वेटिंग लाउंज में राजेश, लीना और टीना बेसब्री से मुमु की खबर का इंतजार कर रहे हैं। राजेश के सीने पर सिर टिका कर लीना अभी कुछ देर पहले रोते हुए सो गयी है। टीना के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई है और बीच में कभी-कभी सुबक उठती है। राजेश के चेहरे पर पीड़ा और चिन्ता के भाव साफ दिख रहे है। आप्रेशन थियेटर का दरवाजा खुलता है, एक डाक्टर और नर्स बात करते हुए बाहर निकलते है। राजेश उनको देख कर उठ जाता है।)
डाक्टर सोनी: राजेश…जो हम कर सकते थे हम ने कर दिया। अब सब उपर वाले के हाथ में है।
राजेश: हाँ यार…क्या उम्मीद है।
डाक्टर: यार क्या बताऊँ गोली तो जो नुकसान कर सकती थी उसने कर दिया। तुम समय पर ले आये तो हम कुछ कोशिश भी कर रहें है वरना उसके लिए भी हमारे पास समय नहीं मिलता… भाभी तो बेहोशी में तेरा नाम ले रही है…
राजेश: बेचारी अभी भी मेरी चिन्ता कर रही है…
डाक्टर: पुलिस का क्या करना है…यह पुलिस केस है पर मैने अपनी गारन्टी पर इलाज शुरु तो कर दिया है…आगे क्या करना है…
राजेश: यार…मुझे समझ नहीं आ रहा है। पता नहीं मुमु मुझसे क्या उम्मीद करेगी- उसके पिताजी का नाम लूँ या नहीं। यार जरा थोड़ी देर और नहीं रुक सकते…
डाक्टर: नहीं यार…वैसे ही बहुत देर हो गयी है
राजेश: प्लीज यार कुछ कर…मुमु को होश आने दे (टीना झपटती हुई उन दोनों की ओर बढ़ती है)
टीना: पापा क्या सोचना…(गुस्से से लाल होते हुए) मै उस आदमी को फांसी लगते हुए देखना चाहती हूँ। अंकल आप पुलिस को बुला लिजिए…
राजेश: बेटा…गुस्से से नहीं विवेक से काम लेना चाहिए (कहते हुए टीना को अपनी बाँहों मे भर कर फफक कर रो पड़ता है। टीना भी राजेश से लिपट कर रोने लगती है।)
डाक्टर: राजेश…संभालों अपने आप को…अगर तुम ही हिम्म्त छोड़ दोगे तो इनका क्या होगा… (कहते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ जाता है और पीछे-पीछे नर्स भी वार्ड का राउन्ड लेने के लिए चली जाती है।)
राजेश: (टीना की पीठ पर प्यार से थपथपाकर चुप कराते हुए) बेटा…जब बदले का वक्त आएगा तब अवश्य बदला लेंगें पर अभी तो तुम्हारी मम्मी की सुरक्षा का सवाल है…
टीना: आप सच बताइए…क्या आप हमारे पापा नहीं हो…क्या वह राक्षस हमारा पापा है…
राजेश: बेटा तुम्हें क्या लगता है… कि एक दिन कोई भी आएगा और कहेगा मै तुम्हारा पापा हूँ तो तुम मान लोगी और इतने साल का मेरा प्यार बेमानी हो जाएगा…
टीना: नहीं पापा…(सिसकती हुई)आप ही मेरे और लीना के पापा हो…
राजेश: बेटा…तुम और लीना ही मेरे जीवन का सहारा हो…अगर तुम्हारे और मेरे बीच में कोई भी आया तो…(लीना की नींद टूट चुकी है और दोनों को देख कर इनकी ओर बड़ती है)
लीना: पापा…मम्मी कैसी है…अब तक कुछ अन्दर से खबर आयी…
राजेश: अभी खतरा बना हुआ है…आगे उपर वाले पर भरोसा है…
(तीनों फिर से सामने पड़ी कुर्सीयों पर बैठ जाते है। अन्दर मुमु जीवन और मौत के साथ घमासान होते देख रही है। जरा सा होश आता है तो राजेश को पुकारती है…ड्यूटी नर्स बाहर आ कर राजेश को आवाज देती है…)
राजेश: बोलिए…
नर्स: आपको बुला रही है परन्तु अब उनके पास ज्यादा समय नहीं है…आप उनसे मिल लें…मै डाक्टर को बुलाने जा रही हूँ।
राजेश: मै इनको भी साथ ले जाऊँ…इनको देख कर शायद भगवान को दया आ जाये…
नर्स: ठीक है…(कह कर फोन के पास चली गयी)
(धीरे कदमों से चलते हुए तीनों दरवाजा धकेल कर रूम के अन्दर चले जाते है। अन्दर मुमु बेड पर आँखें मूंदे लेटी हुई है। विभिन्न प्रकार के यन्त्र मुमु के अलग-अलग अंग से जुड़े हुए है। आहट सुन कर मुमु आँखे खोलती है। राजेश, लीना और टीना सिर्हाने खड़े हो कर ढबढबाई आँखों से मुमु को निहारते हैं।)
मुमु: (करहाते हुए)…राजू…मेरा समय आ गया है…
राजेश: तुम्हें कुछ नहीं होगा…
मुमु: लीना…टीना… हमारे लोगों ने इन्हें सिर्फ दुख दिया है… अब एक बार फिर तुम पर इनका भार डाल रही हूँ। कुछ भी हो जाए इन दोनों पर मेरे पिताजी का साया नहीं पड़ने देना…
राजेश: तुम नाहक ही चिन्ता कर रही हो…तुम्हें कुछ नहीं होगा
मुमु: लीना…तू बड़ी है देख टीना का ख्याल रखना…तुम दोनों कभी भी इनका साथ नहीं छोड़ना…राजू हर पल तुम्हारे साथ बीता हुआ मेरे जीवन के सुनहरे पल है…तनवी की कमी तो मै पूरी नहीं कर सकी पर हाँ तुमने अपने प्यार में कभी कोई कमी नहीं आने दी…जब तनवी से मिलूँगी तो उसे बताऊँगी कि राजेश… बेटा यह अकेले हो जाएगें इनकी देखभाल करना (कहते हुए आँखे मूंद कर खामोश हो जाती है)
(डाक्टर और नर्स भागते हुए अन्दर आते है…सामने लगे मोनिटर की ओर देखते ही ठिठ्क कर रुक जाते हैं)
डाक्टर: आप लोग बाहर जाईए…नर्स इन्हें बाहर निकालिए और जरा शाक पैड ट्यून किजीए…
(तीनों भारी मन से बाहर आ जाते हैं। कुछ ही समय बाद डाक्टर बाहर आता है)
डाक्टर: सौरी राजेश…हम भाभीजी को बचा नही सके… तुम मेरे रूम में आओ और पुलिस कार्यवाही के पेपर्स पर साइन कर दो…हम ब्रोट डेड की रिपोर्ट देंगें…
(तीनों एक बार फिर से फफक कर रो पड़ते है…।)
(ड्राइंगरूम रूम में तीनों चुपचाप बैठे हुए है। मुमु की मृत्यु को एक महीना बीत चुका है। ठाकुर और आभा को पुलिस पकड़ कर ले गयी है और उन पर खून का मुकद्दमा चल रहा है। धीरे-धीरे सब कुछ रोज की तरह से हो रहा है परन्तु सिर्फ मुमु की कमी खल रही है। दरवाजे की घंटी बजती है…)
राजेश: लीना…देखना कौन है…
(लीना दरवाजा खोलती है)
लीना: पापा…करीना है…आजा सब ड्राइंगरूम में बैठे है।
(लीना और करीना ड्राइंगरूम में प्रवेश करते है।)
करीना: नमस्ते अंकल…हाय टीना
राजेश: आओ करीना…
टीना: हाय…
(फिर सब नजरें झुका कर चुप बैठ जाते है)
राजेश: (सब के उदास चेहरे को देख कर) बहुत दिन हो गये है…चलो आज फार्म पर चलते है… थोड़ा मन बहल जाएगा…
टीना: मन नहीं है पापा…
लीना: पापा…आप हो आइए, मेरा भी मन नहीं है…
राजेश: आज कोई कुछ नहीं कहेगा…तुम्हारी मम्मी को बहुत तकलीफ होगी जब वह उपर बैठ कर तुम्हारे उदासीन चेहरे देखती होगी। आज फार्म पर हम सब लोग जाँएंगे… करीना तुम भी चलो…तुम्हारे घर पर मै बात कर लेता हूँ।
(बेमन से लीना और टीना उठ कर अपने कमरे में कपड़े बदलने के लिए जाते है। करीना नजरें झुकाए सोफे पर बैठी रहती है। राजेश उठ कर करीना के पास आ कर बैठ जाता है।)
राजेश: करीना…
करीना: हूँ…
राजेश: कैसी हो…
करीना: ठीक हूँ…
राजेश: क्या बात नहीं करोगी…बस ठीक हो
करीना: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है…सोच कर हैरानी होती है कि वह लोग ऐसे भी हो सकते हैं
राजेश: हाँ तुम तो उनसे मिल चुकी हो…
करीना: मैं तो उस आदमी की नजरों से समझ गयी थी कि यह अच्छा आदमी नही है…जिस तरह से मुझे घूर रहा था…
राजेश: छोड़ो…यह सब…बहुत दिनों के बाद आयी हो…कभी मेरे बारे में नहीं सोचा…
करीना: रोज…परन्तु जो कुछ उस दिन हुआ था उस वजह से…।
राजेश: (करीना की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींचते हुए) तुम्हें पता नहीं कि तुम मेरे लिए क्या हो… कम से कम फोन पर तो बात कर सकती थीं। तुम मेरे जीवन का अहम् हिस्सा हो…।
करीना: (ढबढबाई आँखों से) आपको इस मुश्किल में देख कर मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ…(लीना और टीना कमरे में दाखिल होती हुई)
लीना: क्या समझ नहीं आ रहा था तुझे…
करीना: (झेंपती हुई) कुछ नहीं…
टीना: पापा…चलें क्या…
राजेश: हाँ (कह कर उठ खड़ा होता है)
(राजेश तीनों को ले कर कार में बैठ जाता है और अपने फार्म हाउस की ओर कार को ड्राईव करता है)
राजेश: आज क्या बात है सब जीन्स और कुर्ते पहने हुए हैं… मै वैसे ही दुखी हूँ और पिछ्ले दिनों में तुम्हारी मातमी सूरतें देख कर और भी ज्यादा परेशान हो गया हूँ…जाने वाला चला गया परन्तु उसकी बेहतर यादें हमें जीवन का सहारा देती है…
टीना: पापा…मम्मी की कमी बहुत खलती है और उन्हें याद करके…
राजेश: (बीच में बात काटते हुए) बेटा…तुम्हारी मम्मी को चहकती हुई टीना अच्छी लगती थी या मातमी सूरत वाली टीना…
करीना और लीना: (एक स्वर में बोलती हुई) शैतान टीना…
राजेश: यही तो मै भी कह रहा हूँ… अगर तुम खुश तो तुम्हारी मम्मी भी खुश और तुम दुखी तो तुम्हारी मम्मी भी दुखी…
लीना: पापा…बहुत दिनों से एक बात पूछना चाहती हूँ…
राजेश: वही न कि उस दिन की बातों में कितनी सच्चाई है…तुम्हारे पूछे बिना ही मैं बता देता परन्तु मै तुमसे पूछ्ना चाहता हूँ कि अगर कल तुम्हें कोई कहे कि मुमु तुम्हारी मम्मी नहीँ थी तो क्या तुम्हारा दिल मानेगा… क्या पैदा करना ही जरूरी है माँ या बाप बनने के लिए…
लीना: पापा मेरा यह मतलब नहीं था…
राजेश: बेटा…मुझसे पूछने के बजाय तुम्हें अपने दिल से पूछना चाहिए कि क्या कोई और तुम्हारे लिए मुझसे ज्यादा प्रिय हो सकता है…अगर हाँ तो मेरा रिश्ता कमजोर है और नहीं तो फिर सारी बातें बेमानी है…
लीना: पापा…मै मम्मी से ज्यादा आपसे प्यार करती हूँ…मेरे लिए सब बेमानी है परन्तु जो हमने उस दिन सुना था क्या वह सच है।
राजेश: बेटा इस दुनिया में बहुत सी बातें हैं जिनका तुम्हें पता नहीं है…अगर तुम जानना चाहती हो तो मै तुम्हें जरूर बताऊँगा परन्तु इतना हमेशा याद रखना पुराने घाव को कुरेदने से तकलीफ ही होती है…
(कार फार्म हाउस के गेट पर आ कर रुक जाती है…राजेश हार्न बजाता है लेकिन फिर कुछ याद करके खुद जा कर गेट खोल कर कार को अन्दर ले जा कर खड़ी कर देता है।)
टीना: पापा…यह तो बहुत सुन्दर जगह है आप पहले यहाँ हमें क्यों नहीं लाये थे…
राजेश: मै नहीं चाहता था कि तुम उन लोगों से मिलो।
लीना: वही जो उस दिन हमारे घर पर आये थे…(एकाएक) पापा…तनवी कौन थी…
टीना: हाँ…वह कौन थी…
राजेश: बाद में…पहले घूम कर देख तो लें कि यहाँ का क्या हाल है।
(राजेश तीनों लड़कियों को लेकर कर फार्म दिखाने ले जाता है। खुला और शान्त वातावरण, चारों ओर हरियाली, पहाड़ी के आँचल में फैला हुआ खेत, किनारे से कल-कल बहता हुआ मौसमी जंगली झरना, कुल मिला कर एक मनमोहक दृश्य।)
टीना: (इतने दिनों में पहली बार चहकते हुए) ब्यूटीफुल प्लेस…पापा मैं आपसे नाराज हूँ कि आप मुझे पहले यहाँ पर ले कर क्यों नहीं आए… करीना तुझे कैसा लगा?
लीना: हाँ पापा…बहुत सुन्दर जगह है। क्या मम्मी ने यह जगह देखी है?
राजेश: नहीं… अर…रे वहाँ कौन है…चलो वहाँ चल कर देखते है…
लीना: पापा…हम अपने स्विमिंग कास्ट्यूम ले आते तो अच्छा रहता…इस जगह हम आराम से तैरना सीख सकते है…
राजेश: वो तुम ऐसे भी सीख सकते हो…(तेज कदमों से बढ़ता हुआ पेड़ के पास जा कर रुक जाता है)…यहाँ तो कोई भी नहीं है…
करीना: हाँ मैने भी किसी को पेड़ की आड़ में खड़ा देखा था…
राजेश: चलो यहाँ से…(कह कर आउट हाउस की ओर बढ़ता है। तीनों लड़कियाँ भी राजेश के पीछे-पीछे आउट हाउस की ओर चल देती है।)
टीना: पापा…कहीं आपको कोई गलतफहमी तो नहीं हो गयी…यहाँ पर जंगली जानवर भी तो होते होंगें…शेर, चीता, साँप,…
लीना: टीना तू नाहक ही डरा रही है…यहाँ पर ऐसा कुछ भी नहीं है…क्यों पापा?
(राजेश दरवाजा खोल कर अन्दर का जायजा लेता है। करीना को एक महीने पहले की इस कमरे मे खेली हुई रंगरेलियां याद आते ही चेहरे पर शर्म कि लालिमा फैल जाती है।)
टीना: (करीना के भाव को पढ़ते हुए) करीना तुझे क्या हुआ…
करीना: कुछ नहीं…
(पीछे से किसी के आने की आहट होती है। चारों पीछे घूम कर देखते है तो अपने सामने सुन्दरी उर्फ आभा को खड़ा पाते है।)
आभा: यह तुम्हें क्या बताएगी…मै बताती हूँ (इतना सुन कर करीना के चेहरे पर हवाइयां उड़ गयीं)
राजेश: पहले तो तू बता आभा कि तू यहाँ क्या कर रही है…तेरी हिम्मत कैसे हो गयी यहाँ आने की…
आभा: मैं तो बीते तीन दिन से रह रही हूँ क्योंकि यह मेरे पिताजी की जगह है। तुम्हीं ने कहा था कि यह जगह तुमने मेरे पिताजी के नाम पर खरीदी है…तो क्या मै पूछ सकती हूँ तुम मेरी जगह पर क्या कर रहे हो…
राजेश: अच्छा…बहुत नीच खानदान की हो…पहली बात तो यह जगह मेरे नाम पर है। मैने ट्रान्सफर के कागजात तुम्हारे पिताजी के नाम पर बनवाए थे…जिससे कि उनका बुढ़ापा आराम से कट जाए…पर जेल से कब छूटीं…
आभा: बात क्यों बदल रहे हो…तुम्हारी बेटी ने इस छोकरी से कुछ पूछा था…क्या उसका जवाब नहीं दोगे…खैर यह क्या जवाब देगी मै बताती हूं यह छोकरी तुम्हारे बाप की रखैल है और कुछ दिन पहले इसी जगह पर एक पूरा दिन तुम्हारे बाप ने इसकी जवानी को भरपूर लूटा था…
(आभा की बात सुन कर लीना और टीना सकते में आ गयी और करीना लाज के मारे नजरें झुकाए जमीन में गड़ी जा रही है। बेबसी के आँसु करीना की आँख से टपकने लगे थे जिसे देख कर राजेश बेंचैन हो उठा है। राजेश अपना आपा खो कर आभा की ओर झपटता है और खींच कर उसके गाल पर एक चांटा रसीद कर देता है। इस अचानक वार से आभा चक्कर खा कर जमीन पर ढेर हो जाती है।)
लीना: पापा यह क्या कह रही है…आप और करीना
राजेश: हां…मै और करीना ही नहीँ…मैं और…
लीना: (गुस्से से बाहर की ओर भागती हुई)…तो जो उस दिन सब कह रहे थे वह सच है…
राजेश: (पीछे-पीछे भागते हुए) मेरी बात सुनो…लीना…प्लीज (एक पल के लिए ठिठ्क कर रुक जाता है।)
क्रमशः
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