Sex Chudai Kahani सेक्सी हवेली का सच
06-21-2018, 12:14 PM,
#21
RE: Sex Chudai Kahani सेक्सी हवेली का सच
दोस्तो पार्ट 13 को आप कितना पसंद करेंगे ये तो मैं नही जानता लकिन मैं ये ही कहूँगा जब तक आप सारी कहानी नही पढ़ेंगे तब तक कहानी का पूरा आनंद नही उठा पाएँगे .आपका दोस्त राज शर्मा

पिछले भाग मैं आपने पढ़ा था रूपाली पायल को लेका बेसमेंट की सफाई के लिए जाती है रूपाली पायल की कमीज़ उतरवा देती है ओर फिर उसे सफाई के लिए कहती है अब आगे........

पायल ने कपड़ा लेकर समान पर धीरे धीरे मारते हुए धूल हटानी शुरू की. बरसो की चढ़ि हुई धूल फ़ौरन हवा में उड़ने लगी और पायल ख़ासने लगी.

"इधर आ" रूपाली ने उसे अपने पास बुलाया

पायल उसके सामने आकर खड़ी हो गयी. रूपाली ने अपने गले से दुपट्टा हटाया और उसके मुँह पर इस तरह बाँध दिया की उसकी नाक और मुँह ढक गये. दुपट्टा बाँधते हुए वो रूपाली के ठीक सामने खड़ी थी और रूपाली चाहकर भी अपनी नज़रें उसकी चूचियों से नही हटा पर रही थी.

पायल ने दोबारा सफाई करनी शुरू की. रूपाली दो कदम पिछे हटकर खड़ी उसे देख रही थी. पहले तो पायल एक हाथ से सफाई कर रही थी और दूसरा हाथ अपनी चूचियों पर रखा हुआ था पर जब रूपाली ने टोका तो उसने दूसरा हाथ भी हटा लिया और चूचियाँ खुली छ्चोड़ दी.

रूपाली उसके पिछे खड़ी उसे देख रही थी. पायल पसीने में पूरी तरह भीग चुकी थी और उसकी सलवार भी उसके जिस्म से चिपक गयी थी. रूपाली उसे तकरीबन नंगी हालत में देखते हुए उसका जिस्म उसकी माँ बिंदिया से मिलने लगी. पायल भी अपनी माँ बिंदिया की तरह अच्छी कद काठी में ढली हुई थी. उसमें देखने लायक बात ये थी के वो भी अपनी माँ की तरह एकदम ढली हुई थी. दोनो का बदन एकदम गठा हुआ था और कहीं भी हल्के से भी मोटापे का निशान नही था. पायल अपनी माँ से भी दुबली पतली थी पर जिस चीज़ में वो अपनी माँ और खुद रूपाली को भी हरा देती थी वो थी उसकी चूचियाँ जो उसकी उमर के हिसाब से कहीं ज़्यादा बड़ी हो गयी थी. रूपाली ने उसकी चूचियो को घूरकर देखा और अंदाज़ा लगाया के पायल की चूचियाँ उससे भी ज़्यादा बड़ी थी. बिंदिया पायल से थोड़ी लंबी थी और दिन रात चुदने के कारण उसकी गान्ड थोड़ी बाहर निकल गयी थी.

काफ़ी देर तक रूपाली इस सोच में डूबी रही और पायल धूल झाड़ने में. अचानक रूपाली की नज़र कमरे में रखे एक बॉक्स पर पड़ी. बॉक्स पर कोई ताला नही था. उसने पायल को रुकने को कहा और बॉक्स के पास पहुँची और उसे खोला.

बॉक्स में कुच्छ कपड़े रखे हुए थे. देखने से लग रहा था के काफ़ी अरसे से यहीं पड़े हैं. खुद उसे पता नही था के किसके हैं पर एकदम ठीक हालत में थे. उसने कुच्छ सोचा और पायल की तरफ मूडी.

"क्या लगता है? तुझे ये कपड़े आ जाएँगे?" उसने पायल से पुचछा

"पता नही" पायल ने कंधे उचका दिए. उसने अपना एक हाथ फिर अपनी चूचियों पर रख लिया था. जिस्म पसीने से भीगा होने की वजह से धूल उसके जिस्म से चिपक गयी थी.

"पहेनके देख" उसने सबसे उपेर रखी एक चोली उठाकर पायल की तरफ बधाई. पायल ने हाथ बढाकर चोली ली और देखने लगी के कहाँ से पहने. अचानक रूपाली ने उसे रोक लिया

"तेरे पूरे जिस्म पर धूल लगी हुई है. ऐसे मत पहेन" उसने पायल से कहा तो पायल रुक कर अपने आपको देखने लगी.

रूपाली ने बॉक्स में से एक कपड़ा निकाला जो देखने में एक पुराने दुपट्टे जैसा लगता था.

"इधर आ" उसने पायल को इशारा किया

पायल ने अपनी चूचियों को हाथ से ढक रखा था. रूपाली ने उसका हाथ झटक कर एक तरफ कर दिया और उसके मुँह से अपना दुपट्टा खोलकर एक तरफ रख दिया

"हाथ उपेर कर" उसने पायल के हाथ पकड़कर उसके सर के उपेर कर दिया. पायल के दोनो चूचियों उपेर को खींच गयी और वो हाथ उपेर किए अजीब नज़रों से रूपाली को देखने लगी.

रूपाली ने हाथ में पकड़े कपड़े से उसके बदन पर लगी धूल सॉफ करनी शुरू कर दी. पहले पायल का चेहरा, फिर उसकी गर्दन, फिर हाथ और फिर वो धीरे से कपड़ा पायल की चूचियों पर फेरने लगी.

"मालकिन मैं कर लूँगी" कहते हुए पायल ने अपने हाथ नीचे किए

"खड़ी रह चुप छाप" पायल ने गुस्से से कहा तो उस बेचारी ने फिर अपने हाथ उपेर कर लिए

रूपाली ने फिर उसकी चूचियों पर कपड़ा फेरना शुरू कर दिया. उसने महसूस किया के पायल की चूचियों बहुत मुलायम थी जबकि उसकी अपनी इतनी ज़्यादा नही थी. उसने एक एक करके दोनो चूचियों पर कपड़ा फेरा तो धूल हट गयी पर रूपाली नही हटी. उसे पायल की चूचियों पर कपड़ा फेरने में बहुत मज़ा आ रहा था. धीरे से उसने अपने दूसरे हाथ को भी छाति पर लगाया. एक हाथ से उसने चुचि पकड़ी और दूसरे हाथ से सॉफ करने लगी. पायल की चूचियाँ बहुत बड़ी होने की वजह से अपने ही वज़न से नीचे को ढालकी हुई थी. रूपाली ने अपने हाथ से दोनो चूचियों को बारी बारी उठाया और उनके नीचे कपड़ा फेरने लगी.

सॉफ करना तो बस अब एक बहाना रह गया था. रूपाली सफाई के बहाने पायल की दोनो चूचियों को लगभग रगड़ रही थी. कपड़े से कम अपने हाथ से ज़्यादा. उसने महसूस किया के पायल की चूचियाँ तो काफ़ी बड़ी थी पर निपल्स नाम भर के लिए ही थे बस. वो उसके निपल्स को अपनी उंगलियों के बीचे में पकड़ कर धीरे धीरे घुमाने लगी. पायल के मुँह से एक आह निकली तो रूपाली ने उसके चेहरे की तरफ देखा. पायल हाथ उपेर किए चुप चाप खड़ी थी और उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. रूपाली को समझ नही आया के पायल को मज़ा आ रहा था या उसने शरम से आँखें बंद कर ली थी. खुद उसकी हालत तो ये थी के चूत गीली होनी शुरू हो गयी थी. रूपाली को खुद अपने उपेर हैरत हो रही थी के वो एक लड़की के जिस्म को ऐसे सहला रही थी जैसे खुद कोई मर्द हो. उसे पायल का नंगा जिस्म देखने में मज़ा आ रहा था जबकि खुद उसके पास भी वही था जो पायल के पास.

पायल की चूचियों से थोड़ी देर खेलने के बाद उसने नज़र नीचे की और धीरे से उसके पेट पर हाथ फेरा. पायल अब उसे कुच्छ नही कह रही थी. बस आँखें बंद किए चुप चाप खड़ी थी पर हां उसकी साँस थोड़ी तेज़ हो गयी थी. रूपाली ने हल्का सा पिछे होकर उसकी टाँगो के बीच नज़र डाली. पसीने से भीगी होने की वजह से पायल की सलवार उसकी चूत के उपेर चिपक गयी थी. रूपाली ने देखा के उसने अंदर पॅंटी भी नही पहनी हुई थी और चूत के बाल सलवार के उपेर से नज़र आ रहे थे. रूपाली के दिल में अचानक पायल को पूरी तरह नंगी देखने के चाह उठी.

इसमें कुच्छ ल़हेंगे और सलवार भी हैं. तू वो भी पहन के देख सकती है के तुझे आएँगे या नही" रूपाली ने कहा और पायल की तरफ देखा. पायल कुच्छ ना बोली और ना ही उसने अपनी आँखें खोली.

रूपाली आगे बढ़ी और उसने पायल की सलवार का नाडा खोल दिया

"मालकिन" इस बार पायल पर फ़ौरन असर हुआ. उसने अपने हाथ जल्दी से नीचे किया और घुटनो तक सरक चुकी सलवार को उपेर कमर तक खींचा

"क्या हुआ? ये सलवार क्या इसके उपेर ही पहेनके देखेगी?" रूपाली ने कहा

"मैं बाद में देख लूँगी मालकिन. आप मुझे दे दीजिए" पायल ने जल्दी से कहा

"मेरे सामने ही देख. सारे के सारे तुझे थोड़े दे दूँगी. मुफ़्त का माल है क्या. दो तीन पहनके देख ले और जो सही आते हैं वो रख लेना. कुच्छ अपनी माँ के लिए भी निकाल लेना" रूपाली ने कहा

"मैं बाद में देख लूँगी" पायल अपनी सलवार छ्चोड़ने को तैय्यार नही थी. उसने खुली हुई सलवार को ऐसे पकड़ रखा था जैसे रूपाली उसके साथ बलात्कार करने वाली हो. रूपाली को गुस्सा आने लगा.

वो आगे बढ़ी, पायल को कंधे से पकड़ा और उसे लगभग धक्का देते हुए दीवार के साथ लगाके खड़ा कर दिया. पायल की कमर पिछे दीवार के साथ जा लगी.

"छ्चोड़ इसे" उसने पायल के हाथ पकड़कर फिर ज़बरदस्ती उसके सर के उपेर कर दिए. सलवार सरक कर पायल के पैरों में जा गिरी. वो हाथ उपेर किए रूपाली के सामने मादरजात नंगी खड़ी थी.

रूपाली ने बॉक्स में से एक सलवार निकाली और उसे पायल की कमर से लगाकर देखने लगी

"ये ठीक लग रही है" कहते हुए उसने सलवार एक तरफ रखी और ऐसे ही दो तीन कपड़े निकालकर पायल की जिस्म पर लगा लगाकर देखने लगी. पायल ने फिर आँखें बंद कर ली थी.

"अरे आँखें खोल ना" उसने पायल से कहा तो पायल ने इनकार में सर हिला दिया

"हे भगवान" रूपाली ने थोडा सा गुस्से में कहा और पायल के करीब आई "मुझसे क्या शर्मा रही है. मैं एक औरत हूँ मर्द नही. मेरे पास भी वही है जो तेरे पास है"

पायल ने फिर भी आँख नही खोली.

"वैसे एक बात कहूँ पायल" रूपाली इस बार थोड़े नरम लहज़े में बोली "शुक्र माना के मैं औरत हूँ. तू नंगी इतनी सुंदर लगती है ना के मैं अगर मर्द होती तो तेरे साथ यहीं सुहग्रात मना लेती"

कहकर रूपाली हसी तो इस बार उसने देखा के पायल पहली बार मुस्कुराइ

"अब तो आँखें खोल दे" रूपाली ने कहा तो पायल ने धीरे से अपनी आँखें खोली. रूपाली उसके ठीक सामने खड़ी थी. दोनो की नज़रें एक दूसरे से मिली. ना रूपाली कुच्छ बोली और ना ही पायल. बस दोनो एक दूसरे कुच्छ पल के लिए देखती रही. फिर ना जाने रूपाली के दिल में क्या आई के वो दो कदम पिछे हटी और सामने खड़ी पायल को सर से पैर तक नंगी देखने लगी. जैसे किसी खरीदी हुई चीज़ को अच्छी तरह से देख रही हो. इस बार पायल भी कुच्छ नही बोली और ना ही उसने अपनी आँखें बंद की. हाथ तक नीचे नही किए. वैसे ही हाथ उपेर किए नंगी खड़ी रही. रूपाली फिर थोड़ा आगे आई और धीरे से एक हाथ पायल की चूत पर रखा. पायल सिहर उठी पर बोली कुच्छ नही. ना ही रूपाली का हाथ अपनी चूत से हटाया.

"ये बाल क्यूँ नही हटा ती यहाँ से?"रूपाली ने पायल से पुचछा तो पायल उसकी तरफ चुप चाप देखने लगी. उसकी आँखें चढ़ गयी थी जिससे रूपाली को अंदाज़ा हो गया के उसे मज़ा आ रहा है. रूपाली ने धीरे धीरे अपना हाथ चूत पर उपेर नीचे फेरना शुरू किया. उसे यकीन नही हो रहा था के उसके अंदर का एक हिस्सा ऐसा भी है जो एक औरत के साथ भी जिस्म का मज़ा ले सकता है. वो चुपचाप पायल की चूत रगड़ती रही और दूसरा हाथ उसकी छातियों पर फेरना शुरू कर दिया. अब पायल की आँखें बंद होने लगी थी और उसने ज़ोर ज़ोर से साँस लेनी शुरू कर दी थी. रूपाली ने उसके चेहरे से नज़र हटाकर उसकी छाती पर डाली और पायल के छ्होटे छोटे निपल्स को देखा. फिर अगले ही पल उसने दो काम किए. पहला तो ये के नीचे को झुक कर पायल का एक निपल अपने मुँह में ले लिया और दूसरा नीचे से अपनी एक अंगुली पायल की चूत के अंदर घुसा दी.

"मालकिन" चूत में अंगुली घुसते ही पायल इतनी ज़ोर से हिली के रूपाली भी लड़खड़ाके गिरते गिरते बची. वो पायल से थोड़ी दूर होके संभली और खुद को गिरने से रोका.

"दर्द होता है मालकिन" पायल ने रूपाली से कहा पर रूपाली अब उसकी तरफ नही देख रही थी. उसकी नज़र कमरे में एक कोने में रखे एक दूसरे बॉक्स पर थी.

वो बॉक्स बाकी सब समान के बिल्कुल पिछे एक कोने में रखा हुआ था. देखकर ही लगता था के उसे च्छुपाने की कोशिश की गयी है. बॉक्स रखकर उसके सामने बाकी सब फर्निचर और दूसरा समान खींचा गया है. पर जिस वजह से रूपाली का ध्यान उस बॉक्स की तरफ गया था वो उस बॉक्स पर लगा ताला था. कमरे में और किसी बॉक्स पर ताला नही था. पुराने बेकार पड़े समान पर ताला लगाकर कोई करता भी क्या पर ना जाने क्यूँ उस बॉक्स पर ताला था. और उसे देखके पता चलता था के वो बाकी के बॉक्सस के मुक़ाबले नया था.

"मालकिन" पायल फिर बोली तो रूपाली ने उसकी तरफ देखा. पायल अब भी वैसे ही नंगी खड़ी थी. उसने कपड़े पहेन्ने की कोई कोशिश नही की थी.

"तू एक काम कर. इसमें से कुच्छ कपड़े उठा ले और कपड़े पहेनकर उपेर जा. मैं आती हूँ" रूपाली ने कहा

"पर बाकी का काम?" पायल ने कमरे पर निगाह घूमाते हुए कहा

"दिन ढलना शुरू हो गया है. पिताजी भी आते होंगे. बाकी कल देखते हैं. तू चल. मैं आती हूँ थोड़ी देर बाद" रूपाली ने पायल को जाने का इशारा किया.

पायल ने बॉक्स से कुच्छ कपड़े उठाए, अपने कपड़े पहने और सीढ़ियाँ चढ़ती बस्मेंट से निकल गयी.

पायल के जाने के बाद रूपाली ने अपने कपड़े ठीक किए और बाकी रखे समान के बीच से होती बॉक्स तक पहुँची.

वो बॉक्स एक कपड़े रखने का पुराने ज़माने के संदूक जैसा बड़ा सा लड़की का बना हुआ था.काफ़ी वक़्त से रखा होने की वजह से उसपर भी धूल चढ़ गयी थी. उसपर पीतल का कुण्डा और चारो तरफ पीतल की ही बाउंड्री सी हो रखी थी. उस पीतल को देखकर ही मालूम पड़ता था के ये संदूक बाकी सारे बॉक्सस के मुक़ाबले यहाँ कम वक़्त से है. पर जिस बात से रूपाली की नज़र उसपर थी वो ये थी के इस पर ताला क्यूँ था.अगर इसमें भी बाकी के बॉक्सस की तरह पुरानी चीज़ें थी तो ताला लगाने की क्या ज़रूरत थी. घर में अब सिर्फ़ एक तरह से 2 ही लोग थे. वो और ठाकुर. उसका वो बॉक्स था नही और ठाकुर साहब के चीज़ें यहाँ ताले में क्यूँ पड़ी होंगी. एक पल के लिए उसके दिल में ठाकुर से पुच्छने का ख्याल आया पर अगले ही पल उसने वो ख्याल खुद दिल से निकाल दिया. वो पहले खुद उस बॉक्स को खोलकर देखना चाहती थी.

रूपाली ने आस पास नज़र दौड़ाई ताकि कुच्छ ऐसी चीज़ मिल जाए जिससे वो ताला तोड़ सके. वो अभी ढूँढ ही रही थी के पायल फिर सीढ़ियाँ उतारकर नीचे आई.

"ठाकुर साहब आ गये हैं. आपको याद कर रहे हैं" उसने रूपाली से कहा

रूपाली बॉक्स को बाद में खोलने का इरादा बनके उसके साथ हवेली के अंदर आई. खुद वो भी पूरी धूल में सनी हुई थी. उसे देखकर ठाकुर हस्ने लगे.

"ये क्या हाल बना रखा है?"

"सफाई करने की कोशिश कर रही थी" रूपाली ने उन्हें देखते ही चेहरे पर घूँघट डाल लिया क्यूंकी पायल साथ थी.

"अरे तो ये काम खुद करने की क्या ज़रूरत थी. कल तक रुक जाती. हम नौकर बुलवा देते" ठाकुर ने कहा

"रुक ही गयी हूँ. अब तो कल ही होगा. कोशिश थी के मैं और पायल मिलकर कर लें पर बहुत मुश्किल है" रूपाली ने जवाब दिया

"ह्म्‍म्म्म " ठाकुर ने जवाब दिया

"हाँ ज़रा कपड़े बदलके आते हैं" रूपाली ने कहा और अपने कमरे की और चली. पायल भी उसके साथ थी.

"मेरे साथ आ ज़रा" रूपाल ने पायल को कहा तो वो उसके साथ अंदर आ गयी

अंदर आकर रूपाली ने कमरा बंद किया और पायल के सामने ही कपड़े उतारने लगी. सलवार और कमीज़ उतारके वो सिर्फ़ एक ब्रा और पॅंटी में रह गयी.

"ये कपड़े ले जाके धुलने के लिए डाल दे" उसने अपने कमीज़ और सलवार पायल की तरफ बढ़ाए

पायल आँखें खोले उसकी तरफ देख रही थी जैसे यकीन ना हो रहा हो के रूपाली उसके सामने आधी नंगी खड़ी है. रूपाली की पॅंटी सामने से बस उसकी चूत को हल्का सा ढक रही थी. उसने गौर किया के पायल की नज़र उसकी टाँगो के बीच थी.

"ऐसे क्या देख रही है" उसने पायल से पुचछा "वही सब है जो तेरे पास है. कुच्छ नया नही है"

पायल उसकी बात सुनकर थोड़ा झेंप गयी पर अगले ही पल हल्की सी आवाज़ में बोली

"तो आप मुझे नीचे क्यूँ देख रही थी?"

उसने कहा तो रूपाली हास पड़ी पर कुच्छ जवाब ना दिया. पायल अब भी टेडी नज़रों से उसकी पॅंटी की तरफ देख रही थी

"इतने गौर से क्या देख रही है?" रूपाली ने पुचछा

"वो मालकिन आपके .... "पायल ने बात अधूरी छ्चोड़ दी

"क्या?" रूपाली ने उसकी नज़र का पिच्छा करते हुए अपनी चूत की तरफ देखा

"आपके बाल नही है यहाँ पर." पायल ने ऐसे कहा जैसे कोई बहुत राज़ की बात बताई हो

"हां पता है मुझे. साफ करती हूँ. तू भी किया कर" रूपाली ने कहा और पलटकर अपना टॉवेल उठाया

"किससे?" पायल ने पुचछा

"बताऊंगी बाद में. अभी तू जा. मुझे नाहकार नीचे जाना है. पिताजी से कुच्छ बात करनी है" रूपाली ने कहा तो पायल गर्दन हिलाती चली गयी.

नाहकार रूपाली नीचे पहुँची. ठाकुर बड़े कमरे में बैठे टीवी देख रहे थे.

"कैसा रहा सब?" रूपाली ने पुचछा

"जी?" ठाकुर उसकी बात नही समझे

"केस की पहली डेट थी ना" रूपाली ने कहा

"ओह" ठाकुर उसकी बात समझते हुए बोले "कुच्छ ख़ास नही हुआ. आज पहला दिन था तो बस दोनो तरफ से अपनी दलील पेश की गयी. सुनवाई अभी शुरू नही हुई. एक हफ्ते बाद की तारीख मिली है."

"तो इतना वक़्त कहाँ लग गया ?" रूपाली ने दोबारा पुचछा
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