RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
मेरा इतना सुनते काटो तो खून नहीं.. मैं सोचने लगी कि मैंने तो चूत को अच्छी तरह से साफ किया था.. पर कुछ घन्टों पहले ही तो अरुण जी ने चोदा था.. शायद वीर्य का कुछ अंश अन्दर रह गया हो।
मैं बात बना कर बोली- कौन चोदेगा मेरी जान.. तुम्हारे सिवा कोई चोदता तो क्या मैं बताती नहीं..
यह बोलते हुए मैं कामुक अंदाज में सिसिया दी- चाटो ना मेरी चूत..
उनके सर पर हाथ रख कर ह्ज्बेंड का मुँह चूत पर दबा दिया।
वे मेरी चूत कुत्ते की तरह चाटने लगे और मैं गर्म होने लगी, मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं- आहह… आहईसी.. सीईईईई.. आह और चाटो जानू..
ह्ज्बेंड का एक हाथ मेरी चूचियों पर आ गया था, उन्होंने हल्के हाथ से सहलाते हुए चूत चाटने में मजा दुगना हो गया..
‘उफ्फ्फ..’ मेरे मुँह से ‘सी..ई..ई.. ई.ई…’ की आवाज तेज होती जा रही थी।
तभी ह्ज्बेंड ने कहा- एक बात पूछूँ जानू?
मैं बोली- इजाजत की क्या बात है.. पूछो न..
बोले- जानू.. ना तो तुम्हारी चूत पर पैन्टी थी.. और ना ही तुम्हारी चूचियों पर ब्रा.. क्या बात है मेरी जान?
मैं बहाना कर बोली- पहनी ही नहीं थी जानू.. क्या तुम कुछ शक कर रहे हो?
ह्ज्बेंड बोले- नहीं यार.. ऐसे ही मजाक कर रहा था।
इतना कहते हुए उन्होंने मेरी चूत को जीभ से चाटना शुरू कर दिया और फिर चूमते हुए ऊपर नाभि से होते हुए मेरे दोनों स्तनों को बारी-बारी से चूसते हुए मेरे स्तनों को इस तरह मसलना और चूसना शुरू किया कि मैं चुदने के लिए मचल उठी, मैं एक हाथ बढ़ा कर उनका लण्ड पकड़ कर आगे-पीछे करने लगी।
तभी ह्ज्बेंड ने चूत के दाने को उंगली से दबाया- ओह्ह्ह्ह.. माँ.. सि..सि..सि.. हूऊ..
मेरे मुँह से यही आवाज़ निकल रही थी.. मेरी चूत से पानी निकल कर रिसने लगा.. मेरी कमर ऊपर-नीचे होने लगी, मेरी चूत के दाने को ह्ज्बेंड हल्के से रगड़ने लगे और मैं बेक़रार होने लगी..
फिर ह्ज्बेंड ने मेरी चूचियों को छोड़ कर मेरे पैरों को फैलाकर अपने लंड का सुपारा चूत के ऊपर रखा और मेरी चूत पर रगड़ने लगे..
मैं कमर उठाने लगी..- अब.. मत तड़पाओ.. मैं जल रही हूँ.. आह्ह्ह्ह..
मैं कमर ऊपर करने लगी.. चूत के छेद को लंड से लगाने लगी।
ह्ज्बेंड देव ने मेरी पनियाई हुई चूत के पानी से भीगा सुपारा और लंड को मेरी गुलाबी चूत पर लगाया और एक धक्का मार दिया।
‘आह्ह..’
और पूरा लंड एक ही धक्के में चूत में समा गया। मैं सिसियाते हुए बोली- आह.. सी.. चोदो मेरे राजा मेरे प्राणनाथ.. मजा आ गया अई.. माँ ओह..सीसीईई.. आहह..
मेरी मुँह से ऐसे शब्द सुन कर ह्ज्बेंड ने जोरदार तरीके से चुदाई शुरू कर दी।
मेरी चूत से ‘फच.. फच… फच..’ की आवाज़ आने लगी।
ह्ज्बेंड अपना पूरा लंड बाहर खींचते और एक जोरदार धक्का देकर अन्दर पेल देते। आज वे बहुत ही जबरदस्त तरीके से चोद रहे थे.. मुझे भी मज़ा आ रहा था.. इतनी जबरदस्त चुदाई हो रही थी.. जैसे ह्ज्बेंड बहुत प्यासे हों।
वैसे भी रोज चूत मारने वाला आदमी आज चार दिनों बाद बुर पेल रहा था। ह्ज्बेंड की चुदाई का मुझे भी मज़ा आ रहा था.. इतने में ह्ज्बेंड ने मुझे कसके पकड़ा और कहा- डॉली.. मैं झड़ने वाला हूँ..
इतना कहते हुए उन्होंने दस-पंद्रह धक्के तेज-तेज लगा कर मेरी चूत में वीर्य की एक तेज धार छोड़ दी। झड़ने के साथ ही मेरे चुचों पर अपना सर रख कर हाँफने लगे। मैंने भी ह्ज्बेंड के बाबूराव के गरम-गरम वीर्य को अपनी चूत में महसूस किया और मैं भी ह्ज्बेंड साथ एक बार और झड़ गई।
आज दिन में मेरी तीन बार चुदाई हुई। अभी एक बार रात में फिर एक अंजान और गैर मर्द की बाँहों में जाना बाकी था।
अभी तक ह्ज्बेंड का लंड मेरी चूत में ही पड़ा था और ह्ज्बेंड मेरे ऊपर ही पड़े थे। ह्ज्बेंड का लण्ड धीमे-धीमे छोटा होता जा रहा था।
मैं बोली- मेरी चूत की तो माँ चोद चुके हो.. क्या अब मेरी जान ही लोगे?
ह्ज्बेंड बोले- क्यूँ जानू?
मैं बोली- अब आप मेरे ऊपर हो.. मेरी जान निकल रही है..
तब ह्ज्बेंड- तुमने तो मुझे पूरा निचोड़ लिया है.. मैं जरा थक गया यार.. सच में तुम्हारी चूत चोदना कोई खेल नहीं है..
यह कहते हुए ह्ज्बेंड बाथरूम में चले गए, मैं बिस्तर पर पड़ी लेटी रही।
ह्ज्बेंड बाथरूम से बाहर आकर बोले- चलो जल्दी तैयार हो जाओ.. नीचे सभी लोग वेट कर रहे होगें.. शादी का फंक्शन शुरू हो गया है।
मैं भी फ्रेश होने बाथरूम गई और फिर एक बैगनी कलर का लहँगा.. जो शादी के लिए लाई थी.. पहन कर तैयार हो गई।
ह्ज्बेंड भी ब्लेजर जीन्स पहन कर तैयार हो गए थे।
फिर हम दोनों एक साथ बाहर आए.. बाहर शादी की सारी तैयारियाँ हो गई थीं। सभी लड़के और लड़कियाँ डान्स कर रहे थे और वह लड़का भी दिखा.. जो आज रात मेरी चूत चोदने वाला थाम वो खूब डान्स कर रहा था।
शादी का इंतजाम भी उसी होटल में था, बारात होटल के बाहर रोड से होते हुए पुन: होटल के लिए आ रही थी।
तभी उस लड़के की निगाह मेरे ऊपर पड़ी।
वह मेरी तरफ बढ़ा और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रिक्वेस्ट करते हुए डान्स के लिए खींचते हुए लेकर डान्स करने लगा। मैं भी उसके साथ थोड़ा डांस करने लगी। इसी दौरान उसने मेरे दूध दबाते हुए कहा- मेरी जान आज रात मेरे बाबूराव से चुदने आ रही हो ना..
मैंने बस मुस्कुराकर उससे चुदने की मौन स्वीकृति दे दी।
उस लड़के को जब भी मौका मिलता.. भरी महफिल में कभी मेरे चूतड़ों पर कभी चुचों को दबाकर चला जाता। उसकी उस हरकतों से मैं गर्म होने लगी थी और मेरी चूत पानी छोड़ कर और मेरे चूतड़ चुदने के लिए दोनों ही मचल रहे थे।
धीमे-धीमे रात गहरी हो रही थी.. अब 11:15 का समय हो रहा थाम लोग खाने पीने में मस्त थे, मेरे ह्ज्बेंड भी अपने दोस्तों में मस्त थे। मैं दुल्हन और ह्ज्बेंड के दोस्त के घर की सभी औरतों के साथ थी..
तभी वही लड़का आया, वो मुझसे बोला- भाभी.. भैया जी आपको बुला रहे हैं।
यहाँ आप सभी को बताना जरूरी है कि होटल एक रिसार्ट किस्म का था.. वाटर पार्क.. झाड़ियाँ और बच्चों के लिए छोटा सा चिड़ियाघर भी था। काफी बड़े एरिया में था।
मैं बोली- कहाँ हैं?
तो वह बोला- उधर हैं..
एक झाड़ी की तरफ उसने इशारा किया।
मैं उसके साथ चल दी.. जिधर वह ले गया, उधर कोई नहीं था.. मैं डर गई कि कहीं साला अभी तो चोदना शुरू नहीं कर देगा..
मैं बोली- इधर कहाँ हैं?
बोला- शायद कमरे की तरफ चले गए हों.. उन्हें आपसे बहुत जरूरी काम था।
मैं और आगे बढ़ती गई। शादी की तैयारी कमरे के पीछे की तरफ था। इतने में वह रूका और मुझ पर झपट पड़ा और मुझे पकड़ कर बागान की तरफ घसीटते हुए ले जाकर बोला- जान… रहा नहीं जा रहा था.. एक बार मेरा माल निकाल दो.. फिर बाद में तेरी चूत चोदूँगा.।
मैं बोली- यह क्या किया? किसी की निगाह पड़ गई होगी तो? मैंने कहा था न.. रात को तो मैं आने वाली थी न.. फिर इतनी जल्दी क्या थी?
वह बोला- मेरी जान.. जितनी जल्दी मेरे लण्ड का माल बाहर करोगी.. उतनी ही जल्दी चली जाओगी.. बात मत करो शुरू करो..
वो अपने पैंट की जिप खोल कर लण्ड निकाल कर हिला रहा था। मैं उसका लण्ड देख कर मचल उठी और सीधे नीचे बैठ कर मुँह में लेकर चूसने लगी। बहुत ही मस्त लण्ड था.. मजा आ गया। मैं सब कुछ भूल कर लॉलीपॉप की तरह लण्ड चूसने लगी।
वह मस्त होकर बोला- आह्ह.. साली आज रात तेरी चूत फाड़ ही दूँगा.. चूस मेरे लण्ड को.. आह्ह.. चूस मेरे लंड के सुपारे को.. साली.. आज की रात को अपनी चूत की खैर मना.. आज तेरी वो चुदाई करूँगा कि तू याद रखेगी कि किस लण्ड से पाला पड़ा है.. मेरे बाबूराव में वो ताकत है कि तू अरुण के बाबूराव या ह्ज्बेंड के बाबूराव को भूल जाएगी।
मैं बोली- हाँ.. उन सबसे तेरा लण्ड मस्त मोटा है रे..
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