RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
तभी जेठ सिसियाकर बोले- बहू मेरा लण्ड भी.. हाय रे.. गया.. मेरा लौड़ा निकला.. माल.. हाय रे.. निकला।’
अपना वीर्य निकलने से पहले ही जेठ ने अपना लण्ड बाहर खींच लिया और लण्ड मेरे मुँह तक लाकर तेज-तेज हाथ से हिलाते हुए मेरे मुँह पर माल की पिचकारी मारने लगे।
‘आह.. बहू लो पी लो.. मेरे वीर्य को.. आहह्ह्ह् बह्ह्ह्हू..’
उन्होंने मेरे होंठ पर जैसे ही वीर्य गिराया.. मैंने मुँह खोल कर जेठ का लौड़ा अपने मुँह में ले लिया। जेठ जी मेरे मुँह के अन्दर ही पानी छोड़ने लगे और मैं उनका सारा वीर्य पी गई और जेठ का लण्ड पूरा चाट कर साफ़ कर दिया।
फिर मैंने अपने होंठों से चेहरे का वीर्य भी जीभ निकाल कर चाट लिया। हम दोनों की वासना का सैलाब आकर जा चुका था। सुबह से मेरी प्यासी चूत को राहत मिल चुकी थी।
तभी मुझे संतोष का ध्यान आया कि वो भी तो घर में ही है। मैं जेठ से बोली- भाई साहब मैं तो चूत चुदवाने के नशे में भूल गई थी.. पर आप भी भूल गए कि संतोष घर में ही है। उसने हम लोगों को देख लिया होगा तो क्या होगा.. आप जाईए और देखिए कि वह कहाँ है?
|