RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
नीलिमा का फोन दो दिन बाद शाम को आया जब मैं घर आ गया था. लता आंटी का फोन आया था कि आज उनके यहां सीनियर मैनेजमेंट की अचानक एक इंपॉर्टेंट मीटिंग फ़िक्स हो गयी है इसलिये जरा देरी से नौ बजे आयेंगी "एन्ड बी ए गुड बॉय इन माई एब्सेंस" आखिर में हंस कर वे बोलीं.
नीलिमा का फोन आया, तब नीलिमा और चाची एयरपोर्ट के लिये निकल रही थीं. पहले चाची से बात की, उनको फ़िर से बाइ कहा, उन्होंने लता आंटी के साथ क्या हुआ, यह पूछा भी नहीं, या तो उन्हें कॉन्फ़िडेंस था या फ़िर लता आंटी से सीधी हॉट लाइन थी. फ़िर नीलिमा से बातें की. नीलिमा ने बस ’कैसा हे रे तू, सब ठीक है ना, अकेला बोर तो नहीं होता ...’ वाले टाइम पास तरीके में बातें करना शुरू कर दीं. मैं समझ गया, चाची सुन रही होंगी इसलिये वह साफ़ नहीं बोलना चाहती थी. बातें करते करते अचानक उसका सुर बदल गया. एक्साइटेड स्वर में उसने धीरे से कहा "चाची बाथरूम गयी हैं इसलिये जरा जल्दी में एक चीज पूछती हूं. लड़का देखने का प्रोग्राम कैसा हुआ?"
मैंने चकरा कर कहा "लड़का देखने का प्रोग्राम? कौन सा? और किसका?"
"तेरा मूरख नाथ! तू लड़का है और लड़की की गार्जियन ने तुझे अब तक ठीक से ठोक बजाकर जांच पड़ताल लिया होगा. दो रातें मिली हैं अब तक उन्हें इसके लिये. अभी भी नहीं समझे क्या उल्लू कहीं के!"
मैं समझ गया "भाभी, रातें तो बहुत नशीली थीं, चाची का कैसे शुक्रिया अदा करूं ये समझ में नहीं आता, पर ये लड़के वाली बात ..."
"अरे अब तेरी शादी की बातें कर रही हैं दोनों मिलकर आपस में; लता आंटी और ममी. लड़का तो लता आंटी ने देख लिया. लड़की देखने का प्रोग्राम भी हो गया है"
मैंने कहा "समझ गया, चाची आज कल में मुंबई में दीपिका से मिलने वाली थीं. शायद आज मिल ली होंगीं"
"अरे यार भोलेनाथ... तुझे क्या कहूं अब ... ऐसा सूखा सूखा प्रोग्राम नहीं. कल ममी - तेरी चाची दीपिका के साथ थीं रात भर. उसे यहीं होटल पर बुला लिया था. मेरी यहां की एक मौसी है, उसने बहुत आग्रह किया तो कल रात मैं उसके यहां चली गयी थी. चाची और दीपिका अकेली थीं रात भर हमारे होटल रूम में. खूब मन लगाकर लड़की देखने का प्रोग्राम हुआ होगा. सुबह दीपिका एकदम खुश थी, ममी भी खुश थीं पर बहुत थकी हुई लग रही थीं, बेचारी ममी को बड़ी मेहनत करनी पड़ी होगी लड़की ठीक से देखने के लिये. या दीपिका ने अपनी होने वाली सास की जरा ज्यादा ही सेवा कर दी होगी! मैं रात को रुकती तो शायद मैं भी लड़की देख लेती ठीक से, पर क्या करूं, ये रिश्ते भी तो निभाना पड़ते हैं, मौसी के यहां नहीं जाती तो वो बुरा मान जाती."
मैं कुछ बोला नहीं, बस नीलिमा ने जो बताया, वो डाइजेस्ट कर रहा था. नीलिमा आगे बोली "अब क्या, तेरे वारे न्यारे हैं. गोआ में तेरी मन पसंद चाची, चाची के अलावा एक अदद सेक्सी बीवी और उससे भी ज्यादा सेक्सी एक अदद सास ....दोनों आंटियां बहू बेटे से ... बेटी जमाई से खुश और मियां बीवी अपनी सासों से खुश और दोनों सासें भी आपस में पक्की सहेलियां, बस आनन्द ही आनन्द . .... अब बंद करती हूं ये बात, ममी आ गयीं ... हां तो विनय, रात को दो बजे है फ़्लाइट, अब बातें करेंगे सीधे पहुंचने के बाद "
फोन बंद किया तो मेरा दिमाग सुन्न सा हो गया था. क्या क्या चल रहा था मेरी पीठ पीछे. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मेरे लिये ये खुशी की बात है या नहीं. अब दीपिका सुन्दर और सेक्सी होगी पर क्या मैं उसे बिना मिले बिना समझे उससे शादी करना चाहता था? क्या बाकी मामलों में वह वैसी थी जैसा मैं अपनी पत्नी को चाहता था? और उसको भी जैसा पति चाहिये था, वैसा क्या मैं था? अभी तो यह हो रहा था कि स्नेहल चाची और लता आंटी मिलकर गुड्डे गुड़िया का एडल्ट खेल खेल रहे थे. याने यह सब मजा मस्ती जो चल रही थी, बहुत मादक थी पर क्या इसे सारे जीवन तक सहा जा सकता था.
सोचते हुए चलते चलते कैसे मेरे कदम आंटी के कमरे की ओर मुड़ गये, पता ही नहीं चला. दरवाजे पर एक मिनिट रुका और फ़िर अंदर चला गया. फ़िर वैसे ही उनकी अलमारी की ओर चल दिया, अलमारी खोली, ऐसा करना नहीं चाहिये था पर आज मौका भी था और जरा दिमाग भी चकराया हुआ था. कुछ करूंगा तो कम से कम ज्यादा सोचने से बच जाऊंगा, यह सोच कर मैं लता आंटी की चीजें देखने लगा. पहले से उनके बारे में कुतूहल तो था ही, आज मौका भी था. कपड़े और खूबसूरत ड्रेसेस देखे, ड्रावर खोला तो उसमें उनकी सब ब्रा और पैंटी थीं, एक से एक लेस वाली, अंडरवायर, स्ट्रैपलेस - सब तरह की. दिल तो हुआ कि सबको हाथ में ले लेकर देखूं पर फ़िर सोचा आंटी को पता चल जायेगा कि कोई इनको डिस्टर्ब करके गया है. और मुझे जरूरत भी क्या थी यह सब करने की, आंटी खुद ही वे सब पहन पहन कर मुझे दिखायेंगी ये पक्का था. और सच बात यह भी थी कि अभी बहुत मूड नहीं था. दिमाग थोड़ा घूमा हुआ था. खास कर इस तरह लड़का लड़की देखने की क्रिया से मुझे जरा धक्का ही पहुंचा था.
मेरे सुप्त मन में यह भी था कि सेक्स की भी और कुछ चीजें, टॉयज़ वगैरह होंगे आंटी के पास. यह मेरे मन में कब से चल रहा था कि जब नीलिमा के पास बटरफ़्लाइ हो सकती थी और चाची ने खुद बताया था कि उनके पास एक वाइब्रेटर था तो फ़िर लता आंटी के पास भी कुछ न कुछ तो होगा.
पर कुछ मिला नहीं, मुझे थोड़ी निराशा हुई. पर फ़िर अपने आप मेरे कदम उस खाली पड़े बेडरूम की ओर मुड़ गये. उसे सब केवल एक स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल करते थे. क्या यहां बाइ चांस कुछ हो सकता है!
वहां जाकर कमरे में तो कुछ नहीं दिखा. मैंने अलमारी खोली. नीचे के दराज में वही बड़ा कार्डबोर्ड का बॉक्स रखा था जो कुछ दिन पहले लता आंटी लाई थीं चाची के लिये. मैंने बॉक्स धीरे धीरे खोलना शुरू किया, बिना टेप फाड़े उनको धीरे धीरे निकाला कि बाद में फ़िर से वैसे ही टेप लगा कर रख दूं. अंदर दो हाइ हील सैंडल और दो स्लीपर थीं, एकदम खूबसूरत और नाजुक, एकदम सेक्सी, इम्पोर्टेड लग रही थीं. नाप देखा तो सिक्स नंबर था. याने चाची के नाप के थे, शायद उन्हीं के लिये लाई थीं लता आंटी. मुझे अजीब सी गुदगुदी हुई कि अब मेरी चाची भी इनको पहनेगी. बाहर पहनने का तो सवाल ही नहीं था, शायद यहीं घर के लिये थीं स्पेशल अकेज़न के लिये. और क्या चाची ने इन्हें इस लिये बुलवाया था कि उनको मेरे शौक का अंदाजा हो गया था!
मैंने बॉक्स में और इधर उधर देखा. नीचे टटोला तो दो किताबें सी हाथ को लगीं. एक वही वाली मेगेज़ीन थी, तीन औरत और एक लड़के वाली. दूसरी मेगेज़ीन खोली तो सेक्स टॉयज़ का केटेलॉग था. मैं पलटने लगा. क्या क्या चीजें थीं, कंडोम, लुब्रिकेंट, ऐनल रिंग, पेनिस रिंग, डिल्डो, व्हाइब्रेटर, रबर की आदम साइज़ गुड़ियां, बेड़ियां, कोड़े और न जाने क्या क्या.
जल्दी जल्दी पूरी मेगेज़ीन देखी तो एक जगह टिक लगी थी, डिल्डो पर. फ़िर से सब पन्ने पलटे तो कई जगह टिक लगी थी जैसे किसी ने सेलेक्ट किये हों.
दो वाइब्रेटर वाले डिल्डो थे, एक बड़ा और एक छोटा. दो स्ट्रैप ऑन डिल्डो थे, एक बड़ा और एक छोटा. साथ में रबड़ और प्लास्टिक की बेड़ियां - हाथ पैर बांधने के लिये, मुंह में फंसाने वाला एक गैग, याने लाल कलर की बॉल सी होती है और उसमें पट्टा होता है कि किसी को चीखने चिल्लाने से रोकना हो तो. एक रबड़ का कोड़ा था, और दो पैडल थे, जिनका यू स्पैन्किंग के लिये किया जाता है. क्या ये सब खरीदने वाला था कोई? और कौन?
मैंने चुपचाप वे सब मेगेज़ीन और सैंडल वापस रखीं और बॉक्स ठीक से बंद किया. उसे अपनी जगह रख कर कमरे से वापस आया. छह बजे थे. अभी आंटी को आने में तीन घंटे थे. फ़्रिज में एक बीयर की बॉटल पड़ी थी बहुत दिन से, उसे खोला और हाथ में जाम लेकर बैठ गया. दिमाग काम नहीं कर रहा था. नीलिमा का फोन, लड़का लड़की देखने वाली बातें, और वे तरह तरह की चीजें जो उस अलमारी में मुझे मिली थीं. एक एक करके मेरे दिमाग में वे घूमने लगे, जैसे किसी पज़ल के टुकड़े हों.
मेरा और चाची का वह समाज की दृष्टि से अवैध और वर्ज्य संबंध .... चाची और अरुण का भी वैसा ही बल्कि और अधिक वर्ज्य संबंध ... फ़िर भी अरुण का परदेश में नौकरी पकड़ना - मां के साथ इतने मादक यौन संबंध को छोड़कर जाना बड़ी बात थी .... चाची और लता आंटी का वह अनोखा संबंध .... लता आंटी और दीपिका का वह टाबू संबंध ... लता आंटी की अपनी भांजी के लिये लड़का देखने की प्रक्रिया - दो रात जांच पड़ताल कर ... मेरे लिये लड़की देखने के चाची के प्रयास ... रात भर दीपिका के साथ सेक्स करके? वे औजार और उपकरण, बीडीएस एम सेक्स वाले टॉयज़ का वह केटेलॉग ... और वह मेगेज़ीन, उसमें की तीन औरतें और उनका वह जवान गुलाम लड़का.
फ़िर कुछ घटनायें याद में आने लगीं. आधी सुनी अस्पष्ट बातें दिमाग में फ़िर घूमने लगीं जैसे कोई उनकी टेप बजा रहा हो. चाची और लता आंटी की बातें ... जब वे बाहर कार के पास खड़ी होकर बोल रही थीं
बिना मुझसे सीरियसली बोले और बिना मेरी परमिशन के मेरी शादी दीपिका से फिक्स कर देने की यह कोशिश, आखिर क्यों? चार लोगों का परिवार बनाने के लिये? तीन औरतें और एक लड़का! शायद बेचारी दीपिका को भी इस बारे में ज्यादा कुछ न पता हो? या हो सकता है पता हो और उसे ऐसा ही गुलाम बनाकर रखने के लिये पति चाहिये हो - ककोल्ड!
बहुत देर मैं सोचता रहा और अब भी सोच रहा हूं पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा हूं. क्या ये टुकड़े मिलकर कोई पज़ल बनता है? या सब सिर्फ़ आपस में न जुड़ी हुई रैंडम घटनायें हैं! और क्या मैं ज्यादा सोच रहा हूं, बिन बात का बतंगड़ बना रहा हूं, एक और एक को दो के बजाय ग्यारह गिन रहा हूं?
क्या यही है मेरे भविष्य में? या ये सब केवल कोइन्सिडेन्स हैं, असल में ऐसा कुछ नहीं होगा! अगर हुआ तो क्या इससे बचने का कोई तरीका है? और सबसे बड़ी समस्या कि मैं क्या सच में बचना चाहता हूं या अपने आप को बलि का बकरा बना कर हमेशा के लिये इस मादक स्नेहजाल जो शायद आगे वासनाजाल बन जाये, उसमें फंस जाना चाहता हूं?
अभी भी सोच रहा हूं पर उत्तर नहीं मिला है. और तब तक यह मायाजाल मेरे इर्द गिर्द कसता जा रहा है, मुझे नहीं लगता कि मुझमें इतनी शक्ति है कि लता आंटी जैसी खूबसूरत जादूगरनी की इस मधुर गिरफ़्त से मैं अपने आप को छुड़ा पाऊंगा.
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