RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मैं इधर-उधर देखते हुए फोन करने ही वाली थी कि मुझे उस लड़के की आवाज सुनाई दी- चल इधर आ जा।
मैंने देखा तो वो आवाज 403 नम्बर के कमरे से आई थी। मैं सीधे उसके कमरे में घुस गई। उसने रूम बंद करते हुए मुझे बाँहों में भरते हुए पूछा- अब तक कहाँ थी.. मैं कब से तेरी बुर चोदने का वेट कर रहा हूँ और कब से मेरा लण्ड तुम्हारे चूत तेरी चूत में जाने का इन्तजार कर रहा है..।
मैं उसी की बात सुन रही थी.. पर मैं यह अंदाज नहीं लगा सकी कि जिसने मुझे अभी-अभी अपने सांड जैसे लण्ड से चोदा है.. ये दोनों मिले हुए हैं क्या?
तभी उसने मेरा लहँगा पकड़ा और खोलने लगा।
मैं बोली- नीचे मैं बिल्कुल नंगी हूँ।
वो बोला- ठीक है पैन्टी निकालने का झंझट खत्म।
उसने मेरा लहँगा झट से खोल कर निकाल दिया.. मेरी चूत और जाँघ पर हाथ फिराने लगा। मेरे अन्दर एक अजीब सी बेचैनी समा गई.. क्यूँकि रज वीर्य से मेरी जाँघ भीगी हुई थी और वह सब उसके हाथ में लग गया। उसने हाथ को नाक तक ले जाकर सूँघ कर बोला- तू तो पक्की छिनाल निकली.. किससे चुद कर आ रही है?
‘मैं चुद कर नहीं आ रही.. कोई ने मुझे जबरिया उठाकर मेरी चूत में लण्ड पेल दिया.. इसी लिए आने में देरी हुई। कौन था.. मैं नहीं जानती और यही तो मैं भी जानना चाहती हूँ कि वो कौन था? कहीं तुमने ही तो उसको मुझे चोदने के लिए नहीं भेजा था?
वह बोला- नहीं यार.. मैं क्या जानूँ.. चुद कर तुम आ रही हो.. तुमसे कहाँ मिला वह?
मैं बोली- वह रूम नम्बर 107 में था। मैं तुम्हारे पास आ रही थी.. उसने मुझे कमरे में खींच कर मेरी बुर को पेल दिया। वह एकदम सांड जैसा था और लण्ड भी साले का एकदम गदहे जैसा था।
तभी वह बोला- उस कमरे में तो लड़के के चाचा रूके हैं। वो पहलवानी करते हैं कसरती बदन है उनका..
‘हाँ हाँ.. सही कहा तुमने.. बिल्कुल ऐसा ही आदमी था वह..’ मैं बोली।
फिर अनूप खुश होते हुए बोला- चलो अच्छा ही हुआ मुझे ताजी चुदी हुई बुर जिसमें वीर्य भरा हो.. जीभ से चाटकर साफ करने बड़ा मजा आता है।
अनूप इसी लड़के का नाम है..
यह कहते हुए वो मुझे घुमाकर मेरी चूतड़ सहलाने लगा। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वो बड़ी बेशर्मी से मेरे वीर्य लगे नंगे चूतड़ों को घूर रहा था और पहली बार.. कोई मेरी वीर्य से भीगी चूत और चूतड़ों को अपनी जीभ से चाटने जा रहा था।
उसने बोला- सच में बड़ी मस्त चूत और गाण्ड है तेरी..
और उसने जैसे ही मेरी चूतड़ों पर अपने होंठ लगाए.. मेरा जिस्म.. मेरा मन.. मेरी चूत.. सब झनझना उठे।
वह बेतहाशा यहाँ-वहाँ बिना रूके चूमता ही जा रहा था। उसने अपने दोनों हाथ मेरे नंगे चूतड़ों पर रख कर छितराते हुए मेरी गाण्ड और बुर के छेद और जाँघों पर लगे रज और वीर्य को चाटने लगा।
उसके इस तरह से चाटने से मेरी योनि से पानी रिस कर बह निकला, मैं एक बार फिर चुदने के लिए तड़फने लगी। उसके इस तरह चाटने से मेरा अब खड़ा होना मुश्किल हो गया।
मैं सिसियाते हुए बोली- आह..सी.. जान.. मुझे लिटाकर मेरी गाण्ड और मेरी चूत चाटो.. मुझसे अब खड़ा नहीं रहा जाता।
उसने तुरन्त मुझे बिस्तर पर पेट के बल लिटा कर मेरी चूतड़ों को ऊपर उठाते हुए.. अपनी जीभ मेरी बुर के ऊपर रख कर चाटने लगा। उसकी इस हरकत से मेरी चूत की बैचैनी बढ़ उठी। उसने मेरी योनि की पंखुड़ियों को अपने होंठों में दबा लिया और बड़ी बेदर्दी से चूसने लगा। मेरी चूत और गाण्ड की तड़प चुदाने के लिए तड़फने लगी। वो अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियाँ मसकते हुए.. मेरी गाण्ड के छेद और कभी चूत को.. कुत्ते की तरह चाटता जा रहा था।
मेरे मुँह से ‘आआह.. आहआ… आहआह.. ईईसीआह.. की आवाजें निकलने लगीं।
मैं बोली- जान अब रहा नहीं जा रहा है। अब लण्ड पेल दो मेरी गाण्ड में..
इतना सुनना था कि वह मेरी गाण्ड मारने के लिए लण्ड पर थूक लगा कर मेरी गाण्ड के छेद पर सुपारा रगड़ने लगा। अब मुझसे बर्दास्त करना मुश्किल होने लगा और मैं सिसियाते हुए बोली- आहसी.. आहहह ऊऊऊआह.. डाल दो ना..
उसने लण्ड रगड़ते हुए पूछा- कहाँ?
मैं बोली- मेरी गाण्ड में डाल दो..
इतना सुनते ही उसने एक तेज शॉट मारा और अपना आधा बाबूराव अन्दर डाल दिया।
मैं मजे ले कर बोली- आह्ह.. गाण्ड मार कर तो तूने मस्त कर दिया।
तभी उसने दूसरा शॉट लगा कर अपना पूरा लिंग मेरे अन्दर डाल दिया।
मेरे मुँह से, ‘आआआह्ह्ह.. ऊहऊऊऊसी..आह..’ निकल गई।
फिर लगातार ‘गचागच..’ लण्ड पेलता रहा.. बड़ी बेदर्दी के साथ गाण्ड मारता रहा.. मैं मेरी गाण्ड मराती रही.. बिना कुछ कहे बिना सुने.. वो लण्ड पेलता रहा, उसके हर शॉट पर मेरी ‘आह’ निकल जाती। अनूप के हर शॉट पर.. मेरी चूत भी मस्त होकर पानी-पानी हो गई। उसने अपने धक्कों की स्पीड और भी तेज कर दी। मैं आनन्द के सागर में गोते लगाते हुए मजे से गाण्ड उचका-उचका कर मराती जा रही थी।
तभी अनूप चीखते हुए, ‘आह्ह्ह्ह्ह्.. सीसी..आह.. मेरा गया तेरी गाण्ड में..’
और उसने ढेर सारा गरम-गरम पानी मेरी गुदा में छोड़ते हुए कस कर मेरी चूचियां पकड़ कर और लण्ड जड़ तक पेल कर हाँफते हुए झड़ने लगा।
अनूप के लण्ड से चूत लड़ाने वाली हूँ आप लोग अपने लण्ड को पकड़ कर बैठ जाइए ताकि मेरी चूत को याद करके मुठ्ठ मार सको.. पर पानी छोड़ते समय मेरी बुर को याद करके ही पानी (वीर्य) निकालना और निकालते समय ऐसा सोचना कि मेरी चूत में ही अपना पानी डाला हो।
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