RE: non veg story वो जिसे प्यार कहते हैं
मिनी शायद शिक्षात्मक रूप में आ गई थी और वो बोलती ही चली गई.
‘इसके अलावा क्या तुम जानते हो कि किसी इंसान को सफेद यक आला पैंट कर देना आसान होता है. पर जिंदगी इतनी सरल नही है.व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि हम किसी इंसान को सही ढंग से तब तक नही आंक सकते जब तक हम खुद उनके जूतों में ना उतारें और जब तक हम उनकी मनोविज्ञानिक स्तिथि को ना समझें’
जिस जज़्बे के साथ मिनी बोल रही थी, राजेश को ये महसूस हो हुआ कि वो शायद खुद की इन औरतों की जगह महसूस करती है. इस से उसे हिम्मत मिली और सवाल करने की कुछ निजी जिंदगी के बारे में भी. मिनी ने खुल के जवाब दिए, जिसका मतलब था कि वो राजेश के साथ सुखद अनुभूति महसूस करती है.
राजेश ने ये निष्करश निकाला कि वो मंत्रमुग्ध है इंसान दिमाग़ को समझने के लिए.
‘सच में , मैं चाहती हूँ, कि पाँच अलग लोगो की जिंदगी एक ही जिंदगी में जी सकूँ. जिंदगी कितनी बोरिंग हो जाती है अगर तुम वोही रहो जो तुम हो, क्यूँ ठीक कहा ना?’
राजेश इस बात से इनकार ना कर सका. आख़िर वो खुद भी जिंदगी से इतना चाहता था पर सिर्फ़ एक जगह बँध के रह गया था.
इसके बाद मिनी ने जो बोला वो राजेश को काफ़ी अचांबित कर गया.
‘एक बात बताऊ, अपनी पिछली जिंदगी में मैं एक हिंदू मंत्री थी रज़िया सुल्तान के दुरबार में.’
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