RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--22
गतान्क से आगे..........
राजेश: टीना…करीना…टीना
टीना: हूँ…
करीना: हूँ…
राजेश: मैं तुम दोनों से बहुत प्यार करता हूँ…क्या तुम दोनों मुझे आपस में बाँट सकती हो…
टीना: क्यों नहीं…क्या हमने अभी तक नहीं बाँटा था…परन्तु करीना…
करीना: टीना प्लीज जब हम दोनों अंकल को बाँट सकती है तो क्या तुम मुझे अंकल के साथ नहीं बाँट सकती…
टीना: पर… (राजेश खामोशी से दोनों के बीच होता हुआ वार्तालाप सुनता है)
करीना: पर क्या… अंकल ठीक ही तो कह रहे है… हम तीनों एक दूसरे के साथ कितना मजा कर रहे है… तुझे किस बात की तकलीफ है फिर…
टीना: परन्तु जब लीना दीदी…
राजेश: क्यों क्या हुआ लीना को… टीना क्या वह भी…
टीना: पापा… लीना दीदी लेस्बियन है। पहले वह मेरे साथ सोया करती थीं और फिर करीना ने भी लीना दीदी को जौइन कर लिया था… परन्तु जिस दिन से करीना ने आपके साथ काम सुख का आनन्द लिया है उस दिन से इसकी कायापलट हो गयी है…यह भी सही है कि जब से आपके लंड का स्वाद चखा है मेरी चूत की आग बहुत ज्यादा भड़क गयी है जिसको एक लड़की का संसर्ग बुझाने में पूर्णतः अस्मर्थ है।
राजेश: (टीना के बालों में उँगलियों को फिराते हुए) तो फिर परेशानी की बात क्या है…
करीना: अंकल… टीना को लीना दीदी कि रह-रह कर चिन्ता सता रही है…उसका कहना है कि जब दीदी को पता चलेगा की हम दोनों की चूत को लंड का स्वाद पसन्द है तो उनको बहुत आघात लगेगा। इस लिए टीना आपके साथ चुदाई के लिए मना कर रही है…
राजेश: (करीना की बात सुन कर खिलखिला कर हँस देता है)…यह बात है बस… पर बेटा अगर तुम्हारी दीदी ने अभी तक मेरे या किसी के लंड का स्वाद चखा नहीँ तो वह किस बात की वजह से अपने को लेस्बियन मान रही है…
टीना: नहीं पापा…ऐसी बात नहीं है। मुझे तो उन्होंने कुछ नहीं बताया था परन्तु मुझे लगता है कि दीदी ने किसी के लंड का स्वाद चख रखा है…
राजेश: टीना…तुम और करीना इसके बारे में सोचना छोड़ दो…तुम दोनों मेरी प्रेमिका हो और मै तुम्हारा…लीना को लौटने दो…मुझे विश्वास है कि इस बात का हल भी निकल आएगा…
(दोनों लड़कियाँ खुश हो कर राजेश से लिपट जाती हैं।)
राजेश: अब दोनों आराम करो…जल्दी से सो जाना (कह कर अपनी लुंगी समेट कर पहनता हुआ बेड से उतरता है। दोनों लड़कियों के माथे को चूम कर अपने कमरे की ओर रुख करता है। राजेश के जाने के बाद…)
करीना: टीना…अंकल सही कह रहें है। जब तक लीना दीदी की चूत ने लंड को निगल कर नहीं देखा तब तक उनको कैसे पता चलेगा की चूत और लंड का मिलन तो प्रकृति का नियम है… देखना एक बार अंकल ने दीदी की चूत खोल दी तो वह सब कुछ भूल जाएँगीं।
टीना: हाँ… शायद तू सही कह रही है… चल सो जा बहुत थक गयी हूँ।
करीना: हाँ…आज तेरे पापा ने तो मेरा अंग-अंग तोड़ कर रख दिया…बहुत थक गयी हूँ…अब सो जा यार…
(कहते हुए दोनों सहेलियाँ निर्वस्त्र हालत में एक दूसरे के साथ लिपट कर सो जाती है…।)
(रविवार की सुबह। राजेश, मुमु और टीना एअरपोर्ट की विजिटर गैलरी में खड़े हुए लीना की फ्लाईट का इंतजार कर रहे हैं।)
राजेश: अभी तक फ्लाईट लैंड नहीं हुई है…
टीना: पता नहीं और कितनी देर लगेगी?
राजेश: बेटा जब आनी होगी उससे पहले अनाउँस्मेन्ट हो जाएगा…मुमु तुम तब तक टीना को ले जाओ और सामने बैठ जाओ…
मुमु: आओ टीना…चल कर सामने बैठ जाते है।
राजेश: सुनो…सुनो…श्रीनगर की फ्लाईट लैंड हो गयी है…
(इतना सुन कर सब के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ जाती है और बेसब्री के साथ लीना का इंतजार करते हैं। कुछ मिनटों के बाद एक लड़कियों का झुण्ड एक दूसरे के साथ बातें करता हुआ गेट से बाहर आता हुआ दिखाई देता है।)
टीना: पापा…यह लड़कियाँ हमारे स्कूल की है…
राजेश:…ध्यान से देखना शायद लीना भी इसी ग्रुप में हो…
टीना: नहीं पापा…यह दूसरे सेक्शन की लड़कियाँ है…पापा वह रही दीदी…(खुशी से चील्लाती है) दीदी…दीदी (सामने से लीना अपनी सहेलियों के साथ इधर-उधर देखते हुए गेट से बाहर निकलती है और टीना को देखते ही अपना हाथ हिलाती है)
राजेश: लीना…(अपना हाथ हिला कर उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है)
(राजेश पर नजर पड़ते ही लीना अपनी सहेलियों को छोड़ कर राजेश की ओर भागती है और उसके सीने से लिपट जाती है। पीछे से टीना भी भागते हुए आकर लीना से लिपट जाती है।)
राजेश: बेटा…(पीठ पर हाथ फेरते हुए) कैसा रहा तुम्हारा ट्रिप…
मुमु: लीना…
लीना: मम्मी…(कहते हुए मुमु के गले लग जाती है)…पापा इट वाज फन… हाय टीना (कह कर टीना से लिपट जाती है)…सो लिटिल सिस्टर…आई मिस्ड यू अ लाट…
टीना: ओह दीदी…आई मिस्ड यू टू
राजेश: लीना…तुम जल्दी से जा कर अपनी टीचर और फ्रेंड्स से बाय कर लो…मुमु और टीना तुम लीना को ले कर बाहर आओ मै पार्किंग से कार निकाल कर लाता हूँ…(कहते हुए कार लेने चला जाता है। लीना अपनी सहेलियों से मिलने चली जाती है।)
मुमु: टीना…(सामने से लीना अपनी सामान की ट्राली ढकेलती आती दिखाई देती है) अपनी दीदी की जरा हेल्प कर्…
(दोनों बहने बतियाती हुई मुमु के साथ गेट की ओर बढ़ती है। अचानक किसी के चेहरे पर नजर पड़ते ही मुमु का चेहरा डर के मारे सफेद हो जाता है। सामने राजेश कार में बैठा हुआ तीनों का इंतजार कर रहा है और उन पर नजर पड़ते ही झट से उतर कर कार की डिक्की को खोलता है। लीना और टीना सामान रखवाने में राजेश की मदद करती है। दोनों बहने पीछे की सीट पर बैठ कर अपनी बातों का सिलसिला आगे बढ़ाती है। मुमु आगे की सीट पर राजेश के साथ बैठ जाती है। राजेश कार को घर की ओर बढ़ा देता है।)
राजेश: मुमु बड़ी खामोश हो…क्या बात है…
मुमु: नहीं…कुछ नहीं
राजेश: पर अन्दर तो तुम ठीक थीं पर अब बहुत सहमी सी लग रही हो…क्या बात है…
मुमु: कुछ नहीं…तुम…घर पर चल कर बात करेंगें…अभी नहीं
(राजेश अपनी नजर मुमु पर डाल कर अपना ध्यान सड़क पर लगाते हुए चुपचाप कार चलाता है। पीछे दोनों बहनें अभी भी बतिया रही है। घर पर पहुँच कर राजेश और मुमु सामान निकालने में टीना और लीना की मदद करते है। सब लोग अन्दर जा कर सोफे पर थकान से पसर जाते है।)
मुमु: लीना और टीना तुम दोनों अब कुछ देर आराम करो… तब तक मै खाने का इंतजाम करती हूँ…
टीना: मम्मी…
लीना: चल न …(कह कर अपने कमरे की ओर बढ़ती है और पीछे-पीछे टीना भी उठ कर अपनी बहन के कमरे में चली जाती है)
राजेश: अब बताओ…क्या हुआ था
मुमु: एअरपोर्ट के गेट पर मैने मंगल को देखा था…
राजेश: कौन मंगल…वही खूनी,…तुम्हारा नौकर…पागल हो क्या…भला वह वहाँ क्या करेगा। तुम्हें कोई गलतफहमी हो गयी है…
मुमु: नहीं…वह मंगल ही था। मुझे कोई गलतफहमी नहीं हुई है…उस कमीने को मै कैसे भूल सकती हूँ।
राजेश: मुमु…अगर तुम सही कह रही हो तो फिकर करने की बात है। तुमने अपने पिताजी को कब और कहाँ बुलाया है? यह जानना जरूरी है कि तुम्हारे पिताजी और मंगल के बीच क्या कुछ चल रहा है…
मुमु: मैनें कोई ऐसी बात नहीं की थी…जब भी उनसे बात करती हूँ तो उनके कटाक्ष सुन कर तन बदन में आग लग जाती है और मैं फोन रख देती हूँ।
राजेश: कोई बात नहीं…(दरवाजे की घंटी बजती है)
मुमु: मै देखती हूँ…(कहते हुए जाकर दरवाजे को खोलती है)…तुम…(आने वाले को देख कर गुस्से से भन्नाते हुए) तुम्हें यहाँ पर आने की हिम्मत… चले जाओ
राजेश: कौन है…मुमु किस पर बरस रही हो (कहते हुए दरवाजे की ओर आता है)…अरे आप हैं आइये…मुमु तुम्हारे पिताजी हैं…आने दो…ठाकुर साहिब अन्दर आईए…तुम भी आओ सुन्दरी…सौरी आभा आओ तुम्हारा ही घर है…
मुमु: क्या कह रहे हो राजेश…मै अपने घर पर इन लोगों की छाया भी नहीं पड़ने देना चाहती
राजेश: मै तुम्हारी परेशानी जानता हूँ…पर जब मैं अपने पिताजी की मौत को भूल सकता हूँ तो तुम से कहूँगा कि तुम भी पिछ्ली बातें भुला कर इन्हें माफ कर दो। ठाकुर शमशेर सिंह और आभा आप इनकी किसी भी बात का बुरा न मानना… (सारे लोग ड्राइंगरूम में आकर बैठ जाते है। शमशेर सिंह और आभा ड्राइंगरूम की भव्यता को निहारते है)
शमशेर: (मुमु की ओर देखते हुए) कैसी हो बेटी…
मुमु: आपकी बेटी तो उसी दिन मर गयी थी
शमशेर: न बेटी…ऐसा नहीं बोलते।
आभा: दीदी…कैसी हो? बहुत दिनों से आपकी याद आ रही थी (राजेश की ओर मुस्कुरा कर नजर डालते हुए) उस दिन जीजू मिले थे तब आपकी खैर-खबर ली थी और उस दिन से आपसे मिलने की इच्छा तीव्र हो गयी थी।
मुमु: तू बता कैसी है। इतने दिन कहाँ थी? अम्मा कैसी है…उनके बहुत एहसान है।
आभा: अम्मा को मरे तो तीन साल हो गये हैं। उनके मरने के बाद से मै पिताजी के साथ रह रही हूँ…आखिर इस उमर में उन्हें किसी के साथ की जरूरत है और मै भी कहाँ जाती सारे खेत तो मुकदमेबाजी में पहले ही बिक गये थे। अगर जीजू मदद न करते तो पता नहीं मेरा क्या होता।
मुमु: पगली अभी तो मै जिन्दा हूँ…तू मेरे पास पहले क्यों नहीं आयी। आखिर माँ के मरने के बाद मैनें ही तो तुझे पाला है।
आभा: दीदी आँख खोली तो आपको ही माँ माना है…दीदी छोड़ो पुरानी बातें…आप बताओ आप खुश तो हो…
मुमु: बहुत खुश हूँ…राजेश बहुत प्यार करते हैं मुझे
आभा: (राजेश को घूरते हुए) अच्छा…जीजू तो सभी को बहुत प्यार करते है।
राजेश: आप लोग बातें करो…मै आप लोगों के लिए कुछ चाय नाश्ते की तैयारी करता हूँ।
मुमु: नहीं आप बैठो…मै तैयारी करती हूँ।
राजेश: न तुम बैठो…यह लोग तुम से मिलने आए हैं। (कह कर रसोई की तरफ जाता है)
(शमशेर सिंह खामोशी से सब की बातें सुन रहा है और उसकी नजर मुमु पर टिकी हुई है। आभा सरक कर मुमु के पास आती है और अपनी आँखों से शमशेर सिंह को इशारे से अपनी ओर बुलाती है। शमशेर सिंह उठ कर मुमु के दूसरी ओर आकर बैठ जाता है।)
आभा: दीदी…हम दो साल से जीजू के फार्म हाउस पर नौकर की तरह काम कर रहे है…क्या जीजू ने आप को कभी हमारे बारे में नहीं बताया…
मुमु: (असमंजस में) नहीं तो। हाँ अभी कुछ दिन पहले राजेश कह रहे थे कि पिताजी को उन्होंने किसी दोस्त के पास काम पर रखवा दिया था पर अपने फार्म पर…
शमशेर: मुमु…जब से तू गयी है मेरी बर्बादी शुरू हो गयी…सिर्फ तेरे कारण ही मै उसके फार्म पर नौकरी कर रहा था…अब तू मुझे माफ कर दे जिससे मै अपने बुढ़ापे में आराम से मर सकूँ।
आभा: दीदी प्लीज जीजू को कुछ न बताना… वह बहुत खतरनाक और ऐयाश किस्म के आदमी है…। आपने पूछा था कि मै आपके पास पहले क्यों नहीं आयी बस इतना समझ लो कि उन्होंने मुझे अपना हमबिस्तर बनाने का भरसक प्रयत्न कर लिया परन्तु मै किसी तरह से उनके चंगुल में नहीं फँस पायी।
शमशेर: मुमु…वह निहायत कमीना आदमी है। आभा गवाह है कि उसने हमारे सामने कितनी लड़कियों के साथ अपने फार्म पर रंगरेलियां मनायी है। अभी कुछ दिन पहले की बात है कि वह एक स्कूल की लड़की को अपने साथ ले कर फार्म पर आया था।
मुमु: पिताजी आपके मुख से यह बातें शोभा नहीं देती। आप तो उस से भी बड़े कमीने हो क्योंकि आपने मुझे तेरह साल की उम्र में एक बच्ची की माँ बना दिया था…
आभा: दीदी…पिताजी ठीक कह रहे है। यह बहुत ही कमीना आदमी है। इसको त्याग कर हमारे साथ चलो…सुना है मेरी दो और बहनें है…अब तो बड़ी हो गयी होंगीं…कहां पर है
मुमु: अगर तुम लोग इसी तरह की बकवास करोगे…तो अभी और इसी वक्त मेरे घर से निकल जाओ…
(पैर पटकती हुई लीना आती है और दो अजनबियों को मुमु के साथ बात करते हुए देख कर ठिठक जाती है। सभी की निगाहें लीना पर पड़ती है।)
लीनाझल्लाती हुई आती है)…मम्मी मेरा सारा सामान कहाँ रख दिया…कुछ भी नहीं मिल रहा…ओह सौरी…(कह कर वापिस जाने के लिए मुड़ती है)
आभा: बेटी…इधर आओ…(लीना मुड़ कर आभा की ओर देखती है और प्रश्नवाचक द्रष्टि से मुमु को देखती है)
आभा: बेटी आओ न…मै तुम्हारी एक रिश्ते से मौसी लगती हूँ और… (इससे पहले कुछ बोलती राजेश हाथ में चाय की ट्रे और कुछ नाश्ते का सामान लेकर कमरे में प्रवेश करता है)
राजेश: और बेटा एक रिश्ते से यह तुम्हारी बहन भी लगती है। लीना बेटे आप अपने कमरे में जाओ।
आभा: (इठला कर) क्यों जीजू क्या हमारा कोई भी हक नहीं है। बेटा प्लीज मेरे पास आओ…
राजेश: (अनसुनी करते हुए) आप लोग चाय लीजिए…लीना तुम मेरे साथ चलो मै बताता हूँ कि तुम्हारा सामान कहाँ पर रखा हुआ है…(कह कर लीना का हाथ पकड़ कर अपने साथ ले जाता है।)
आभा: यह बड़ी वाली है न…
मुमु: हाँ…छोटी वाली का नाम टीना है।
शमशेर: (जाती हुई लीना को घूरते हुए) बहुत हसीन है…बिल्कुल तुम्हारे ऊपर गयी है। इस उम्र में तुम इतनी ही खूबसूरत दिखती थी।
आभा: पिताजी…कोई भी…दीदी तुम अपनी लीना और टीना की तो सोचो…जब वह कमीना स्कूली लड़कियों के साथ रंगरेलियॉ मनाने से नहीं हिचकता…इतनी सुन्दर और हसीन बच्ची को भला राजेश जैसा ऐयाश कभी छोड़ेगा…
मुमु: तुम लोग इज्ज्त से अन्दर आये हो…अब लगता है कि बेइज्जत हो कर बाहर जाओगे…
शमशेर: मुमु…तूने मेरी कई रातें रंगीन की है…और लीना और टीना उन्हीं रातों की देन है…क्या तुझे कुछ भी नहीं समझ आता…वह मुझसे तनवी और अपने बाप का बदला लेना चाहता है… तू क्या भूल गयी…
आभा: दीदी आप नादान न बनो…
राजेश: (पर्दा हटा कर गुस्से में आग बबूला होता हुआ अन्दर प्रवेश करता है)… ठाकुर तू जन्म-जात कमीना है। जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है। अपनी बेटी को मेरे खिलाफ भड़का रहा है जिस ने तेरी इतने दिनों तक देखभाल की…साले फाँसी हो जाती अगर मैने वकील नहीं किया होता…शायद वही हम सब के लिए अच्छा होता…
आभा: तुम तो रहने दो…जरूर पिताजी आपकी लड़कियों भाग्य ही खराब है कि सब इस लम्पट के जाल में फँस जाती है…
राजेश: (गुस्से से दहाड़ते हुए) सुन्दरी तूने शायद कितनी बातें झूठ बोली हो परन्तु एक बात बहुत सही कह रही है कि ठाकुर शमशेर सिंह ने अपनी सारी बेटियाँ शायद मेरे लिए ही पैदा की हैं। ठाकुर कुछ भी कहो तेरी एक-एक बेटी के लिए मै अपनी हजार जानों की कुर्बानी देने को तैयार हूँ…
(घमासान के शोर को सुन कर टीना और लीना अपने कमरे से निकल कर पर्दे के पीछे से अन्दर होती हुई लड़ाई को समझने की कोशिश में लगी हुई हैं।)
शमशेर: तेरा गन्दा खून तेरे सिर चड़ कर बोल रहा है… मै अपनी बेटी से बात कर रहा हूँ…
मुमु: पिताजी…मुझे पता है कि आप इस से क्यों नफरत करते है। यह आपके मुख से तनवी नाम के शिकार को ले उड़ा…पर कभी आपने सोचा कि कैसे जानते-बूझते इसने आपकी झूठन को अपने घर की जीनत बना ली और आपके पाप को अपना नाम दिया…
आभा: दीदी…यह सिर्फ हमारे को नीचा दिखाने के लिए ऐसा कर रहा है…
मुमु: अच्छा तू इतनी बड़ी हो गयी है कि मुझे सिखाएगी…(दिल की पीड़ा से सिसकती हुई)… मरते समय तनवी ने इसे मेरा और मेरी बच्चियों का ख्याल रखने को कहा था। बच्चियों के बाप ने तो दूसरी लड़की होने पर मुझे अपने घर से निकाल दिया था परन्तु बेचारा राजू आज तक अपनी पत्नी की बात को गाँठ बाँध कर अमल कर रहा है।
राजेश: मुमु…मै तुम्हें रोते हुए देख कर कमजोर पड़ जाऊँगा…प्लीज
आभा: तुम रहने दो…अपना नाटक बन्द करो। दीदी…लीना और टीना की सोचो आखिर यह कमीना उनका बाप नहीं है और अपनी कसम पूरी करने के लिए उनकी जिन्दगी बर्बाद कर देगा…
राजेश: मुमु तुम्हें इस बात की हैरानी तो होगी कि लेकिन सुन्दरी आखिर मे सही मायने में ठाकुर की औलाद है। मै तो तुम्हें पहले बता देता कि दाई अम्मा के मरने के बाद जब इस को यहाँ लाने के लिये गाँव गया था तो यह मुझ पर अपनी जवानी लुटाने की कसम खा रही थी…क्यों सुन्दरी अब बोलती बन्द हो गयी…पर साथ में शर्त रख रही थी कि तुम्हें और दोनों बच्चियों को अपने घर से बेदखल कर दूँ।तुम तो जानती हो कि ऐसा मै कभी भी नहीं कर सकता था तो मेरे इंकार से खफा हो कर इसने मुझे बदनाम करने की कोशिश करी थी…पर मेरी माँ इन सब बातों की गवाह थी जिसकी वजह से यह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पायी। मेरी माँ ने इसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया था। आखिर तनवी मेरी माँ की बहू नहीं बेटी थी तो भला वह कैसे तनवी की बात को झूठ्ला देती… मै तो स्वर्णाभा को ही ठाकुर की असली औलाद मानता हूँ क्योंकि जितना कमीना वह है यह उससे दो कदम आगे है।
आभा: (गुस्से से बिफरती हुई) सब झूठ है…बहुत झूठा है यह…
राजेश: (खिलखिला कर हँसते हुए) अच्छा सावित्री…तो तूने मेरा कभी भी बिस्तर गर्म नहीं किया? क्या पिछले हफ्ते फार्म हाउस पर मेरे साथ माला पढ़ रही थी… यही वह औरत है जो अपने बाप के साथ दो साल पहले जब फार्म हाउस पर आयी तो मुझे मेरा ही वचन याद करा रही थी…
मुमु: राजेश… तुम्हारे मेरे ऊपर बहुत एहसान है…बिना विवाह किए तुमने मेरी बच्चियों को अपना नाम दिया…कभी किसी को इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि हम पति-पत्नी नहीं है। अगर मै नहीं जोर देती तो तुम कभी भी मेरे साथ संबंध नहीं बनाते…
राजेश: (घबराहट में) कौन है…पर्दे के पीछे… टीना…
(डरते हुए लीना और टीना सुबकते हुए पर्दे के पीछे से बाहर निकल कर कमरे मे प्रवेश करती है और राजेश की ओर देखते हुए भाग कर उस से लिपट जाती हैं।)
राजेश: न बेटा…न बेटा…रोते नहीं (उनको चुप करने की कोशिश करता है। मुमु भी भाग कर लीना और टीना के पास आ कर सिर पर हाथ फेरती हुई चुप कराने की कोशिश करती है। दोनों को मुमु के सुपुर्द कर के राजेश कमरे के बाहर जाता है।)
आभा: बेटा तुम अपने पिताजी से नहीं मिलना चाहोगे…(शमशेर सिंह की ओर इशारा करते हुए)…यह तुम्हारे और मेरे पिताजी है…
मुमु: आज तो हम पर कहर टूट पड़ा…(चीखते हुए) तुम मेरे घर से इसी समय निकल जाओ और मै तुम दोनों की सूरत नहीं देखना चाहती…
(राजेश एक बार फिर से कमरे में प्रवेश करता है। मेज पर धीरे से कागज का पुलिन्दा रखता है और फिर उस पुलिन्दे के साथ एक पिस्तौल रख देता है)
राजेश: ठाकुर और सुन्दरी आज तुम्हारे पास सिर्फ एक रास्ता है…जब तुम मेरे पास आये थे अपने लुटने का रोना सुनाने…तब मैने वह फार्म हाउस तुम्हारे नाम पर ट्रांसफर कर दिया था कि तुम्हारा बुढ़ापा आराम से गुजरे यह उसके कागजात है…अगर तुम आज और अभी फिर कभी भी यहाँ न आने का वादा करो तो यह कागज उठा लो हमेशा के लिए चले जाओ… और अगर एक क्षण की भी देरी की तो यह पिस्तौल से मै एक बहुत पुराना काम जो रह गया था आज पूरा कर दूँगा…।
आभा: पिताजी…(जल्दी से पुलिन्दा उठा कर शमशेर सिंह का हाथ थामती है) जीजू ने तो हमें…
शमशेर: (आभा के हाथ से पुलिन्दा छीन कर राजेश की ओर फेंकता है) मै कोई कुत्ता नहीं हूँ कि हड्डी मिलते ही दुम हिलाना शुरु कर दूँ…(झपटते हुए पिस्तौल उठा लेता है) आज मैं तुम्हारा बहुत पुराना काम खत्म कर देता हूँ…(राजेश की ओर निशाना लगाता हुआ गोली चला देता है)…
(पिस्तौल को ठाकुर के हाथ मे देख कर मुमु अपनी दोनों बेटियों को छोड़ कर शमशेर की ओर रोकने के लिए बढ़ती है। इस से पहले मुमु कुछ कर पाती पिस्तौल की गोली मुमु के सीने को चीरती हुई निकल गयी। सब अवाक् से खड़े देखते रह गये।)
आभा: (अचानक होश में आ कर) आपने यह क्या किया…भागो यहाँ से (कह कर शमशेर सिंह का हाथ पकड़ कर खींचते हुए बाहर की ओर भागती है)
राजेश: (मुमु को बाँहों मे उठा कर) बेटा जल्दी से ताला लगा कर के बाहर आओ हमें अभी अस्पताल जाना है…ठाकुर अगर आज इसको कुछ हो गया तो तुम्हें कहीं से भी खोद कर निकाल कर ऐसी मौत मारूँगा की…(भागता हुआ कार तक पहुँच कर घायल मुमु को पिछली सीट पर लिटाता है और लीना और टीना को ले कर सीधा अस्पताल की ओर रुख करता है)
मुमु: र…रा…जेश…तुम्हें इन दोनों का ख्याल रखना है…इनके उपर कभी पिताजी का साया नहीं पड़ने देना।
राजेश: तुम्हें कुछ नहीं होगा… बस आ गया…(तेजी से ब्रेक लगा कर कार को रोकता है)…बेटा तुम लोग मेरे पीछे-पीछे रहना…इमर्जेन्सी जल्दी…(वार्ड के लोग भाग कर आते है और मुमु को स्ट्रेच्रर पर लिटा कर अन्दर ले जाते है। राजेश भागता हुआ रिसेप्शन डेस्क पर आता है।)
राजेश: डाक्टर सोनी कहाँ है…जरा उन्हें अभी यहाँ बुलवाईए, इमर्जेन्सी है…
(इधर राजेश अपने रसूख का इस्तेमाल मुमु की जान बचाने के लिए कर रहा है और उधर मुमु जीवन और मौत के बीच झूल रही है। लीना और टीना सिसकती हुई अपनी माँ के लिए दुआएँ माँग रही है…। वाह री किस्मत, कैसी विडम्बना है कि एक बार फिर ठाकुर ने अपनी एक और लड़की को राजेश से मोहब्बत करने के कारण कुर्बान कर दी…)
क्रमशः
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